Book Title: Aate Ka Murga Author(s): Amitsagar Publisher: Acharya Dharmshrut Granthmala View full book textPage 17
________________ चलते चलते. क्या ? दोनों का काम तमाम कर दूं १ नहीं। जब यह स्त्री मेरी नहीं तब यह राज्य वैभव कैसे मेरा हो सकता है ? अब तो दीक्षा ग्रहण करना ही अच्छा है। राजा लौट आया। किसी को मालूम नहीं पड़ा । प्रातः माता चन्द्रमती के पास गये । GRE 12 माताजी ! प्रणाम । बेटा, चिरंजीवी हो । 22 ॐ 15Page Navigation
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