Book Title: Aagam Manjusha 41B Mulsuttam Mool 02 B PindaNijjutti
Author(s): Anandsagarsuri, Sagaranandsuri
Publisher: Deepratnasagar

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Page 7
________________ P4 ॥८॥ नामंमि सरिसनामा ठवणाए कडकम्ममाईया। दमि जो उ भविओ साहमिसरीरगं चेव (जंच)॥९॥ खेने समाणदेसी कालंमि समाण( उएक)कालसंभूओ। पवयणि संघे. गयरो लिंगे स्यहरणमुहपोली ॥१४०॥ सण नाणे धरणे तिग पण पण निविह होइ उ चरिने। दवाइओ अभिग्गह अह भावणमो अणिचाई ॥१॥ जावंत देवदत्ता गिही व अगिही व नेसि दाहामि। नो कणई गिहीणं दाहंनि विसेसियं कप्पे ॥२॥ पासंडीसु(ण)वि एवं मीसामीसेसु होइहु विभासा। समणेसु संजयाण उ विसरिसनामाणविन कप्पे ॥३॥ नीसमनीसा व कडं ठवणासाहम्मिम्मि उ विभासा । दवे मयनणभनं न न नु कुच्छा विवजेजा ॥४॥ पासंडियसमणाणं गिहिनिम्गंधाण व उ विभासा। जहनामंमि नहेव य खेने काले य नाय ॥५॥ दस सिहागा सावग परयणसाहम्मियान लिंगेण । लिंगेण उसाहम्मी नो पदयण निष्हगा सो॥६॥ विसरिसदसणजना पक्यणसाहम्मियान दंसणओ। निन्धगरा पनेया नो पदयणदंससाहम्मी ॥ ७॥ नाणचरिना एवं नाया होनि पवयणेणं तु । पवयणओ साहम्मी नाभिग्गहसावगा जइणों ॥८॥ साहम्मऽभिग्गहेणं नो पदयण निष्ह निन्य पनेया। एवं पक्ष्यणभावण एनो सेसाण वाच्छामि ॥९॥लिगाईहिवि एवं एकेकेणं नु उवरिमा नेया। जेऽनन्ने उवरिडा ते मोतुं सेसए एवं ॥१५०॥ लिंगेण उ साहम्मी न दसणे वीसुदसि जह निष्हा । पनेयबुद निन्थंकरा य पीयमि भगमि ॥१॥लिंगेण उ नाभिग्गह अणभिग्गह वीसुऽभिग्गहा चेव । जइसावग बियभंग पनेयबुहा य तित्थयरा ॥२॥ एवं लिंगेण भावण दसणनाणे य पदमभंगो उ । जइसावग विसुनाणी एवं चिय विइयभंगोऽवि ॥३॥ दसणचरणे पढमो सावग जइणो य वीयभंगो उ। जइणो विसरिसदंसी दंसे य अभिगहे बोच्छं ॥४॥ साग जइबीसऽभिमह पटमा बीओ य भावणा चेवं। नाणेणऽपि नेजवं एनो चरण बोच्छामि ॥५॥ जइणा वीसाभिम्गह पढमा विय भावणामुऽवि बोच्छं दोण्हनिमाणित्तो ॥६॥ जइणो सावग निण्हव पढमे बिहए य हुंति भंगे य। केवलनाणे नित्थंकरम्स नो कप्पद कयं तु ॥७॥ पत्तेयबुद्ध निण्हव उवासए केवटीवि आसजा सइयाइए य भावे पहुच भंगे उ जोएजा ॥८॥ जत्थ उ नइओ भंगो तत्थ न कप्पं तु सेसए भयणा। नित्थंकरकेवलिणो जह कप्पं नो य सेसाणं ॥९॥ किं तं आहाकम्मनि पुच्छिए तस्सरुवकहणत्थं । संभवपदरितणत्यं च तस्स असणाइयं भणइ ॥१६०॥ सालीमाई अवडे फले य मुंठाइ साइमं होइ । नस्स कडनिट्ठियमी मुदमसुद्धे य चत्नारि ॥१॥ कोदवरालगगामे वसही रमणिज भिक्ख सज्झाए। खेत्तपडिलेहसंजय साययपुच्छुज्जुए कहणा ॥२॥ जुज्जइ गणस्स खेनं नवरि गुरुणं तु नस्थि पाउम्गं । सालित्ति कए कंपण परि. भायण निययगेहेसु ॥३॥ वोलिंता ते व अन्ने वा, अहता तत्थ गोयरं। सुणंति एसणाजुत्ता, वालादिजणसंकहा ॥४॥ एए ते जेसिमो रखो, सालिकूरो घरे घरे। दिन्नो वा सेसय देमि, | देहि वा विनि वा इमं ॥५॥ थके थकावड़ियं अभत्तए सालिभत्तयं जायं। मज्झ य पइस्स मरणं दियरस्स य से मया भज्जा ॥६॥ चाउलोदगपि से देहि. सालीआयामकंजियं। किमे. यंति कयं ? नाउं, वजंतऽन्नं वयंति य ॥७॥ लोणागडोदए एवं, खाणिनु महुरोदर्ग। दक्किएणऽच्छते ताव, जाव साहुत्ति आगया ॥८॥ ककडिय अंबगा वा दाडिम दक्वा य बीयपूराई। खाइमऽहिगरणकरणति साइमं तिगडुगाईयं ॥९॥ असणाईण चउण्हवि आम जं साहुगणपाउम्गं । तं निट्टियं वियाणसु उवरखडं तू कडं होइ॥१७॥ कंडियनिगुणुकंडा उ निट्ठिया णेगदुगुणकंडा उ । णिट्ठियकडो उ कूरो आहाकम्म दुगुणमाहु ॥१॥ छायपि विवजंती केई फलहेउगाइवुनस्स। तं नु न जुज्जइ जम्हा फलंपि कप्पं बिइयभंगे ॥२॥ परपचइया छाया नवि सा रुक्खोव वट्टिया कत्ता।नट्ठच्छाए उदुमे कप्पइ एवं भणंतस्स ॥३॥बड्डइ हायइ छाया तस्थि(च्छि) पूइयंपियन कप्पान य आहाय मुविहिए निवनयई खी च्छायं ॥४॥ अघणघणचारिगगणे छाया नट्ठा दिया पुणो होइ । कप्पइ निरायवे नाम आयवे तं विवजेउं (जंति)॥५॥ तम्हान एस दोसो संभवई कम्मलक्षणविहणो। नंपिय हु अइ. घिणिल्डा बजेमाणा अदोसिला ॥ ६॥ परपक्खो उ गिहत्या समणा समणीउ होइ उ सपक्खो। फामुकदं रदं वा निट्ठियमियरं कर्ड सर्व ॥ ७॥ नस्स कडनिट्ठियमी अन्नम्स कडमि निहिए तस्स । चउभंगो इत्थ भवे चरमदुगे होइ कप्पं तु ॥८॥ चउरो अइक्कम वइकमो य अइयार तह अणायारो। निदरिसण चउण्हवि आहाकम्मे निमंनणया ॥९॥ सालीघयगलगोरस नवेसु बडीफलेसु जाएसुं। दाणे अहिगमसड्ढे आहाय कए निमंतेइ ॥१८॥ आहाकम्मरगहणे अइकमाईसु बट्टए चउसु । नेउरहारिगहत्थी चाउनिगद्गएगचलणेणं ॥१॥ आहाकम्मामंतण पडिसुणमाणे अइकमो होइ । पयभेयाउ वइकम गहिए तइएयरो गिलिए ॥२॥ आणाइणो य दोसा गहणे जं भणियमह इमे ते उ। आणाभंगऽणवत्था मिन्छन विराहणा चेव ॥३॥ आणं सबजिणाणं गिण्हंतो तं अइकमइ लुडो। आणं चऽइकमंतो कस्साएसा कुणइ सेसं ? ॥४ा एकेण कयमकजं करेइ तप्पचया पुणो अन्नो । सायाबहुलपरंपर वोच्छेओ संजमतवाणं ॥५॥ जो जहवायं न कुणई मिच्छदिट्टी तओ हु को अनो? । वड्ढेइ य मिच्छत्तं परस्स संकं जणेमाणो ॥६॥ वड्ढेइ तप्पसंग गेही य परस्स अप्पणो वेव। १२५९.पिंडनियुक्तिः - मुनि दीपरनसागर

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