Book Title: Aagam Manjusha 41B Mulsuttam Mool 02 B PindaNijjutti Author(s): Anandsagarsuri, Sagaranandsuri Publisher: Deepratnasagar View full book textPage 6
________________ घणुणो॥६॥ ओरालसरीराणं उडवण तिवायणं च जस्सट्ठा । मणमाहिता कीरह आहाकम्मं तयं चेति ॥ ७॥ ओरालग्गहणेणं तिरिक्खमणुयाऽहवा सुहुमवजा । उहवणं पुण जाणसु अइवायविवजियं पीडं॥१६॥भाकाकायवइमणो तिनि उ अहवा देहाउइंदियप्पाणा । सामित्तावायाणे होड तिवाओ य करणेसु (य)॥७॥ हिययंमि समाहेउं एगमणेगं च गागं जो उ। वहणं करेइ दाया कायेण तमाहकम्मनि ॥१८॥भाजं दवं उदगाइसु छूढमहे वयइ जं च भारेणं । सीईए रजुएण व ओयरणं दबाहेकम्मं ॥८॥ संजमठाणाणं कंडगाण लेसाठिईबिसेसाणं। भावं अहे करेई नम्हानं भावऽहेकम्मं ॥९॥ नत्थाणंना उचरित्तपजवाहोंति संजमट्ठाणं। संखइयाणि उताणि कंडग होइ नायवं॥१९॥ भा०ा संखाईयाणि उ फंडगाणि छट्ठाणगं विणिदिहूं। छट्ठाणा उ असंखा संजमसेढी मुणेयवा ॥२०॥ किण्हाइया उन्लेसा उकोसविमुद्धिठिइविसेसाओ। एएसि विसुद्धाणं अप नम्गाहगो कुणइ॥२१॥भागभावोवयारमाहेउमप्पगे किंचिनुणचरणग्यो । आहाकम्मम्गाही अहो अहो नेइ अप्पाणं ॥१०॥ बंधइ अहे भवाऊ पकरेइ अहोमुहाई कम्माई। घणकरणं तिघेण उ भावेण चओ उवचओ य ॥१॥ तेसिं गुरूणमुदएण अप्पगं दुग्गइए पवईन। न चएइ विधारेउं अहरगति निति कम्माई ॥२॥ अट्ठाएं अणट्ठाए छक्कायपमर्ण तु जो कुणइ। अनियाए य नियाए आयाहम्मं तयं चेति ॥३॥ जाणंतु अजाणतो नहेव उ(नि)दिसिय ओहओ वादि । जाणगमजाणगे वा पहेइ अनिया निया एसा ॥२२॥ भाका दबाया खल काया भावाया तिनि नाणमाईणि । परपाणपाटणरओ चरणायं अप्पणो हणइ॥४॥ निच्छयनयस्स चरणायवि(णोच)घाए नाणदसणवहोऽवि। ववहारम्स उ चरणे ह्यमि भयणा उ सेसाणं ॥५॥ दवंमि अत्तकम्मं जं जो उ ममायए तगं दवं। भावे असहपरिणओ परकम्मं अत्तणो कुणइ ॥६॥ आहाकम्मपरिणओ फासुयमवि संकिलिट्ठपरिणामो। आइयमाणो बज्झह तं जाणसु अत्तकम्मन्ति ॥७॥ परकम्म अ(म)त्तकम्मीकरे | तं जो उ गिहिउं भुजे। तत्य भवे परकिरिया कहनु अनत्थ संकमई ? ॥८॥ कूडउवमाइ केई परप्पउत्तेऽवि बेनि बंधोत्ति। भणइ गुरूवि पमत्तो बज्झइ कूडे अदक्खो य ॥९॥ एमेव भावकूडे बज्झइ जो असुभभावपरिणामो। तम्हा उ असुभभावो बजेयत्रो पयत्तेणं ॥११०॥ काम सयं न कुबइ जाणतो पुण तहावि तम्गाही । वड्ढेइ तप्पसंग अगिण्हमाणो उ7 वारेइ ॥१॥ अत्तीकरेइ कम्म पडिसेवाईहिं तं पुण इमेहि। तत्थ गुरू आइपयं लहु लहु लहुगा कमेणियरे ॥२॥ पडिसेवणमाईणं दाराणऽणुमोयणावसाणाणं। जहसंभवं सरूवं सोदाहरणं पवक्खामि ॥३॥ अनेणाहाकम्म उवणीयं असइ चोइओ भणइ । परहत्येणंगारे कड्ढतो जह न डज्झइ हु॥४॥ एवं खु अहं सुद्धो दोसो देंतस्स कूडउवमाए। समयत्थमजाणतो मुढो पडिसेवणं कुणइ ॥५॥ उवओगंमि य लाभ कम्मरमाहिस्स चित्तरक्खट्ठा। आलोइए सुलदं भणइ भणंतस्स पडिसुणणा ॥६॥ संचासो उ पसिद्धो अणुमायण कम्मभोयगपसंसा। एएसिमुदाहरणा एए उ कमेण नायबा ॥७॥ पडिसेवणाएँ तेणा पडिसुणणाए उ रायपुत्तो उ। संचासंमि य पहली अणुमोयण रायदुट्टो य॥८॥ गोणीहरण सभूमी नेऊणं गोणिओ पहे भक्खे। निविसया परिवेसण ठियावि ते कविया पत्थे ॥९॥ जेऽविय परिवेसंती, भायणाणि धरंति य। तेऽपि बझंति तिबेण, कम्मुणा किमु भोइणो ? ॥१२०॥ सामत्यण ह य तुहिको। तिण्हंपि हु पडिमुणणा रण्णा सिटुंमि सा नस्थि ॥१॥ भुंजन मुंजे जसु तइओ तुसिणीउ भुंजए पढमो। तिण्हंपि हु पंडिसुणणा पडिसेहंतस्त सा नत्थि ॥२॥ आणेनु जगा कम्मुणा उ बीयस्स वाइओ दोसो। तइयस्स य माणसिओ तीहिं विसुद्धो चउत्यो उ ॥३॥ पडिसेवण पडिमुणणा संवासऽणुमोयणा उ चउरोवि। पियमारगरायसुए विभासियवा जइजणेऽवि ॥४॥ पालीवहमिनट्ठा चोरा वणिया वयं न चोरत्ति। न पलाणा पावकर(वस्य)त्ति काउंरन्ना उबालद्धा॥५॥ आहाकडभोईहिं सहवासो तह य तश्विवजपि । दसणगंधपरिकहा भाविति मुलहवित्तिपि ॥६॥रायोरोहवराहे विभूसिओ घाइओ नयरमज्झे । धनाधन्नत्ति कहा वहावहो कप्पडियखोला ॥ ७॥ साउं पज्जन आयरेण काले रिउक्खमं निई। तम्गुणविकत्थणाए अभुंजमाणेऽवि अणुमन्ना ॥८॥ आहा अहे य कम्मे आयाहम्मे य अत्तकम्मे य। जह बंजणनाणतं अत्थेणऽवि पुच्छए एवं ॥९॥ एगहा एगवंजण एगट्ठा नाणवंजणा चेव । नाणट्ठ एगवंजण नाणट्ठा बंजणानाणा ॥१३०॥ दिटुं खीरें खीर एगर्ल्ड एगपंजणं लोए। एगहुँ बहुनामं दुद्ध पओ पीलु खीरं च ॥१॥ गोमहिसियाखीरं नाणहूँ एगवंजणं नेयं (लोए)। घडपडसगडरहाई होइ पिहत्थं पिहनामं ॥२॥ आहाकम्माईणं होइ दुरुत्ताई पढमभंगो उ। आहाहेकम्मति य (अहे य कम्मे) बिइओ सकिंद इव भंगो ॥३॥ आहाकम्म॑तरिया असणाई उ चउरो तइयभंगो। आहाकम्म पडुच्चा नियमा सुन्नो चरिमभंगो॥४॥ इंदत्थं जह सदा पुरंदराई उनाइवत्तंते। अहकम्म आयहम्मा तह आहं नाइवत्तंते ॥५॥ आहाकम्मेण अहे करेति जं हणइ पाणभूयाई। जं तं आइयमाणो परकम अत्तणो कुणइ ॥ ६॥ कस्सत्ति पुच्छियमी नियमा साहम्मियस्स तं होइ । साहम्मियस्स तम्हा कायश्च परूवणा विहिणा (परूवर्ण तस्स बोच्छामि)॥७॥ नामं ठवणा दविए खेत्ते काले य पवयणे लिंगे। इंसण नाण चरित्ते अभिग्गहे भावणाओ य १२५८ पिंडनियुक्तिः - मुनि दीपरनसागरPage Navigation
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