Book Title: Aagam Manjusha 41B Mulsuttam Mool 02 B PindaNijjutti
Author(s): Anandsagarsuri, Sagaranandsuri
Publisher: Deepratnasagar
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Page #1 -------------------------------------------------------------------------- ________________ _ नमो नमो निम्मलदंसणस्स पूज्य आनंद-क्षमा-ललित-सुशील-सुधर्मसागर गुरूभ्यो नमः On Line - आगममंजूषा [४१/२] पिंडनिज्जुत्ति * संकलन एवं प्रस्तुतकर्ता * मनि दीपरत्नसागर M.Com., M.Ed., Ph.D.] Page #2 -------------------------------------------------------------------------- ________________ || किंचित् प्रास्ताविकम् || ये आगम-मंजूषा का संपादन आजसे ७० वर्ष पूर्व अर्थात् वीर संवत २४६८, विक्रम संवत १९९८, ई. स. 1942 के दौरान हुआ था, जिनका संपादन पूज्य आगमोद्धारक आचार्यश्री आनंदसागररिजी म.सा. ने किया था| आज तक उन्ही के प्रस्थापित मार्ग की रोशनी में सब अपनी-अपनी दिशाएँ ढूंढते आगे बढ़ रहे हैं। हम ७० साल के बाद आज ई.स. 2012, विक्रम संवत २०६८, वीर संवत -२५३८ में वो ही आगम- मंजूषा को कुछ उपयोगी परिवर्तनों के साथ इंटरनेट के माध्यम से सर्वथा सर्वप्रथम “ OnLine-आगममंजूषा " नाम से प्रस्तुत कर रहे हैं। मूल आगम- मंजूषा के संपादन की किंचित् भिन्नता का स्वीकार * * है। [१]आवश्यक सूत्र-(आगम-४० ) में केवल मूल सूत्र नहीं है, मूल सूत्रों के साथ निर्युक्ति भी सामिल की गई है| [२]जीतकल्प सूत्र-(आगम - ३८ ) में भी केवल मूल सूत्र नहीं है, मूलसूत्रों के साथ भाष्य भी सामिल किया है | [३]जीतकल्प सूत्र-(आगम-३८) का वैकल्पिक सूत्र जो “पंचकल्प” है, उनके भाष्य को यहाँ सामिल किया गया [४] “ओघनिर्युक्ति”-(आगम-४१ ) के वैकल्पिक आगम “पिंडनिर्युक्ति” को यहाँ समाविष्ट तो किया है, लेकिन उनका मुद्रण-स्थान बदल गया है। [५] “कल्प(बारसा)सूत्र” को भी मूल आगममंजूषा में सामिल किया गया है| Online-आगममंजूषा : Address: Mnui Deepratnasagar, MangalDeep society, Opp. DholeshwarMandir, POST :- THANGADH Dist.surendranagar. Mobile:-9825967397 jainmunideepratnasagar@gmail.com मुनि दीपरत्नसागर -मुनि दीपरत्नसागर Date:-12/11/2012 Page #3 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीपिण्डनियुक्तिः लपिंडे उम्गम उप्पायणेसणा जोयणा पमाणे य। इंगाल धूम कारण अट्ठविहा पिंडनिजुत्ती ॥१॥ पिंड निकाय समूहे संपिंडण पिंडणा य समवाए। समुसरण १७ " निचय उपचय चए य जुम्मे य रासी य ॥२॥ पिंडस्स उ निक्खेवो चउकओ छक्कओ व कायो। निक्खेवं काऊणं परूवणा तस्स कायबा ॥३॥ कुलए य चउभागस्स संभवो छकए चउण्डं च। नियमेण संभवो अत्थि छक्कगं निक्खिवे तम्हा ॥४॥ नामंठवणापिंढो दवे खेत्ते य काल भावे या एसो खलु पिंडस्स उ निक्खेयो छबिहो होइ ॥५॥ गोण्णं समयकयं वा जं वावि हवेज तदुभएण कयं। तं चिंति नामपिंड ठवणापिंडं अओवोच्छं ॥६॥ गुणनिष्फलं गोणं तं चेव जहत्यम(स)त्थवी ति । तं पुण खवणो जलणो तवणो पवणो पईवो य ॥ भाष्यं१॥ पिंडण बहुदवाण पडिवक्खेणावि जत्थ पिंडक्खा । सो समयकओ पिंडो जह सुतं पिंडपडियाई ॥२॥ जस्स पुण पिंडवायट्ठयं पविट्ठस्स होइ संपत्ती। गुडओयणपिडेहिं तं तदुभयपिंडमाइंसु ॥३॥ उभयाइरित्तमहया अन्नपि हु अस्थि लोइयं नाम। अत्ताभिप्पायकयं जह सीहगदेवदत्ताई ॥४॥ गोण्णसमयारितं इणमन्नं वाऽवि सइयं नाम। जह पिंडउत्ति कीरइ कस्सइ नाम मणूसस्स ॥५॥ तुडेऽवि अभिप्पाए समयपसिद्धं न गिण्हए लोओ। जं पुण लोयपसिद्धं तं सामइया उवचरंति ॥ ६॥ भा। अक्खे वराडए वा कट्टे पुत्थे व चित्तकम्मे वा। सम्भावमसम्भावे ठवणापिंडं वियाणाहि ॥ ७॥ इको उ असम्भावे निण्हं ठवणा उ होइ सम्भावे। चित्तेसु असम्भावे दारुअलेप्पोकले. १२५५ पिंडनियुक्तिः - मुनि दीपरनसागर Page #4 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सियरो भा०ातिविहो उ दवपिंडो सचित्तो मीसओ अचित्तो या एकेकस्स य एत्तो नव नव भेआ उ पत्तेयं ॥८॥ पुढवी आउकाओ तेऊ वाऊ वणस्सई चेव । बेईदिय तेईदिय चउरो पंचेंदिया चेव ॥९॥ पुढवीकाओ तिविहो सचित्तो मीसओ य अश्चित्तो । सचित्तो पुण दुविहो निच्छयववहारओ चेव ॥१०॥ निच्छयओ सभित्तो पुढविमहापत्रयाण बहुमज्झे। अचिनमीसवजो सेसो ववहारसञ्चित्तो ॥१॥ खीरदुमहेतु पंथे कट्ठोले इंधणे य मीसो उ। पोरिसि एग दुग तिगं बहुइंधणमझथोवे य ॥२॥ सीउण्हखारखने अग्गीलोणुसअंबिलेनेहे। बुकंनजोणिएणं पयोयणं तेणिमं होइ ॥३॥ अवरदिगविसबंधे लवणेण व सुरभिउवलएणं वा। अश्चित्तस्स उ गहणं पओयर्ण तेणिमं चऽनं ॥४॥ ठाणनिसियणतयट्टण उच्चाराईण चेव उस्सग्गो। घगडगलगलेयो एमाइ पओयणं बहुहा ॥५॥ आउकाओ तिविहो सचित्तो मीसओ य अश्चित्तो। सचित्तो पुण दुविहो निच्छयववहारओ येव ॥६॥ घणउदही घणवलया करगसमुहहाण बहुमज्झे । अह निच्छयसचित्तो ववहारनयस्स अगडाई ॥७॥ उसिणोदगमणुवत्ते दंडे वासे य पडियमित्तमि।मोत्तूणादेसतिगं चाउलउदगेऽबहु पसन्न ॥८॥ भंडगपासचिरम्गा उत्तेडा चुम्बुया न संमंति। जा ताच मीसगं तंदुला य रज्झति जावऽने ॥९॥ एए उ अणाएसा तित्रिवि कालनियमस्सऽसंभवओ। लुक्सेयरभंडगपवणसंभवासंभवाईहि ॥२०॥ जाव न बहुप्पसनं ता मीसं एस इत्थ आएसो। होइ पमाणमचित्तं बहुप्पसन्नं तु नायवं ॥१||सीउण्हखारखत्ते अम्गीलोणूसअंपिलेनेहे। बुकंतजोणिएणं पओयणं तेणिमं होड़ ॥२॥ परिसेयपियणहत्याइयोवणं चीरधोवणं चेव। आयमण भाणधुवणं एमाइ पओयणं बहुहा ॥३॥ उउबद्ध धुवण बाउस बंभविणासो अठाणठवणं च। संपाइमवाउबहो पावण भूओवधाओ य ॥४ा अइभार चुरण पणए सीयलपाउरणऽजीर गेलपणे । ओहावण कायवहो वासासु अधोवणे दोसा ॥५॥ अप्पत्तेफिचय वासे सर्व उवहिं धुवंति जयणाए । असईए उदवस्स य जहन्नओ पायनिजोगो ॥६॥ आयरियगिलाणाण य मइला मइला पुणोऽचि धोवंति। मा हु गुरूण अवण्णो लोगंमि अजीरणं इयरे ॥७॥ पायरस पडोयारो दुनिसिज तिपट्ट पोत्ति स्यहरणं । एए उन वीसामे जयणा संकामणा धुवणं ॥८॥ पायस्स पडोयारो पत्तगवजोय पायनिजोगी। दोनि निसिजाओ पुण अम्भितर बाहिरा चेव ॥८भाग संथारुनरचोलगपट्टा तिनि उ हवंति नायना। मुहपोनियत्ति पोत्ती एगनिसेजं च स्यहरणं ॥९॥ एए उन बीसामे पइदिणमुवओगओ य जयणाए। संकामिऊण धोति(विज) छप्पझ्या तत्थ विहिणा उ॥१०॥भा०। जो पुण बीसामिजइ तं एवं वीयरायआणाए। पत्ते धोवणकाले उवहिं वीसामए साहू ॥९॥ अम्भितरपरिभोग उवरि पाउणइ नाइदूरे य। तिन्नि य तिन्नि य एग निसिं तु काउं परिच्छिज्जा ॥३०॥ धोवत्थं तिन्नि दिणा उवरिं पा(णिप्पा)उणइ तह य (चेव) आसन्नं । धारेइ तिन्नि दियहे एगदिणं उवरि लंबतं ॥११॥ भाका केई एकेकनिसि संवासेउं तिहा परिच्छति। पाउणइ जइ न लग्गति छप्पइया ताहि धोवंति ॥१॥ निचोदगस्स गहणं केई भाणेसु असुइ पडिसेहो। गिहिभायणेसु गहणं ठिय बासे मीसग छारो॥२॥ गुरुपच्चक्वाणिगिलाणसेहमाईण धोवणं पुवं । तो अप्पणो पुश्वमहाकडे य इयरे दुवे पच्छा ॥३॥ अच्छोडपिट्टणासु यन धुवे घोए पयावणं न करे। परिभोग अपरिभोगे छायायव पेह कल्लाणं ॥ ४॥ तिविहो ने उक्काओ सच्चित्तो मीसओ य अञ्चित्तो। सञ्चित्तो पुण दुविहो निच्छयववहारओ चेच ॥५॥ इगपागाईणं बहुमज्झे विजुमाइ निच्छयओ। इंगालाई इयरोत्ति मुम्मुरमाई उ मिस्सो उ ॥६॥ ओयणवंजणपाणगआयामुसिणोदगं च कुम्मासा। डगलगसरक्खसूई पिप्पलमाई उ उवओगो॥७॥ बाउकाओ तिविहो सचिनो मीसओ य अचित्तो। सच्चित्तो पुण दुविहो निच्छयववहारओ चेव ॥ ८॥ सवलय घणतणुयाया अइहिम अइदुद्दिणे य (सु) निच्छयओ। ववहार पाइणाई अर्कताई य अच्चिनो॥९॥ अकंततघाणे देहाणुगए य पीलियाइसु य। अचित्त वाउकाओ (तो एवविहो) भणिओ कम्मट्टमहणेहिं ॥४०॥ हत्यसयमेग गंता दइओ अचित्तु बीयए मीसो। तइयंमि उ सचिनो वस्थी पुण पोरिसिद्रिणेमु ॥१॥ निदेयरो य कालो एगंतसिणिद्धमज्झिमजहन्नो। लुक्खोवि होइ तिविहो जहन्नमज्झो य उक्कोसो ॥२॥ एगंतसिणिदमी पोरिसिमेगं अचेअणो होइ। तिहए। चोत्थीए सचित्तो पवणो दइयाइ मझगओ॥४॥ पोरिसितिगमचिनो निज-14 हन्नंमि मीसग चउत्थी। सञ्चित्त पंचमीए एवं लुक्खेऽवि दिणबुड्ढी ॥४५॥ दइएण वस्थिणा वा पओयणं होज वाउणा मुणिणो। गेलन्नमिव होजा सचित्तमीसे परिहरेजा ॥१२॥भाव वणसइकाओ तिविहो सश्चित्तो मीसओ य अश्चित्तो। सचित्तो पुण दुविहो निच्छयववहारओ चेव ॥३॥ सवोऽवऽणतकाओ सचित्तो होइ निच्छयनयस्स। ववहारस्स य सेसो मीसो पवायरोहाई॥४ा पुष्फार्ण पत्ताणं सरडुफलाण तहेव हरियाणं। वेटमि मिलाणमी नायजीवविप्पजदं॥१५|भागसंथारपायदंडगखोमिय कप्पा य पीडफलगाई। ओसहभेसज्जाणि य एमाइ पओयण बहुहा ॥६॥ बियतियचउरो पंचिदिया य तिप्पभिइ जत्य उ समेति। सट्टाणे सट्ठाणे सो पिंडो तेण कजमिणं ॥ ७॥ वेइंदियपरिभोगो अक्खाण ससिप्पसंखमाईणं । (३१४) १२५६ पिडनियुक्तिः - मुनि दीपरत्नसागर * HATS Page #5 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ****St 1 इंदियाण उद्देहिगादिजं वा वए वेज्जो ॥ ८ ॥ चउरिंदियाण मच्छियपरिहारो चेव आसमक्खिया चैव पंचेंदियपिंडंमि उ अश्ववहारी उ नेरइया ॥ ९ ॥ चम्मद्विदंतनहरोमसिंगअविलाइ गणगोमुत्ते। खीरदधिमाइयाण व पंचिदियतिरियपरिभोगो ॥ ५० ॥ सम्चिने पञ्चावण पंथुवएसे य भिक्खदाणाई सीसट्टिग अच्चिते मीसद्विसरक्स पहपुच्छा ॥ १ ॥ खमगाइ कालकाइए पुच्छि देवयं कंचि पंथे सुभासुभे वा पुच्छेई (च्छाए) दिन उवओोगो ॥२॥ अह मीसओ य पिंडो एएसिं चिय नवह पिंडाणं दुगसंजोगाईओ नायशो जाव चरमोति ॥ ३ ॥ सोवीरगोरसासववेसण भेसजनेहसागफले। पोग्गललोणगुलोयण णेगा पिंडा उ संजोगे ॥ ४॥ तिन्नि उ पएससमया ठाणडिइउ दबिए तयाएसा चउपंचमपिंडाणं जत्थ जया तप्परूवणया ॥ ५ ॥ मुत्तदविएस जुजइ जइ अन्नोन्नाणुवेहओ पिंडो मुत्तिविमुत्तेसुवि सो जुज्जइ नणु संखबाहुला ॥ ६ ॥ जह तिपएसो खंधो तिमुबि पएसेस जो स(सोज) मोगाढो । अविभागिण संबद्धो कहन्नु नेवं तदाधारो ? ॥ ७ ॥ अहवा चउन्ह नियमा जोगविभागेण जुज्जए पिंडो दोसु जहियं तु पिण्डो वणिजड़ कीरए बावि ॥ ८ ॥ दुविहो उ भावपिण्डो पत्थओ चैव अप्पसत्यो य एएसि दोहंपिय पत्तेय परूवणं वोच्छं ॥९॥ एगविहाइदसविहो पसत्थओ चैव अप्पसत्थो य संजम विजाचरणे नाणादितिगं च तिविहो उ ॥ ६० ॥ नाणं दंसण तब संजमो य वय पंच उच्च जाणेजा। पिंडेसण पाणेसण उग्गहपडिमा य पिंडम्मि ॥ १ ॥ पवयणमाया नव भगुत्तिओ तह य समणधम्मो य एस पसत्यो पिंडो भणिओ कम्मद्रुमहोहिं ॥२॥ अपसत्थो य असंजम अन्नार्ण अविरई य मिच्छतं। कोहायासवकाया कम्मेऽगुत्ती अ ( भयकम्मागुतीs) हम्मो य ॥३॥ बज्झइ य जेण कम्मं सो सवो होइ अप्पसत्थो । मुच्चइ जय जेण सो उण पसत्थओ नवरि बिन्नेओ ॥ ४ ॥ दंसणनाणचरिताण पज्जवा जे उ जत्तिया वावि। सो सो होइ तयक्खो पज्जवपेयाला पिंडो ॥ ५ ॥ कम्माण जेण भावेण अप्पगं (पं) चिणइ चिकणं पिंडं । सो होइ भावपिंडो पिंडयए पिंडणं (ओ) जम्हा ॥ ६ ॥ दवे अच्चित्तेणं भावंमि (वे य) पसस्थाएहिं पगयं उच्चारित्थसरिसा सीसमइ (सेसा उ) विकोणट्टाए ॥ ७ ॥ आहारउवहिसेज्जा पसत्थपिंडस्वग्गहं कुणइ आहारे अहिगारो अहिं ठाणेहिं सो सुद्धो ॥ ८ ॥ निष्वाणं खलु कर्ज नाणाइतिगं च कारणं तस्स निवाणकारणाणं च कारणं होइ आहारी ॥ ९ ॥ जह कारणं तु तंतू पडस्स तेसिं च हाँति पम्हाई । नाणाइतिगस्सेवं आहारो मोक्खनेम (मि) स्स ॥७०॥ जह कारणमणुवह कर्ज साहेइ अविकलं नियमा मोक्खक्खमाणि एवं नाणाईणि उ अविगलाई ॥ १ ॥ संखेवपिंडियत्थो एवं पिंडो मए समक्खाओ फुडवियडपायडत्थं वोच्छामी एसणं एत्तो ॥ २ ॥ एसण गवेसण मम्गणा य उम्मीवणा य बोदवा एए उ एसणाए नामा एगडिया हाँति ॥ ३ ॥ नामंठवणा दविए भावंमि य एसणा मुणेयवा दवे भावे एकेकया उ तिविहा मुणेया ॥ ४॥ जम्मं एसइ एगो मुयस्स अनो तमेसए नई सन्तुं एसइ अन्नो पण अन्नो य से मधुं ॥ ५ ॥ एमेव सेसएसुवि चउप्पयापयअचित्तमीसेसु जा जत्थ जुज्जए एसणा उ तं तत्थ जोएजा ॥ ६ ॥ भावेसणा उ तिविहा गवेसगणेसणा उ बोद्धवा गासेसणा उ कमसो पत्ता वीयरागेहिं ॥ ७॥ अगविटुस्स उ गहणं न होइ न य अगहियस्स परिभोगो एसणतिगस्स एसा नायवा आणुपुत्री उ ॥ ८ ॥ नाम ठपणा दविए भावमि (वेय) गवसणा मुणेरा दर्शमि कुरंगगया उम्गमउपायणा भावे ॥ ९ ॥ जियसत्तुदेविचित्तसमपविसणं कणगपिपासणया । दोहलदुम्बलपुच्छा कहणं आणा य पुरिसाणं ॥ ८० ॥ सीवनिसरिसमोयगकर (ब) णं सीवनिरुक्खहेद्वेसु आगमण कुरंगाणं पसत्थ अपसत्थ उवमा उ ॥ १ ॥ विइअमेयं कुरंगाणं, जया सीवन्नि सीयइ पुरावि वाया वार्यता, न उणं पुंजकपुंजका ॥ २ ॥ हत्थिमाहणं गिम्हे अरहट्टेहिं भरणं च सरसीणं अचुदएण नलवणा आ (अहि) रूढा गयकुलागमणं ॥ ३ ॥ विइयमेयं गजकुलाणं, जया रोहंति नलवणा अन्नयावि झरंति हदा (झरा), न य एवं बहुओदगा ॥ ४ ॥ उग्गम उग्गोवण मग्गणा य एगडियाणि एयाणि नामं ठवणा दविए भावंमि य उम्गमो होइ ॥ ५ ॥ दमि लड्डुगाई भावे तिविहोग्गागमो मुणेयत्रो दंसणनाणचरिते चरिउग्गमेणेत्थ अहिगारो ॥ ६ ॥ जोइसतणीसहीणं मेहरिणकराणमुग्गमो दधे । सो पुण जत्तो य जया जहा यदनुग्गमो बच्चो ॥ ७ ॥ वासहरा अणुजत्ता अत्थाणी जोग्ग किड्डकाले य घडगसरावेसु कया उ मोयगा लड्डुगपियस्स ॥ ८ ॥ जोग्गा अजिण मारुय निसग्ग तिसमुत्थ तो सुइसमुत्थो । आहारुग्गमचिंता असुइत्ति दहा मलप्पभवो ॥ ९ ॥ तस्सेवं वेरग्गुग्गमेण सम्मत्तनाणचरणाणं जुगवं कमुग्गमो वा केवलनाणुग्गमो जाओ ॥ ९०॥ दंसणनाणप्यभवं चरणं सुसु तेसु तस्युद्धी चरणेण कम्मसुद्धी उग्गमसुदीइ चरणसुदी ॥ १ ॥ आहाकम्मुद्देसिय पूईकम्मे य मीसजाए य ठवणा पाहुडियाए पाओअर कीय पामिच्चे ॥ २ ॥ परियट्टिए अभिहडे, उ भिन्ने मालोहडे इय। अच्छिज्जे अनिसिडे, अज्झोयरए य सोलसमे ॥३॥ आहाकम्मियनामा एगट्ठा कस्स वावि किं वावि ? परपक्खे य सपक्खे चउरो गहणे य आणाई ॥ ४ ॥ आहा अहे य कम्मे आयाहम्मे य अत्तकम्मे य। पडिसेवण पडिसुणणा संवासऽणुमोयणा चैव ॥ ५ ॥ धणुजुयकाय भराणं कुटुंबरजधुरमाइयाणं च खंधाई हिययं चि (मि)य दवाहा अंतए १२५७ पिंडनिर्युक्तिः 1 मुनि दीपरत्नसागर Page #6 -------------------------------------------------------------------------- ________________ घणुणो॥६॥ ओरालसरीराणं उडवण तिवायणं च जस्सट्ठा । मणमाहिता कीरह आहाकम्मं तयं चेति ॥ ७॥ ओरालग्गहणेणं तिरिक्खमणुयाऽहवा सुहुमवजा । उहवणं पुण जाणसु अइवायविवजियं पीडं॥१६॥भाकाकायवइमणो तिनि उ अहवा देहाउइंदियप्पाणा । सामित्तावायाणे होड तिवाओ य करणेसु (य)॥७॥ हिययंमि समाहेउं एगमणेगं च गागं जो उ। वहणं करेइ दाया कायेण तमाहकम्मनि ॥१८॥भाजं दवं उदगाइसु छूढमहे वयइ जं च भारेणं । सीईए रजुएण व ओयरणं दबाहेकम्मं ॥८॥ संजमठाणाणं कंडगाण लेसाठिईबिसेसाणं। भावं अहे करेई नम्हानं भावऽहेकम्मं ॥९॥ नत्थाणंना उचरित्तपजवाहोंति संजमट्ठाणं। संखइयाणि उताणि कंडग होइ नायवं॥१९॥ भा०ा संखाईयाणि उ फंडगाणि छट्ठाणगं विणिदिहूं। छट्ठाणा उ असंखा संजमसेढी मुणेयवा ॥२०॥ किण्हाइया उन्लेसा उकोसविमुद्धिठिइविसेसाओ। एएसि विसुद्धाणं अप नम्गाहगो कुणइ॥२१॥भागभावोवयारमाहेउमप्पगे किंचिनुणचरणग्यो । आहाकम्मम्गाही अहो अहो नेइ अप्पाणं ॥१०॥ बंधइ अहे भवाऊ पकरेइ अहोमुहाई कम्माई। घणकरणं तिघेण उ भावेण चओ उवचओ य ॥१॥ तेसिं गुरूणमुदएण अप्पगं दुग्गइए पवईन। न चएइ विधारेउं अहरगति निति कम्माई ॥२॥ अट्ठाएं अणट्ठाए छक्कायपमर्ण तु जो कुणइ। अनियाए य नियाए आयाहम्मं तयं चेति ॥३॥ जाणंतु अजाणतो नहेव उ(नि)दिसिय ओहओ वादि । जाणगमजाणगे वा पहेइ अनिया निया एसा ॥२२॥ भाका दबाया खल काया भावाया तिनि नाणमाईणि । परपाणपाटणरओ चरणायं अप्पणो हणइ॥४॥ निच्छयनयस्स चरणायवि(णोच)घाए नाणदसणवहोऽवि। ववहारम्स उ चरणे ह्यमि भयणा उ सेसाणं ॥५॥ दवंमि अत्तकम्मं जं जो उ ममायए तगं दवं। भावे असहपरिणओ परकम्मं अत्तणो कुणइ ॥६॥ आहाकम्मपरिणओ फासुयमवि संकिलिट्ठपरिणामो। आइयमाणो बज्झह तं जाणसु अत्तकम्मन्ति ॥७॥ परकम्म अ(म)त्तकम्मीकरे | तं जो उ गिहिउं भुजे। तत्य भवे परकिरिया कहनु अनत्थ संकमई ? ॥८॥ कूडउवमाइ केई परप्पउत्तेऽवि बेनि बंधोत्ति। भणइ गुरूवि पमत्तो बज्झइ कूडे अदक्खो य ॥९॥ एमेव भावकूडे बज्झइ जो असुभभावपरिणामो। तम्हा उ असुभभावो बजेयत्रो पयत्तेणं ॥११०॥ काम सयं न कुबइ जाणतो पुण तहावि तम्गाही । वड्ढेइ तप्पसंग अगिण्हमाणो उ7 वारेइ ॥१॥ अत्तीकरेइ कम्म पडिसेवाईहिं तं पुण इमेहि। तत्थ गुरू आइपयं लहु लहु लहुगा कमेणियरे ॥२॥ पडिसेवणमाईणं दाराणऽणुमोयणावसाणाणं। जहसंभवं सरूवं सोदाहरणं पवक्खामि ॥३॥ अनेणाहाकम्म उवणीयं असइ चोइओ भणइ । परहत्येणंगारे कड्ढतो जह न डज्झइ हु॥४॥ एवं खु अहं सुद्धो दोसो देंतस्स कूडउवमाए। समयत्थमजाणतो मुढो पडिसेवणं कुणइ ॥५॥ उवओगंमि य लाभ कम्मरमाहिस्स चित्तरक्खट्ठा। आलोइए सुलदं भणइ भणंतस्स पडिसुणणा ॥६॥ संचासो उ पसिद्धो अणुमायण कम्मभोयगपसंसा। एएसिमुदाहरणा एए उ कमेण नायबा ॥७॥ पडिसेवणाएँ तेणा पडिसुणणाए उ रायपुत्तो उ। संचासंमि य पहली अणुमोयण रायदुट्टो य॥८॥ गोणीहरण सभूमी नेऊणं गोणिओ पहे भक्खे। निविसया परिवेसण ठियावि ते कविया पत्थे ॥९॥ जेऽविय परिवेसंती, भायणाणि धरंति य। तेऽपि बझंति तिबेण, कम्मुणा किमु भोइणो ? ॥१२०॥ सामत्यण ह य तुहिको। तिण्हंपि हु पडिमुणणा रण्णा सिटुंमि सा नस्थि ॥१॥ भुंजन मुंजे जसु तइओ तुसिणीउ भुंजए पढमो। तिण्हंपि हु पंडिसुणणा पडिसेहंतस्त सा नत्थि ॥२॥ आणेनु जगा कम्मुणा उ बीयस्स वाइओ दोसो। तइयस्स य माणसिओ तीहिं विसुद्धो चउत्यो उ ॥३॥ पडिसेवण पडिमुणणा संवासऽणुमोयणा उ चउरोवि। पियमारगरायसुए विभासियवा जइजणेऽवि ॥४॥ पालीवहमिनट्ठा चोरा वणिया वयं न चोरत्ति। न पलाणा पावकर(वस्य)त्ति काउंरन्ना उबालद्धा॥५॥ आहाकडभोईहिं सहवासो तह य तश्विवजपि । दसणगंधपरिकहा भाविति मुलहवित्तिपि ॥६॥रायोरोहवराहे विभूसिओ घाइओ नयरमज्झे । धनाधन्नत्ति कहा वहावहो कप्पडियखोला ॥ ७॥ साउं पज्जन आयरेण काले रिउक्खमं निई। तम्गुणविकत्थणाए अभुंजमाणेऽवि अणुमन्ना ॥८॥ आहा अहे य कम्मे आयाहम्मे य अत्तकम्मे य। जह बंजणनाणतं अत्थेणऽवि पुच्छए एवं ॥९॥ एगहा एगवंजण एगट्ठा नाणवंजणा चेव । नाणट्ठ एगवंजण नाणट्ठा बंजणानाणा ॥१३०॥ दिटुं खीरें खीर एगर्ल्ड एगपंजणं लोए। एगहुँ बहुनामं दुद्ध पओ पीलु खीरं च ॥१॥ गोमहिसियाखीरं नाणहूँ एगवंजणं नेयं (लोए)। घडपडसगडरहाई होइ पिहत्थं पिहनामं ॥२॥ आहाकम्माईणं होइ दुरुत्ताई पढमभंगो उ। आहाहेकम्मति य (अहे य कम्मे) बिइओ सकिंद इव भंगो ॥३॥ आहाकम्म॑तरिया असणाई उ चउरो तइयभंगो। आहाकम्म पडुच्चा नियमा सुन्नो चरिमभंगो॥४॥ इंदत्थं जह सदा पुरंदराई उनाइवत्तंते। अहकम्म आयहम्मा तह आहं नाइवत्तंते ॥५॥ आहाकम्मेण अहे करेति जं हणइ पाणभूयाई। जं तं आइयमाणो परकम अत्तणो कुणइ ॥ ६॥ कस्सत्ति पुच्छियमी नियमा साहम्मियस्स तं होइ । साहम्मियस्स तम्हा कायश्च परूवणा विहिणा (परूवर्ण तस्स बोच्छामि)॥७॥ नामं ठवणा दविए खेत्ते काले य पवयणे लिंगे। इंसण नाण चरित्ते अभिग्गहे भावणाओ य १२५८ पिंडनियुक्तिः - मुनि दीपरनसागर Page #7 -------------------------------------------------------------------------- ________________ P4 ॥८॥ नामंमि सरिसनामा ठवणाए कडकम्ममाईया। दमि जो उ भविओ साहमिसरीरगं चेव (जंच)॥९॥ खेने समाणदेसी कालंमि समाण( उएक)कालसंभूओ। पवयणि संघे. गयरो लिंगे स्यहरणमुहपोली ॥१४०॥ सण नाणे धरणे तिग पण पण निविह होइ उ चरिने। दवाइओ अभिग्गह अह भावणमो अणिचाई ॥१॥ जावंत देवदत्ता गिही व अगिही व नेसि दाहामि। नो कणई गिहीणं दाहंनि विसेसियं कप्पे ॥२॥ पासंडीसु(ण)वि एवं मीसामीसेसु होइहु विभासा। समणेसु संजयाण उ विसरिसनामाणविन कप्पे ॥३॥ नीसमनीसा व कडं ठवणासाहम्मिम्मि उ विभासा । दवे मयनणभनं न न नु कुच्छा विवजेजा ॥४॥ पासंडियसमणाणं गिहिनिम्गंधाण व उ विभासा। जहनामंमि नहेव य खेने काले य नाय ॥५॥ दस सिहागा सावग परयणसाहम्मियान लिंगेण । लिंगेण उसाहम्मी नो पदयण निष्हगा सो॥६॥ विसरिसदसणजना पक्यणसाहम्मियान दंसणओ। निन्धगरा पनेया नो पदयणदंससाहम्मी ॥ ७॥ नाणचरिना एवं नाया होनि पवयणेणं तु । पवयणओ साहम्मी नाभिग्गहसावगा जइणों ॥८॥ साहम्मऽभिग्गहेणं नो पदयण निष्ह निन्य पनेया। एवं पक्ष्यणभावण एनो सेसाण वाच्छामि ॥९॥लिगाईहिवि एवं एकेकेणं नु उवरिमा नेया। जेऽनन्ने उवरिडा ते मोतुं सेसए एवं ॥१५०॥ लिंगेण उ साहम्मी न दसणे वीसुदसि जह निष्हा । पनेयबुद निन्थंकरा य पीयमि भगमि ॥१॥लिंगेण उ नाभिग्गह अणभिग्गह वीसुऽभिग्गहा चेव । जइसावग बियभंग पनेयबुहा य तित्थयरा ॥२॥ एवं लिंगेण भावण दसणनाणे य पदमभंगो उ । जइसावग विसुनाणी एवं चिय विइयभंगोऽवि ॥३॥ दसणचरणे पढमो सावग जइणो य वीयभंगो उ। जइणो विसरिसदंसी दंसे य अभिगहे बोच्छं ॥४॥ साग जइबीसऽभिमह पटमा बीओ य भावणा चेवं। नाणेणऽपि नेजवं एनो चरण बोच्छामि ॥५॥ जइणा वीसाभिम्गह पढमा विय भावणामुऽवि बोच्छं दोण्हनिमाणित्तो ॥६॥ जइणो सावग निण्हव पढमे बिहए य हुंति भंगे य। केवलनाणे नित्थंकरम्स नो कप्पद कयं तु ॥७॥ पत्तेयबुद्ध निण्हव उवासए केवटीवि आसजा सइयाइए य भावे पहुच भंगे उ जोएजा ॥८॥ जत्थ उ नइओ भंगो तत्थ न कप्पं तु सेसए भयणा। नित्थंकरकेवलिणो जह कप्पं नो य सेसाणं ॥९॥ किं तं आहाकम्मनि पुच्छिए तस्सरुवकहणत्थं । संभवपदरितणत्यं च तस्स असणाइयं भणइ ॥१६०॥ सालीमाई अवडे फले य मुंठाइ साइमं होइ । नस्स कडनिट्ठियमी मुदमसुद्धे य चत्नारि ॥१॥ कोदवरालगगामे वसही रमणिज भिक्ख सज्झाए। खेत्तपडिलेहसंजय साययपुच्छुज्जुए कहणा ॥२॥ जुज्जइ गणस्स खेनं नवरि गुरुणं तु नस्थि पाउम्गं । सालित्ति कए कंपण परि. भायण निययगेहेसु ॥३॥ वोलिंता ते व अन्ने वा, अहता तत्थ गोयरं। सुणंति एसणाजुत्ता, वालादिजणसंकहा ॥४॥ एए ते जेसिमो रखो, सालिकूरो घरे घरे। दिन्नो वा सेसय देमि, | देहि वा विनि वा इमं ॥५॥ थके थकावड़ियं अभत्तए सालिभत्तयं जायं। मज्झ य पइस्स मरणं दियरस्स य से मया भज्जा ॥६॥ चाउलोदगपि से देहि. सालीआयामकंजियं। किमे. यंति कयं ? नाउं, वजंतऽन्नं वयंति य ॥७॥ लोणागडोदए एवं, खाणिनु महुरोदर्ग। दक्किएणऽच्छते ताव, जाव साहुत्ति आगया ॥८॥ ककडिय अंबगा वा दाडिम दक्वा य बीयपूराई। खाइमऽहिगरणकरणति साइमं तिगडुगाईयं ॥९॥ असणाईण चउण्हवि आम जं साहुगणपाउम्गं । तं निट्टियं वियाणसु उवरखडं तू कडं होइ॥१७॥ कंडियनिगुणुकंडा उ निट्ठिया णेगदुगुणकंडा उ । णिट्ठियकडो उ कूरो आहाकम्म दुगुणमाहु ॥१॥ छायपि विवजंती केई फलहेउगाइवुनस्स। तं नु न जुज्जइ जम्हा फलंपि कप्पं बिइयभंगे ॥२॥ परपचइया छाया नवि सा रुक्खोव वट्टिया कत्ता।नट्ठच्छाए उदुमे कप्पइ एवं भणंतस्स ॥३॥बड्डइ हायइ छाया तस्थि(च्छि) पूइयंपियन कप्पान य आहाय मुविहिए निवनयई खी च्छायं ॥४॥ अघणघणचारिगगणे छाया नट्ठा दिया पुणो होइ । कप्पइ निरायवे नाम आयवे तं विवजेउं (जंति)॥५॥ तम्हान एस दोसो संभवई कम्मलक्षणविहणो। नंपिय हु अइ. घिणिल्डा बजेमाणा अदोसिला ॥ ६॥ परपक्खो उ गिहत्या समणा समणीउ होइ उ सपक्खो। फामुकदं रदं वा निट्ठियमियरं कर्ड सर्व ॥ ७॥ नस्स कडनिट्ठियमी अन्नम्स कडमि निहिए तस्स । चउभंगो इत्थ भवे चरमदुगे होइ कप्पं तु ॥८॥ चउरो अइक्कम वइकमो य अइयार तह अणायारो। निदरिसण चउण्हवि आहाकम्मे निमंनणया ॥९॥ सालीघयगलगोरस नवेसु बडीफलेसु जाएसुं। दाणे अहिगमसड्ढे आहाय कए निमंतेइ ॥१८॥ आहाकम्मरगहणे अइकमाईसु बट्टए चउसु । नेउरहारिगहत्थी चाउनिगद्गएगचलणेणं ॥१॥ आहाकम्मामंतण पडिसुणमाणे अइकमो होइ । पयभेयाउ वइकम गहिए तइएयरो गिलिए ॥२॥ आणाइणो य दोसा गहणे जं भणियमह इमे ते उ। आणाभंगऽणवत्था मिन्छन विराहणा चेव ॥३॥ आणं सबजिणाणं गिण्हंतो तं अइकमइ लुडो। आणं चऽइकमंतो कस्साएसा कुणइ सेसं ? ॥४ा एकेण कयमकजं करेइ तप्पचया पुणो अन्नो । सायाबहुलपरंपर वोच्छेओ संजमतवाणं ॥५॥ जो जहवायं न कुणई मिच्छदिट्टी तओ हु को अनो? । वड्ढेइ य मिच्छत्तं परस्स संकं जणेमाणो ॥६॥ वड्ढेइ तप्पसंग गेही य परस्स अप्पणो वेव। १२५९.पिंडनियुक्तिः - मुनि दीपरनसागर Page #8 -------------------------------------------------------------------------- ________________ व AKASH सजियंपि भिन्नदाढो न मुयह निबंधसो पच्छा ॥७॥ खड़े निडे य रुया सुत्ते हाणी तिगिच्छणे काया। पडियरगाणवि हाणी कुणइ किलेसं किलिस्संतो ॥ ८॥ जह कम्मं तु अकप्पं नच्छिकं वाऽवि भायणठियं वा। परिहरणं नस्सेव य गहियमदोसं च तह भणइ ॥९॥ अम्भोजे गमणाइ य पुच्छा दबकुलदेस(खित्तभावे य। एव जयंते छलणा दिटुंता नत्यिमे दोन्नि ॥१९०॥ जह वंतं तु अभोज भत्तं जइविय सुसक्यं आसि। एवमसंजमवमणे अणेसणिजं अभोज तु॥१॥ मजारखइयमंसा मंसासिस्थि कुणिमं सुणयवत । वन्नाइ अन्नमप्पाइयंति कि तं भवे भोजं? ॥२॥ केई भणंति पहिए अट्ठा(द्धा)णे मंसपेसिवोसिरणं । संभारिय परिवेस(वह)ण वारेइ सुओ करे घेर्नु॥३॥ अपिलाकरहीखीरं ल्हसुण पलंडू सुरा य गोमंसं। चेयसमएवि अमयं किंचि अभोज अपेज्जं च ॥४॥ वनाइजुयावि बली सपललफलसेहरा असुइनत्था। असुइस्स विप्पुसेणवि जह छिकाओ अभोज्जा(हुति भिक्खा)ओ ॥५॥ एमेव उज्झियंमिवि आहाकम्ममि अकयए कप्पे। होइ अभोज भाणे जत्य व सुदपि तं पडियं ॥६॥वंतुचारसरिच्छे कम्मं सोउमवि कोविओ भीओ । परिहरइ सावि य दहा विहिजविहीए य परिहरणा ॥७॥ सालीओअणहत्थं दठं भणइ अविकोविओ देति। कत्तोच उत्ति साली ? वणि जाणइ पुच्छ तं गंतुं ॥८॥ गंतूण आवणं सो वाणियगं पुच्छए कओ साली?। पञ्चंते मगहाए गोबरगामो तहिं वयह ॥९॥ कम्मासंकाएं पहं मोत्तुं कंटाहिसावया अदिसिं। छायपि विवर्जतो डझइ उण्हेण मुच्छाई ॥२०॥ इय अविहीपरिहारी नाणाईणं न होइ आभागी। दबकुलदेसभावे विहिपरिहरणा इमा तत्थ ॥१॥ ओयणसमिइमसत्तुगकुम्मासाई उ होति दवाई। बहुजणमप्पजणं वा कुलं तु देसो सुरहाई ॥२॥ आयरऽणायर भावे सयं व अन्नेण वाऽवि दावणया। एएसि तु पयाणं चउपय तिपया व भयणा उ॥३॥ अणुचियदेसं द(स)वं कुलमप्पं आयरो य तो पुच्छा। बहुएवि नत्थि पुच्छा सदेसदविए अभावेऽवि॥४॥ तुज्झट्ठाए कयमिणमन्नोन्नमवेक्खए य सविलक्खं । व(त)जति गाढरट्ठा का भे तत्तित्ति वा गिण्हे ॥ ५॥ गूढायारा न करेंति आयरं पुच्छियावि न कहेंति। थोवंति व नो पुट्टा तं च असुद्धं कहं तत्थ ? ॥६॥ आहाकम्मपरिणओ फासुयभोईवि बंधओ होइ। सुद्धं गवेसमाणो आहाकम्मेवि सो सुद्धो॥७॥ संघुदिढं सोउं एइ दुयं कोइ भोइए पनो। दिअंति देहि मज्झतिगाउ सोउं तओ लम्गो ॥८॥मासियपारणगट्ठा गमणं आसनगामगं खमगे। सड्ढी पायसकरणं कयाइ अज्जे जिही खमओ ॥९॥ खेङ्गमङगलेच्छारियाणि डिंभग निभच्छ रुंटणया। हंदि समणत्ति पायस घयगुलजुय जावणट्टाए ॥२१०॥ एगतमवकमणं जइ साहू इज्ज होज तिन्नो मि। तणुकोट्टमि अमुच्छा भुत्तमि य केवलं नाणं ॥१॥ चंदोदयं च सूरोदयं च रनो उ दोनि उज्जाणा। तेसि विवरियगमणे आणाकोवो तओ दंडो ॥२॥ सूरोदयं गच्छमहं पभाए, चंदोदयं जंतु तणाइहारा। दुहा खी पञ्चुरसंतिकाउं, रायावि चंदोदयमेव गच्छे ॥३॥ पत्तलदुमसालगया इच्छामु निबंगणत्ति दुश्चित्ता। उजाणपालएहिं गहिया य हया य बद्धाय ॥४॥ सहस पइट्ठा दिवा इयरेहि निवंगणत्ति तो बदा। नितस्स य अवरण्हे दंसणमुभओ वहविसम्मा ॥५॥ जह ते दसणकखी अपूरिइच्छा विणासिया रण्णा। दिद्वेऽवियरे मुक्का एमेव इहं समोयारो॥६॥ आहाकम्मं भुंजइ न पडिकमए य तम्स ठाणस्स। एमेव अडइ बोडो लुक्कविलुको जह कवोडो॥७॥ आहाकम्मदारं भणियमियाणि पुरा समुहिट्ठ। उद्देसियंति वोच्छ समासओ तं दुहा होइ ॥ ८॥ ओहेण विभागेण य ओहे ठप्पं तु बारस विभागे। उहिट्ठ कडे कम्मे एकेकि चउकओ भेओ ॥९॥ जीवामु कहरि ओमे निययं भिक्खावि कइयई देमी। हंदि हुनस्थि अदिन्नं भुज्जइ अकयं न य फलेइ ॥२२०॥ | सा उ अविसेसियं चिय मियंमि भत्तमि तंदु(चाउ)ले एहह। पासंडीण गिहीण व जो एहिइ तस्स भिक्खट्ठा ॥१॥ छउमत्योघुदेस कहं वियाणाइ? चोइए भणइ । उवउत्तो गुरु एवं गिहत्यसदाइचिट्ठाए।श दिन्ना उ ताउ पंचवि रेहाउ करेइ देइ(न्त) व गणंति। देह इओ मा य इओ अवणेह य एत्तिया भिक्खा ॥३॥ सहा(ड्ढा)इएसु साह मुच्छ न करेज गोयरगओ य। एसणजुत्तो होजा गोणीवच्छो गवत्तिय ॥४॥ ऊसवमंडणवम्गा न पाणियं वच्छए नविय चारिं। वणियागम अवरण्हे बच्छगरखणं खरंटणया ॥ ५॥ पंचविहबिसयसोक्सक्खणी बहू समहियं गिहं तं तु।न गणेइ गोणिवच्छो मुच्छिय गढिओ गवतंमि ॥६॥गमणागमणुक्खेवे भासिय सोयाइइंदियाउत्तो। एसणमणेसणं वा तह जाणइतम्मणो समणो ॥७॥ महईएं संखडीए उबरियं कुरवंजणाईयं । पउरं दळूण गिही भणइ इमं देहि पुषणट्ठा ॥८॥ तत्थ विभागुद्देसियमेवं संभवइ पुवमुद्दिट्ठ। सीसगणहियट्ठाए तं चेव विभागओ भणइ ॥२३॥ भाका उद्देसियं समुद्देसियं च आएसियं समाएसं। एवं कडे य कम्मे एकेकि चउक्कओ भेओ॥९॥ जावंतियमुद्देसं पासंडीणं भवे समुद्देसं । समणाणं आएसं निगंथाणं समाएसं ॥२३॥ छिन्नमछिन्नं दुविहं दवे खेत्ते य काल भावे य । निष्फाइयनिष्फन्नं नायवं जं जहिं कमइ ॥१॥ भत्तुवरियं खलु संखडीएं तदिवसमन्नदिवसे या । अंतो बहिं च सर्व सवदिणं देहि अच्छिन्नं ॥२॥ देहि इमं मा सेसं अंतो वाहिरगयं व एगयरं । जाव अमुगत्ति बेला अमुगं वेलं च आरम्भ ॥३॥ दवाईछिन्नपि हु जद भणई आरओऽवि मा देह । तो (३१५) १२६० पिंडनियुक्तिः - मुनि दीपरनसागर *24 कप 44 Page #9 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 1 कप्पा छिन्नपि अचिन्नकर्ड परिहानि ॥४॥ अमुगाणंति व विजउ अमुकाणं मनि एत्थ उ विभासा। जन्य जईण विसिट्ठा निरसो नं परिहानि (रिजा) ॥५॥ संदिम्सनं जो सुणइ कप्पए नम्स सेसए ठवणा। संकलिय साहर्ण वा करेंनि अमुए इमा मेरा ॥६॥मा एयं देहि दम पुढे सिटुंमि नं परिहरनि। जं दिन्नं नं दिन्नं मा संपड देहि गेष्हति ॥ ७॥ रसभायणहे वा मा कुच्छिहिई मुहं व दाहामि। दहिमाई आयनं करो कुरं कई एयं ॥८॥ मा काहंनि अवणं परिकन्लियं प दिनह सुहं न । वियरेण फाणिएण व निदेण समं नुबईनि ॥९॥ एमेव य कम्मंमिऽवि उल्हवणे नवरि नत्थ नाणनं । नावियविन्लीणएणं मोयगचुनीपुणकरणं ॥२४०॥ अमुगंनि पुणो रदं दाहमकप्पं नारो कप्पा खेने अंनो बाहि कारे मुइई परेवं वा ॥१॥ जं जह व कयं दाहं न कापड आरओ नहा अकये। कयपाकमणिट्ठन्ति ठियपि जावन्नियं मोनुं ॥२॥ उकायनिरणुकंपा जिणपत्यणचाहिरा बहि फोड़ा। एवं वयंनि फोडा लुकविलुका जह कबोडा ॥१०२॥ पूईकम्मं दुविहं दवे भावे य होइ नायव । दश्चमि छगणधम्मिय भामि य वायरं मुहमं ॥३॥ गंधाइगुणसमिदं जं दवं अगुढगघदवज्यं । पूइनि परिहरिजानं जाणसु दशपूइनि॥४॥ गोहिनिउनो धम्मी सहाएं आसन्नगोविमनाए। समियमुरवातमीसं अजिन्न सन्ना महिसिपोहो ॥५॥ संजायन्टिनभने गोट्ठिगगंधोनि व(च)इवणिआयो। उस्खणिय अन्नछगणेण लिंपर्ण दवपूई ऊ ॥६॥ उग्गमकोडीअवयवमिनेणवि मीसियं सुमुदपि। मुदपि यरा य पाइडिया। पई अज्झायरओ उम्गमकोडी भवे एसा ॥८॥वायर मुहर्म भावे उ पृडयं मुहममवरि बोच्छामि। उवगरण भनपाणे दुविहं पुणब बायरं पृई ॥९॥ चुइक्सलिया डोए दबी य मीसग पूई। डाए लोणे हिंगू संकामण फोडणे धूमे ॥२५० ॥ सिझनम्मुवया दिजनम्स व कोड जं दवं । न उवकरणं चुहड़ी उक्खा दशी य डोयाई ॥१॥ चाडक्खा कम्माई आइमभंगेसु तीमुवि अकप्पं । पडिकुटुं नन्थन्थं अन्नन्थगयं अणुनायं ॥२॥ कम्मियकरममिम्सा चूड़ी उक्सा य फड्गजया उ। उवगरणपृइमेयं डोए दंडे व एगयरे ॥३॥ दवीटेनि जं वनं. कम्मदवीएं जं दए। कम्मं घट्टिय सुदं तु, घट्टए (आ) हारपूइयं ॥४॥ अनट्ठिय आयाणे डायं लोणं च कम्म हिगं वा। नं भनपाणपई फोडण अन्नं व जं हइ ॥४॥ संकामेउं कम्मं सिद्ध जंकिंचि नन्ध टूटं वा। अंगारधूमि थाली वेसण हेट्ठा मुणीहि (कम्मियवेसणअंगारथाली हेहामुही)धूमो॥६॥ इंधण. धूमेगंधेअवयवमाईहि सुहमपूई उ। सुंदरमेयं पूई चोयग भणिए गुरू भणइ॥७॥ इंधणधुमेगंधेअवयवमाई न पुइयं होइ। जेसि तु एस पूई सोही नवि विजए नेसिं ॥८॥इंधणगणीअवयव धूमो वष्फो य अवगंधो या सर्व फुसंनि लोयं भन्नइ सनओ पूई ॥ ५॥ नणु मुहमपूइयम्सा पृवृहिदुम्सऽसंभवो एवं । इंधणधूमाईहिं नम्हा पृढनि सिद्धमिणं ॥२६॥ चोयग! इंधणमाइहिं चउहिवि मुहमपूइयं होइ। पन्नवणामिनमियं परिहरणा नन्थि एयस्स ॥१॥ सज्झमसज्झं कर्ज सज्झं साहिजएन उ असझं। जो 3 असज्झ साहइ किलिस्सइन नं च साहेई ॥२॥ आहाकम्मियभायणपष्फोहण काउ अकयए कप्पे। गहियं तु(नि) सुहमपई धोवणमाईहिं परिहरणा ॥३॥ धोयंपि निराचय न होइ जाह्न कम्मगहणमि। न य अहव्वा उ गुणा भन्नई मुद्दा कओ एवं? ॥४॥लोएवि अमुइगंधा विपरिणया दूरओ न दृसंनि।न य मारंनि परिणया दूरगया अवि विसावयवा ॥५॥ सेसेहि उ दवेहि जावइयं फुसइ ननियं पूई । लेवेहि निहि उ पूर्व कप्पड़ कप्पे कए तिगुणे ॥६॥ इंधणमाई मोनुं चउरो सेसाणि होनि दवाई। नेसि पुण परिमाणं नयप्पमाणाउ आरम्भ ॥ ७॥ पढमदिवसंमि कम्मं तिमि उ दिवसाणि पृडयं होइ । पूईमु निमुन कप्पड़ कप्पड़ नइओ जया कप्पो॥८॥ समणकडाहाकम्म समणाणे जंकडेण मीसं तु। आहार उवहि वसही सर्व नं पृश्यं होह ॥॥ सइढम्स थेवदिवसेमु संखडी आसि संघभत्तं वा। पुच्छिनु निउणपुच्छं संलावाओ पऽगारीणं ॥२७० ॥ मीसजायं जावंनियं च पासंडिसाहमीसं च। सहसंतरं न कप्पड़ कप्पइ कप्पे कए तिगुणे ॥१॥ दुग्गासे तं समइच्छिउँ व अदाणसीसए जना।सड्ढी बहुभिक्खयरे मीसजाय कर कोई ॥२४॥भा०ा जावंता सिद्ध नेय(न एइ) नं देह कामियं जर्ण बहुसु व अपहुपते भणाइ अपि हि ॥२॥ अनट्ठा रचते पासंडीणपि विइयओ भणइ। निग्गंथट्ठा नहओ अत्नट्ठाएऽपि रचने (सों होइ)॥३॥ विसपाइयपिसियासी मरह तमनोवि खाइउं मरइ । इय पारंपरमरणे अणुमरद सहस्ससो जाच ॥४॥ एवं मीसज्जार्य चरणप्पं हणइ साहु मुविमुदं। नम्हा नं नो कप्पड़ पुरिससहसंतरगयपि ॥५॥ निच्छोडिए करीसेण वावि उच्चहिए नो कप्पा। सुक्खावित्ता गिरोहह अन्न चउत्थे अमुकेऽपि ॥६॥ सट्टाणपरहाणे दुविहं ठवियं नु होइनाया। खीराइ परंपरए हत्यगय परंतरं जाव ॥७॥ चाडी उवाली वा ठाणसठाणं तु भायणं पिढरे। सहाणवाणमि य भायणठाणे य चउभंगो ॥२५॥ भा०। लम्बगवारगमाई होइ परहाणमो पडणेगविहं । सट्ठाणे पिढरे उबगे य एमेव दूरे य ॥८॥ एकेक तं दुविहं अणंतर परंपरे य नायत्रं । अविकारि कयं दव्वं तं चैव अणंतर होइ ॥९॥ उचक्खीराईयं विगारि अविगारि घयगुलाईयं । परियावजणदोसा ओयणदहिमाईय १२६१ पिंडनियुतिः - मुनि दीपरत्नसागर Page #10 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वावि ॥ २८० ॥ उग्भट्ट परिन्नायं अन्नं लद्धं पओयणे घेच्छी रिणभीया व अगारी दहित्ति दाहं सुए ठवणा ॥ १॥ नवणीय मंथुतर्क व जाव अत्तट्टिया व गिव्हंति देसृणा जाब पर्य कुसणंपिय जत्तियं कालं ॥ २ ॥ रसककवपिंडगुलामच्छंडियखंडसकराणं च होइ परंपरठवणा अन्नत्थ व जुजए जत्थ ॥ ३ ॥ भिक्खग्गाही एगत्थ कुणइ बिइओ उ दोसु उवओगं । तेण पर उक्खिता पाहुडिया होइ ठवणा उ ॥ ४ ॥ पाहुडियावि हु दुविहा बायरं सुदुमा य होइ नायवा ओसकणमुस्सकण कब्बडीए समोसरणे ॥ ५॥ कन्तामि ताव पेलूं तो ते दाहामि पुत ! मा रोव तं जइ मुणेइ साहू न गच्छए तत्थ आरंभो ॥ २६ ॥ भा० । अन्नट्ट उट्टिया वा तुम्भवि देमित्ति (दाहामि) किंपि परिहरति । किह दाणि न उडिहिसी ? साहुपभावेण लब्भामो ॥ २७॥ भा० । मा ताव झंख पुत्तय परिवाडीए इहेहि सो साहू एयस्स उट्टिया ते दाहं सोउं विवज्जेइ ॥६॥ अंगुलियाए धेनुं कढइ कप्पट्टओ घरं जत्तो (तेणं)। किंति क. हिए न गच्छइ पाहुडिया एस सुहुमा उ ॥ ७ ॥ पुत्तस्स विवाहदिणं ओसरणे अइच्छिए मुणिय सड्ढा ओसकंतोसरणे संखडिपाहेणगदबट्टा ॥८॥ अप्पत्तंमि य ठवियं ओसरणे होहिइति उस्सकणं तं पागडमियरं वा करेह उज्जू अणुज्जू वा ॥ ९ ॥ मंगलहेडं पुन्नट्टया व ओसकियं दुहा पगयं उस्सकियंपि किंति य पुढे सिद्धे विवति ॥ २९०॥ पाहुडिभत्तं मुंजइ न पडिकमए य तस्स ठाणस्स । एमेव अडइ बोडो लुकविलको जह कवोडो ॥ १ ॥ लोयविरलुत्तमं तवोकिसं जडखउरियसरीरं जुगमेत्तंतरदिहिं अतुरियचवलं समिहमितं ॥ २ ॥ दद्रूण य अ (तम)णगार सड्ढी संवेगमागया काई विपुलऽन्नपाण घेत्तूण निम्गया निम्मओ सोऽवि ॥ ३ ॥ नीयदुवारंमि घरे न सुज्झई एसणत्तिकाऊणं । नीहंमिए अगारी अच्छ विलिया वऽगहिएणं ॥ ४ ॥ चरणकरणालसंमी अन्नंमि य आगए गहिय पुच्छा। इहलोगं परलोग कहेइ चइउं इमं लोगं ॥ ५ ॥ नीयदुवारंमि घरे भिक्खं निच्छंति एसणासमिया । जं पुच्छसि मज्झ कहं कप्पइ? लिंगोवजीवी ऽहं ॥ ६ ॥ साहुगुणेसण कहणं आउट्टा तंमि (तस्स) तिप्पड़ तहेब । कुक्कुडि चरंति एए वयं तु चिन्नङ्गया बीओ ॥ ७ ॥ पाओकरणं दुविहं पागडकरणं पगासकरणं च। पागड संकामण कुड्डदारपाए य छिन्ने व ॥ ८ ॥ रयणपईवे जोई न कप्पइ पगासणा सुविहियाणं । अत्तट्ठिय परिभोत्तुं कप्पइ कप्पे अकाऊणं ॥ ९ ॥ संचारिमा य चुली बहिं व चुली पुरा कया तेसिं । तहि रंधति कयाई उवही पूई य पाओ य ॥ ३०० ॥ नेच्छह तमिसंमि तओ बाहिरचुलीऍ साहु सिद्ध (दृ) ण्णे इय सोउं परिहरए पुढे सिद्धमिवि तब ॥ १ ॥ मच्छिम्मा अंतो याहि पचायं पगासमासनं इय अत्तट्ठिय गहणं पागडकरणे विभासेयं ( सा उ ) ॥ २॥ कुइडस्स कुणइ छिड्डं दारं वड्डे (हे) इ कुणइ अन्नं वा । अवणेइ छायणं वा ठावइ रयणं व दिव्यंतं ॥ ३ ॥ जोइ पइवं कुणइ व तहेव कहणं तु पुढे दु (sy) द्वे वा अन्तट्टिए उ गहणं जोइ पईवे उ वजित्ता (जेई) ॥ ४ ॥ पागडपयासकरणे कयंमि सहसा व अवऽणाभोगा। गहियं विगिंचिऊणं गेण्ड्इ अन्नं अकयकप्पे ॥ ५॥ कीयगर्डपिय दुविहं दधे भावे य दुविहमेकेकं । आयकियं च परकियं परदद्वं तिविहऽचित्ताइ ॥ ६ ॥ आयकिय पुण दुविहं दधे भावे य दश चुन्नाई। भावंमि परस्सऽट्टा अहवावी अप्पणा चैव ॥ ७ ॥ निम्मलगंधगुलियावन्नयपोत्ताइ आ (या) यकय दवे गेलने उड्डाहो पउणे चडुगारि अहिगरणं ॥ ८ ॥ वइयाइ मखमाई परभावकर्यं तु संजयद्वाए। उप्पायणा निमंतण कीडगड अभिहडे ठविए ॥ ९ ॥ सागारि मंख छंदण पडिसेहो पुच्छ बहु गए वासे कयरिं दिसिं गमिस्सह ? अमुई तहिं संथवं कुणइ ॥ ३१० ॥ दिजंते पडिसेहो कजे घेच्छं निमंतणं जइणं पुत्रगय आगए संछुहई एगगेहंमि ॥ १ ॥ धम्मक वाय खमणं निमित्त आयावणे सुयट्टाणं जाई कुल गण कम्मे सिप्पम्मिय भावकीयं तु ॥ २ ॥ धम्मकहाअक्खित्ते धम्मकहाउडियाण वा गिव्हे। क (हयं ) ति साहवो चिय तुमं व कहि ? पुच्छिए तुसिणी ॥ ३ ॥ किं वा कहिज छारा दगसोयरिया व अहवऽगारत्था। किं छगलगगलवलया मुंडकुटुंबी व किं कहए ? ॥ ४ ॥ एमेव बाइ खमए निमित्तमायावगम्मि य विभासा सुयठाणं गणिमाई अह्वा वाणायरियमाई ॥ ५ ॥ पामिपि दुविहं लोइय लोगुत्तरं समासेण । लोइय सज्झिलगाई लोगुत्तर वत्थमाईसु ॥ ६ ॥ सुयअभिगमनाय विही बहि पुच्छा एग जीवइ ससा ते पविसण पाग निवारण उच्छिदण ते जइदाणं ॥ ७ ॥ अपरिमियनेहबुड्ढी दासत्तं सो य आगओ पुच्छा दासत्तकहण मा रुप अचिरा मोएमि एत्ताहे (अप्पा भे) ॥ ८ ॥ भिक्ख दगसमारंभे कह कहिं भिवसहित संवेया आहरणं विसज कहणा कइवया उ ॥ ९ ॥ एए चैव य दोसा सविसेसयरा उ वत्थपाएसुं। लोइयपामिच्चेसुं लोगुत्तरिया इमे अन्ने ॥ ३२० ॥ मइलिय कालिय खोसि(मि)य हिय नट्टे वावि अन्न मग्गते । अवि सुंदरेवि दिण्णे दुक्कररोई कलहमाई ॥ १ ॥ उच्चताए दाणं दुलभ खग्गूढ अलस पामिचे तंपिय गुरुस्स पागा ) से ठवेइ सो देइ मा कलहो ॥ २ ॥ परियट्टियंपि दुविहं लोइय लोगुत्तरं समासेणं एक्केक्कंपिय दुविहं तदवे अन्नदधे य ॥ ३ ॥ अवरोप्परसज्झिलगा संजुत्ता दोषि अन्नमन्नेणं पोरगलिय संजयट्ठा परियट्टण संखडे बोही ॥ ४ ॥ अणुकंप भगिणिगेहे दरिद्द परियट्टणा य कूरस्स । पुच्छा कोहवकूरे मच्छर णाइक्ख पंतावे ॥ ५ ॥ इयरोऽविय पंतावे निसि ओसवियाण तेसि दिक्खा १२६२ पिंडनिर्युक्तिः मुनि दीपरत्नसागर Page #11 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 1 य तम्हा उ न त कह वा जे ओसमेहिंति ? ॥ ६ ॥ ऊणहिय दुब्बलं वा खर गुरु छिन्नं महल असीयसहं दुवन्नं वा नाउं विपरिणमे अन्नभणिओ वा ॥ ७ ॥ एगस्स माणजुत्तं न उ बिए एवमाइकजेसु । गुरुपामूले ठेवणं सो दलयह अग्रहा कलहो ॥ ८॥ आइनमणाइनं निसिहाभिहडं च नोनिसीहं च निसिहाभिहडं ठप्पं वोच्छामी नोनिसीहं तु ॥ ९ ॥ सग्गाम परम्गामे सदेस परदेसमेव बोद्धवं दुविहं तु परग्गामे जलथल नावोडुजंघाए ॥ ३३० ॥ जंघा बाह तरीइ व जले थले खंधआरसुरनिबद्धा संजम आयविराण तहियं पुण संजमे काया ॥ १ ॥ अत्थाहगाह (पं) कामगरोहारा जले अवाया उ कंटाहितेणसावय थलंमि एए भवे दोसा ॥ २ ॥ सग्गामेऽविय दुविहं घरंतरं नोघरंतरं चैव तिघरंतरा परेण घरंतरं तं तु नाय ॥ ३ ॥ नोघरंतरऽणेगविहं वा (पा) डगसाहीनिवेसण गिहेसु काये खंधे मिम्मय कंसेण व तं तु आणेजा ॥ ४॥ सुनं व असइ कालो पगयं व पहेणगंव पासुत्ता। इस एड काइ घेत्तुं दीवेइ य कारणं तं तु ॥ ५ ॥ एसेब कमो नियमा निसिहाभिहडेऽवि होइ नायो। अविइअदायगभावं निसीहिअं तं तु नाययं ॥ ६ ॥ अइदूरजलंतरिया कम्मासंकाएं मा न घेच्छति । आणेति संखडीओ सड्ढो सड्डी व पच्छनं ॥ ७॥ निग्गम देउल दाणं दियाइ सन्नाइ निग्गए दाणं सिमि सेसगमणं दितऽन्ने वारयंतेऽन्ने ॥ ८ ॥ भुंजण अजीर पुरिमड्ढगाइ अच्छेति भुत्तसेस वा आगमनिसीहिगाई न भुंजई सावगासंका ॥ ९॥ उक्खितं निक्खिप्पर आसमयं महगंमि पासगए। खामितु गया सड्ढा तेऽवि य सुद्धा असदभावा ॥ ३४० ॥ लद्धं (नीयं ) पण मे अमुगत्थगयाएं संखडीए वा बंदणगट्टपविट्टा देइ तयं पट्टिय नियत्ता ॥ १ ॥ नीयं पहेणगं मे नियगाणं निच्छियं वतं तेहिं सागरि सयज्झियं वा पडिकुडा संखडे रुट्ठा ॥ २ ॥ एवं तु अणाइनं दुविहंपिय आहढं समक्खायं आइनंपिय दुविहं देसे तह देसदेसे य ॥ ३ ॥ हत्थसयं खलु देसो आरेणं होइ देसदेसो य आइन्नमिविति (ण्णे तिन्नि) गिहा तं चिय उवओगपुजागा (काऊणं ॥ ४ ॥ परिवेसणपतीए दूरपवेसे य घसालगिहे हत्थसया आइनं गहणं परओ उ पडिकुद्धं ॥ ५ ॥ होइ पुण देसदेसो अंतो गिह सा न दीसए जत्थ उक्खेवाई तत्थ उ सोयाई देइ उपओगं ॥ ३५० ॥ उक्कोर्स मज्झिम जहन्नगं च तिविहं तु होइ आइन्नं करपरियत जहन्नं सयमुकस मज्झिमं सेसं ॥६॥ पिहिउभिन्नकवाडे फाय अल्फाए य बोद्ध अफासुय पुढविमाई फासूय लगणाइदद्दरए ॥ ७ ॥ उच्मिन्ने छक्काया दाणे कयविकए य अहिगरणं ते चैव कवाडंमिवि सविसेसा जंतमाईसु ॥ ८ ॥ सचित्तपु· ढविलितं लेल सिलं वाऽवि दाउमीलितं । सञ्चित्तपुढविलेवो चिरंपि उदगं अचिरलित्ते ॥ ९ ॥ एवं तु पुत्र ( णो ) लित्ते काया उलिंपणेऽवि ते चेव (माणओ हुज्जा) । तिम्मेउं उचलिंपड जउमुदं वाबि तावेउं ॥ ३५० ॥ जह चैव पुलित्ते काया दाउं पुणोऽवि तह चेव उवलिप्यंते काया मुइअंगाई नवरि छट्ठे ॥ १ ॥ परस्स तं देइ सए व गेहे, ते व लोणं व घयं गुलं वा उग्घाडिए तंमि करे अवस्सं स विकयं तेण किणाइ अन्नं ॥ २ ॥ दाणकयविक्रया चेव होइ अहिगरणमजयभावस्स निवयंति जे य तहियं जीवा मुइयंगमूसाई ॥ ३ ॥ जहेब कुंभाइसु पुचलिते, उग्भिजमाणे य हवंति काया ओलिंपमाणेवि तहा तहेव, काया कवाडंमि विभासिया ॥ ४ ॥ घरकोइलसंचारा आवतण पीढगाइ हेतुवरिं निंवे ठिए य अंतो डिंभाईपेलणे दोसा ॥ ५ ॥ घेप्पर अकुंचियागंमि कवाडे पइदिणे परिवहते। अजऊमुद्दिय गंठी परिभुज्जइ दद्दरो जो य ॥ ६ ॥ मालोहडेपि दुविहं जहन्नमुकोसगं च बोद अग्गतले (पए) हि जहां तचिवरीयं तु उक्कोसं ॥ ७॥ भिक्खु जनगंमी गेरुय उक्कोसगंमि दितो अडिसनमालपडणे य एवमाई भवे दोसा ॥ ८ ॥ मालाभिमुहं दद्रूण अगारिं निग्गओ तओ साहू । तचत्रिय आगमणं पुच्छा य अदिन्नदाणन्ति ॥ ९ ॥ मालंमि कुट्ठ मोयग सुगंध अहि पविसणं करे ढक्का। अन्नदिण साहु आगम निद्दय कहणा य संवोही ॥ ६ ॥ आसंदिपीडमंचकजंतोडूखल पडत उभयवहे। वोच्छेयपओसाई उड्डाहमनाणिवाओ य ॥ १ ॥ एमेव य उकोसे वारण निस्सेणि गुत्रिणीपडणं । गम्भित्थिकुच्छिफोडण पुरओ मरणं कण बोही ॥ २ ॥ उढमहे तिरियंपिय अहवा मालोह भवे तिविहं । उड्ढमहे ओयरणं भणियं कुंभाइसू उभयं ॥ ३ ॥ दद्दरसिलसोवाणे पुत्रारूढे अणुचमुक्खित्ते। मालोहढं न होइ सेसं मालोहर्ड होइ ॥ ४ ॥ तिरियायय उज्जुगएण गिण्हई जं करेण पासंतो एयमणुचुक्खितं उच्चुक्खित्तं भवे सेसं ॥ ५॥ अच्छिपिय तिविहं पभू य सामी य तेणए चैव। अच्छिजं पडिकुडं समणाण न कप्पए घेत्तुं ॥ ६ ॥ गोवालए य भयए खरए पुत्ते य धूय सुहाए। अचियत्तसंखडाई केइ पओसं जहा गोवो ॥ ७ ॥ गोवपओ अच्छेतुं दिनं तु जइस्स भइदिणे पहुणा पयभाणूर्ण द सिह भोई रुवे चेडा ॥ ८ ॥ पडियरण पओसेणं भावं नाउं जइस्स आलावो। तन्निब्वंधा गहियं हंदि स ( उ ) मुको सि मा बीयं ॥ ९ ॥ नानिषिद्धं लम्भइ दासीवि न भुजए रिते भत्ता । दोन्नेगयरपओसं जं काही अंतराय च ॥ ३७० ॥ सामी चारभडा वा संजय दठूण तेसि अट्ठाए। कलुणार्ण अच्छेजं (तु) साहूण न कप्पए घेत्तुं ॥ १ ॥ आहारोवहिमाई जइ अट्ठाए उ कोइ अच्छिदे । संखडि असंखडीए तं गिण्हंते इमे दोसा ॥ २ ॥ अचियत्तमंतरायं तेनाइड एगऽणेगवोच्छेओ। निच्छुभणाई दोसा तस्स अ (विद्याल) लंभे य जं पावे ॥ ३ ॥ १२६३ पिंडनिर्युक्तिः मुनि दीपरत्नसागर ד दिल Page #12 -------------------------------------------------------------------------- ________________ नेणो व संजयट्ठा करणाणं अप्पणो व अट्ठाए। वोच्छेय पओसं वान कप्पई कप्पऽणुन्नायं ॥४॥ संजयभद्दा नेणा आयंती वा असंथरे जइण। जइ देति न घेत निच्छम वोच्छेउ मा होजा ॥५॥ घयसनुयदिटुंतो (नेणगएण घेनुं) समणुन्नाया व घेनुर्ण (गिहीवि) पच्छा। दें(वें)ति तयं तेसि चिय समणुन्नाया व मुंजंनि ॥६॥ धयसनगदिटुंनो अंबापाए य नपिया पियरो। काममकामे धम्मो णिओइए अम्हवि कयाई ॥ ४५०॥ अणिसिद्धं पडिकुटुं अणुनायं कप्पए सुविहियाणं। लड्डुग चोलग जंते संखडि खीरावणाईस ॥ ७॥ बत्तीसा सामन्ने ने कहि हाउं गयति इअ युने। परसंनिएण पुन्नं न नरसि काउंति पचाह ॥८॥ अविय हु बत्तीसाए दिन्नेहि नबेग मोयगो न भवे । अप्पवयं वहुआयं जइ जाणसि देहि नो मज्झं ॥९॥ लाभिय नेतो पुट्टो किं लदं ? नस्थि पच्छिमो दाए। इयरोऽवि आह नाहं देमित्ति सहोद चोरनि ॥३८॥ गिरोहण कढण यबहार पच्छकटाह पूच्छ (नहय) निविसए। अपहुंमि हुंनि दोसा पहुंमि दिन्ने तओ गहणं ॥१॥ एमेव य जंतंमिवि (नचलग) संखडि खीरे य आवणाईसुं। सामन्नं पटिकुटुं कप्पद घेत्तुं अन्नायं ॥२॥ नि दारमहुणा बहुवनवंति नं कयं पच्छा । वन्नेइ गुरू सो पुण सामियहत्यीण विन्नेओ ॥३॥ छिन्नमछिन्नो दुविहो होइ अछिन्नो निसिट्ट अणिसिहो । छिन्नंमि चुड़गंमी कणइ घेत निसिमि॥४॥ छिन्नो दिट्ठमदिट्ठो जो य निसिट्ठो भवे अछिन्नो य। सो कप्पइ इयरो उण अदिदिट्ठो वऽणुन्नाओ ॥५॥ अणिसिटुमणुन्नायं कप्पद घेनुं नहेब अदिष्टं। जड्डस्स य अनिसिटुं न कप्पई कप्पइ अदिटुं॥६॥ निवपिंडो गयभनं गहणाई अंतराइयमदिन्नं। डॉबस्स संतिएविहअभिक्ख यसहीय फेडणया॥७॥ अज्झायरओ निविही जानिय सघ| स्मीसपासंडे। मूलंमि य पुवकये ओयरई तिण्ह अट्ठाए॥८॥ तंडुलजलआयाणे पुष्फफले सागवेसणे लोणे। परिमाण नाणनं अज्झोयरमीस संडिमीसए पूई। छिन्ने विसोहि दिन्नंमि कप्पई न कप्पई सेसं ॥३९॥ छिन्नंमि तओ उक्कढियंमि कप्पड़ पिहीकए सेसं। आहावणाए दिन्नं च तनियं कप्पए सेसं ॥१॥ एसो सोलसभेओ, दुहा कीरई उग्गमो। एगो विसोहिकोडी, अविसोही उ चावरा ॥२॥ आहाकम्मुदसिय चरमनिगं पूइ मीसजाए य। वायरपाडियाविय अज्झोयरए य चरिमदुगं ॥३॥ उम्गमकोडी अवयव लेवालेवे य अकयए कप्पे। कंजियायामगचाउलोयसंसट्टपूईओ॥४॥ मुक्केणऽविजं छिकं नु अमुहणा धोबए जहा लोए। इह मुकेणऽवि छिकं धोवह कम्मेण भाणं तु? ॥२८॥ भा०। लेवालेवत्ति जं बुत्तं, जंपि दवमलेवर्ड। तपि घेनुं ण कप्पंति, नकाइ किमु देवडं? ॥९॥ आहाय जं कीरड नं तु कम्म. बजेहिही ओयणमेगमेव । साबीर आ यामग चाउलो वा (दगं), कम्मति तो तम्गहणं करेंति ॥३०॥ भा० सेसा विसोहिकोडी मनं पाणं विगिच जहसत्ति। अणलक्विय मीसदबे सबविवेगेऽवयव सुदो ॥५॥ दवाइओ विवेगो दवे जं दब जं जहिं खेले। काले अकालहीणं असढो जं पस्सई भावे ॥६॥ सुक्कोङसरिसपाए असरिसपाए य एत्य चउभंगो। तुड़े तुनिवाए नन्थ दुवे दोन्नताहा उ ॥ ७॥ सुक्के सुकं पडियं विगिचिउं होइ तं सुहं पढमो। वीयंमि दवं छोढुं गालंति दवं करं दाउं॥८॥ तइयंमि कर छोईं उल्डिंचइ ओयणाइ जं नरउ । दुलहदवं चरिमे ननियमिनं विगिचंति ॥९॥ संथर सबमुज्झति. चउभंगो असंथरे। असढा सुज्झई जे(त)मुं, मायावी जसु बज्झई॥४०॥ काडीकरणं दुविहं उरगमकोडी विसोहिकोडी य। उम्गमकोडी छकं विसोहिकोडी अणेगविहा ॥१॥ नव चेव अढारसगं सत्तावीसा तहेव चउपना । नउई दो चेव सया उ सत्तरी होइ कोडीणं ॥२॥ सोलस उपगमदोसे गिहिणो उ समुट्टिए वियाणाहि। उप्पायणाएँ दोसे साहूउ समुट्ठिए जाण ॥३॥णामं ठवणा दविए भावे उप्पायणा मुणेयवा। दवंमि होइ तिविहा भावंमि उ सोलसपया उ॥४॥ आसूयमाइएहिं वारचियनुरंगचीयमाइहिं । सुयआसदुमाईर्ण उप्पायणया उ सचित्ता ॥५॥ कणगरययाइयाणं जहेट्ठधाउविहिया उ (ही य) अचिना। मीसा उ सभंडाणं दुपयाइकया उ उप्पनी॥६॥ भावे पसन्थ इयरों कोहाउपायणा उ अपसत्थो। कोहाइजुया धायाइणं च नाणाइ उ पसत्था ॥ ७॥ धाई दुइ निमित्ते आजीव वणीमगे तिगिच्छा य। कोहे माणे माया लोभे य हवंनि दस एए॥८॥ पुविपन्छासंथव विजा मंते य चुन्न जोगे य। उप्पायणाइ दोसा सोलसमे मुलकम्म य॥९॥खीरे य मजणे मंडणे य कीलावर्णकधाई या एककाविय दविहा करणे कारावणे चेत्र धाई उ। जहविहवं आसि पुरा खीराई पंच धाओ॥१॥ खीराहारो रोबर मज्झ कयासाय देहि णं पिजे। पच्छा व मज्झ दाहिसि अलं व भुजो व एहामि ॥२॥ मइमं अरोगि दीहाउओ य होइ अविमाणिओ वालो। दुलभयं खु सुयमुहं पिजाहि अहं व से देमि ॥३॥ अहिगरण भदपंना कम्मुदय गिलाणए य उड्डाहो । चहुकारी य अवन्नो नियगो अन्नं च जं संके॥४॥ अयमवरो उ विकप्पो भिक्खायरि सढि अद्विई पुच्छा। दुक्खसहाय विभासा हियं च धाइतणं अनो! ॥५॥ वयगं डतणुयथूलत्तणेहि तं पुच्छिउँ अयाणतो। तत्थ गओ तस्समक्खं भणाइ तं पासिउँ बालं ॥६॥ अहुणुट्टियं व अणविक्खियं व इणमं कुलं तु मन्नामि । पुन्नेहि जहिताए (३१६) | १२६४ पिंडनियुक्तिः - मुनि दीपरत्नसागर Page #13 -------------------------------------------------------------------------- ________________ जदिच्छाएँ व तर(चल)ई वालेण सूएमो ॥७॥ पेरी दुबलवीरा चिमि(विवि)दो पेल्लियमहो अइयणीए। तणुई उ मंदखीरा कुष्परथणियाएँ सूइमुहो ॥८॥ जा जेण होइ बन्नेण उकडा गरहए यत तर्ण गरहह समाण ति पसत्यमियरंचबन्न ॥९॥ उहिया पओसं छोभग उम्भामओय से जंता होजा मज्झवि विग्यो विसाहइयरी परमेव ॥४२०॥ एमेव सेसियासवि सुयमाइसु करणकारणं सगिहे। इइडीसुय घाईसु य तहेव उबहियाण गमो ॥१॥ लोलइ महीएं धूलीएं गुंडिओ व्हाणि अहवर्ण मजे। जलभीरु अपलनयणो अइउप्पिलणे अ रत्तच्छो ॥२॥ अभंगिय संवाहिय उपष्ट्रिय मजियं च तो बालं। उवणेइ मजधाई मंडणधाईएं सुइदेहं ॥३॥ उसुआइएहि मंडेहि ताव णं अहवर्ण चिमूसेमि। हत्थिचगा व पाए कया गलिच्चा व पाए वा ॥४॥ दइढरसर छुन्नमहो मउयगिरो मउयमम्मणुखावो। डाडावणगाईहिब करेइ कारेइ वा किड्ढं ॥५॥ धुडीएं वियहपाओ भग्नकडी सुकडाए दुक्खं च। निम्मंसकक्खडकरहिं भीरुओ होइ पेप्पते ॥६॥ कोठहरे वस्थाको दत्तो आहिंडओ भवे सीसो। अवहरर धाइपिंड अंगुलिजलणे य साविश्वं ॥७॥ ओमे संगमरा गच्छ विसर्जति जंघवलहीणा। नवभागखेत्तवसही दत्तस्स य आगमो ताहे ॥३१॥ भा०। उपसयचाहिं ठाणं अनाउंडेण संकिलेसो या पूयणचेडे मा रुय पडिलाभण वियहणासम्म ॥२॥ भा०ा सग्गाम परग्गामे दुविहा दुई उ होइ नायगा। सा वा सो वा भणई भणइ यतै उन्नवयणेणं ॥८॥ एकेकाविय दुविहा पागड़ छन्ना व उन्न दुविहा उ। लोगुनरि तत्थेगा बीया पुण उभयपक्सेवि(सु)॥९॥ भिक्खाइएँ वर्धते अप्पाहणि नेइ खंतियाईणं ।सा ते अमुर्ग माया सो व पिया ते इमं भणइ ॥४३०॥ दूइत्तं सुगरहियं अपाहिउँ बिइयपचया भणति। अविकोचिया सुया ते जा आह मई भणसु खंतिं ॥१॥ उभयेऽविय पच्छन्ना खंत ! कहि जाहि खंतियाए तुम। तं तह संजायंतिय तहेव अह तं करेजासि(हि)॥२॥ गामाण दोण्ह वेर सेजायरि धूय तत्थ खंतस्स (गमो)। वहपरिणय खंतऽज्झत्थ(प्पाह) णं व णाए कए जुदं ॥३॥ जामाइपुत्तपइमारणं च केण कहियंति जणवाओ। जामाइपुत्तपइमारएण खंतेण मे सिटुं ॥४॥ नियमा निकालविसएऽवि निमित्ते छबिहे भवे दोसा। सजं तु वट्ठमाणे आउभए तत्थिमं नायं ॥५॥ लाभालाभं सुहं दुक्खं, जीवियं मरणं तहा। छविहेऽवि निमित्ते उ, दोसा होंति इमे सुण ॥५०॥ | आकंपिया निमित्तेण भोइणी भोइए चिरगयमि। पुवमणिए कहं ते आगउ ? रुट्ठो य बड(ल)वाए ॥६॥ दूराभोयण एगागि आगओ परिणयस्स पञ्चोणी। पुच्छा समणे कहणं साइयं कालण दिडे जा नेव तो तुहं अवितह कइ वा ॥३४॥भा० जाई कल गण कम्मे सिप्पे आजीवणा उ पंचविहा। सूयाएँ असूयाएँ व अप्पाण कहेहि एकेके ॥७॥ जाईकुले विभासा गणो उमल्लाइ कम्म किसिमाई। तुण्णाइ सिप्पऽणावज्जगं च कम्मेयराऽऽवजं ॥८॥ होमायवितहकरणे नजइ जह सोत्तियस्स पुत्तोत्ति। वसिओ वेस गुरुकुले आयरियगुणे व सूएइ ॥९॥ सम्ममसम्मा किरिया अणेण ऊणाऽहिया व विवरीया। समिहामंताहुइठाण जागकाले य घोसाई ॥४४०॥ उम्गाइकुलेसुवि एवमेव गणमंडलप्पवेसाई । देउलदरिसणभासाउवणयणे दंडमाईया ॥१॥ कत्तरिपओअणावेक्खवत्थुबहुवित्थरेसु एमेव। कम्मेसु व सिप्पेसुय सम्ममसम्मे सूईयरा ॥२॥ समणे माहणि किवणे अतिही साणे य होइ पंचमए। वणि जायणत्ति वणिओ पायप्पाणं वणेइति ॥३॥ मयमाइवच्छगंपिव वणेइ आहारमाइलोभेणं । समणेसु माहणेसु य किविणाऽतिहिसाणभत्तेसु ॥४॥ निग्गंध सक तावस गेरुय आजीव पंचहा समणा । तेसि परिवेसणाए लोभेण वणिज को अप्प ? ॥५॥ भुंजंति चित्तकम्मट्ठिया व कारुणिय दाणरुइणो य । अवि कामगद्दभेसुवि न नस्सई किं पुण जईसु?॥६॥ मिच्छत्तथिरीकरणं उग्गमदोसा य तेसु वा गच्छे। चडुकारऽदिन्नदाणा पचत्थिग मा पुणो इंतु ॥७॥ लोयाणुग्गहकारिसु भूमीदेवेसु बहुफलं दाणं । अवि नाम बंभचंधुसु किं पुण छक्कम्मनिरएसु ? ॥८॥ किवणेसु दुम्मणे(न्चले)सु य अचंधवायंकजुंगियंगसुं। पूयाहिज्जे लोए दाणपड़ागं हरह दितो ॥९॥ पाएण देइ लोगो उवगारिसु परिचिएसु मुसिएसु । जो पुण अदाखिन्नं अतिहिं पूएइ तं दाणं ॥ ४५०॥ अवि नाम होज सुलभो गोणाईणं तणाइ आहारो। छिच्छिक्कारयाणं न हु सुलहो होइ सुणहा(गाणं ॥१॥ केलासभवणा एए, आगया गुज्झगा महिं । चरंति जक्वरूवेणं, पुयाऽपूया हियाऽहिया ॥२॥ एएण मज्झ भावो दिट्ठो लोए पणामहे - जंमि। एकेके पुजुत्ता भदगपंताइणो दोसा ॥३॥ एमेव कागमाई साणग्गहणेण सूइया होति। जो वा जमि पसत्तो वणइ तहिं पुट्टपुट्ठो वा ॥४॥ दाणं न होइ अफलं पत्तमपत्तेसु सन्निजुर्जतं । इय विभणिएऽवि दोसा पसंसओ किं पुण अपत्ते? ॥५॥ भणइ य नाहं वेजो अहवाऽवि कहेड अप्पणो किरिय। अहवापि विजयाए तिविह तिगिच्छा मुणेयवा ॥६॥ भिक्खाइ गओ रोगी किं विजोऽहंति पुच्छिओ भणइ। अस्थावत्तीएँ कया अबुहार्ण बोहणा एवं ॥७॥ एरिसयं चिय (वा) दुक्खं भेसजेण अमुगेण पउणं मे। सहसुप्पन्न व रुयं वारेमो अट्ठमाईहिं ॥८॥ संसोधण संसमणं नियाणपरिवजणं च जं तत्थ। आगंतु घाउखोभे य आमए कुणइ किरियं तु ॥९॥ अस्संजमजोगाणं पसंपूर्ण कायपाय अयगोलो। दुबलवण्या१२६५ पिंडनियुक्तिः - मुनि दीपरत्नसागर Page #14 -------------------------------------------------------------------------- ________________ हरणं अधुदये गिण्हणुइडाहे ॥४६०॥ हत्थकप्प गिरिफुलिय रायगिह खलु तहेव चंपा य। कडघयपुन्ने इट्टग लड्डुग तह सीहकेसरए ॥१॥ विजातवप्पभावं रायकुले बाऽवि बालभत्तं - से । नाउं ओरस्सवलं जो सम्भाइ(देह भया) कोहपिंडो सो ॥२॥ अन्नेसि विजमाणे जायंतो वा अलद्धिओ कुष्पे। कोहफलंमिऽवि दिढे जो लगभइ कोहपिंहो सो ॥३॥ करडुयभनमलढुं अन्नहिं दाहित्य एव वच्चंतो। थेरा भोयण तइए आइक्खण खामणा दाणं ॥४॥ उच्छाहिओ परेण व लदिपसंसाहिं वा समुत्तइओ। अवमाणिओ परेण य जो एसइ माणपिंडो सो ॥५॥ इट्टगछणमि परिपिंडियाण उष्टाव को णु हु पगेव। आणिज इट्टगाओ? खुड्डो पञ्चाह आणेमि ॥६॥ जइविय ता पजत्ता अगुलपयाहिंन ताहिंणे कजं । जारिसियाओ इच्छह ता आणेमित्ति निक्खंतो ॥७॥ ओहासिय पडिसिद्धो भणइ अगारिं अवस्सिमा मझ। जइ लहसि तो तं मे नासाए कुणसु मोयंति (सा आह)॥८॥ कस्स घर पुच्छिऊणं परिसाए अमुउ कहरउ पुच्छे । किं तेणऽम्हे जायसु सो किविणो स दाहिइ न तुझं ॥९॥ दाहामि तेण भणिए जइ न भवसि छण्हमेसि पुरिसाणं । अन्नयरो तो तेऽहं परिसामसंमि पणया(जाए)मि ॥४७०।। सेयंगुलि बगुड्डावे, किंकरे पहायए तहा। गिद्धावरंखि हदगए य पुरिसाहमा छा उ॥१॥ जायसुन एरिसोऽहं इट्टगा देहि पुत्रमइगंतुं। माला उत्तारि गुलं भोएमि दिएत्ति आरुदा ॥२॥ सिइअवणण पडिलाभण दिस्सियरी बोलमंगुली नासं। दुण्हंगयरपओसो आयविवत्तीय उड्डाहो ॥३॥ रायगिहे धम्मरुई असाढभूई य सुइडओ तस्स। रायनडगेहपविसण संभोइय मोयए लंभो ॥४॥ आयरियउवज्झाए संघाडगकाणखुज्जतहोसी। नडपासण पज्जत्तं निकायण दिणे दिणे दाणं ॥५॥ धूयदुए संदेसो दाण सिणेह करणं रहे गह(कर)णं । लिंगं मुयत्ति गुरुसिट्ट विवाहे उत्तमा पगई ॥६॥ रायघरे य कयाई निम्महिलं नाडगं नडागच्छी। ता य विहरंमि मत्ता उपरि गिहे दोवि पासुत्ता ॥७॥ वाघाएण नियत्तो दिस्स विचेला विराग संबोही। इंगियनाए पुच्छा पजीवणं रट्ठपालंति ॥८॥ इक्खागवंस भरहो आयंसघरे य केवलालोओ। हाराइखिवण गह(म)णं उत्सग्ग न सो नियनोत्ति ॥९॥ तेण समं पाहया पंच नरसयत्ति नाडए डहणं । गेलजखमगपाहणथेरादिट्ठा य बीयं तु॥४८॥लभतापन गिण्हइ अचं अमुगंति अज घेच्छामि । भदरसात बकाउ । गिण्हइ खर्धा सिणिदाई ॥१॥ चंपा उणमि पिच्छामि मोयए तेवि सीहकेसरए। पडिसेह धम्मलाभं काऊणं सीहकेसरए ॥२॥ सड्ढड्ढरत्तकेसरभायणभरणं च पुच्छ पुरिमड्ढे। उवओग संतचो(चंदलो)यण साहुत्ति विगिचणे नाणं ॥३॥ दुविहो उ संथवो खलु संबंधी वयणसंथवो चेव। एकेकोविय दुविहो पुष्विं पच्छा य नायत्रो ॥४॥ मायपिड पुत्रसंथव सासूसुसराइयाण पच्छा उ। गिहि संथव संबंध करेइ पुवं च पच्छा वा ॥५॥ आयवयं च परवयं नाउं संबंधए तयणुरूवं। मम माया एरिसिया ससा व धूया व नत्ताई ॥६॥ अदिई दिट्टिपण्य पुच्छा कर्ण ममेरिसी जणणी। धणखेवो संबंधो विहवासुण्हाइदाणं च॥७॥ पच्छासंघवदोसा सासू विवादिधूयदाणं च। भज्जा ममेरिसिञ्चिय सजो घाओ व भंगो वा ॥८॥ मायावी चडुयारी अम्ह ओहावणं कुणइ एसो। निच्छुभणाई पंतो करिज भद्देसु पडिबंधो ॥९॥ गुणसंधवणे पुष्विं संतासंतेण जो थुणिज्जाहि । दायारमदिन्नमी सो पुदिसंथवो हबइ ॥४९॥ एसो सो जस्स गुणा वियरति अवारिया दसदिसासु । इहरा कहासु सुणिमो (बसि) पचक्खं अज दिवो सि ॥१॥ गुणसंथवेण पच्छा संतासंतेण जो थुणिज्जाहि। दायारं दिन्नमी सो पच्छासंथवो होइ ॥२॥ विमलीकयऽम्ह चक्खू जहत्थया (ओ) वियरिया गुणा तुझं। आसि पुराणे संका संपय निस्संकियं जायं ॥३॥ विजामंतपरुवण बिजाए भिक्खुवासओ होइ। मंतंमि सीसवेयण तत्थ मुरुंडेण दिटुंतो॥४॥ परिपिंडणमुलायो अइपंतो भिक्खुवासओ दाये। जइ इच्छइ अणुजाणह घयगुलवस्थाणि दाबेमि ॥५॥ गंतुं वि. जामंतण किं देमि ? घयं गुलं चवस्थाई। दिन्ने पडिसाहरणं केण हियं केण मुट्ठो मि? ॥६॥ पडिविजथंभणाई सो वा अन्नो वसे करिज्जाहि। पावाजीवीमाई कम्मणगारी य गहणाई ॥७॥ जह जह पएसिणी जाणुगंमि पालित्तओ भमाडेइ। तह तह सीसे वियणा पणस्सइ मुरुंडरायस्स ॥८॥ पडिमंतथंभणाई सो वा अन्नोव से करिजाहि। पावाजीवियमाई कम्मणगाारी भवे बीयं ॥९॥ चुन्ने अंतदाणे चाणक्के पायलेवणे समिए। मूल विवाहे दो दंडिणी उ आयाणपरिसाडे ॥५००॥ जंघाहीणा ओमे कुसुमपुरे सिस्सजोग रहकरणं । खुड्डदुर्गजणसुणणा गमणं देसंतरे सरणं ॥३५॥ भा०। भिक्खे परिहायंते थेराणं तेसि ओमे दिताणं । सहभुज चंदगुत्ते ओमोयरियाए दोबाई ॥६॥ चाणकपुच्छ इहालचुण्णदारं पिहिनु धूमे य। दट्टुं कुच्छ पसंसा थेरसमीवे उवालंभो ॥३७॥ भा०। जे विजमंतदोसा ते चिय वसिकरणमाइचुन्नेहि। एगमणेग पओसं कुज्जा पत्थारओ वावि ॥१॥ सूभगदुम्भग्गकरा जोगा आहारिमा य इयरे या आघंसध्ववासापायपलेवाइणो इयरे ॥२॥ नइकण्हविन दीवे पंचसया तावसाण निवसंति। पञ्चदिवसेसु कुलवई पालेचुत्तार सकारे ॥३॥ जण सावगाण खिसण समियऽक्खण माइठाण लेवेण । सावय पयत्तकरणं अविणय लोए चलणधोए ॥४॥ पडिलाभिय वचंता निम्बुड नइकूल मिलण समियाऽऽओ।विम्हिय पंचसया तावसाण पञ्चज साहा १२६६ पिंडनियुक्तिः - मुनि दीपरत्नसागर Page #15 -------------------------------------------------------------------------- ________________ य॥५॥ अकुमार खयं जोणी विवरीयट्ठा णिवेसणं वावि। गम्मपए पायं वा जो कुण्ड मूलकम्मं तं ॥ ६१०॥ अधिई पुच्छा आसन्न विवाहे भिन्नकन्नसाहणया। आयमणपियणओसह अक्खय जज्जीवअहिगरणं ॥६॥ जंघा परिजिय सड्ढी अदिइ आणिजए मम सवत्ती। जोगो जोणुग्घाडण पडिसेह पोस उड्डाहो ॥ ७॥ मा ते फंसेज कुलं अदिजमाणा सुया वयं पत्ता। धम्मो यऽलोहियस्सा जइ बिंदु नत्तिया नरया ॥८॥ किं न ठविजह पुत्तो पत्तो कुलगोत्तकित्तिसंताणो। पच्छाविय तं कर्ज असंगहो मा य नासिज्जा ॥९॥ किं अदिइनि पुच्छा सवित्तिणी गम्भिणिनि से देवी। गम्भाहाणं तुझवि करोमि मा अद्धिई कुणसु॥५१०॥ जइवि सुओ मे होही तहवि कणिहोत्ति इयर जुवराया। देइ परिसाडणं से नाए य पओस प्रत्यारो॥१॥ संखडिकरणे काया कामपविनि च कुणइ एगत्थ। एगत्थुड्डाहाई जज्जिय भोगतरायं च ॥२॥ एवं तु गविट्ठस्सा उग्गम उप्पायणाविसुद्धस्स। गहणविसोहिविसुद्धम्स होइ गहर्ण तु पिंडस्स ॥३॥ उप्पायणाएँ दोस(सा) साहूउ समुट्ठिए वियाणाहि (या इमे भणिया)।गहण(दसए)सणाइ दोसे आयपर(गिहिसाहु)समुट्टिए चोच्छं ॥४॥ दोनि उ साहुसमुत्था संकिय नह भावओऽपरिणयं च। सेसा अडवि नियमा गिहिणो य समुट्ठिए जाण ॥५॥ नाम ठपणा दविए भाये गहणेसणा मुणयवा। दवे वानरजूहं भावंमि य दस पया इंति ॥ ६॥ पडि(रि)सड़ियपंडुपत्तं वणसंई द? अन्नहि पेसे। जूहवई पडियरए जूहेण समं तहिं गच्छे ॥ ७॥ सयमेवालोएउं जूहबई तं वणं समंतेण। वियरइ नेसि पयारं चरिऊण ओयरंतं पयं दद,नीह(उत्तरतं नदीसई। नालेण पियह पाणीय, नेस निकारणा दहा ॥ ९॥ संकिय मक्खिय निक्खिन पिहिय साहरिय दायगुम्मीसे। अपरिणय लित्त छड्डिय एसणदोसा दस हवंति ॥५२०॥ संकाए चउभंगो दोसुवि गहणे य मुंजणे लग्गो। जं संकियमावन्नो पणवीसाचरिमए सुद्धो॥१॥ उग्गमदोसा सोलस आहाकम्माइ एसणादोसा। नव मक्खियाइएए पणवीसा चरिमए सुद्धो॥२॥छउमत्थो सुयनाणी उक्उत्ता(गवेसए) उज्जुओ पयत्तेणं। आवन्नो पणवीसं सुयनाणपमाणओ ओहो सुओवउत्तो सुयनाणी जइवि गिण्हइ असुदं । तं केवलीवि भुंजइ अपमाण सुयं भवे इहरा ॥४॥ सुत्तस्स अप्पमाणे चरणाभावो तओ य मोक्खम्स । मोक्खस्सऽविय अभावे दिक्खपवित्ती निरत्था उ॥५॥ किंतु(ति)ह खदा भिक्खा दिजइ न य तरइ पुच्छिउँ हिरिमं । इय संकाए घेत्तु तं भुंजइ संकिओ चेव ॥६॥हियएण संकिएणं गहिओ अनेणं सोहिया सा य। पगयं पहेणगं वा सोउं निस्संकिओ भुंजे ॥७॥ जारिसय चिय लद्धा खद्धा भिक्खा मए अमुयगेहे। अन्नेहिवि तारिसिया वियडंत निसामए तइए॥८॥ जइ संका दोसकरी एवं सुद्धपि होइ अविसुद्धं । निस्संकमेसियंतिय अणेसणिजपि निहोसं॥९॥ अविसुद्धो परिणामो एगयरे अवडिओ य पक्खमि। एसिपि कुणइ णेसिं अणेसिमेसिं विसुदो उ ॥५३०॥ दुविहं च मक्खियं खलु सचित्तं चेव होइ अचित्तं । सचित्तं पुण तिविहं अचित्तं होइ दुविहं तु ॥१॥ पुढबी आउ वणस्सइ तिविहं सञ्चित्तमक्खियं होइ। अचित्तं पुण दुविहं गरहियमियरे य भयणा उ ॥२॥ मुकेण सरक्खेणं मक्खियमलेण पुढविकाएणं । सबंपि मक्खियं तं एत्तो आउंमि चोच्छामि ॥३॥ पुरपच्छकम्म ससिणिदुड़े चत्तारि आउभेयाओ । उकिट्ठरसालित परित्तऽणतं महिरहेसु ॥४॥ सेसेहि उकाएहिं तीहिवि तेऊसमीरणतसेहिं । सचित्तं मीसं वा न मक्खितं अस्थि उहं वा ॥५॥ सचित्तमक्खियंमि उ हत्थे मत्ते य होइ चउभंगो। आइतिए पडिसेहो चरिमे भंगे अणुन्ना उ॥६॥ अचित्तमक्खियंमि उचउसुवि भंगेसु होइ भयणा उ। अगरहिएण उगहणं पडिसेहो गरहिए होइ ।। ७॥ संसजिमेहि वजं अगरहिएहिंपि गोरसदवेहिं । महुघयतेलगुलेहि य मा मच्छिपिवीलियाघाओ ॥८॥ मंसवससोणियासव लोए वा गरहिएहिं विवज्जेज्जा। उभओऽवि गरहिएहिं मुत्तुचारेहि छिनपि ॥९॥ सचित्तमीसएसु दुविहं काएसु होइ निक्खित्तं। एकेक तं दुविहं अणंतर परंपरं चेव ॥५४०॥ पुढबीआउक्काएतेऊवाऊवणस्सइतसाणं। एक्केवक दुहाऽणंतर परंपरऽगणिमि सत्तविहा ॥१॥ सचित्तपुढविकाए सचित्तो चेव पुढवि निक्खित्तो। आऊतेउवणस्सइसमीरणतसेसु एमेच ॥२॥ एमेव सेसयाणवि निक्खेवो होइ जीवकायकाएमुं। एकेको सट्ठाणे परठाणे पंच पंचेव ॥३॥ एमेच मीसएसुवि मीसाण सचेयणाण निक्खेवो। मीसाणं मीसेसु य दोण्हंपिय होइ अचित्ते ॥४॥ जत्थ उ सचित्तमीसे चउमंगो तत्थ चऊसुवि अगिझं। तं तु अणंतर इयरं परित्तऽणतं च वणकाए ॥५॥ अहवण सचित्तमीसो उ एगओएगओउ अञ्चित्तो। एत्थवि चउकभंगो(बुकमभेओ) तत्थाइति(दु)एकहा नस्थि ॥६॥ जं पुण अचित्तदवं निक्खिप्पइ चेयणेसु मीसे(दो)सु। तहिं मरगणा उ इणमो अणंतरपरंपरा होइ॥७॥ ओगाहिमायणंतर परंपर पिढरगाइ पुढवीए। नवणीयाइ अणंतर परंपरं नावमाईसु ॥८॥ विज्झायमुम्मुरिंगालमेव अप्पत्तपत्तसमजाले। वोकते(लीणे) सत्तदुगं जंतोलित्ते य जयणाए ॥९॥ विज्झाउत्तिन दीसह अम्गी दीसेइ इंघणे छुढे । आपिंगल अगणिकणा मुम्मुर निज्जाल इंगाले ॥५५०॥ अप्पत्ता उचउत्थे जाला पिढरं तु पंचमे पत्ता। छढे पुण-कण्णसमा जाला समइच्छिया चरिमे ॥१॥ पासोलित्तकडाहे परिसाडी नस्थि तंपिय विसालं। सोऽविय १२६७ पिंडनियुक्तिः - मुनि दीपरत्नसागर R Page #16 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अचिरच्छूढो उच्छरसो नाइउसिणो य॥२॥ उसिणोदगंपि घेप्पइ गुडरसपरिणामियं अणचुसिणं । जं च अघट्टियकन्नं घट्टियपडणंमि मा अग्गी ॥३॥ पासोलित्तकडाहेऽनचुसिणे अपरिसाइऽघट्टते। सोलस भंगविगप्पा पढ़मेऽणुन्नान सेसेसु ॥४॥ पयसमदुगअभासे माणं भंगाण तेसिमा रयणा। एगंतरियं लहगुरु दुगुणा दुगुणा य वामेसु ॥५॥ दुविहविराहण उसिणे छहरण हाणी य भाणभेओ य। वाउक्खित्ताणतरपरंपरा पप्पडिय बत्थी ॥६॥ हरियाइअणतरिया परंपरं पिढरमाइसु वर्णमि। पूपाई पिट्ठऽणंतर भरिए कुउबाइसू इयरा ॥७॥ सचिने अचिने मीसग पिहियंमि होइ चउभंगो। आइतिगे पडिसेहो चरिमे भंगमि भयणा उ ॥८॥जह चेव उ निक्खित्ते संजोगा चेव होंति भंगा या एमेव य पिहियमिवि नाणतमिणं नइयभंगे ॥९॥ अंगारधूवियाई अणंतरो संतरो सराबाई । नत्थेव अहरवाऊ परंपरं बत्थिणा पिहिए ॥५६॥ अइरं फलाइपिहितं वर्णमि इयरं तु छब्ब(पिच्छ)पिढराई। कच्छवसं. चाराई अर्णनराणंतरेछ8॥१॥ गरुगुरुणा गुरुलहणालय गुरुएण दाविलयाई। आचत्तणाव पिहिए चउभगा दासुअग्गजझ॥२॥ साचत्त आजतमासग साहारण यचउ. भंगो। आइतिए पडिसेहो चरिम भंगमि भयणा उ (गहणे आणाहणो दोसा) ॥३॥ जह चैव उ निक्खित्त सजागा व हानि भंगा या तह चब उ साहरण नाणनांमणं न मनेण जेण दाहिह तत्थ अदिजंतू होज असणाई। छोद तयन्नहि नेणं देई अह होइ साहरणं ॥५॥ भमाइएसुतं पण साहरणं होइछसुवि काएम। जंत दहा चउभंगो॥६॥ सुके सुकं पढमो सुके उई तु विइयओ भंगो । उड़े सुकं तइओ उल्ले उल्लं चउत्यो उ ॥७॥ एकेके चउभंगा सुक्काईएस होइ (चउसु) भंगेसु। थोवे थोवं थोवे बहुं च चिवरीय दो अग्ने ॥८॥ जत्थ उ थोचे थोवं सुके उाई च छुहइ तं गेझं। जइ तं तु समुक्खेउं थोवाहारं दलद अनं ॥९॥ उक्खेवे निक्खेवे महालभाणमि लुद्ध वह डाहो। अचियत्न वोच्छेओ छक्कायवहो य गुरुमत्ते (दोसुचि भंगेसु बहुआ उ)॥५७०॥ थोवे थोबं छूढं सुकं उडं तुतंतु आइन। बहुयं नु अणाइन्न कडदोसो सोत्ति काऊणं ॥१॥ वाले वुड्ढे मने उम्मने घेविए य जरिए य। अंधिलए पगलिए आरूढे पाउयाहिं च ॥२॥ हत्यऽदुनियलबढे विवजिए चेव हुन्थपाएहिं । तेरासि गुश्विणी बालवच्छ मुंजंति घुसुलिती ॥३॥ भजनि य दलयंती कंडंती चेय तह य पीसंती। पीजंती रुंचती कत्तंति पमहमाणी य॥४॥ छकायवग्गहत्था समणट्ठा निक्खिवित्तु ने चेव। ते चेवोगाहंती संघटुंताऽरभंती य ॥ ५॥ संसनेण य दवेण लित्तहत्था य लित्तमत्ता य । उत्तंती साहारणं व दिती य चोरिययं ॥ ६॥ पाहुडियं च ठयंती सपञ्चवाया परं च उदिस्स। आभोगमणाभोगे दलंती वजणिजाए॥७॥ एएसि दायगाणं गहणं केसिंचि होइ भइयई । केसिंची अग्गहणं तविवरीए भवे गहणं ॥८॥ कब्बढिग अप्पाहण दिन्ने अन्नन्न गहण पजत्तं। खंतिय मग्गणदिन्ने उड्डाह पओस चारभडा ॥९॥ थेरो गलंतलालों कंपणहत्यो पडिज वा देतो। अपहुत्ति य अचियत्तं एगयर वा उभयओ वा ॥५८०॥ अवयास भाणभेओ वमणं असुइति लोगगरिहा य (उआहो)। पंतावर्ण च ने ॥१॥ वेविय परिसाडणया पासे व छुभेज भाणभेओ वा । एमेव य जरियमिवि जरसंकमण च उड्डाहो ॥२॥ उड्डाह कायपडणं अंधे मेओ य पास छुहणं च। तदोसी संकमणं गलंत भिस भिन्नदेहे य॥३॥ पाउयदुरुढपडणं बढे परियाव असुइ खिसा या करछिन्नासुइ खिंसा ते चिय पायेऽवि पडणं च ॥४॥ आयपरोभयदोसा अ| भिक्खगहणंमि खोमण नपुंसे। लोगद्गुंछा संका एरिसया नूणमेएऽवि ॥५॥ गुश्विणि गम्भे संघट्टणा उ उटुंतुवेसमाणीए। बालाई मसुंडग मज्जाराई विराहेजा ॥६॥ भुजंती आयमणे उदगं छोट्टीय लोगगरिहा या घुसुलंती संसत्ते करंमि लिने भवे रसगा ॥७॥ दगवीए संघट्टण पीसणकंडदल भज्जणे डहर्ण। पिंजत रुचणाई दिने लिने करे उदगं ॥८॥लोणदगअगणिवत्थीफलाइमच्छाइ सजिय हत्थंमि । पाएणोगाहणया संघट्टण सेसकाएणं ॥९॥ खणमाणी आरभए मज्जइ धोयइव सिंचए किंचि । छेयविसारणमाई छिदइ छठे फुरफुर्कने ॥५९०॥ छक्कायवम्महत्या केई कोलाइकमलइयाई । सिद्धत्थगपुप्फाणि य सिरंमि दिनाई बजति ॥१॥ अन्ने भणंति दसमुबि एसणदोसेसु नस्थि तम्गहणं । तेण न वजं भन्नइ नणु | गहणं दायगग्गणा ॥२॥ संसजिमम्मि देसे संसजिमदलित्तकरमत्ता। संचारो ओयत्तण उक्खिप्पंतेऽवि ते चेव ॥३॥ साधारणं बरणं तत्थ उ दोसा जहेव अणिसिटे। चोरियए गहणाई भयए सुण्हाइवा दंते ॥४॥ पाहुडिठवियगदोसा तिरिउड्ढमहे तिहा अवायाओ। धम्मियमाई ठवियं परस्स परसंतियं वावि ॥५॥ अणुकंपा पहिणीयट्ठया व ते कुण जाणमाणोऽवि। एसणदोसे विदओ कुणइ उ असढो अयाणतो ॥६॥ भिक्खामिते अवियालणा उबालेण दिजमाणमि । संदिह्र वा गहणं अइबद्दय वियालणेऽणुना ॥ ७॥ धेर पह थरथरते धरिए अनेण दढसरीरे वा। अवत्तमत्तसड्ढे अविभले वा असागरिए॥८॥ सुइभद्दगदित्ताई दढग्गहे वेविए जरंमि सिवे। अन्नधरियं तु सड्ढो देयंधोऽनेण वा धरिए॥५॥ मंडलपसूनिकुट्ठीऽसागरिए पाउयागए अयले। कमचद्दे सवियारे इयरे बिट्टे असागरिए॥६००॥ पंडग अप्पडिसेवी वेला पणजीवि इयर सर्वपि। उक्खित्तमणावाए न किंचि लम्गं ठवंतीए ॥१॥ (३१७) १२६८ पिंडनियुक्तिः - मुनि दीपरत्सागर Page #17 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 1 1 1 पीसंती निष्पिट्टे कासुं वा पुमुलणे असंसत्तं । कत्तणि असंखचुषं चुन्नं वा जा अचोक्खलिणी ॥ २ ॥ उट्टणिऽसंसनेण वावि अट्टीलए न घट्टेइ पिंजणपमदणेसु य पच्छाकम्मं जहा (हिं) नत्थि ॥ ३ ॥ सेसेसु य पडिवक्खो न संभवइ कायगहणमाईस् परिवक्वस्स अभावे नियमा उ भवे तयग्गहणं ॥४॥ सचित्ते अचित्ते मीसग उम्मीसगंमि चउभंगो। आइलिए डिसेहो चरिमे मंगमि भयणा उ ॥ ५॥ जह चैव य संजोगा कायाणं हेदुओ य साहरणे तह चैव य उम्मीसे होइ विसेसो इमो तत्थ ॥ ६ ॥ दायव्यमदायव्यं च दोऽवि दव्वाई देइ मीसे। ओषणकुसुणाईणं साहरण नयन्नहिं छोड़े ॥ ७॥ नंपिय सुके सुकं भंगा चत्तारि जह उ साहरणे अप्पबहुएऽवि चउरो तहेव आइन्नऽणाइन्ने ॥ ८ ॥ अपरिणयंपिय दुविहं दब्वे भावे यदुविमेकं दांमि होइ छक्कं भावंमि य होइ सझिलगा ॥ ९ ॥ जीवत्तमि अविगए अपरिणयं परिणयं गए जीवे दिहंतो दुददही इस अपरिणयं परिणयं तं च ॥ ६१० ॥ दुगमाई सामन्ने जद् परिणमई उ तत्थ एगस्स देमित्ति न सेसाणं अपरिणयं भावओ एवं ॥ १ ॥ एगेण वावि एसि मणमि परिणामियं न इयरेणं तंपि हु होइ अगिज्झ सज्झिला सामि साहू वा ॥ २ ॥ घेत्तव्यमलेवकर्ड लेवकडे माहू पच्छकम्माई न य रसगेहिपसंगो इअ बुते चोयगो भणइ ॥ ३ ॥ जइ पच्छकम्मदोसा हवंति मा चैव भुंजऊ सययं । नवनियम संजमाणं चोयग हाणी खमंतस्स ॥ ४ ॥ लित्तति भाणिऊणं उम्मासा हायए चउत्थं तु । आयंबिलस्स गहणं असंथरे अप्पलेवं तु ॥ ५ ॥ आयंबिलपारणए छम्मास निरंतरं तु खविऊणं जइ न नरइ छम्मासे एगदिपूर्ण तओ कुणउ ॥ ६ ॥ एवं एकेकदिणं आयंबिलपारणं खवेऊणं दिवसे दिवसे गिण्हड आयंबिलमेव निलेवं ॥ ७ ॥ जड़ से न जोगहाणी संपइ एसे होइ तो खमओ खमणंतरेण आयंबिलं तु नियमं तवं कुणइ ॥ ८ ॥ हेडावणि कोलसगा सोवीरगकरभोइणो मणुया जड़ तेऽवि जवेंति तहा किं नाम जई न जाविंति ? ॥ ९ ॥ तिय सीयं समणाणं तिय उन्ह गिहीण तेणऽणुनाये। तकाईणं गहणं कट्टरमाईसु भइयवं ॥ ६२० ॥ आहारउवहिसेजा तिष्णिवि उन्हा गिहीण सीएऽवि। तेण उ जीरइ तेसिं दुहओ उसिणेण आहारो ॥ १ ॥ एयाई चिय तिन्निवि जईण सीयाई होंति गिम्हेवि । तेणुवहम्मइ अग्गी तओ य दोसा अजीराई ॥ २ ॥ ओयणमंडगसत्तुगकुम्मासारायमास कलवडा । तूयरिमसूरमुग्गा मासा य अलेवडा सुका ॥ ३ ॥ उग्भिजपिजकंगू कोणस्वकंजिकढियाई। एए उ अप्पलेवा पच्छाकम्मं तहिं भइयं ॥ ४॥ खीर दहि जाउ कट्टर तोड़ पेयं काणियं सपिंडरसं । इबाई बहुलेवं पच्छाकम्मं तहि नियमा ॥ ५ ॥ संसद्वेयरहत्यो मत्तोऽविय दव सावसेसियरं एएस अट्ठ मंगा नियमा गहणं तु ओएस ॥ ६ ॥ सचित्ते अचिने मीसग तह छड्डणे य चडभंगो। चउभंगे पडिसेहो गहणे आणाइणो दोसा ॥ ७॥ उसिणस्स उड्डणे देतओ व इज्झेज्झ कायदाहो वा सीयपडणंमि काया पडिए महुबिंदुआहरणं ॥ ८ ॥ णामं ठवणा दविए भावे घासेसणा मुणेयवा दधे मच्छाहरणं भावंभि य होइ पंचविहा ॥ ९ ॥ चरियं व कप्पियं वा आहरणं दुबिहमेव नायहं। अत्थस्स साहणडा इंधनमिव ओयणट्टाए ॥ ६३० ॥ अह मंसमि पहीणे झायंतं मच्छियं भणइ मच्छो। किं झायसि तं एवं? सुण ताब जहा अहिरिओऽसि ॥ १ ॥ तिबलागमुहुम्मुको, तिक्खुत्तो वलयामुहे । तिसत्तक्खुत्तो जालेणं, सइ छिन्नोदए दहे ॥ २ ॥ एयारिसं ममं सत्तं सदं घट्टियघट्टणं इच्छसि गलेण घेत्तुं अहो ते अहिरीयया ॥ ३ ॥ वायालीसेसणसंकडंमि गहणंमि जीव ! न हु छलिओ इहि जहन छलिजसि भुंजतो रागदोसेहिं ॥ ४ ॥ घासेसणा उ भावे होइ पसस्था तहेब अपसत्था अपसत्था पंचविहा तद्विवरीया पसत्था उ ॥ ५ ॥ दवे भावे संजोअणा उ दबे दुहा उ वहि अंतो भिक्खं चि हिंडतो संजोयंतंमि बाहिरिया ॥ ६ ॥ खीरद हिस्वकट्टरलंभे गुडस पिवडगवालुके अंतो उ तिहा पाए लंबण वयणे विभासा उ ॥ ७ ॥ संयोयणाएँ दोसो जो संजोएइ भत्तपाणं तु । दवाई रसहेउं वाघाओ तस्सिमो होइ ॥ ८ ॥ संजोयणा उ भावे संजोएऊण ताणि दबाई संजोयइ कम्मेणं कम्मेण भवं तओ दुक्खं ॥ ९ ॥ पत्ते य पउरलंभे भुत्तृहरिए य सगमणा । दिट्ठो संजोगो खलु अह कमो तस्सिमो होइ ॥ ६४० ॥ रसहेउं पडिसिद्धो संयोगो कप्पए गिलाणद्वा जस्स व अभनछंदो सुहोचिओऽभाविओ जो य ॥ १ ॥ बत्तीसं किर कवला आहारी कुच्छिपूरओ भणिओ पुरिसस्स महिलियाए अट्ठावीसं भवे कवला ॥ २ ॥ एतो किणाइ हीणं अद्धं अबऽद्गं च आहारं । साहुस्स त्रिति धीरा जायामायं च ओमं च ॥ ३ ॥ पगामं च निगामं च जो पणीयं भत्तपाणमाहारे अइबहुयं अइबहुसो पमाणदोसो मुणेयवो ॥ ४॥ बत्तीसाइ परेणं पगाम निचं तमेव उ निकामं जं पुण गलंतनेहं पणीयमिति तं बुहा बेति ॥ ५ ॥ अइबहुयं अइबहुसो अइप्पमाणेण भोयणं भोत्तुं । हाएज व वामिज्ज व मारिज व तं अजीरंतं ॥ ६ ॥ बहुयातीयमइबहुं अइबहुसो तिनि तिन्निव परेण तं चिय अप्पमार्ण भुंजइ जं वा अतिप्पंतो ॥ ७॥ हियाहारा मियाहारा, अप्पाहारा य जे नरा न ते विज्जा तिमिच्छति, अप्पाणं ते तिगिच्छगा ॥ ८ ॥ इदहिसमाओगा अहिओ खीरदहिकंजिया च । पत्थं पुण रोगहरं न य हेऊ होइ रोगस्स ॥ ९ ॥ अद्धमसणस्स सर्वजणस्स कुजा दवस्स दो भागे वाऊपवियारणट्ठा उन्मायं ऊणयं कुंजा ॥ ६५० ॥ सीओ उसिणो १२६९ पिंडनिर्युक्तिः T मुनि दीपरत्नसागर - Page #18 -------------------------------------------------------------------------- ________________ साहारणो य कालो तिहा मुणेयो। साहारणमि काले तत्याहारे इमा मत्ता॥१॥सीए दवस्स एगो भत्ते चत्तारि अहर दो पाणे। उसिणे दवस दोषि उ तिमिव सेसा उ भत्तस्स // 2 // एगो वस्स भागो अवहितो भोयणस्स दो भागा। वइति व हायति व दो दो भागा उ एकेके // 3 // एत्य उ तइयचउत्था दोणि य अणपट्ठिया भवे भागा। पंचमछट्ठो पढ़मो बिहओवि अवट्ठिया भागा॥४॥नं होड सइंगालं जं आहारेइ मुच्छिओ संतो। तं पुण होइ सधूमं जं आहारेइ निंदंतो // 5 // अंगारत्तमपतं जलमार्ण इंधणं सधूमं तु / अंगारत्ति पवुचइ त चिय दइ गए घूमे ॥६॥रागग्गिसंपलिनो भुजंतो फासुर्यपि आहार। निहढंगालनिभं करेइ चरणिधणं खिप्पं // 7 // दोसम्गीवि जलतो अप्पत्तियधूमधूमियं चरण / अंगारमित्तसरिसं जा न हवह निहही नाव // 8 // रागेण सइंगालं दोसेण सधूमगं मुणेया। छायालीसं दोसा बोद्धधा भोयणविहीए // 9 // आहारंति तवस्सी विगइंगालं च विगयधूमं च। झाणज्झय. णनिमित्तं एसुवएसो पवयणम्स / / 660 // छहिं कारणेहिं साधू आहारितोवि आयरइ धम्म। छहि चेव कारणेहिं णिजूहिंतोवि आयरह // 1 // वेयण वेयायचे इरियट्टाए य संजमट्ठाए। तह पाणवत्तियाए छ8 पुण धम्मचिंताए // 2 // नस्थि छुहाए सरिसा वियणा मुंजेज तप्पसमणट्ठा। छाओ यावचं ण तरह काउं अओ भुजे // 3 // इरिअं नचि सोहेई पेहाईअंच संजमं काउं। थामो (छाओ) वा परिहायइ गुणणुप्पेहासु अ असत्तो // 4 // अहव ण कुजाहारं, छहिं ठाणेहि संजए। पच्छा पच्छिमकालंमि, काउं अप्पक्सम खमं // 5 // आर्यके उवसम्गे तितिक्खया बंभचेरगुत्तीसु / पाणिदया तवहेउं सरीरवोच्छेयणवाए // 6 // आयंको जरमाई रायासन्नायगाइ उवसम्यो। बंभवयपालणट्ठा पाणिदया बासमहियाई / आतबहेउ चउत्थाई जाव उ छम्मासिओ नवो होइ। उढे सरीरयोच्छेयणट्ठया होअणाहारो॥८॥सोलस उग्गमदोसा सोलस उप्पायणाए दोसा उ। दस एसणाएँ दोसा संजोयणमाइपंचेव॥९॥ एसो आहारविही जह IN/ भणिओसवभावदसीहिाधम्मावस्सगजोगा जेण नहायतितं कुजा॥६७०॥जा जयमाणस्स भवे विराहणासत्तविहिसमम्गस्सामा होड निजरफला अजसस्थविसोहिजत्नस्स॥६७१॥