Book Title: Aagam Manjusha 41B Mulsuttam Mool 02 B PindaNijjutti
Author(s): Anandsagarsuri, Sagaranandsuri
Publisher: Deepratnasagar
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अचिरच्छूढो उच्छरसो नाइउसिणो य॥२॥ उसिणोदगंपि घेप्पइ गुडरसपरिणामियं अणचुसिणं । जं च अघट्टियकन्नं घट्टियपडणंमि मा अग्गी ॥३॥ पासोलित्तकडाहेऽनचुसिणे अपरिसाइऽघट्टते। सोलस भंगविगप्पा पढ़मेऽणुन्नान सेसेसु ॥४॥ पयसमदुगअभासे माणं भंगाण तेसिमा रयणा। एगंतरियं लहगुरु दुगुणा दुगुणा य वामेसु ॥५॥ दुविहविराहण उसिणे छहरण हाणी य भाणभेओ य। वाउक्खित्ताणतरपरंपरा पप्पडिय बत्थी ॥६॥ हरियाइअणतरिया परंपरं पिढरमाइसु वर्णमि। पूपाई पिट्ठऽणंतर भरिए कुउबाइसू इयरा ॥७॥ सचिने अचिने मीसग पिहियंमि होइ चउभंगो। आइतिगे पडिसेहो चरिमे भंगमि भयणा उ ॥८॥जह चेव उ निक्खित्ते संजोगा चेव होंति भंगा या एमेव य पिहियमिवि नाणतमिणं नइयभंगे ॥९॥ अंगारधूवियाई अणंतरो संतरो सराबाई । नत्थेव अहरवाऊ परंपरं बत्थिणा पिहिए ॥५६॥ अइरं फलाइपिहितं वर्णमि इयरं तु छब्ब(पिच्छ)पिढराई। कच्छवसं. चाराई अर्णनराणंतरेछ8॥१॥ गरुगुरुणा गुरुलहणालय गुरुएण दाविलयाई। आचत्तणाव पिहिए चउभगा दासुअग्गजझ॥२॥ साचत्त आजतमासग साहारण यचउ. भंगो। आइतिए पडिसेहो चरिम भंगमि भयणा उ (गहणे आणाहणो दोसा) ॥३॥ जह चैव उ निक्खित्त सजागा व हानि भंगा या तह चब उ साहरण नाणनांमणं न मनेण जेण दाहिह तत्थ अदिजंतू होज असणाई। छोद तयन्नहि नेणं देई अह होइ साहरणं ॥५॥ भमाइएसुतं पण साहरणं होइछसुवि काएम। जंत दहा चउभंगो॥६॥ सुके सुकं पढमो सुके उई तु विइयओ भंगो । उड़े सुकं तइओ उल्ले उल्लं चउत्यो उ ॥७॥ एकेके चउभंगा सुक्काईएस होइ (चउसु) भंगेसु। थोवे थोवं थोवे बहुं च चिवरीय दो अग्ने ॥८॥ जत्थ उ थोचे थोवं सुके उाई च छुहइ तं गेझं। जइ तं तु समुक्खेउं थोवाहारं दलद अनं ॥९॥ उक्खेवे निक्खेवे महालभाणमि लुद्ध वह डाहो। अचियत्न वोच्छेओ छक्कायवहो य गुरुमत्ते (दोसुचि भंगेसु बहुआ उ)॥५७०॥ थोवे थोबं छूढं सुकं उडं तुतंतु आइन। बहुयं नु अणाइन्न कडदोसो सोत्ति काऊणं ॥१॥ वाले वुड्ढे मने उम्मने घेविए य जरिए य। अंधिलए पगलिए आरूढे पाउयाहिं च ॥२॥ हत्यऽदुनियलबढे विवजिए चेव हुन्थपाएहिं । तेरासि गुश्विणी बालवच्छ मुंजंति घुसुलिती ॥३॥ भजनि य दलयंती कंडंती चेय तह य पीसंती। पीजंती रुंचती कत्तंति पमहमाणी य॥४॥ छकायवग्गहत्था समणट्ठा निक्खिवित्तु ने चेव। ते चेवोगाहंती संघटुंताऽरभंती य ॥ ५॥ संसनेण य दवेण लित्तहत्था य लित्तमत्ता य । उत्तंती साहारणं व दिती य चोरिययं ॥ ६॥ पाहुडियं च ठयंती सपञ्चवाया परं च उदिस्स। आभोगमणाभोगे दलंती वजणिजाए॥७॥ एएसि दायगाणं गहणं केसिंचि होइ भइयई । केसिंची अग्गहणं तविवरीए भवे गहणं ॥८॥ कब्बढिग अप्पाहण दिन्ने अन्नन्न गहण पजत्तं। खंतिय मग्गणदिन्ने उड्डाह पओस चारभडा ॥९॥ थेरो गलंतलालों कंपणहत्यो पडिज वा देतो। अपहुत्ति य अचियत्तं एगयर वा उभयओ वा ॥५८०॥ अवयास भाणभेओ वमणं असुइति लोगगरिहा य (उआहो)। पंतावर्ण च
ने ॥१॥ वेविय परिसाडणया पासे व छुभेज भाणभेओ वा । एमेव य जरियमिवि जरसंकमण च उड्डाहो ॥२॥ उड्डाह कायपडणं अंधे मेओ य पास छुहणं च। तदोसी संकमणं गलंत भिस भिन्नदेहे य॥३॥ पाउयदुरुढपडणं बढे परियाव असुइ खिसा या करछिन्नासुइ खिंसा ते चिय पायेऽवि पडणं च ॥४॥ आयपरोभयदोसा अ| भिक्खगहणंमि खोमण नपुंसे। लोगद्गुंछा संका एरिसया नूणमेएऽवि ॥५॥ गुश्विणि गम्भे संघट्टणा उ उटुंतुवेसमाणीए। बालाई मसुंडग मज्जाराई विराहेजा ॥६॥ भुजंती आयमणे उदगं छोट्टीय लोगगरिहा या घुसुलंती संसत्ते करंमि लिने भवे रसगा ॥७॥ दगवीए संघट्टण पीसणकंडदल भज्जणे डहर्ण। पिंजत रुचणाई दिने लिने करे उदगं ॥८॥लोणदगअगणिवत्थीफलाइमच्छाइ सजिय हत्थंमि । पाएणोगाहणया संघट्टण सेसकाएणं ॥९॥ खणमाणी आरभए मज्जइ धोयइव सिंचए किंचि । छेयविसारणमाई छिदइ छठे फुरफुर्कने ॥५९०॥ छक्कायवम्महत्या केई कोलाइकमलइयाई । सिद्धत्थगपुप्फाणि य सिरंमि दिनाई बजति ॥१॥ अन्ने भणंति दसमुबि एसणदोसेसु नस्थि तम्गहणं । तेण न वजं भन्नइ नणु | गहणं दायगग्गणा ॥२॥ संसजिमम्मि देसे संसजिमदलित्तकरमत्ता। संचारो ओयत्तण उक्खिप्पंतेऽवि ते चेव ॥३॥ साधारणं बरणं तत्थ उ दोसा जहेव अणिसिटे। चोरियए गहणाई भयए सुण्हाइवा दंते ॥४॥ पाहुडिठवियगदोसा तिरिउड्ढमहे तिहा अवायाओ। धम्मियमाई ठवियं परस्स परसंतियं वावि ॥५॥ अणुकंपा पहिणीयट्ठया व ते कुण जाणमाणोऽवि। एसणदोसे विदओ कुणइ उ असढो अयाणतो ॥६॥ भिक्खामिते अवियालणा उबालेण दिजमाणमि । संदिह्र वा गहणं अइबद्दय वियालणेऽणुना ॥ ७॥ धेर पह थरथरते धरिए अनेण दढसरीरे वा। अवत्तमत्तसड्ढे अविभले वा असागरिए॥८॥ सुइभद्दगदित्ताई दढग्गहे वेविए जरंमि सिवे। अन्नधरियं तु सड्ढो देयंधोऽनेण वा धरिए॥५॥ मंडलपसूनिकुट्ठीऽसागरिए पाउयागए अयले। कमचद्दे सवियारे इयरे बिट्टे असागरिए॥६००॥ पंडग अप्पडिसेवी वेला पणजीवि इयर सर्वपि। उक्खित्तमणावाए न किंचि लम्गं ठवंतीए ॥१॥ (३१७) १२६८ पिंडनियुक्तिः -
मुनि दीपरत्सागर
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