Book Title: Aagam 27 BHAKT PARIGYAA Moolam evam Chhaayaa
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar

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Page 5
________________ आगम (२७) "भक्तपरिज्ञा" - प्रकीर्णकसूत्र-४ (मूलं+संस्कृतछाया) --------- मूलं [१] ------ मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित. ..आगमसूत्र - [२७], प्रकीर्णकसूत्र - [०४] “भक्तपरिज्ञा" मूलं एवं संस्कृतछाया महाप्रत्याख्यानं धिना. फलं १३ प्रत भक्तपरिज्ञा ॥१९॥ ४२-१ सूत्रांक ||१|| 6364240-%% अथ भत्तपरिणयं ॥४॥ नमिण महाइसयं महाणुभावं मुणिं महावीरं । भणिमो भत्तपरिणं निअसरणट्ठा परट्टा य ॥१॥२७॥ दीप अनुक्रम ॥१९॥ अथ भक्तपरिज्ञाप्रकीर्णकम् ।। नत्वा महातिशयं महानुभावं मुनि महावीरम् । भणामो भक्तपरिक्षा निजस्मरणार्थ पराई प॥१॥ भगवंत महावीरस्य वंदना ~4

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