Book Title: Aagam 27 BHAKT PARIGYAA Moolam evam Chhaayaa
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar

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Page 1
________________ [२७] श्री भक्तपरिज्ञा (प्रकीर्णक)सूत्रम् नमो नमो निम्मलदसणस्स। पूज्य श्रीआनंद-क्षमा-ललित-सुशील-सुधर्मसागर गुरुभ्यो नमः । "भक्तपरिज्ञा” मूलं एवं छाया [मूलं एवं संस्कृतछाया] [आदय संपादकः - पूज्य आगमोद्धारक आचार्यदेव श्री आनंदसागर सूरीश्वरजी म. सा. ।। (किञ्चित् वैशिष्ठ्यं समर्पितेन सह) पुन: संकलनकर्ता- मुनि दीपरत्नसागर (M.Com., M.Ed., Ph.D.) | 15/01/2015, गुरुवार, २०७१ पौष कृष्ण १० jain_e_library's Net Publications मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित....आगमसूत्र-[२७], प्रकीर्णकसूत्र-[४] "भक्तपरिजा" मूल एवं संस्कृतछाया

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