Book Title: Aagam 25 AATUR PRATYAKHYAN Moolam evam Chaayaa
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar

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Page 5
________________ आगम (२५) “आतुरप्रत्याख्यान” - प्रकीर्णकसूत्र-२ (मूलं+संस्कृतछाया) ---------- मूलं [१] ---- मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित........आगमसूत्र - [२५], प्रकीर्णक सूत्र - [२] “आतुरप्रत्याख्यान" मूलं एवं संस्कृतछाया प्रत सूत्रांक ||१|| अथातुरप्रत्याख्यानप्रकीर्णकम् ॥ २॥ देसिपदेसविरओ सम्मदिट्टी मरिज जो जीवो। तं होइ वालपंडियमरणं जिणसासणे भणियं ॥१॥३४॥ पंच य अणुवयाई सत्त उ सिक्खा उ देसजइधम्मो । सवेण व देसेण व तेण जुओ होइ देसजई ॥ २ ॥ ६५ ।। दीप PRECAXCNXXCCCX ॐॐॐॐ अनुक्रम अधातुरप्रत्याख्यानम् ।।२।। देशैकदेशविरतः सम्पन्दृष्टिर्मियते यो जीवः । तद् भवति वालपण्डितमरणं जिनशासने भणितम् ॥११॥ पश्च FairnetPwastmON Jinternaniminarian IXI SamjanvairuryaRE | देशयतिधर्मस्य व्याख्या एवं १२ व्रत-नामानि ~4

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