Book Title: Agam 10 Ang 10 Prashna Vyakaran Sutra Mool Sthanakvasi
Author(s): Sudharmaswami, Devardhigani Kshamashaman
Publisher: Global Jain Agam Mission
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Page #1 -------------------------------------------------------------------------- ________________ II SHREE VITRAAGAAYA NAMAH II UPPANEINA VIGAMEÏNA DHUVEÏNA प्रश्नव्याकरण सुत्तं Praśnavyākaraṇa SUTRA Page #2 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पंचम गणधर सिरि सुहम्मसामी विरइयं पणहावागरणाई प्रश्नव्याकरण सुत्तं PRAŚNAVYĀKARAŅA SŪTRA मूल पाठ Ardhamāgadhi Aphorisms अंग आगम - १० 10th ANGA AGAMA Bhagwan Mahāvīra's Precepts Sūtra First Composed By Fifth Ganadhara ŚRĪ SUDHARMĀ SWĀMĪ Vallabhi Council (Synod) Chair DEVARDDHIGANI KSAMAŚRAMANA Published By GLOBAL JAIN AAGAM MISSION Page #3 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पणहावागरणाई प्रश्नव्याकरण सुत्तं PRAŚNAVYĀKARAŅA SŪTRA First eBook Edition (PDF) - 2012 Source of Ardhamāgadhi Aphorisms: GURUPRAN AAGAM BATRISI (Aagam Series) (Gujarati 2nd Edition, 2009) Published on the Occasion of 100th Birth Anniversary of SAURASHTRA KESHARI GURUDEV PUJYA SHREE PRANLALJI M. S. Text in “Mangal (Unicode)" Font Published By: GLOBAL JAIN AAGAM MISSION Clo. Pawancham, Mahavir Nagar, Kandivali (W), Mumbai - 400 067 Tel.: +91 92233 14335, e-mail: info@jainaagam.org www.jainaagam.org / www.parasdham.org Computer Source files can be made available for appropriate scholarly use, Please contact in writing at the email/phone contacts listed above. Page #4 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Rashtra Sant Yug Diwakar Pujya Gurudev NamraMuni M.S. Inspired GLOBAL JAIN AAGAM MISSION Promoting Compassionate and Nonviolent Living MISSION: Global Jain Aagam Mission promotes the eternal truths of Jain Agama (precepts of Lord Mahāvīra) to build a compassionate and nonviolent lifestyle in the world. GOALS AND OBJECTIVES: • Translate all Jain Agamas (scriptures) into English and other world languages • Make Agamas available in all electronic forms • Promote awareness of Agama throughout the world • Educate and uphold Jain way of life using expertise of social media • Promote a compassionate and nonviolent lifestyle throughout the world • Encourage and promote research on Agamas to develop approaches to the world challenges (ecology & environment, global warming, world peace, psychology, health, scientific principles, etc.) • Hold periodic conventions to promote exchanges among world's scholars • Interface with interreligious organizations and other guiding institutions • Be a resource for information and referral • Work co-operatively with local, regional, national, and global organizations TRANSLATION OF JAIN AAGAMAS INTO ENGLISH: The Global Jain Aagam Mission has embarked on a project to translate and publish all Jain Āgamas into English. The English translation of the Agama will help youth of today in India and abroad to learn and understand Lord Mahāvīra's preachings. The goal is to reach every household and every person in the world to impart the wisdom of the Āgamas. In a non-sectarian way, this Mission will endeavor to deliver the Lord Mahāvīra's message to hearts of the people. The translated Agamas will be distributed to various libraries, universities and Jain institutions within our country and abroad. In addition, it will be made available on the Internet and in electronic forms of eBooks, etc. Many learned intellectuals from different countries and cultures have supported this project of translating the Agama's into English. The work is being performed in cities of Mumbai, Ahmedabad, Bangalore, Shravanbelgola, Delhi, Jaipur, Chennai, Kolkata, Banaras, Ladnu, Dubaii, and USA. In addition, this mission is receiving guidance and blessings from spiritual leaders of various religious traditions. INVITATION TO PARTICIPATE: We invite scholars, spiritual aspirants and shravaks to join us in making this mission a success. Your contribution of knowledge, time, and money will be appreciated. Please contact by email at info@jainaagam.org or by phone to: Girish Shah at Tel. +91-92233-14335 or Gunvant Barvalia at Tel. +91-98202-15542 Page #5 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पढमो सुयखंधो.. आसवदार पढमं अज्झयणं - पढमं आसवदारं.. हिंसा. बीअं अज्झयणं - बीअं आसवदारं.. मृषावाद .. तइअं अज्झयणं तइअं आसवदारं, अदिण्णादाणं.. चउत्थं अज्झयणं - चउत्थं आसवदारं. अबंभ.. पंचमं अज्झयणं पंचमं आसवदारं, परिग्गहो... ॥ आसवदारं समत्तं । परिसेसो : पढमो सुयखंधो समत्त............. बीओ सुखंधी ... संवरदारं... पढमं अज्झयणं पढमं संवरदारं. अहिंसा. बीअ अज्झयणं बीअं संवरदार सच्चवयणं... - तइअं अज्झयणं तइअं संवरदारं दत्तमणुण्णाय.. चउत्थं अज्झयणं - चउत्थं संवरदारं. बंभचेरं पंचमं अज्झयणं पंचमं संवरदारं अपरिग्गह.. - ॥ संवरदारं समत्तं ॥.............. ॥ बीओ सुयखंधो समत्तो ॥ ॥ पण्हावागरणाई सुत्तं समत्तं 1 प्रश्नव्याकरण सुत्तं विषय सूची - Table of Content 1 1 1 1 7 7 10 10 16 16 21 21 23 23 2 2 2 2 2 23 24 27 27 220 29 29 32 323 34 34 39 39 39 Page #6 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्रश्नव्याकरण सुत्तं पढमो सुयखंधो आसवदारं पढमं अज्झयणं - पढमं आसवदारं हिंसा ९ तेणं कालेणं तेणं समएणं चम्पा णामं णयरी होत्था । पुण्णभद्दे चेइए । वणसंडे । असोगवरपायवे । पुढविसिलापट्टए । तत्थ णं चम्पाए णयरीए कोणिए णामं राया होत्था । धारिणी देवी । तेणं कालेणं तेणं समएणं समणस्स भगवओ महावीरस्स अंतेवासी अज्जसुहम्मे णामं थेरे जाइ संपण्णे जाव पंचहिं अणगारसएहिं सद्धिं संपरिवडे पुव्वाणुपुव्विं चरमाणे गामाणुगामं दूइज्जमा जेणेव चम्पा णयरी तेणेव उवागच्छइ जाव संजमेणं तवसा अप्पाणं भावेमाणे विहरइ । तेणं कालेण तेणं समएणं अज्जसुहम्मस्स अंतेवासी अज्जजंबू णामं अणगारे कासवगोत्तेणं जाव संजमेणं तवसा अप्पाणं भावेमाणे विहरइ । तए णं से अज्जजंबू जायसड्ढे जाव जेणेव सुहम्मे थेरे तेणेव उवागच्छ्इ उवागच्छित्ता अज्जसुहम्मं थेरं तिक्खुत्तो आयाहिणं पयाहिणं करेइ, करित्ता वंदइ णमंसइ, वंदित्ता णमंसित्ता णच्चासण्णे णाइदूरे विणएणं पंजलिउडे पज्जुवासमाणे एवं वयासी जड़ णं भंते ! समणेणं भगवया महावीरेणं जाव संपत्तेणं णवमस्स अंगस्स अणुत्तरोववाइयदसाणं अयमट्ठे पण्णत्ते, दसमस्स णं अंगस्स पण्हावागरणाणं समणेणं भगवया महावीरेण जाव संपत्तेणं के अट्ठे पण्णत्ते ? जंबू ! दसमस्स अंगस्स समणेणं भगवया महावीरेणं जाव संपत्तेणं दो सुयक्खंधा पण्णत्ताआसवदारा य संवरदारा य । पढमस्स णं भंते ! सुयक्खंधस्स समणेणं जाव संपत्तेणं कइ अज्झयणा पण्णत्ता ? जंबू ! पढमस्स सुयक्खंधस्स समणेणं भगवया महावीरेणं जाव संपत्तेणं पंच अज्झयणा पण्णत्ता । दोच्चस्स णं भंते ! सुयक्खंधस्स ? एवं चेव जाव पंच अज्झयणा पण्णत्ता । एएसि णं भंते! अण्हय-संवराणं समणेणं भगवया महावीरेणं जाव संपत्तेणं के अट्ठे पण्णते ? तए णं अज्जसुहम्मे थेरे जंबूणामेणं अणगारेणं एवं वुत्ते समाणे जंबू अणगारं एवं वयासी-एवं खलु जंबू ! इणमो अण्हय-संवर विणिच्छयं, पवयणस्स णिस्संदं । वोच्छामि णिच्छयत्थं, सुभासियत्थं महेसीहिं ॥१॥ पंचविहो पण्णत्तो, जिणेहिं इह अण्हओ अणाईओ । हिंसामोसमदत्तं अब्बंभपरिग्गहं चेव ॥२॥ जारिसमो जं णामा, जह य कओ जारिसं फलं देइ । 1 Page #7 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्रश्नव्याकरण सुतं जे वि य करेंति पावा, पाणवहं तं णिसामेह ॥३॥ २ पाणवहो णाम एसो जिणेहिं भणिओ- पावो, चंडो, रुद्दो, खुद्दो, साहसिओ, अणारिओ, णिग्घिणो, णिस्संसो, महब्भओ, पइभओ, अइभओ, बीहणओ, तासणओ, अणज्जओ (तज्जणओ), उव्वेयणओ य, णिरवयक्खो, णिद्धम्मो, णिप्पिवासो, णिक्कलुणो, णिरयवासगमणणिधणो, मोहमहब्भयपयट्टओ, मरणवेमणस्सो । एस पढमं अहम्मदारं ॥ तस्स य णामाणि इमाणि गोण्णाणि होंति तीसं, तं जहा- पाणवहं, उम्मूलणा सरीराओ, अवीसंभो, हिंसविहिंसा तहा, अकिच्चं च, घायणा य, मारणा य, वहणा, उद्दवणा, तिवायणा य, आरंभसमारंभो, आउयक्कम्मस्सुवद्दवो भेयणिट्ठवण - गालणा य संवट्टगसंखेवो, मच्चू, असंजमो, कडगमद्दणं, वोरमणं, परभव- संकामकारओ, दुग्गइप्पवाओ, पावकोवो य, पावलोभो, छविच्छेओ, जीवियंतकरणो, भयंकरो, अणकरो, वज्जो, परियावणअण्हओ, विणासो, णिज्जवणा, लुंपणा, गुणाणं विराहणत्ति य । तस्स एयाणि एवमाईणि णामधिज्जाणि होंति तीसं, पाणवहस्स कलुसस्स कडुयफल देसगाई ॥ दुविहगाह तं च पुण करेंति केइ पावा असंजया अविरया अणिहुयपरिणामदुप्पयोगा पाणवहं भयंकरं बहुविहं बहुप्पगारं परदुक्खुप्पायणसत्ता इमेहिं तसथावरेहिं जीवेहिं पडिणिविट्ठा । किं ते ? 9 पाठीण- तिमि - तिमिंगल-अणेगझस-विविहजाइमंडुक्क-दुविहकच्छभ-णक्क-मगर दिलिवेढय- मंडुय-सीमागार - पुलुय- सुंसुमार- बहुप्पगारा जलयरविहाणा कते य एवमाई । कुरंग - रुरु-स - रुरु - सरस चमर-संबर - उरब्भ-ससय-पसय-गोण-रोहिय- हय-गय-खर- करभ खग्ग- वाणर- गवयविग-सियाल-कोल-मज्जार-कोलसुणग-सिरियंदल -गावत्त कोकंतिय-गोकण्ण-मिय-महिस- वियग्घछगल-दीविय-साण- तरच्छ-अच्छ- भल्ल - सद्दूल-सीह - चिल्लला - चउप्पयविहाणाकए य एवमाई | अयगर-गोणस-वराहि-मउलि-काओदर - दब्भपुप्फ- आसालिय-महोरगोर- गविहाणाकए य एवमई । छीरल - सरंब - सेह - सेल्लग - गोधा उंदुर णउल - सरड - जाहग-मुगुंस-खाडहिल - वाउप्पिय घिरोलिया सिरीसिवगणे य एवमाई । कादंबक-बक-बलाका-सारस-आडासेईय-कुलल-वंजुल पारिप्पव-कीर- सउण-दीविय-हंस-धत्तरिट्ठगभास-कुलीकोस-कोंच-दगतुंड ढेणियालग सुईमुह-कविल-पिंगलक्खग-कारंडग- चक्कवाग- उक्कोसगरुल-पिंगुल-सुय-बरहिण-मयणसाल-णंदीमुह-णंदमाणग-कोरंग भिंगारग-कोणालग-जीवजीवग w তাত १० ११ - - तित्तिर वट्टग-लावग-कपिंजलग- कवोतग-पारेवग- चिडिग-ढिंक-कुक्कड- वेसर-मयूरग-चउरगहयपोंडरीय-करकरग चीरल्ल - सेण- वायस - विहग - सेयचास (विहग सेण सिणचास) वग्गुलि चम्मट्ठिल-विययपक्खी- समुग्गपक्खी खहयर - विहाणाकए य एवमाई । जल-थल-खग-चारिणो उ पंचिंदियपसुगणे बिय-तिय- चउरिंदिए विविहे जीवे पियजीविए मरणदुक्खपडिकूले वराए हणंति बहुसंकिलिट्ठकम्मा । इमेहिं विविहेहिं कारणेहिं, किं ते ? चम्म-वसा - मंस-मेय-सोणिय- जग- फिप्फिस-मत्थुलुंगहिययंत-पित्त-फोफस-दंतट्ठा अट्ठिमिंज णह-णयण - कण्ण-पहारुणि-णक्क-धमणि-सिंग- दाढि पिच्छविस-विसाण-वालहेउं । हिंसंति य भमर-महुकरिगणे रसेसु गिद्धा तहेव तेइंदिए सरीरोवगरणट्ठ-याए, किवणे बेइंदिए बहवे वत्थोहर-परिमंडणट्ठा । 2 Page #8 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्रश्नव्याकरण सुतं अण्णेहि य एवमाइएहिं बहूहिं कारणसएहिं अबुहा इह हिंसंति तसे पाणे । इमेय-एगिंदिए बहवे वराण तसे य अण्णे तयस्सिए चेव तणुसरीरे समारंभंति । अत्ताणे, असरणे, अणाहे, अबंधवे, कम्मणिगडबद्धे, अकुसलपरिणाममंदबुद्धिजण दुव्विजाणए, पुढविमए, पुढविसंसिए, जलमए, जलगए, अणलाणिल-तण- वणस्सइगणणिस्सिए य तम्मयतज्जिए चेव तयाहारे तप्परिणयवण्ण-गंध-रस-फासबोंदिरूवे अचक्खुसे चक्खुसे य तसकाइए असंखे । थावरकाए य सुहुमबायर-पत्तेय-सरीरणामसाहारणे अणंते हणंति अविजाणओ य परिजाणओ य जीवे इमेहिं विविहेहिं कारणेहिं १३ किं ते ? करिसण पोक्खरिणी - वावि वप्पिणि- कूव-सर-तलाग- चिइ- वेदि खाइय- आराम - विहार-थूभपागार-दार-गोउर-अट्टालग - चरिया सेउ-संकम-पासाय- विकप्प-भवण- घर-सरण-लयण-आवण-चेइयदेवकुल-चित्तसभा-पवा-आयतणा-वसह-भूमिघर-मंडवाण कए भायणभंडोवगरणस्स य विविहस्स य अट्ठा पुढविं हिंसंति मंदबुद्धिया । १४ जलं च मज्जण-पाण-भोयण-वत्थधोवण- सोयमाइएहिं । पयण-पयावण-जलावण-विदंसणेहिं अगणिं । १५ १६ सुप्प - वियण-तालयंट-पेहुण-मुह- करयल - सागपत्त-वत्थमाईएहिं अणिलं हिंसंति । अगार-परियार-भक्ख-भोयण-सयणासण-फलक- मूसल-उक्खल - ततवि-ततातोज्ज-वहण-वाहण-मंडवविविह-भवण-तोरण-विडंग-देवकुल- जालय-द्धचंद- णिज्जूहग-चंदसालिय-वेतिय-णिस्सेणि-दोणी चंगेरी-खील-मंडव-सभा-पवाव-सहागंध-मल्लाणुलेवणं- अंबर - जुहणंगल- मइय-कुलिय-संदण-सीयारह सगड - जाण जोग्ग अट्टालग-चरिय-दार-गोउर-फलिहा- जंत-सूलिय-लउड-मुसंढि सयग्घी - बहुपहरणावरणुवक्खराणकए-अण्णेहिं य एवमाइएहिं बहूहिं कारणसएहिं हिंसइ ते तरुगणे भणियाभणिए य माई | १८ सत्ते सत्तपरिवज्जिया उवहणंति दढमूढा दारुणमई कोहा माणा माया लोहा हस्स रई अरई सोय वेयत्थी जीय-धम्मत्थकामहेउं सवसा अवसा अट्ठा अणट्ठाए य तसपाणे थावरे य हिंसइ - सवसा हणंति, अवसा हणंति, सवसा अवसा दुहओ हणंति, अट्ठा हणंति, अणट्ठा हणंति, अट्ठा अणट्ठा दुहओ हणंति, हस्सा हणंति, वेरा हणंति, रईय हणंति, हस्सा-वेरा-रईय हणंति, कुद्धा हणंति लुद्धा हणंति, मुद्धा हणंति, कुद्धा लुद्धा मुद्धा हणंति, अत्था हणंति, धम्मा हणंति, कामा हणंति, अत्था धम्मा कामा हति । कयरे ते ? जे ते सोयरिया मच्छबंधा साउणिया वाहा कूरकम्मा वाउरिया दीविय बंधणप्पओगतप्पगल-जाल वीरल्लगायसीदब्भ-वग्गुरा-कूडछेलियाहत्था हरिएसा साउणिया य वीदंसगपासहत्था वणचरगा लुद्धगा महुघाया पोयघाया एणीयारा पएणीयारा सर दह-दीहिय-तलाग-पल्ललपरिगालण- मलण-सोत्तबंधण-सलिलासयसोसगा - विसगरलस्स य दायगा उत्तणवल्लर- दवग्गिणिद्दया पलीवगा कूर कम्मकरी । २० इमे य बहवे मिलक्खुजाई, के ते ? सक- जवण - सबर- बब्बर- गाय-मुरुं-डोद - भडग- तित्तिय पक्कणिय- कुलक्ख-गोड-सीहल- पारस-कोचंध-दविल-बिल्लल-पुलिंद - अरोस-डोंब-पोक्कण-गंधहारगबहलीय-जल्ल-रोम-मास - बस - मलया-चुंचुया य चूलिया कोंकणगा - मेत्त पण्हव- मालव- महुर 3 Page #9 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्रश्नव्याकरण सुत्तं आभासिय-अणक्ख-चीण-लासिय-खस-खासिया-णेहर-मरहट्ठ-मुट्ठिय-आरब-डोबिलग-कुहण-केकय हुण-रोमग-रुरु-मरुया-चिलायविसयवासी य पावमइणो । २१ जलयर-थलयर-सणप्फ-योरग-खहयर-संडासतुंड-जीवोवग्घायजीवी सण्णी य असण्णिणो पज्जत्ते अपज्जत्ते य असुभलेस्स-परिणामे एए अण्णे य एवमाई करेंति पाणाइवायकरणं । पावा पावाभिगमा पावरुई पाणवहकयरई पाणवहरुवाणुट्ठाणा पाणवहकहासु अभिरमंता तुट्ठा पावं करेत्तु होति य बहुप्पगारं । तस्स य पावस्स फलविवागं अयाणमाणा वड्डंति महब्भयं अविस्सामवेयणं दीहकाल बहुदुक्खसंकडं णरयतिरिक्खजोणिं । इओ आउक्खए चुया असुभकम्मबहुला उववज्जंति णरएसु हुलियं महा-लएसु वयरामय कुड्ड-रुद्द -णिस्संधि-दार-विरहिय-णिम्मद्दव-भूमितल-खरामरिस-विसम-णिरय-घरचारएसु महोसिण सयावतत्त दुग्गंध-विस्स-उव्वेय-जणगेसु बीभच्छदरिसणिज्जेस् णिच्चं हिमपडलसीयलेस् कालोभासेसु य भीम-गंभीर-लोम- हरिसणेसु णिरभिरामेसु णिप्पडियार-वाहिरोगजरापीलिएसु अईव णिच्चंधयार तिमिसेसु पइभएस ववगय-गह- चंद-सूर-णक्खत्तजोइसेसु मेय वसा मंसपडल पोच्चड-पूय-रुहिरुक्किण्ण विलीण-चिक्कण-रसिया वावण्णकुहिय चिक्खल्ल-कद्दमेसु-कुकूलाणलपलित्तजालमुम्मुर-असिक्खुरकरवत्त धारासु णिसिय विच्छुय-डंक-णिवायोवम्म-फरिस अइदुस्सहेसृ य, अत्ताणा असरणा कडुयदुक्ख परितावणेसु अणुबद्ध- णिरंतर-वेयणेसु-जमपुरिस संकुलेसु । २४ तत्थ य अंतोमुहुत्तलद्धिभवपच्चएणं णिवत्तंति उ ते सरीरं हुंडं बीभच्छदरि-सणिज्जं बीहणगं अट्ठि-ण्हारु-णह-रोम-वज्जियं असुभगं दुक्खविसहं । तओ य पज्जत्तिमुवगया इंदिएहिं पंचहिं वेएंति असुहाए वेयणाए उज्जल-बल विउलुक्कड खर फरुस-पयंड-घोर-बीहणगदारुणाए || २५ किं ते ? कंदुमहाकुंभिए पयण-पउलण-तवग-तलण-भट्ठभज्जणाणि य लोहकडाहु-कढणाणि य कोट्टबलि करण-कोट्टणाणि य सामलितिक्खग्ग-लोहकंटग-अभिसरणा-पसरणाणि फालणविदारणाणि य अवकोडक बंधणाणि लट्ठिसयतालणाणि य गलगंबलल्लंबणाणि सूलग्गभेयणाणि य आएसपवंचणाणि खिसणविमाणणाणि विघुट्टपणिज्जणाणि वज्झसयमाइकाणि य । एवं ते पुव्वकम्मकयसंचयोवतत्ता णिरयग्गिमहग्गिसंपलित्ता गाढदुक्खं महब्भयं कक्कसं असायं सारीरं माणसं य तिव्वं दुविहं एंति वेयणं पावकम्मकारी बहूणि पलिओवमसागरोवमाणि कलुणं पालेंति ते अहाउयं जमकाइयतासिया य सदं करेंति भीया । किं ते ? अवि भाव(ग) सामि भाय बप्प ताय जियवं ! मुय मे मरामि दुब्बलो वाहिपीलिओऽहं किं दाणिऽसि एवं दारुणो णिद्दय ? मा देहि मे पहारे, उस्सासेयं मुहुतं मे देहि, पसायं करेह, मा रुस वीसमामि, गेविज्जं मुयह मे मरामि गाढं तण्हाइओ अहं देहि पाणीयं । २८ हंता पिय इमं जलं विमलं सीयलं त्ति घेतूण य णरयपाला तवियं तउयं से दिति कलसेण अंजलीसु दह्ण य तं पवेवियंगोवंगा अंसुपगलंतपप्पुयच्छा छिण्णा तण्हाइयम्ह कलुणाणि Page #10 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्रश्नव्याकरण सुत्तं जंपमाणा विप्पेक्खंता दिसोदिसिं अत्ताणा असरणा अणाहा अबंधवा बंधुविप्पहूणा विपलायंति य मिया इव वेगेण भयुव्विग्गा । २९) घेत्तुणबला पलायमाणाणं णिरणुकंपा मुहं विहाडेत्तु लोहदंडेहिं कलकलण्हं वयणंसि छुभंति केइ जमकाइया हसंता । तेण दड्ढा संता रसंति य भीमाइं विस्सराई रुवंति य कलुणगाइं पारेवयगा व एवं पलविय-विलावकलुण-कंदिय-बहुरुण्णरुइयसद्दो परिदेवियरुद्धबद्धय णारयारवसंकुलो णीसिट्ठो। रसिय-भणिय-कुविय-उक्कूइय-णिरयपाल तज्जियं, गिण्हक्कम पहर छिंद भिंद उप्पाडेह उक्खणाहि कत्ताहि विकत्ताहि य भंज हण विहण विच्छुब्भोच्छुब्भ आकड्ढ - विकड्ढ । किं ण जंपसिं ? सराहि पावकम्माई दुक्कयाइं एवं वयणमहप्पगब्भो पडिसुयासद्दसंकुलो तासओ सया णिरयगोयराणं महाणगरडज्झमाणसरिसो णिग्घोसो, सुच्चइ अणिट्ठो तहियं णेरइयाणं जाइज्जंताणं जायणाहिं । किं ते ? असिवण-दब्भवण-जंतपत्थर-सूइतलक्खार-वावि-कलकलंत-वेयरणि कलंबवालुयाजलियगुहणिरुंभणं उसिणोसिण - कंटइल्ल दुग्गम-रहजोयण तत्तलोहमग्गगमण-वाहणाणि । ३९ इमेहिं विविहेहिं आउ हिं-किं ते ? मुग्गर-मुसुंढि-करकय-सत्ति-हल-गय- मूसल - चक्क - कोंत- तोमर -सूल-लउड-भिंडिमालसद्धल-पट्टिसचम्मेट्ठ-दुहण-मुट्ठिय-असि खेडग - खग्ग-चावणाराय - कणग-कप्पिणि-वासि-परसु-टंक-तिक्खणिम्मल-अण्णेहिं य एवमाइएहिं असुभेहिं वेउव्विएहिं पहरणसएहिं अणुबद्धतिव्ववेरा परोप्परवेयणं उदीरेंति अभिहणंता । तत्थ य मोग्गर-पहारचुण्णिय-मुसुंढि संभग्ग-महियदेहा जंतोवपीलणफु- रंतकप्पिया के इत्थ सचम्मका विगत्ता णिम्मूलुल्लूण कण्णोट्ठणासिका छिण्णहत्थपाया, असि-करकय-तिक्ख-कोंतपरसुप्पहारफालिया-वासीसंतच्छितंगमंगा कलकल-माण- खार-परिसित्त-गाढडज्झंतगत्ता कुंतग्गभिण्ण-जज्जरिय-सव्वदेहा विलोलंति महीतले विसूणियंगमंगा । ३२ तत्थ य विग-सुणग-सियाल - काक-मज्जार-सरभ-दीविय-वियग्घ- सद्दूल-सीह-दप्पिय खुहाभिभूएहिं णिच्चकालमणसिएहिं घोरा रसमाण- भीमरूवेहिं अक्कमित्ता दढदाढागाढ - डक्क - कड्ढिय सुतिक्खणह-फालिय-उद्धदेहा-विच्छिप्पंते समंतओ विमुक्कसंधिबंधणा वियंगियंगमंगा कंक-कुरर-गिद्धघोर-कट्ठवायसगणेहि य पुणो खरथिरदढणक्ख-लोहतुंडेहिं ओवइत्ता पक्खाहय-तिक्ख-णक्खविक्किण्ण-जिब्भंछिय-णयणणिद्दओलुग्गविगय-वयणा उक्कोसंता य उप्पयंता णिपयंता भमंता । ३३ पुव्वकम्मोदयोवगया, पच्छाणुसएणं (पच्छाणुतावेणं) डज्झमाणा णिदंता पुरेकडाई कम्माई पावगाई, तहिं तहिं तारिसाणि ओसण्णचिक्कणाइं दुक्खाइं अणुभवित्ता तओ य आउक्खएणं उव्वट्टिया समाणा बहवे गच्छंति तिरियवसहिं दुक्खुत्तरं सुदारुणं जम्मण मरण जरावाहि-परियट्टणारहट्टं जल थल-खहयर परोप्पर - विहिंसण पवचं । इमं च जगपागडं वरागा दुक्खं पावेंति दीहकालं । किं ते ? सीउण्ह-तण्हा-खुह-वेयण- अप्पईकार- अडवि - जम्मणणिच्च-भउव्विग्ग - वास- जग्गण-वहबंधण-ताडण-अंकण- णिवायण- अद्विभंजण णासाभेयप्पहार दूमण- छविच्छेयण-अभिओग-पावण |३४ कसंकुसारणिवाय दमणाणि- वाहणाणि य । मायापिइ-विप्पओग-सोय-परिपीलणाणि य सत्थग्गि-विसाभिघाय- गल- गवलावलण - मारणाणि य गलजालुच्छिंप्पणाणि य पउलण- विकप्पणाणि य जावज्जीविगबंधणाणि य, पंजरणिरोहणाणि 5 Page #11 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३५ ल य संज्जूहणिग्घाडणाणि य धमणाणि य दोहणाणि य कुदंडगलबंधाणाणि य वाडगपरिवारणाणि य पंकजलणिमज्जणाणि य वारिप्पवेसणाणि य ओवायणिभंग-विसमणिवडणदवग्गिजालदहणाई य । ४१ एयं ते दुक्खसयसंपलित्ता णरगाओ आगया इहं सावसेसकम्मा तिरिक्ख पंचिंदिएसु पाविंति पावकारी कम्माणि पमाय रागदोसबहुसंचियाइं अईव अस्साय-कक्कसाइं । भमरमसगमच्छिमाइएसु य जाइकुलकोडिसयसहस्सेहिं णवहिं चउरिंदियाणं तहिं तहिं चेव जम्मणमरणाणि अणुहवंता कालं संखिज्जं भमंति णेरइयसमाणतिव्व दुक्खा, फरिसरसण-घाणचक्खुसहिया । ३७ गंडूलय-जलूय-किमिय-चंदणगमाइएस य जाइकुलकोडिसयसहस्सेहिं सत्तहिं अणूणएहिं बेइंदियाणं तहिं तहिं चेव जम्मणमरणाणि अणुहवंता कालं संखेज्जगं भमंति णेरइयसमाण-तिव्वदुक्खा फरिस - रसण-संपउत्ता | प्रश्नव्याकरण सुत्तं तहेव तेइंदिएसु कुंथु पिप्पीलिया अंधिकादिएसु य जाइकुलकोडिसय - सहस्सेहिं अट्ठहिं अणूणएहिं तेइंदियाणं तहिं तहिं चेव जम्मणमरणाणि अणुहवंता कालं संखेज्जगं भमंति णेरइयसमाण तिव्वदुक्खा फरिस - रसण- घाण-संपत्ता । पत्ता एगिंदियत्तणं वि य पुढवि-जल-जलण- मारुय-वणप्फइ - सुहुम बायरं च पज्जत्तमपज्जतं पत्तेयसरीरणाम-साहारणं च पत्तेयसरीरजीविएसु य तत्थवि कालमसंखेज्जगं भमंति अणंतकालं च अणंतकाए फासिंदिय भावसंपउत्ता दुक्ख समुदयं इमं अणिट्टं पावंति पुणो पुणो तहिं तहिं चेव परभव तरुगणगहणे । ३९ कुद्दाल कुलिय दालण सलिल मलण खुंभण रुंभण- अणलाणिल-विविह-सत्थघट्टणपरोप्पराभिहणणमारणाविराहणाणि य अकामकाइपरप्प- ओगोदीरणाहि य कज्जप्पओयणेहिं य पेस्सपसुणिमित्तं ओसहाहारमाइएहिं उक्खणण उक्कत्थण - पयण कुट्टण-पीसण-पिट्टण-भज्जणगालण-आमोडण सडण- फुडण-भंजण-छेयण- तच्छण - विलुंचण - पत्तज्झोडण-अग्गिदहणाइयाइं, एवं ते भवपरंपरा दुक्ख समणुबद्धा अडंति संसारबीहणकरे जीवा पाणाइवायणिरया अणंतकालं । ४० जे वि य इह माणुसत्तणं आगया कहिं वि णरगा उव्वट्टिया अधण्णा, ते वि य दीसंति पायसो विकयविगलरुवा खुज्जा वडभा य वामणा बहिरा काणा कुंटा पंगुला विगला य मूका य मम्मणा य अंधयगा एगचक्खू विणिहय-संचिल्लया वाहिरोगपीलिय- अप्पाउय-सत्थवज्झबाला कुलक्खण उक्किण्णदेहा दुब्बल- कुसंघयण कुप्पमाण-कुसंठिया कुरूवा किविणा य हीणा हीणसत्ता णिच्चं सोक्खपरिवज्जिया असुहदुक्खभागी णरगाओ इहं सावसेसकम्मा उव्वट्टिया समाणा । एवं णरगं तिरिक्खजोणिं कुमाणुसत्तं च हिंडमाणा पावंति अणंताइं दुक्खाइं पावकारी । एसो सो पाणवहस्स फलविवागो । इहलोइओ परलोइओ अप्पसुहो बहुदुक्खो महब्भयो बहुरयप्पगाढो दारुणो कक्कसो असाओ वाससहस्सेहिं मुंचइ, ण य अवेदयित्ता अत्थि हु मोक्खो त्ति, एवमाहंसु णायकुलणंदणो महप्पा जिणो उ वीरवरणामधेज्जो, कहेसी य पाणवहस्स फलविवागं । एसो सो पाणवहो चंडो रुद्दो खुद्दो अणारिओ णिग्घिणो णिसंसो महब्भओ बीहणओ तासणओ अणज्जाओ उव्वेयणओ य णिरवयक्खो णिद्धम्मो णिप्पिवासो णिक्कलुणो णिरयवासगमणणिधणो मोहमहब्भयपवड्ढओ मरणवेमणंसो । त्ति बे ॥ - - - - 6 Page #12 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्रश्नव्याकरण सुत्तं ॥ पढमं अज्झयणं सम्मतं ॥ || पढमं आसवदारं सम्मतं || बीअं अज्झयणं - बीअं आसवदारं मृषावाद १ जंबू ! बिइयं अलियवयणं लहसग-लहचवल-भणियं भयंकरं दुहकरं अयसकरं वेरकरगं अरइ-रइरागदोस-मणसंकिलेस-वियरणं अलियणियडिसाइ-जोयबहुलं णीयजण-णिसेवियं णिस्संसं अप्पच्चयकारगं परमसाहुगरहणिज्जं परपीलाकारगं परमकिण्हलेस्ससेवियं दुग्गइविणिवायविवड्ढणं भवपुणब्भवकरं चिरपरिचिय-मणुगयं दुरंतं बिइयं अहम्मदारं । तस्स य णामाणि गोण्णाणि होति तीसं । तं जहा- अलियं, सढं, अणज्जं, मायामोसो, असंतगं, कूडकवडमवत्थुगं च, णिरत्थयमवत्थयं च, विद्देसगरहणिज्जं, अणुज्जगं, कक्कणा य, वंचणा य, मिच्छापच्छाकडं च, साई उ, उच्छण्णं, उक्कूलं च, अढें, अब्भक्खाणं च, किव्विसं, वलयं, गहणं च, मम्मणं च, णूमं, णिययी, अपच्चओ, असम्मओ, असच्चसंधत्तणं, विवक्खो, अवहीयं, उवहिअसुद्धं, अवलोवोत्ति य । तस्स एयाणि एवमाइयाणि णामधेज्जाणि होति तीसं, सावज्जस्स अलियस्स वइजोगस्स अणेगाइं । तं च पण वयंति केई अलियं पावा असंजया अविरया कवडकुडिलकडुय- चडुलभावा कुद्धा लुद्धा भया य हस्सट्ठिया य सक्खी चोरा चारभडा खंडरक्खा जियजयकरा य गहियगहणा कक्ककुरुगकारगा, कुलिंगी उवहिया वाणियगा य कूडतुलकूडमाणी कूडकाहावणोवजीविया पडगार-कलायकारुइज्जा वंचणपरा चारियचाडुयार-णगरगुत्तिय - परिचारगा दुट्ठवाइसूयगअणबलभणिया य पुव्वकालिय-वयणदच्छा साहसिया लहुस्सगा असच्चा गारविया असच्चट्ठावणाहिचित्ता उच्चच्छंदा अणिग्गहा अणियत्ता छंदेणमुक्कवाया भवंति अलियाहिं जे अविरया । अवरे णत्थिगवाइणो वामलोयवाई भणंति-सुण्णं ति | णत्थि जीवो | ण जाइ इह परे वा लोए | ण य किंचिवि फुसइ पुण्णपावं । णत्थि फलं सुकयदुक्कयाणं पंचमहाभूइयं सरीरं भासंतिह वायजोगजत्तं । पंच य खंधे भणंति केड, मणं य मणजीविया वदंति, वाउजीवोत्ति एवमाहंस, सरीरं साइयं सणिधणं, इहे भवे एगभवे, तस्स विप्पणासम्मि सव्वणासोत्ति, एवं जंपंति मुसावाई | तम्हा दाणवय-पोसहाणं-तव-संजम-बंभचेर-कल्लाणमाइयाणं णत्थि फलं, ण वि य पाणवहे अलियवयणं ण चेव चोरिक्ककरणं परदारसेवणं वा सप- रिग्गह- पावकम्मकरणं वि णत्थि किंचि ण णेरइय-तिरिय-मण्याणजोणी, ण देवलोगो वा अत्थि, ण य अत्थि सिद्धिगमणं, अम्मापियरो वि णत्थि, ण वि अत्थि पुरिसकारो, पच्चक्खाणमवि णत्थि, ण वि अत्थि कालमच्चू य, अरिहंता चक्कवट्टी बलदेवा वासुदेवा णत्थि, णेवत्थि केइ रिसओ धम्माधम्मफलं च, णवि अत्थि किंचि बहुयं च थोवगं वा, तम्हा एवं विजाणिऊण जहा सुबहु इंदियाणुकूलेसु Page #13 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्रश्नव्याकरण सुत्तं । कुछ ८ सव्वविसएसु वट्टह, णत्थि काइ किरिया वा अकिरिया वा एवं भणंति णत्थिगवाइणो वामलोयवाई । इमं वि बितियं कुदंसणं असब्भाववाइणो पण्णवेंति मूढा- संभूओ अंडगाओ लोगो । संयभुणा सयं य णिम्मिओ । एवं एयं अलियं पयंपंति । पयावइणा इस्सरेण य कयं ति केई । एवं विण्हमयं कसिणमेव य जगं ति केई । एवमेगे वयंति मोसं- एगे आया अकारओ वेदओ य सुकयस्स दुक्कयस्स य करणाणि कारणाणि सव्वहा सव्वहिं च णिच्चो य णिक्किओ णिग्गुणो य अणुवलेवओ त्ति विय एवमाहंसु असब्भावं । जं वि इहं किंचि जीवलोए दीसइ सुकयं वा दुकयं वा एयं जदिच्छाए वा सहावेण वावि दइवतप्पभावओ वावि भवइ । णत्थेत्थ किंचि कयगं तत्तं लक्खणविहाणणियतीए कारियं, एवं केइ जंपति । इढि-रस-सायागारवपरा बहवे करणालसा परूवेंति धम्मवीमंसएणं मोसं | कालो सहाव नियई, पुव्वकयं पुरिसकारणेगंता | मिच्छतं ते चेव उ, समासओ हॉति सम्मतं || अवरे अहम्मओ रायदुई अब्भक्खाणं भणंति अलियं- चोरोत्ति अचोरयं करेंतं, डामरिउत्ति वि य एमेव उदासीणं, दुस्सीलोत्ति य परदारं गच्छइत्ति मइलिंति सीलकलियं, अयं वि गुरुतप्पओत्ति। अण्णे एमेव भणंति उवहणंता मित्तकलत्ताई सेवंति अयं वि लुत्तधम्मो, इमोवि विस्संभवाइओ पावकम्मकारी अगम्मगामी अयं दुरप्पा बहुएसु च पावगेसु जुत्तोत्ति एवं जंपति मच्छरी | भद्दगे वा गुणकित्ति णेह परलोय-णिप्पिवासा | एवं ते अलियवयणदच्छा परदोसुप्पायणप्पसत्ता वेढेंति अक्खाइयबीएणं अप्पाणं कम्मबंधणेण मुहरी असमिक्खियप्पलावी। णिक्खेवे अवहरंति परस्स अत्थम्मि गढियगिद्धा अभिजूंजंति य परं असंतएहिं । लुद्धा य करेंति कूडसक्खित्तणं असच्चा अत्थालियं च कण्णालियं च भोमालियं च तह गवालियं च गरुयं भणंति अहरगइगमणं । अण्णं पि य जाइरू व कुल सीलपच्चयं मायाणिउणं चवलपिसुणं परमट्ठभेयगमसंतगं विदेसमणत्थकारगं पावकम्ममूलं दुद्दिढे दुस्सुयं अमुणियं णिल्लज्जं लोयगरहणिज्जं वहबंध-परिकिलेसबहुलं जरामरणदुक्खसोयणिम्मं असुद्धपरिणामसंकिलिटुं भणंति। अलियाहिसंधि-सण्णिविट्ठा असंतगणुदीरया य संतगणणासगा य हिंसाभूओ- वघाइयं अलियं संपउत्ता वयणं सावज्जमकुसलं सागरहणिज्जं अहम्मजणणं भणंति, अणभिगय-पुण्णपावा पुणो वि अहिगरण-किरिया-पवत्तगा बहुविहं अणत्थं अवमई अप्पणो परस्स य करेंति । एमेव जंपमाणा महिससूकरे य साहिति घायगाणं, ससयपसयरोहिए य साहिति वागुराणं, तित्तिर-वट्टग-लावगे य कविंजल-कवोयगे य साहिति साउणीणं, झस- मगर-कच्छभे य साहिति मच्छियाणं, संखंके खुल्लए य साहिति मगराणं, अयगर -गोणसमंडलिदव्वीकरे मउली य साहिति वालवीणं, गोहा-सेहग-सल्लग-सरडगे य साहिति लुद्धगाणं, गयकुलवाणरकुले य साहिति पासियाणं, सुग-बरहिण-मयणसाल-कोइल-हंसकुले सारसे य साहिति पोसगाणं, वहबंधजायणं च साहिति गोम्मियाणं, धण-धण्ण-गवेलए य साहिति तक्कराणं, गामागर- णगरपट्टणे य साहिति चारियाणं, पारघाइय पंथघाइयाओ य साहिति गंठिभेयाणं, कयं च चोरियं साहिति Page #14 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्रश्नव्याकरण सुत्तं णगरगुत्तियाणं । लंछण- णिलंछण-धमण-दूहण-पोषण वणण दवण-वाहणाइयाइं साहिंति बहूणि गोमियाणं, धाउ-मणि-सिल-प्पवाल - रयणागरे य साहिंति आगरीणं, पुप्फविहिं फलविहिं च साहिंति मालियाणं, अग्घमहुकोसए य साहिंति वणचराणं । १२ जंताई विसाइं मूलकम्मं आहेवण- आविंधण अभिओग-मंतोसहिप्पओगे चोरिय-परदार-गमणबहुपावकम्मकरणं उक्खंधे, गामघाइयाओ वणदहण - तलाग- भेयणाणि बुद्धिविसविणासणाणि वसीकरणमाइयाइं भय मरण- किलेसदोसजणणाणि भावबहुसंकिलिट्ठमलिणाणि भूयघाओघाइयाई सच्चाई विताइं हिंसगाई वयणाई उदाहरंति । १३ पुट्ठा वा अपुट्ठा वा परतत्तियवावडा य असमिक्खियभासिणो उवदिसंति, सहसा उट्टा गोणा गवया दमंतु, परिणयवया अस्सा हत्थी गवेलग-कुक्कुडा य किज्जंतु, किणावेह य विक्केह पयह य, सयणस्स देह, पियह खायह, दासी दास - भयग भाइल्लगा य सिस्सा य पेसगजणो कम्मकराय किंकरा य एए सयणपरिजणो य कीस अच्छंति ? भारिया भे करित्तु कम्मं, गहणाइं वणाइं खेत्त- खिलभूमिवल्लराई उत्तणघणसंकडाई डज्झंतु सूडिज्जंतु य, रुक्खा भिज्जंतु जंतभंडाइयस्स उवहिस्स कारणाए बहुविहस्स य अट्ठाए, उच्छू दुज्जंतु, पीलिज्जंतु य तिला, पयावेह य इट्ठकाउ मम घरट्ठयाए, खेत्ताइं कसह, कसावेह य, लहुं गाम-आगर-णगर-खेड-कब्बडे णिवेसेह, अडवीदेसेसु विउलसीमे पुप्फाणि य फलाणि य कंदमूलाई कालपत्ताइं गिण्हेह, करेह संचयं परिजणट्ठयाए साली वीही जवा य लुच्चंतु मलिज्जंतु उप्पणिज्जंतु य लहुं य पविसंतु य कोट्ठागारं । १४ अप्पमहउक्कोसगा य हम्मंतु पोयसत्था, सेण्णा णिज्जाउ जाउ डमरं, घोरा वट्टंतु य संगामा, पवहंतु य सगडवाहणाइं, उवणयणं चोलगं विवाहो जण्णो अमुगम्मि य होउ दिवसेसु करणेसु मुहुत्तेसु णक्खत्तेसु तिहिसु य, अज्ज होउ ण्हवणं मुइयं बहुखज्जपिज्जकलियं कोउगं विण्हावणगं, संतिकम्माणि कुणह, ससि-रवि-गहोवराग-विसमेसु सज्जणपरियणस्स य णियगस्स य जीवियस्स परिरक्खणट्टयाए पडिसीसगाइं य देह, देह य सीसोवहारे, विविहोसहिमज्जमंसभक्खण्ण-पाण-मल्लाणुलेवणपईवजलि- उज्जलसुगंधि-धूवावगार- पुप्फ-फल-समिद्धे पायच्छित्ते करेह, पाणाइवायकरणेणं बहुविहेणं विवरीउप्पायदुस्सुमिण - पावसउण-असोमग्गहचरिय-अमंगलणिमित्त-पडिघायहेउं, वित्तिच्छेयं करेह, मा देह किंचि दाणं, सुट्टु हओ सुट्टु छिण्णो भिण्णोत्ति उवदिसंता एवं विहं करेंति अलियं मणेण वायाए कम्मुणा य अकुसला अणज्जा अलियाणा अलियधम्मणिरया अलियासु कहासु अभिरमंता तुट्ठा अलियं करेत्तु होइ य बहुप्पयारं । तस्स य अलियस्स फलविवागं अयाणमाणा वड्ढेंति महब्भयं अविस्सामवेयणं दीहकालं बहुदुक्खसंकडं णरयतिरियजोणिं । तेण य अलिएण समणुबद्धा आइद्धा पुणब्भवंधयारे भमंति भीमे दुग्गइवसहिमुवगया । ते य दीसंति इह दुग्गया दुरंता परवस्सा अत्थभोगपरिवज्जिया फुडियच्छवि-बीभच्छ-विवण्णा, खरफरुसविरत्तज्झामझुसिरा, णिच्छाया, लल्लविफलवाया, असक्कयमसक्कया अगंधा अचेयणा दुभगा अकंता काकस्सरा हीणभिण्णघोसा विहिंसा जडबहिरंधया य मम्मणा अंकतविकयकरणा, णीया णीयजणणिसेविणो लोगगरहणिज्जा भिच्चा असरिसजणस्स पेस्सा दुम्मेहा लोय-वेय-अज्झप्पसमयसुइवज्जिया, णरा धम्मबुद्धिवियला । १५ 9 Page #15 -------------------------------------------------------------------------- ________________ M प्रश्नव्याकरण सुत्तं अलिएण य ते पडज्झमाणा असंतएण य अवमाणणपिट्ठिमंसाहिक्खेव पिसुण- भेयण- गुरुबंधवसयण-मित्तवक्खारणाइयाइं अब्भक्खाणाइं बहुविहाइं पावेंति अमणोरमाइं हिययमणमा जावज्जीवं दुरुद्धराइं अणिट्ठ- खरफरुसवयण तज्जण- णिब्भच्छणदीणवयणविमणा कुभोयणा कुवाससा कुवसहीसु किलिस्संता णेव सुहं णेव णिव्वुइं उवलभंति अच्चंतविउलदुक्खसयसंपलित्ता । एसो सो अलियवयणस्स फलविवाओ इहलोइओ परलोइओ अप्पसुहो बहुदुक्खो महब्भओ बहुरयप्पगाढो दारुणो कक्कओ असाओ वास- सहस्सेहिं मुच्चइ, ण अवेयइत्ता अत्थि हु मक्खति । एवमाहंसु णायकुलणंदणो महप्पा जिणो उ वीरवरणामधेज्जो कहेसी य अलियवयणस्स फलविवागं । एयं तं बिईयं पि अलियवयणं लहुसग लहु-चवल-भणियं भयंकरं दुहकरं अयसकरं वेरकरगं अरइरइ-राग-दोस-मणसंकिलेस - वियरणं अलिय-णियडि - साइजोगबहुलं णीयजणणिसेवियं णिस्संसं अप्पच्चयकारगं परमसाहुगरहणिज्जं परपीलाकारगं परमकण्हलेस्ससहियं दुग्गइ-विणिवाय-वड्ढणं पुणब्भवकरं चिर- परिचियमणुगयं दुरंतं । त्ति बेमि ॥ || बिअं अज्झयणं समत्तं ॥ || बिअं आसवदारं समत्तं ॥ तइअं अज्झयणं - तइअं आसवदारं अदिण्णादाणं जंबू ! तइयं च अदिण्णादाणं हर-दह-मरणभय-कलुस - तासण-परसं-तिग-अभेज्ज-लोभ-मूलं कालविसमसंसियं अहोऽच्छिण्ण तण्हपत्थाण-पत्थो - इमइयं अकित्तिकरणं अण्णज्जं छिद्दमंतरविहुर-वसण-मग्गण-उस्सव मत्तप्पमत्त पसुत्त-वंचणक्खिवण-घायणपरं अणिहुयपरिणामं तक्कर- जणबहुमयं अकलुणं रायपुरिस- रक्खियं सया साहु-गरहणिज्जं पियजण- मित्तजण-भेयविप्पिइकारगं रागदोसबहुलं पुणो य उप्पूरसमरसंगामडमर -कलिकलहवेहकरणं दुग्गइविणिवा य वड्ढणं भवपुणब्भवकरं चिरपरिचिय मणुगयं दुरंतं । तइयं अहम्मदारं । तस्स य णामाणि गोण्णाणि हाँति तीसं, तं जहा- चोरिक्कं, परहडं, अदत्तं, कूरिकडं, परलाभो, असंजमो, परधणम्मि गेही, लोलिक्कं, तक्करत्तणं त्ति य, अवहारो, हत्थलहुत्तणं, पावकम्मकरणं, तेणिक्कं, हरणविप्पणासो, आदियणा, लुंपणा धणाणं, अपच्चओ, अवीलो, अक्खेवो, खेवो, विक्खेवो, कूडया, कुलमसी य, कंखा, लालप्पणपत्थणा य, आससणाय वसणं, इच्छामुच्छा य, तण्हागेही, णियडिकम्मं, अप्परच्छं ति य । तस्स एयाणि एवमाईणि णामधेज्जाणि होंति तीसं अदिण्णादाणस्स पावकलिकलुस-कम्मबहुलस्स अगाई । 10 Page #16 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्रश्नव्याकरण सुत्तं तवतेणे वयतेणे, रूवतेणे य जे णरे । आयारभावतेणे य, कुव्वइ देव किव्विसं ॥ (दशवैकालिक, अ. ५, गा.४६) करेंति चोरियं तक्करा परदव्वहरा छेया, कयकरणलद्ध-लक्खा साहसिर स्सगा अइमहिच्छलोभगत्था दद्दरओवीलका य गेहिया अहिमरा अणभंजगा भग्गसंधिया रायदुहकारी य विसयणिच्छूट-लोकबज्झा, उद्दोहग-गामघायग-पुरघायग-पंथघायग-आलीवग तित्थभेया लहुहत्थसंपउत्ता जूयकरा खंडरक्ख-त्थीचोर-पुरिसचोर-संधिच्छेया य, गंथीभेयग-परधणहरण लोमावहारा अक्खेव-हडकारगा णिम्मद्दगगूढचोरग-गोचोरग-अस्सचोरग- दासीचोरा य एकचोरा ओकड्ढग-संपदायग-उच्छिंपग-सत्थघायग बिलकोरीकारगा य णिग्गाहविप्पलुंपगा बहुविहतेणिक्कहरणबुद्धी, एए अण्णे य एवमाई परस्स दव्वाहि जे अविरया | विउलबलपरिग्गहा य बहवे रायाणो परधणम्मि गिद्धा सए व दव्वे असंतुट्ठा परविसए अभिहणंति ते लुद्धा परधणस्स कज्जे चउरंगविभत्त-बलसमग्गा णिच्छिय वर-जोहजुद्धसद्धिय अहमहमितिदप्पिएहिं सेण्णेहिं संपरिवुडा पउम-सगड सूइ चक्क- सागर-गरुलवूहाइएहिं अणिएहिं उत्थरंता अभिभूय हरंति परधणाई । अवरे रणसीसलद्धलक्खा संगामंसि अइवयंति सण्णद्धबद्धपरियर-उप्पीलिय- चिंधपट्ट गहियाउहपहरणा माढिवर-वम्मगुंडिया, आविद्धजालिया कवयकंकडइया उरसिरमुहबद्ध कंठतोणमाइयवरफलगरचियपहकर- सरहसखरचाव करकरंछिय-सुणिसिय-सरवरिसचडकरगमयंतघणचंडवेगधारा णिवायमग्गे अणेगधणुमंडलग्गसंधित-उच्छलियसत्तिकणग वामकरगहिय-खेडग णिम्मल णिक्किट्ठखग्ग पहरंत-कोंत तोमर चक्क गया परसु मूसल-लंगल सूल लउल भिंडमालसब्बल पट्टिस चम्मेढ दुघण मोट्ठिय मोग्गर वरफलिह जंत पत्थर दुहण तोण कुवेणी पीढकलिए ईलीपहरण मिलिमिलिमिलंतखिप्पंत-विज्जुज्जल-विरचिय समप्पह णभतले फुडपहरणे महारणसंखभेरि-वरतूर-पउरपडुपडहाहयणिणाय- गंभीरणंदिय पक्खुभिय विउलघोसे, हय गय रह जोह तुरिय पसरिय-रउद्धत- तमंधकार बहुले कायर णर णयण हिययवाउलकरे । विलुलियउक्कड-वर-मउड-तिरीड-कुंडलोडुदामाडोविया पागड-पडाग-उसियज्झय-वेजयंति-चामरचलंत -छत्तंधयारगंभीरे हयहेसिय-हत्थिगुलगुलाइय-रहघणघणाइय-पाइक्कहरहराइय-अप्फोडियसीहणाया, छेलिय विघुढुक्कुट्ठ-कंठकयसद्दभीमगज्जिए, सयराह-हसंत-रुसंत कलकलरवे आसूणिय-वयणरुद्दे-भीमदसणाधरोहगाढदढे सप्पहारणुज्जयकरे अमरिसवसतिव्वरत्त णिद्दारितच्छे वेरदिद्वि-की-चेद्विय-तिवलि-कडिलभिउडि-कयणिलाडे, वहपरिणय-णरसहस्स-विक्कमवियंभियबले। वग्गंत-तुरंगरहपहाविय समरभडा, आवडियछेयलाघव-पहारसाहिया समूसविय बाहु-जुयलं मक्कट्टहासपक्कंतबोल बहले । फल-फलगावरणगहिय-गयवरपत्थेत- दरियभडखल-परोप्परपलग्गजद्धगव्विय विउ सिय वरासि रोस-तुरियअभिमह- पहरेंतछिण्णकरिकर-विभंगियकरे अवइद्ध णिसुद्धभिण्ण फालिय पगलिय रुहिरकयभूमिकद्दम -चिलिचिल्लपहे कुच्छिदालिय गलंतरुलिंत णिभेलितंत-फुरुफुरंत-अविगल-मम्माहय-विकय-गाढदिण्णपहार-मुच्छित रुलंत विब्भलविलावकलुणे, हयजोह-भमंत-तुरग-उद्दाम मत्त कुंजर-परिसंकियजण णिव्वुक्कच्छिण्णधय भग्गरहवरणट्ठसिरकरि कलेवराकिण्ण-पतित-पहरण - विकिण्णाभरण-भूमिभागे, [ Page #17 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्रश्नव्याकरण सुत्तं | णच्चंतकबंधपउरभयंकर-वायस-परिलेंत गिद्धमंडल भमंतच्छायंधकार-गंभीरे | वसुवसुहविकंपितव्व पच्चक्खपिउवणं परमरुद्दबीहणगं दुप्पवेसतरगं अहिवयंति संगामसंकडं परधणं महंता । अवरे पाइक्कचोरसंघा सेणावइ-चोरवंद-पागढिका य अडवी- देसग्गवासी कालहरित रत्तपीतसुक्किल-अणेगसयचिंध पट्टबद्धा परविसए अभिहणंति लुद्धा धणस्स कज्जे । रयणागरसागरं उम्मीसहस्समाला-उलाउल-वितोयपोत-कलकलेत- कलियं पायालसहस्सवायवसवेगसलिल-उद्धम्ममाणदगरयरयंधकारं वरफेणपउर-धवल-पुलंपुल-समुट्ठियट्टहासं मारुयविच्छुभमाणपाणियं जल- मालुप्पीलहुलियं अवि य समंतओ खुभिय-लुलिय-खोखुब्भमाण - पक्खलियचलिय-विउलजलचक्कवाल- महाणईवेगतुरियआपूरमाणगंभीर-विउल-आवत्त-चवलभममाणगुप्पमाणुच्छलंत पच्चोणियत्त-पाणिय-पधावियखर-फरुस-पयंडवाउलियसलिल-फुटुंत वीइकल्लोल संकुलं महामगरमच्छ-कच्छभोहार-गाह-तिमि सुसुमार-सावय-समाहय- समुदायमाणकपूरघोरपउरं कायरजणहिययकंपणं घोरमारसंतं महब्भयं भयंकरं पइभयं उत्तासणगं अणोरपारं आगासं चेव णिरवलंबं । उप्पाइयपवण-धणिय-णोल्लिय उवरुवरितरंगदरिय-अइवेग-वेगं चक्खुपहमुच्छरंतं कत्थइ-गंभीर-विउल-गज्जिय-गुंजिय-णिग्घायगरुयणिवडिय-सुदीहणीहारिदूरसुच्चंत-गंभीर धुगधुगंतसदं पडिपह रुंभंत-जक्ख-रक्खस-कुहंड-पिसायरुसिय-तज्जाय-उवसग्गसहस्स संकुलं बहूप्पाइयभूयं विरइयबलिहोम-धूवउवयारदिण्ण-रुहिरच्चणा करणपयतजोगपययचरियं परियंत-जुगंत कालकप्पोवमं दुरंतं महाणईणईवई-महाभीमदरिस-णिज्जं दुरणुच्चरं विसमप्पवेसं दुक्खुत्तारं दुरासयं लवणसलिलपुण्णं असियसिय-समूसियगेहि हत्थंतरकेहिं वाहणेहिं अइवइत्ता समुद्दमज्झे हणंति, गंतूण जणस्स पोए परदव्वहरा णरा | णिरणुकंपा णिरवयक्खा गामागर-णगर-खेड-कब्बड-मडंब दोणमुह पट्टणा सम-णिगमजणवए य धणसमिद्धे हणंति थिरहियय-छिण्ण लज्जा बंदिग्गह-गोग्गहे य गिण्हंति दारुणमई णिक्किवा णियं हणंति छिंदंति गेहसंधिं णिक्खित्ताणि य हरंति धणधण्णदव्वजायाणि जणवय-कुलाणं णिग्घिणमई परस्स दव्वाहिं जे अविरया । तहेव केई अदिण्णादाणं गवेसमाणा कालाकालेसु संचरंता चियकापज्जलिय-सरस-दर-दड्ढ कड्ढियकलेवरे रुहिरलित्तवयण-अक्खय-खाइयपीय-डाइणिभमंत-भयंकरं जंबुयक्खिक्खियंते घूयकयघोरसद्दे वेयालुट्ठिय-णिसुद्ध-कहकहिय-पहसिय-बीहणग-णिरभिरामे अइदुब्भिगंधबीभच्छदरिसणिज्जे सुसाणवण-सुण्णघर लेण-अंतरावण-गिरिकंदर-विसमसावय समाकुलासु वसहीसु किलिस्संता सीयातव -सोसियसरीरा दड्ढच्छवी णिरयतिरिय-भवसंकड-दुक्ख संभार वेयणिज्जाणि पावकम्माणि संचिणंता, दुल्लहभक्खण्ण-पाणभोयणा पिवासिया झंझिया किलंता मंस-कणिमकंदमूल जं किंचि कयाहारा उव्विग्गा उप्पया असरणा अडवीवासं उर्वति वालसयसंकणिज्जं । अयसकरा तक्करा भयंकरा कास हरामोत्ति अज्ज दव्वं इति सामत्थं करेंति गुज्झं। बयस्स जणस्स कज्जकरणेसु विग्घकरा मत्तपमत्तपसुत्त- वीसत्थ- छिद्दघाई वसणब्भुदएसु हरणबुद्धी विगव्व रुहिरमहिया परेंति णरवइ-मज्जायमइक्कंता सज्जण जणदुगंछिया सकम्मेहिं पावकम्मकारी असुभपरिणाया य दुक्खभागी णिच्चाविल दुहमणिव्वुइमणा इहलोए चेव किलिस्संता परदव्वहरा णरा वसण सय समावण्णा | १० Page #18 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्रश्नव्याकरण सुत्तं १२ तहेव केइ परस्स दव्वं गवेसमाणा गहिया य हया य बद्धरुद्धा य तुरियं अइधाडिया पुरवरं समप्पिया चोरग्गह-चारभडचाडुकराण तेहि य कप्पडप्पहार-णिद्दयआरक्खिय-खरफरुसवयणतज्जण-गलच्छल्लुच्छल्लणाहिं विमणा, चारगवसहिं पवेसिया णिरयवसहिसरिसं तत्थवि गोमियप्पहार दूमणणिब्भच्छण-कडुयवयण-भेसणगभयाभिभूया अक्खित्त-णियंसणा मलिणदंडिखंड- णिवसणा उक्कोडालंचपास-मग्गणपरायणेहिं दुक्खसमुदीरणेहिं गोम्मियभडेहिं विविहेहिं बंधणेहिं । किं ते ? हडि-णिगड-बालरज्जुय-कुदंडग-वरत्त-लोहसंकल-हत्थंदुय वज्झपट्ट- दामक-णिक्कोडणेहिं अण्णेहि य एवमाइएहिं गोम्मिगभंडोवगरणेहिं दुक्खसमुदीरणेहिं संकोडणमोडणाहिं वज्झंति मंदपुण्णा । संपुड-कवाड- लोहपंजर भूमिघर-णिरोह-कूव चारग-कीलग-जुय-चक्कविततबंधणखंभालण -उद्धचलण-बंधणविहम्मणाहि य विहेडयंता अवकोडगगाढ-उर- सिरबद्ध -उद्धपूरिय फुरंतउर-कडगमोडणा-मेडणाहिं बद्धा य णीससंता सीसावेढ उरुयावल-चप्पडग-संधिबंधण-तत्तसलागसूइयाकोडणाणि तच्छणविमाणणाणि य खारकडुय-तित्त- णावणजायणा- कारणसयाणि बयाणि पावियता उरक्खोडी-दिण्ण-गाढपेल्लण-अद्विगसंभग्गसपंसुलिगा गलकालकलोहदंड-उर-उदर वत्थिपट्टि परिपीलिया मत्थंत हिययसंचुण्णियंगमंगा आणत्तीकिंकरेहिं । केई अविराहिय-वेरिएहिं जमपुरिस-सण्णिहेहिं पहया ते तत्थ मंदपुण्णा चडवेला-वज्झपट्टपाराइं छिव-कस-लत्तवरत्त-णेत्तप्पहारसयतालियंगमंगा किवणा लंबंतचम्मवणवेयणविमुहियमणा घणकोट्टिम-णियलजुयलसंकोडियमोडिया य कीरंति णिरुच्चारा असंचरणा, एया अण्णा य एवमाईओ वेयणाओ पावा पावेंति । अदंतिंदिया वसट्टा बहुमोहमोहिया परधणम्मि लुद्धा फासिंदिय-विसय-तिव्वगिद्धा इत्थिगयरूवसद्दरसगंधइट्ठरइमहियभोगतण्हाइया य धणतोसगा गहिया य जे णरगणा, पुणरवि ते कम्मदुव्वियद्धा उवणीया रायकिंकराण तेसिं वहसत्थग पाढयाणं विलउलीकारगाणं लंचसयगेण्हगाणं कूडकवडमाया णियडी-आयरण पणिहि-वंचणविसारयाणं बहुविहअलियसयजंपगाणं, परलोय-परम्मुहाणं णिरयगइ गामियाणं तेहिं आणत्त-जीयदंडा तुरियं उग्घाडिया पुरवरे सिंघाडग-तिय-चउक्क-चच्चर-चउम्मुहमहापहपहेसु वेत-दंड-लउड-कट्ठले?-पत्थर पणालिपणोल्लिमुट्ठि-लया- पायपण्हि-जाणु-कोप्पर- पहार- संभग्ग-महियगत्ता | अट्ठारसकम्मकारणा जाइयंगमंगा कलुणा सुक्कोट्ठकंठ-गलक-तालु-जीहा जायंता पाणीयं विगयजीवियासा तण्हाइया वरागा तं पि य ण लभंति वज्झपुरिसेहिं धाडियंता । तत्थ य खर-फरुसपडहघट्टिय-कूडग्गहगाढरुद्वणिसट्ठपरामुट्ठा वज्झयर-कुडिजुयणियत्था सुरत्तकणवीरगहियविमुक्क-कंठे-गुण-वज्झदूयआ-विद्धमल्ल दामा, मरणभयुप्पण्णसेयआयतणेहुत्तुपियकिलिण्णगत्ता चुण्णगुंडिय सरीर रयरेणुभरियकेसा कुसुंभगोकिण्णमुद्धया छिण्णजीवियासा घुण्णंता वज्झ याणभीया तिलं तिलं चेव छिज्जमाणा सरीरविक्कित्तलोहिओलित्ता कागणि-मसाणि-खावियता पावा खरफरुसएहिं तालिज्जमाणदेहा, वातिग-णरणारीसंपरिवुडा पेच्छिज्जंता य णगरजणेण वज्झणेवत्थिया पणेज्जति णयरमज्झेण किवणकलुणा अत्ताणा असरणा अणाहा अबंधवा बंधविप्पहीणा विपेक्खता दिसोदिसिं मरण-भयुव्विगा आघायणपडिदुवार-संपाविया अधण्णा सूलग्गविलग्गभिण्णदेहा । Page #19 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्रश्नव्याकरण सुत्तं भलनं कुशलं तर्जा, राजभागोऽवलोकनम् । अमार्गदर्शनं शय्या, पदभंगस्तथैव च ॥१॥ विश्राम: पादपतनमासनं गोपनं तथा । खण्डस्य खादनं चैव, तथाऽन्यन्मोहराजिकम् ॥२॥ पथ्याग्न्युदकरज्जूनां प्रदानं ज्ञानपूर्वकम् । एता प्रसूतयो ज्ञेया अष्टादश मनीषिभि: ॥३॥ चौरश्चौरार्पको मंत्री, भेदज्ञ: काणकक्रयी । अन्नदः स्थानदश्चैव, चोर: सप्तविध: स्मृत: ॥ १६ ते य तत्थ कीरंति परिकप्पियंगमंगा उल्लंविज्जंति रुक्खासालासु केइ कलुणाइं विलवमाणा, अवरे चउरंगधणियबद्धा पव्वयकडगा पमुच्चंते दूरपातबहुवि-समपत्थरसहा, अण्णे य गय-चलणमलणणिम्मदिया कीरंति पावकारी अट्ठारस-खंडिया य कीरंति मुंडपरसूहिं केइ उक्कत्तकण्णोद्वणासा उप्पाडियणयण-दसण-वसणा, जिभिंदियछिया छिण्ण-कण्णसिरा पणिज्जते छिज्जंते य असिणा णिव्वि- सया छिण्णहत्थपाया पमुच्चंते, जावज्जीवबंधणा य कीरंति, केइ परदव्वहरणलुद्धा कारग्गलणियल-जुयलरुद्धा चारगाए हतसारा सयणविप्पमुक्का मित्तजणणिरक्खिया णिरासा बहजण-धिक्कार-सद्द-लज्जाविया अलज्जा अणबद्धखहा पारद्धा सीउण्ह- तण्ह -वेयण-दुहट्टघट्टिया विवण्णमुह विच्छविया विहलमइल-दुब्बला किलंता कासंता वाहिया य आमाभिभूयगत्ता परूढ-णह -केस-मंसु-रोमा छगमुत्तम्मिणियगम्मि खुत्ता | तत्थेव मया अकामगा बंधिऊण पाएमु कड्ढिया खाइयाए छूढा, तत्थ य विग-सुणग-सियाल- कोलमज्जारवंद- संसडासगतुंड- पक्खिगण-विविह- मुहसयल- विलुत्तगत्ता कयविहंगा, केइ किमिणा य कुहियदेहा अणिढवयणेहिं सप्पमाणा सुट्ठ कयं जं मउत्ति पावो तुटेणं जणेण हम्ममाणा लज्जावणगा य हॉति सयणस्स वि य दीहकालं । मया संता पुणो परलोग-समावण्णा णरए गच्छंति णिरभिरामे अंगार- पलित्त- ककप्प अच्चत्थसीयवेयण-अस्साउदिण्ण-सययदुक्ख-सय-समभिदुए, तओ वि उव्वट्टिया समाणा पुणो वि पवज्जति तिरियजोणिं तहिं पि णिरयोवमं अणहवंति वेयणं, ते अणंतकालेण जइ णाम कहिं वि मणुयभावं लभंति णेगेहिं णिरयगइ-गमण-तिरिय-भव-सयसहस्स-परियट्टेहिं । तत्थ वि य भवंतऽणारिया णीय-कुल-समुप्पण्णा आरियजणे वि लोगवज्झा तिरिक्खभूया य अकुसला कामभोगतिसिया जहिं णिबंधति णिरयवत्तणिभवप्प-वंचकरण-पणोल्लि पुणो वि संसारावत्तणेममूले धम्मसुइ- विवज्जिया अणज्जा कूरा मिच्छत्तसुइपवण्णा य होति एगंत-दंडरुइणो वेढ्ता कोसिकारकीडोव्व अप्पगं अट्ठकम्मतंतु-घणबंधणेणं । एवं णरग-तिरय-णर-अमर-गमण-पेरंतचक्कवालं जम्मजरामरणकरणगंभीर दुक्ख पक्खुभियपउरसलिलं संजोगवियोगवीची-चिंतापसंग-पसरिय-वह-बंध-महल्ल-विपुलकल्लोलं कलुणविलविय- लोभ-कलकलिंत-बोलबहुलं-अवमाणण-फेणं तिव्वखिंसणपुलंपुलप्पभूय- रोग-वेयण पराभव-विणिवायफरुस-धरिसण-समावडिय-कढिणकम्मपत्थर-तरंग-रंगत-णिच्च-मच्च- भयतोयपटुं कसाय-पायालसंकुलं भव-सयसहस्सजलसंचयं अणंत उव्वेणयं अणोरपारं महब्भयं भयंकरपइभयंअपरिमियमहिच्छ-कलुस- मइ- वाउवेगउद्धम्ममाणं आसापिवास पायाल-काम-रइ-रागदोस Page #20 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्रश्नव्याकरण सुत्तं बंधण-बहविहसंकप्पविउलदगरयरयंधकारं मोहमहावत्त भोगभममाणगुप्पमाणुच्छलंतबगब्भवासपच्चोणियत्तपाणियं-पहाविय-वसणसमावण्ण रुण्ण- चंडमारुयसमाहया मणुण्णवीचीवाकुलियभग्ग-फुटुंतऽणि?- कल्लोलसंकुलजलं पमायबहुचंडदुद्दसावय-समाहयउद्घाय-माणगपूरघोर - विद्धंसणत्थबहुलं । अण्णाणभमंत-मच्छपरिहत्थं अणिहुतिंदिय महामगरतुरिय-चरियखोखुब्भमाण-संतावणिचयचलंत-चवल-चंचल-अत्ताण असरण-पुव्वकयकम्मसंचयोदिण्णवज्जवेइज्जमाण-दुहसय- विवाग- घुण्णंतजल- समूहं । इड्ढि - रस - साय - गारवोहार - गहिय - कम्मपडिबद्ध - सत्तकढिज्जमाण - णिरयतलहुत्तसण्णविसण्णबहुलं अरइ - रइ - भय-विसाय-सोगमिच्छत्तसेलसंकडं अणाइ-संताणकम्मबंधणकिलेस चिक्खिल्लसुदुत्तारं अमर-णर-तिरिय-णिरयगइ-गमण-कुडिलपरियत्त-विपुलवेलं हिंसालिय-अदत्तादाण मेहणपरिग्गहारंभ-करणकारावणाणुमोयण-अट्ठविह अणिढकम्मपिडियगुरुभारोक्कंतदुग्ग-जलोघ-दूरपणोलिज्जमाण-उम्मुग्ग-णिमग्ग-दुल्लभतलं सारीरमणोमयाणि दुक्खाणि उप्पियंता सायस्सायपरितावणमयं उब्बुड्डणिब्बुड्डयं करेंता चउरंतमहंत-मणवयग्गं रुदं संसारसागरं अद्वियं अणालंबणमपइठाण-मप्पमेयं चुलसीइ-जोणि सयसहस्सगुविलं अणालोकमंधयारं अणंतकालं णिच्चं उत्तत्थसुण्णभयसण्णसंपउत्ता वसंति उव्विग्ग-वासवसहिं। जहिं आउयं णिबंधंति पावकम्मकारी, बंधव-जण-सयण-मित्तपरिवज्जिया अणिट्ठा भवंति अणाइज्जदुव्विणीया कुठाणासण-कुसेज्ज-कुभोयणा असुइणो कुसंघयण-कुप्पमाण-कुसंठिया, कुरूवा बह-कोह-माण-माया-लोहा बहमोहा धम्मसण्ण-सम्मत्त-परिब्भट्ठा दारिद्दोवद्दवाभिभू णिच्चं परकम्मकारिणो जीवणत्थर - हिया किविणा परपिंड-तक्कगा दुक्खलद्धाहारा अरस-विरसतुच्छ-कय-कुच्छिपूरा परस्स पेच्छंता रिद्धि-सक्कार-भोयणविसेस-समुदयविहिं जिंदंता अप्पगं कयंतं च परिवयंता इह य रेकडाई कम्माई पावगाई, विमणसो सोएण डज्झमाणा परिभूया होंति सत्तपरिवज्जिया य, छोभा सिप्पकला समय-सत्थ-परिवज्जिया जहाजायपसुभूया अवियत्ता णिच्च-णीय-कम्मोवजीविणो लोयकुच्छणिज्जा मोघमणोरहा णिरासबहुला | आसापास-पडिबद्धपाणा अत्थोपायाण-काम-सोक्खे य लोयसारे होति अपच्चंतगा (अफलवंतगा)य सुदु वि य उज्जमंता, तद्दिवसुज्जुत्त-कम्मकय-दुक्खसंठविय-सित्थपिंडसंचयपरा, पक्खीण दव्वसारा, णिच्चं अधुव-धण-धण्णकोस-परिभोग विवज्जिया, रहिय-कामभोग-परिभोगसव्वसोक्खा परसिरि-भोगोवभोग-णिस्साण-मग्गणपरायणा वरागा अकामियाए विणेति दुक्खं, णेव सुहं णेव णिव्वुइं उवलभंति अच्चंतविउल-दुक्खसय-संपलित्ता परस्स दव्वेहिं जे अविरया । २० एसो सो अदिण्णादाणस्स फलविवागो, इहलोइओ अप्पसुहो बहुदुक्खो महब्भओ बहुरयप्पगाढो दारुणो कक्कसो असाओ वाससहस्सेहिं मुच्चइ, ण य अवेयलत्ता अत्थि 3 मोक्खोत्ति | एवमाहंसु णायकुल-णंदणो महप्पा जिणो उ वीरवर-णामधेज्जो कहेसी य अदिण्णादाणस्स फलविवागं । एयं तं तइयं पि अदिण्णादाणं- हर-दह-मरण-भय-कलुसतासण-परसंतिकभेज्ज लोहमूलं एवं जाव चिरपरिचियमणुगयं दुरंतं । त्ति बेमि || ॥ तइयं अज्झयणं समत्तं ॥ ॥ तइयं आसवदारं समत्तं ॥ Page #21 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्रश्नव्याकरण सुत्तं चउत्थं अज्झयणं - चउत्थं आसवदारं अबंभं । १ जंबू ! अबंभं च चउत्थं सदेवमणुयासुरस्स लोगस्स पत्थणिज्जं पंकपणय-पासजालभूयं थीपुरिसणपुंसगवेयचिंधं तवसंजमबंभचेरविग्धं भेयाययणबहुपमायमूलं कायरकापुरिससेवियं सुयण-जण-वज्जणिज्ज उड्ढ-णरय-तिरिय-तिल्लोकपइट्ठाणं जरामरणरोगसोगबहुलं वधबंधविघायदुव्विघायं दसणचरित्तमोहस्स हेउभूयं चिरपरिगय -मणुगयं दुरंतं चउत्थं अहम्मदारं || तस्स य णामाणि गोण्णाणि इमाणि हॉति तीसं, तं जहा- अबंभ, मेहणं, चरंतं, संसग्गि, सेवणाहिगारो, संकप्पो, बाहणा पयाणं, दप्पो, मोहो, मणसंखोभो, अणिग्गहो, वुग्गहो, विघाओ, विभंगो, विब्भमो, अहम्मो, असीलया, गामधम्मतित्ती, रई, रागचिंता, कामभोगमारो, वेरं, रहस्सं, गुज्झं, बहुमाणो, बंभचेरविग्घो, वावत्ती, विराहणा, पसंगो, कामगुणोत्ति य | तस्स एयाणि एवमाईणि णामधेज्जाणि होति तीसं । तं च पुण णिसेवंति सुरगणा सअच्छरा मोहमोहियमई असुर-भुयग-गरुल-विज्जु जलण-दीवउदहि-दिसि-पवण-थणिया, अणवण्णिय-पणवण्णिय-इसि वाइय-भूयवाइय कंदिय महाकंदियकहंड-पयंगदेवा, पिसाय-भूय-जक्ख-रक्खसकिण्णर-किंपरिस-महोरग गंधव्वा, तिरिय-जोइसविमाणवासि- मणुयगणा,जलयर-थलयर-खहयरा, मोहपडिबद्धचित्ता अवितण्हा कामभोगतिसिया, तण्हाए बलवईए महईए समभिभूया गढिया य अइमुच्छिया य अबंभे उस्सण्णा तामसेण भावेण अणुम्मुक्का दंसण-चरित्तमोहस्स पंजरं पिव करेंति अण्णोण्णं सेवमाणा | भुज्जो य असुर-सुर-तिरिय-मणुयभोग-रइविहार-संपउत्ता य चक्कवट्टी सुर-णरवइ-सक्कया सुरवरुव्व देवलोए । भरह-णग-णगर-णिगम-जणवय-पुरवर-दोणमुह-खेड-कब्बड-मडंब-संवाह पट्टणसहस्समंडियं थिमियमेयणियं एगच्छत्तं ससागरं भुंजिऊण वसुहं । णरसीहा णरवई परिंदा णरवसहा मरुयवसहकप्पा अब्भहियं रायतेयलच्छीए दिप्पमाणा सोमा रायवंसतिलगा | रवि-ससि-संख-वरचक्क-सोत्थिय-पडाग-जव-मच्छ-कुम्म-रहवर-भग भवण-विमाण-तुरय-तोरणगोपुर मणिरयण-णंदियावत्त-मुसल-णंगल सुरइय वरकप्परुक्ख मिगवइ-भद्दासण-सुरुचिथूभवरमउडसरिय-कुंडल-कुंजर-वरवसह-दीव मंदर गरुलज्झय-इदंकेउ-दप्पण-अट्ठावय चाव-बाणणक्खत्त-मेहमेहल-वीणा जुग-छत्त दाम-दामिणि कमंडलं-कमल-घंटा-वरपोय-सूइ-सागरकुमुदागर-मगर-हार-गागर-णेउर णग-णगर वइर किण्णर-मयूर-वररायहंस-सारस-चकोर- चक्कवाग -मिहण-चामर-खेडग-पव्वीसग विपंचि-वरता-लियंट-सिरियाभिसेय-मेइणि-खग्गं-कुस-विमल-कलसभिंगार- वद्धमाणग पसत्थ- उत्तम विभत्तवरपुरिसलक्खणधरा । - बत्तीसं वररायसहस्साणुजायमग्गा चउसद्विसहस्सपवरजुवतीण-णयणकंता रत्ताभा परमपम्ह कोरंटगदामचंपक-सुतविय-वरकणकणिहसवण्णा सुवण्णा सुजायसव्वंगसुंदरंगा । । । । Page #22 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्रश्नव्याकरण सुत्तं ९ महग्घवरपट्टणुग्गयविचित्तरागएणिमेणिणिम्मिय-दुगुल्लवर-चीणपट्टकोसेज्जसोणिसुत्तगविभूसियंगा, वरसुरभि गंधवरचुण्णवास-वरकुसुम- भरियसिरया कप्पियछेयायरियसुकयरइयमालकडगंगयतुडियपवर भूसणपिणद्धदेहा एकावलिकंठसुरइयवच्छा पालब-पलंबमाणसुकयपडउत्तरिज्जमुद्दिया-पिंगलंगुलिया उज्जल-णेवत्थरइयचेल्लगविरायमाणा, तेएण दिवाकरोव्व दित्ता, सारयणव थणियमहु-रगंभीरणिद्धघोसाउप्पण्णसमत्त-रयणचक्करयणप्पहाणा णव णिहिवइणो समिद्धकोसा चाउरंता चाउराहिं सेणाहिं समणुजाइज्जमाणमग्गा तुरयवई गयवई रहवई णरवई विपुलकुलविस्सुयजसा सारयससिसकलसोमवयणा सूरा तिलोक्क-णिग्गयभावलद्धसद्दा समत्तभरहाहिवा परिंदा ससेलवण-काणणं च हिमवंतसागरंतं धीरा भुत्तूण भरहवासं जियसत्तू पवररायसीहा पुव्वकडतवप्पभावा णिविद्वसंचियसुहा, अणेगवाससयमायुवंतो भज्जाहि य जणवयप्पहाणाहिं लालियंता अतुल सद्द-फरिस-रस-रूव-गंधे य अणुभवेत्ता ते वि उवणमंति मरणधम्म अवितत्ता कामाणं । न जातु काम: कामानाम्पभोगे न शाम्यति । हविषा कृष्णवर्मेव भूय एवाभिवर्धते ॥ भुज्जो बलदेव-वासुदेवा य पवरपुरिसा महाबलपरक्कमा महाधणुवियट्टगा महासत्तसागरा दुद्धरा धणुद्धरा णरवसहा रामकेसवा भायरो सपरिसा वसुदेव- समुद्दविजयमाइयदसाराणं पज्जुण्ण-पईवसंब-अणिरुद्ध णिसह-उम्मय-सारण- गय-सुमुह-दुम्मुहाईण जायवाणं अद्भुदुट्ठाण वि कुमारकोडीणं हिययदइया देवीए रोहिणीए देवीए देवकीए य आणंद-हिययभावणंदणकरा सोलस रायवरसहस्साणुजायमग्गा सोलसदेवीसहस्सवर-णयणहिययदइया णाणामणिकणगरयण- मोत्तियपवालधणधण्णसंचय-रिद्धिसमिद्धकोसा हयगयरहसहस्स-सामी गामा-गर-णगर-खेड कब्बड-मंडबदोणमुह-पट्टणासम-संबाह-सहस्सथिमिय- णिव्वुयपमु-इयजण- विविहसस्स णिप्फज्ज माणमेइणि सरसरिय तलाग-सेलकाणणआरामुज्जा-णमणाभिरामपरिमंडियस्स दाहिणड्ढवेयड्ढ गिरिविभत्तस्स लवण-जलहि-परिगयस्स छव्विहकालगुणकाम-जुत्तस्स अद्धभरहस्स सामिगा | धीरकित्तिपुरिसा ओहबला अइबला अणिहया अपराजियसत्तु मद्दणरिपु सहस्समाणमहणा साणुक्कोस्सा अमच्छरी अचवला अचंडा मियमंजुलपलावा हसिय-गंभीरमहरभणिया अब्भुवगयवच्छला सरण्णा | लक्खणवंजणगुणोववेया माणुम्माण-पमाण पडिपुण्णसुजायसव्वंगसुंदरंगा ससिसोमागारकंतपियदंसणा अमरिसणा पयंड-डंडप्पयारगंभीरदरिसणिज्जा तालद्धउव्विद्धगरुलकेऊ बलवग-गज्जंत-दरियदप्पिय मुट्ठियचाणूरमूरगा रिद्ववसहघाइणो केसरिमुहविप्फाडगादरियणागदप्पमहणा जमल-ज्जुणभंजगा महासउणिपूयणारिवू कंसमउडमोडगा जरासंधमाणमहणा | तेहि य अविरलसमसहियचंदमंडलसमप्पभेहिं सूरमिरीयकवयं विणिम्मुयंतेहिं सपडि दंडेहिं, आयवत्तेहिं धरिज्जंतेहिं विरायंता । ताहि य पवरगिरिकुहरविहरण-समुद्धियाहिं णिरुवहयचमरपच्छिमसरीरसंजायाहिं अमइलसेयकमलविमुकुलज्जलिय-रययगिरिसिहर विमलससिकिरण - सरिसकलहोयणिम्मलाहिं पवणाहयचवलचलियसललियपणच्चियवीइपसरियखीरोदगपवरसागरुप्पूरचंचलाहिं माणससरपसरपरिचि Page #23 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्रश्नव्याकरण सुत्तं ० यावासविसदवेसाहिं कणगगिरिसिहरसंसिताहिं उवायप्पायचवलजयिणसिग्घवेगाहिं हंसवधूयाहिं चेव कलिया, णाणामणिकणगमहरिहतवणिज्जुज्जलविचित्तडंडाहिं सलिलयाहिं णरवइसिरिसमुदयप्पगासणकरीहिं वरपट्टणुग्गयाहिं समिद्धराय-कुलसेवियाहिं कालागुरुपवरकुंदरुक्कतुरुक्कधूववसवास-विसदगंधुद्धयाभिरामाहिं चिल्लिगाहिं उभओपासं वि चामराहिं उक्खिप्पमाणाहिं सुहसीयलवाय वीइयंगा । अजिया अजियरहा हलमूसलकणगपाणी संखचक्कगयसत्तिणंदगधरा पवरुज्जलसुकयविमल कोथूभतिरीडधारी कुंडलउज्जोवियाणणा पुंडरीयणयणा एगावलीकंठरइयवच्छा सिरिवच्छसुलंछणा वरजसा सव्वोउय-सुरभिकुसुमसुरइय पलंबसोहंत वियसंत चित्तवणमालरइयवच्छा अट्ठसयविभत्तलक्खण पसत्य-सुंदरविराइयंगमंगा मत्तगयवरिंद-ललिय विक्कम विलसियगई कडिसुत्तग णील पीय-कोसिज्जवाससा पवरदित्ततेया सारय-णव-थणिय-महुर गंभीरणिद्धघोसा णरसीहा सीहविक्कमगई अत्यमियपवररायसीहा सोमा बारवइपुण्णचंदा पुव्वकय-तवप्पभावा णिविद्वसंचियसुहा अणेगवाससयमाउवंता भज्जाहि य जणवयप्पहाणाहिं लालियंता अउलसद्दफरिसरसरूवगंधे अणुहवित्ता, ते वि उवणमंति मरणधम्म अवितत्ता कामाणं । भुज्जो मंडलिय-णरवरिंदा सबला सअंतेउरा सपरिसा सपुरोहियामच्च-दंडणायग सेणावइ-मंतणीइकुसला णाणामणिरयणविपुल-धणधण्णसंचयणिही-समिद्धकोसा रज्जसिरिं विउलमणुहवित्ता विक्कोसंता बलेण मत्ता ते वि उवणमंति मरणधम्म अवितत्ता कामाणं ।। भुज्जो उत्तरकुरु-देवकुरु-वणविवर-पायचारिणो णरगणा भोगुत्तमा भोग लक्खणधरा भोगसस्सिरीया पसत्थसोमपडिपण्णरूवदरिसणिज्जा सजाय सव्वंग-संदरंगा रत्तुप्पलपत्तकंतकरचरण-कोमलतला सुपइट्ठियकुम्मचारुचलणा अणु-पुव्वसुसंहतंगुलीया उण्णयतणुतंबणिद्धणक्खा संठियसुसिलिट्ठगूढगुंफा एणी कुरुविंद वत्तवट्टाणुपुट्विजंघा समुग्गणिसग्गगूढजाणू वरवारणमत्त तुल्लविक्कम-विलासिय गई वरतुरगसुजायगुज्झदेसा आइण्णहयव्वणिरुवलेवा पमुइयवरतुरग सीहअइरेग- वट्टियकडी गंगावत्तदाहिणावत्त तरंगभंगुररविकिरण-बोहियविकोसायं तपम्ह- गंभीर वियडणाभी साहत सोणंदमुसल दप्पण णिगरियवरकण गच्छरुसरिस-वरवइर-वलियमज्झा, उज्जुगसम सहिय-जच्चतणुकसिणणिद्ध-आइज्ज- लडहसूमालमउयरोमराई, झसविहग सुजाय पीणकुच्छी झसोयरा पम्हवियडणाभी संणयपासा संगयपासा सुंदरपासा सुजायपासा मियमाइयपीणरइयपासा अकरंडुय कणगरुयगणिम्मलसुजायणिरुवहयदेहधारी, कणगसिलातल पसत्थसमतलउवइय वित्थिण-पिहलवच्छा, जुयसण्णिभपीणरइय पीवरपउट्ठ संठिय सुसिलिट्ठविसिठ्ठलट्ठ- सुणिचियघणथिरसुबद्धसंधी, पुरवर फलिहवट्टिय -भुया । भुयईसरविउलभोगआयाणफलिहउच्छूढदीहबाहू, रत्ततलोवतियमउयमंसल सुजाय-लक्खणपसत्थअच्छिद्दजालपाणी, पीवरसुजायकोमलवरंगुली, तंबत लिणसुइरुइलणिद्धणखा, णिद्धपाणिलेहा चंदपाणिलेहा, सूरपाणिलेहा, संखपाणिलेहा, चक्कपाणिलेहा, दिसासोवत्थियपाणिलेहा, रविससि संखवरचक्कदिसा सोवत्थिय-विभत्तसुविरइयपाणिलेहा वरमहिसवराहसीहस लरिसहणागवरपडिपुण्ण विउल- खंधा, चउरंगुलसुप्पमाणकंबुवरसरिसग्गीवा, अवट्ठियसुविभत्तचित्तमंसू, उवचिय मंसलपसत्थसददूलविउलहणुया, Page #24 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्रश्नव्याकरण सुत्तं ओयवियसिलप्पवालबिंबफलसण्णिभाधरोट्ठा, पंडुरससिसकलविमलसंखगोखीरफेणकुंददगरयमुणालियाधवलदंतसेढी, अखंडदंता अप्फुडियदंता अविरलदंता सुणिद्धदंता सुजायदंता एगदंतसेढिव्व अणेगदंता हुयवहणिदंतधोयतत्ततवणिज्जरत्ततला तालुजीहा, गरुलायतउज्जुतुंगणासा, अवदालिय-पोंडरीयणयणा, कोकासियधवलपत्तलच्छा आणामियचाव-रुइलकिण्हब्भराजिसंठिय-संगयायय-सुजायभुमगा, अल्लीणपमाणजुत्तसवणा, सुसवणा, पीणमंसल कवोल-देसभागा, अचिरुग्गयबालचंदसंठियमहाणिडाला, उडुवइरिव पडिपुण्ण सोमवयणा, छत्तागारुत्तमंगदेसा, घणणिचिय-सुबद्ध-लक्खणुण्णय-कूडागारणिभ-पिंडियग्गसिरा, यवहणिलंतधोयतत्ततवणिज्जरत्तकेसंतकेसभूमी सामली पोंड घण णिचिय-छोडियमिउविसदपसत्थसुहुमलक्खणसुगंधिसुंदरभुयमोयग भिंगणीलकज्जल पहट्ठभमरगणणिद्धणिगुरुंबणिचियकुंचियपयाहिणावत्तसमुद्धसिरया, सुजायसुविभत्त-संगयंगा । लक्खणवंजणगुणोववेया पसत्थबत्तीसलक्खणधरा हंसस्सरा कुंचस्सरा दुंदुभिस्सरा सीहस्सरा उज्जस्सरा मेहस्सरा सुस्सरा सुस्सरणिग्घोसा वज्जरिसहणाराय संघयणा समचउरंससंठाणसंठिया छायाउज्जोवियंगमंगा पसत्थच्छवी णिरातंका कंकग्गहणी कवोयपरिणामा सउणिपोसपिटुंतरोरुपरिणया पउमुप्पलसरिसगंधुस्सास सुरभिवयणा अणुलोमवाउवेगा अवदायणिद्धकाला विग्गगहियउण्णयकच्छी अमयरस फलाहारा तिगाउयसमसिया तिपलिओवमद्विइया तिण्णि य पलिओवमाई परमाउं पालइत्ता ते वि उवणमंति मरणधम्म अवितत्ता कामाणं । पमया वि य तेसिं होति सोम्मा सुजायसव्वंगसुंदरीओ पहाणमहिलागुणेहिं जुत्ता अइकंतविसप्पमाण-मउयसुकुमालकुम्मसंठिय-सिलिट्ठचलणा उज्जुमउय-पीवर सुसंहतंगुलीओ अब्भुण्णय-रइय-तलिण-तंबसुइणिद्धणखा रोमरहियवदृसंठिय-अजहण्णपसत्थलक्खण अकोप्पजंघजुयला सुणिम्मियसुणिगूढजाणू मंसलपसत्थ- सुबद्धसंधी कयलीखंभाइरेकसंठियणिव्वणसुकुमालमउयकोमलअविरलसमसहिय-सुजायवट्टपीवरणिरंतरोरू अट्ठावयवीइपट्ठसंट्ठियपसत्थ-विच्छिण्णपिहलसोणी वयणायामप्पमाणदुगुणिय विसालमंसलसुबद्धजहणवरधारिणीओ । वज्जविराइयपसत्थलक्खणणिरोदरीओ तिवलिवलियतणुणमियमज्झियाओ उज्जुयसमसहिय जच्चतणु-कसिणणिद्ध-आइज्जलहसुकुमालमउयसुविभत्तरोमराई गंगावत्तगपयाहिणा-वत्ततरंग भंगरविकिरणतरुणबोहियअकोसायंत पउम-गंभीर-वियडणाभी अणुब्भडपसत्थसुजायपीणकुच्छी, सण्णयपासा सुजायपासा संगयपासा मियमायियपीणरइयपासा, अकरंडुयकणगरुयगणिम्मलसुजायणिरुवहयगायलट्ठी कंचणकलसपमाण-समसहियलट्ठचुचुयआमेलग-जमलजुयलवट्टियपयोहराओ, भयंगअणुपुव्वतणुयगोपुच्छ-वट्टसमसहियणमियआइज्जलडहबाहा तंबणहा मंसलग्गहत्था कोमलपीवरवरंगुलिया णिद्धपाणिलेहा ससिसूरसंखचक्कवर सोत्थिय विभत्तसुविरइय पाणिलेहा । पीणुण्णयकक्खवत्थीप्पएसपडिपुण्ण-गलकवोला, चउरंगुलसुप्पमाणकंबुवर सरिसगीवा, मंसलसंठियपसत्थहणुया, दालिमपुप्फप्पगासपीवरपलंब कुंचियवराधरा, सुंदरोत्तरोढा, Page #25 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्रश्नव्याकरण सुत्तं दधिदगरयकुंदचंदवासंतिमउलअच्छिद्दविमलदसणा रत्तुप्पलपउमपत्त-सुकुमालतालुहा कणवीरमउलअकुडिल अब्भुण्णय- उज्जुतुंग-णासा, सारयणव-कमल- कुमुयकुवलयदलणिगरसरिसलक्खणपसत्थ-अजिम्हकंतणयणा आणामिय- चावरुइल - किण्हब्भराइसंगयसुजायतणुकसिणणिद्धभुमगा, अल्लीणपमाणजुत्त-सवणा, सुस्सवणा, पीणमट्ठगंडलेहा, चउरंगुल-विसालसमणिडाला, कोमुइरयणियर- विमलपडिपुण्ण सोमवयणा, छत्तुण्णयउत्तमंगा, अकविलसुसिणिद्धदीहसिरया । छत्त-ज्झय-जूव-थूभ-दामिणि-कमंडलु-कलस-वावि-सोत्थिय-पडाग- जव मच्छ-कुम्भ-रहवरमकरज्झय-अंक-थाल-अंकुस - अट्ठावय-सुपइट्ठअमरसिरिया - भिसेय तोरण- मेइणि-उदहिवर-पवरभवणगिरिवर-वरायंस- सुललियगय-उसभ-सीह-चामरपसत्थ-बत्तीसलक्खणधरीओ I हंससरिसगईओ कोइलमहुयरिगिराओ कंता सव्वस्स अणुमयाओ ववगय वलिपलितवंग-दुव्वणवाहि-दोहग्ग-सोयमुक्काओ, उच्चतेण य राण थोवूण- मूसियाओ सिंगारागार चारुवेसा, सुंदरथणजहण-वयणकरचरण-णयणा लावण्ण-रूवजोव्वणगुणोववेया णंदण वणविवर-चारिणीओ अच्छाराओव्व उत्तरकुरु- माणुसच्छराओ अच्छेरगपेच्छणिज्जियाओ तिण्णि य पलिओवमाइं परमाउं पालइत्ता ताओ वि उवणमंति मरणधम्मं अवितित्ता कामाणं । १३ मेहुणसण्णासंपगिद्धा य मोहभरिया सत्थेहिं हणंति एक्कमेक्कं । विसय- विसउदीरएसु अवरे परदारेहिं हम्मंति विसुणिया धणणासं सयणविप्पणासं य पाउणंति । परस्स दाराओ जे अवरिया मेहुणसण्णासंपगिद्धा य मोहभरिया अस्सा हत्थी गवा य महिसा मिगा य मारेंति एक्कमेक्कं । मणुयगणा वाणरा य पक्खी य विरुज्झंति, मित्ताणि खिप्पं हवंति सत्तू । समए धम्मे गणे य भिंदति पारदारी । धम्मगुणरया य बंभयारी खणेण उल्लोट्ठए चरित्ताओ । जसमंतो सुव्वया य पावेंति अयसकित्तिं । रोगत्ता वाहिया पवड्ढेंति रोगवाही । दुवे य लोया दुआराहगा हवंतिइहलोए चेव परलोए, परस्स दाराओ जे अविरया । तहेव केइ परस्स दारं गवेसमाणा गहिया य हया य बद्धरुद्धा य एवं जाव गच्छंति विउल मोहाभिभूय-सण्णा । १५ धर्म-शीलं कुलाचारं, शौर्यं स्नेहं च मानवाः तावदेव हयपेक्षन्ते, यावन्न स्त्रीवशो भवेत् ॥ १४ मेहुणमूलं य सुव्वए तत्थ तत्थ वुत्तपुव्वा संगामा बहुजणक्खयकरा सीयाए दोवईए कए, रुप्पिणीए, पउमावईए, ताराए, कंचणाए, रत्तसुभद्दाए, अहिल्लियाए, सुवण्णगुलियाए, किण्णरीए, सुरूवविज्जुमईए, रोहिणीए य, अण्णेसु य एवमाइ - एसु बहवे महिलाकएसु सुव्वंति अइक्कंता संगामा गामधम्ममूला । अबंभसेविणो इहलोए ताव णट्ठा, परलोए वि य णट्ठा महया मोहतिमिसंधयारे घोरे तसथावरसुहुमबायरेसु पज्जत्तमपज्जत्त-साहारणसरीरपत्तेयसरीरेसु य अंडय पोयय-जराउय- रसय-संसेइम सम्मुच्छिम - उब्भियउववाइएस य णरयतिरियदेव माणुसेसु, जरामरणरोगसोगबहुले, पलिओवमसागरोवमाइं अणाईयं अणवदग्गं दीहमद्धं चाउरंत संसार - कंतारं अणुपरियदृति जीवा मोहवससण्णिविट्ठा । एसो सो अबंभस्स फलविवागो इहलोइओ परलोइओ य अप्पसुहो बहुदुक्खो महब्भओ बहुरयप्पगाढो दारुणो कक्कसो असाओ वाससहस्सेहिं मुच्चइ, ण य अवेयइत्ता अस्थि हु मोक्खति । 20 Page #26 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [] प्रश्नव्याकरण सुत्तं एवमाहंसु णायकुलणंदणो महप्पा जिणो उ वीरवरणामधिज्जो कहेसी य अबंभस्स फलविवागं एयं । तं अबंभं वि चउत्थं सदेवमाणुयासुरस्सलोयस्स पत्थणिज्जं जाव चिरपरिचियमणुगयं दुरं । ॥ [N] ॥ चउत्थं अज्झयणं समत्तं ॥ ॥ चउत्थं आसवदारं समत्तं ॥ पंचमं अज्झयणं - पंचमं आसवदारं परिग्गहो जंबू ! इत्तो परिग्गहो पंचमो उ णियमा णाणामणि - कणग-रयण-महरिहरिमल-सपुत्तदारपरिजण दासी दास भयग पेस हय-गय- गो-महिस - उट्ट खर-अय-गवेलग-सीया-सगड-रह-जाण-जुग्ग-संदणसयणासण-वाहण-कुविय धणधण्ण-पाण-भोयणाच्छायण-गंध-मल्ल- भायण-भवणविहिं चेव बहुविहीयं भरहं णग-णगर-निगम जणवय-पुरवर दोणमुह-खेड - कब्बड - मडंब संबाह पट्टण सहस्स परिमंडियं । थिमियमेइणीयं एगच्छत्तं ससागरं भुंजिऊण वसुहं । लोहकलिकसाय अपरिमियमणंत-तण्हमणुगय-महिच्छ-सारणिरयमूलो, महक्खंधो, चिंतासयणिचिय विउल सालो, गारवपविरल्लियग्ग विडवो, णियडि - तयापत्तपल्लवधरो पुप्फफलं जस्स कामभोगा, आयासविसूरणा कलह-पकंपियग्गसिहरो णरवईसंपूइओ बहुजणस्स हिययदइओ इमस्स मोक्खवरमुत्तिमगस्स फलिहभूओ । चरिमं अहम्मदारं । तस्स य णामाणि गोण्णाणि होंति तीसं, तं जहा- परिग्गहो, संचयो, चयो, उवचयो, णिहाणं, संभारो, संकरो, आयरो, पिंडो, दव्वसारो, तहा महिच्छा, पडिबंधो, लोहप्पा, महद्दी, उवकरणं, संरक्खणा य, भारो, संपाउप्पायओ, कलिकरंडो, पवित्थरो अणत्थो, संथवो, अगुत्ती, आयासो, अविओगो, अमुत्ती, तण्हा, अणत्थओ, आसत्ती, असंतोसो ति य । तस्स एयाणि एवमाईणि णामधिज्जाणि होंति तीसं । ३ तं च पुण परिग्गहं ममायंति लोहघत्था भवणवर -विमाण-वासिणो परिग्गहरुई परिग्गहे विविहकरणबुद्धी, देवणिकाया य असुर-भुयग-गरुल-विज्जु-जलण-दीव - उदहि-दिसि -पवण थणिय- अणवण्णियपणवण्णिय-इसिवाइय-भूयवाइय-कंदिय- महाकंदिय-कुहंड-पयंगदेवा, पिसाय-भूय-जक्ख-रक्खसकिण्णर- किंपुरिस-महोरग-गंधव्वा य तिरियवासी । पंचविहा जोइसिया य देवा बहस्सई- चंदसूर- सुक्क- सणिच्छरा राहु- धूमकेउ-बुहा य अंगारका य तत्ततवणिज्जकणयवण्णा जे य गहा जोइसिम्मि चारं चरंति, केऊ य गइरईया अट्ठावीसइविहा य णक्खत्तदेवगणा णाणासठाण संठियाओ य तारगाओ ठियलेस्सा चारिणो य अविस्साममंडलगई उवरिचरा । उड्ढलोयवासी दुविहा वेमाणिया य देवा सोहम्मीसाण-सणकुमार-माहिंद बंभलोय-लंतकमहासुक्क-सहस्सार-आणय-पाणय-आरण-अच्चुया कप्पवर विमाणवासिणो सुरगणा, गेविज्जा 21 Page #27 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्रश्नव्याकरण सुत्तं अणुत्तरा दुविहा कप्पाईया विमाणवासी महिड्ढिया उत्तमा सुरवरा, एवं च ते चव्विहा सपरिसा वि देवा ममायंति भवण-वाहण जाणविमाण-सयणासणाणि य णाणाविह वत्थभूसणाण य पवरपहरणाणि य णाणामणिपंचवण्णादिव्वं य भायणविहिं णाणाविह कामरूव - वेउव्वियअच्छर गणसंघाए, दीव-समुद्दे, दिसाओ विदिसाओ चेइयाणि वणसंडे, पव्वए य गामणयराणि य आरामुज्जाणकाणणाणि य कूव-सर-तलाग वावि-दीहिय-देवकुल-सभप्पव-वसहिमाइयाइं बहु कित्तणाणि य परिगिण्हित्ता परिग्गहं विउल दव्वसारं देवावि सइंदगा ण तित्तिं ण तुट्ठि उवलति I अच्चंत-विउल लोहाभिभूयसण्णा वासहर - इक्खुगार वट्ट पव्वय-कुंडल-रुयगवरमाणुसोत्तर- कालोदहि-लवण-सलिल-दहपइ-रड्कर - अंजणक-सेल- दहिमुह-ओवाउप्पाय-कंचणकचित्त-विचित्त-जमगवर - सिहरिकूडवासी । वक्खार-सुविभत्तभागदेसासु अकम्मभूमिसु कम्मभूमिसु जे वि य णरा चाउरंतचक्कवट्टी वासुदेवा बलदेवा मंडलीया इस्सरा तलवरा सेणावई इब्भा सेट्ठी रट्ठिया पुरोहिया कुमारा दंडणायगा माडंबिया सत्थवाहा कोडुंबिया अमच्चा एए अण्णे य एवमाई परिग्गहं संचिणंति अणंतं असरणं दुरंतं अधुवमणिच्चं असासयं पावकम्मणेम्मं अवकिरियव्वं विणासमूलं वहबंधपरिकिलेसबहुलं अणंतसंकिलेस कारणं, ते तं धणकणगरयणणिचयं पिंडिया चेव लोहघत्था संसारं अइवयंति सव्वदुक्खसण्णिलयणं । परिग्गहस्स य अट्ठाए सिप्पसयं सिक्खए बहुजणो कलाओ य बावत्तरिं सुणिउणाओ लेहाइयाओ सउणरुयावसाणाओ गणियप्पहाणाओ, चउसट्ठि च महिलागुणे रइजणणे, सिप्पसेवं, असि-मसिकिसि-वाणिज्जं, ववहारं अत्थसत्थई- सत्थच्छरुप्पगयं, विविहाओ य जोगजुंजणाओ अण्णेसु एवमाइएसु बहुसु कारण- सएसु जावज्जीवं णडिज्जए संचिणंति मंदबुद्धी । परिग्गहस्सेव य अट्ठाए करंति पाणाण वहकरणं, अलिय णियडिसाइसंपओगे- परदव्वाभिज्जा सपरदार अभिगमणासेवणाए आयासविसूरणं कलहभंडणवेराणि य अवमाणणविमाणणाओ इच्छमहिच्छप्पिवाससययंतिसिया तण्हगेहिलोहघत्था अत्ताणा अणिग्गहिया करेंति कोहमाणमायालोहे | अकित्तणिज्जे परिग्गहे चेव होंति णियमा सल्ला दंडा य गारवा य कसाया सण्णा य कामगुणअण्हगा व इंदियलेस्साओ सयणसंपओगा सचित्ताचित्तमीसगाई दव्वाइं अणंतगाई इच्छंति परिघेत्तुं । सदेवमणुयासुरम्मि लोए लोहपरिग्गहो जिणवरेहिं भणिओ, णत्थि एरिसो पासो पडिबंधो अत्थि सव्वजीवाणं सव्वलोए । अर्थानामर्जने दुक्खं, अर्जिताम् च रक्षणे । आये दुक्खं व्यये दुक्खं धिक् ! अहो दुक्खभाजनम् ॥ 9 परलोगम्मि य णट्ठा तमं पविट्ठा महयामोहमोहियमई तिमिसंधयारे तसथावरसुहुम बायरेसु पज्जत्तमपज्जत्तग-साहारण-पत्तेयसरीरेसु य अण्डय-पोयय-जराउय-रसय-संसेइम-सम्मुच्छिम उब्भिय-उववाइसु य णरय - तिरिय-देव- मणुस्सेसु जरामरणरोगसोगबहुलेसु पलिओवमसागरोवमाइं अणाइयं अणवयग्गं दीहमद्धं चाउरंतसंसारकंतारं अणुपरियट्टंति जीवा लोहवस सण्णिविट्ठा । 22 Page #28 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्रश्नव्याकरण सुत्तं एसो सो परिग्गहस्स फलविवागो इहलोइओ परलोइओ अप्पसुहो बहुदुक्खो महब्भओ बहरयप्पगाढो दारुणो कक्कसो असाओ वाससहस्सेहिं मुच्चइ ण य अवेयइत्ता अत्थि हु मोक्खोत्ति । एवमाहंसु णायकुलणंदणो महप्पा जिणो उ वीरवरणामधिज्जो कहेसी य परिग्गहस्स फलविवागं। एसो सो परिग्गहो पंचमो उ णियमा णाणामणिकणगरयण-महरिह एवं जाव इमस्स मोक्खवरमुत्तिमग्गस्स फलिहभूओ । त्ति बेमि || || पंचमं अज्झयणं समत्तं ॥ ॥ पंचमं आसवदारं समत्तं || ॥ आसवदारं समत्तं ॥ परिसेसो : १ एएहिं पंचहिं आसवेहिं, रयमादिणित्तु अणुसमयं । चउविहगइपेरंतं, अणुपरियदृति संसारे ॥१॥ २ सव्वगइपक्खंदे, काहिंति अणंतए अकयपुण्णा । जे य ण सुणंति धम्मं, सोऊण य जे पमायंति ॥२॥ ३ अणुसिटुं वि बहुविहं, मिच्छदिट्ठिया जे णरा अहम्मा । बद्धणिकाइयकम्मा, सुणंति धम्म ण य करेंति ॥३॥ किं सक्का काउं जे, णेच्छड़ ओसहं मुहा पाउं । जिणवयणं गुणमहुरं, विरेयणं सव्वदुक्खाणं ॥४॥ पंचेव य उज्झिऊणं, पंचेव य रक्खिऊण भावेणं । कम्मरय-विप्पमुक्कं, सिद्धिवर-मणुत्तरं जंति ॥५॥ पढमो सुयखंधो समत्तो Page #29 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्रश्नव्याकरण सुत्तं बीओ सुयखंधो संवरदारं पढमं अज्झयणं - पढमं संवरदारं अहिंसा जंबू ! एत्तो संवरदाराई, पंच वोच्छामि आणुपुव्वीए । जह भणियाणि भगवया, सव्वदक्खविमोक्खणढाए ॥१॥ पढम होइ अहिंसा, बिइयं सच्चवयणं ति पण्णत्तं । दत्तमणुण्णाय संवरो य, बंभचेर-मपरिग्गहत्तं च ॥२॥ तत्थ पढमं अहिंसा, तस-थावर-सव्वभूय-खेमकरी । तीसे सभावणाओ, किंचि वोच्छं गुणुद्देसं ॥३॥ णिद्दिष्टुं एत्थ वयं इक्क चिय जिणवरेहिं सव्वेहिं । पाणाइवायवेरमणमवसेसा तस्स रक्खट्ठा ॥ ताणि उ इमाणि सुव्वय ! महव्वयाई लोयहियसव्वयाइं सुयसागर-देसियाइं तवसंजममहव्वयाई सीलगुणवरव्वयाइं सच्चज्जवव्वयाई णरय-तिरिय-मणुय-देवगइ विवज्जगाइं सव्वजिणसासगाई कम्मरयविदारगाइं भवसयविणासगाई दुहसय वमोयणगाइं सुहसयपवत्तणगाइं कापुरिसदुरुत्तराई सप्पुरिसणिसेवियाई णिव्वाण गमण सग्गप्पयाणगाइं संवरदाराइं पंच कहियाणि उ भगवया । तत्थ पढमं अहिंसा जा सा सदेवमणुयासुरस्स लोयस्स भवइ दीवो ताणं सरणं गई पइट्ठाणिव्वाणं, णिव्वुई, समाही, सत्ती, कित्ती, कंती, रई य, विरई य, सुयंग, तित्ती, दया, विमुत्ती, खंती, सम्मत्ताराहणा, महंती, बोही, बुद्धी, धिई, समिद्धी, रिद्धी, विद्धी, ठिई, पुट्ठी, णंदा, भद्दा, विसुद्धी, लद्धी, विसिट्ठदिट्ठी, कल्लाणं, मंगलं, पमोओ, विभूई, रक्खा, सिद्धावासो, अणासवो, केवलीण ठाणं, सिवं, समिई, सीलं, संजमो त्ति य, सीलपरिघरो, संवरो य, गुत्ती, ववसाओ, उस्सओ य, जण्णो, आययणं, जयणं, अप्पमाओ, अस्सासो, वीसासो, अभओ, सव्वस्स वि अमाघाओ, चोक्ख, पवित्ता, सूई, पूया, विमल, पभासा य, णिम्मलयर त्ति एवमाईणि णिययगुणणिम्मियाइं पज्जवणामाणि होति अहिंसाए भगवईए | एसा सा भगवई अहिंसा जा सा भीयाण विव सरणं, पक्खीणं विव गमणं, तिसियाणं विव सलिलं, खुहियाणं विव असणं, समुद्दमज्जे व पोयवहणं, चउप्पयाणं व आसमपयं, दुहट्ठियाणं व ओसहिबलं, अडवीमज्जे व सत्थगमणं । एत्तो विसिट्टतरिया अहिंसा जा सा पुढवी-जल-अगणि-मारुय वणस्सइ बीय-हरिय-जलयरथलयर-खहयर-तस-थावर-सव्वभूय-खेमकरी । एसा भगवई अहिंसा जा सा अपरिमिय-णाणदंसणधरेहिं सीलगुण विणय तवसंयमणायगेहिं तित्थयरेहिं सव्वजगजीववच्छलेहिं तिलोयमहिएहिं जिणवरेहिं (जिणचंदेहि) सुहुदिहा, ओहिजिणेहिं ४ Page #30 -------------------------------------------------------------------------- ________________ w प्रश्नव्याकरण सुत्तं विण्णाया, उज्जुमईहिं विदिट्ठा, विउलमईहिं विदिआ, पुव्वधरेहिं अहीया, वेउव्वीहिं पइण्णा, आभिणिबोहियणाणीहिं सुयणाणीहिं, मणपज्जवणाणीहिं केवलणाणीहिं आमोसहि पत्तेहिं खेलोसहिपत्तेहिं जल्लोसहिपत्तेहिं विप्पोसहिपत्तेहिं सव्वोसहिपत्तेहिं बीयबुद्धीहिं कोट्ठबुद्धीहिं पयाणुसारीहिं संभिण्ण-सोएहिं सुयधरेहिं मणबलिएहिं वयबलिएहिं कायबलिएहिं णाणबलिएहिं दंसण-बलिएहिं चरित्तबलिएहिं खीरासवेहिं महुआसवेहिं सप्पियासवेहिं अक्खीण-महाणसिएहिं चारणेहिं विज्जाहरेहिं । चउत्थभत्तिएहिं एवं जाव छम्मासभत्तिएहिं उक्खित्तचरएहिं णिक्खित्तचरएहिं अंतचरएहिं पंतचरएहिं लूहचरएहिं समुयाणचरएहिं अण्णगिलाएहिं मोचर- एहिं संसट्ठकप्पिएहिं तज्जायसंसट्ठकप्पिएहिं उवणिएहिं सुद्धेसणिएहिं संखादत्ति- एहिं दिट्ठलाभिएहिं पुट्ठलाभिएहिं आयंबिलिएहिं पुरिमड्ढिएहिं एक्कासणिएहिं णिव्विइएहिं भिण्णपिंडवाइएहिं परिमियपिंडवाइएहिं अंताहारेहिं पंताहारेहिं अरसाहारेहिं विरसाहारेहिं लूहाहारेहिं तुच्छाहारेहिं अंतजीवीहिं पंतजीवीहिं लूहजीवीहिं तुच्छ्जीवीहिं उवसंतजीवीहिं पसंतजीवीहिं विवित्तजीवीहिं अखीरमहु-सप्पिएहिं अमज्जमंसासिएहिं ठाणाइएहिं पडिमंठाईहिं ठाणुक्कडिएहिं वीरासणि-एहिं णेसज्जिएहिं डंडाइएहिं लगंडसाईहिं एगपासगेहिं आयावएहिं अप्पा एहिं अणिट्ठीवएहिं अकडूयएहिं धुयकेसमंसुलोमणहेहिं सव्व गायपडिकम्मविप्पमुक्केहिं समणुचिण्णा, सुयहरविइयत्थकायबुद्धीहिं। धीरमइबुद्धिणो य जे ते आसीविस उग्गतेय कप्पा णिच्छयववसायपज्जत्तकयमईया णिच्चं सज्झायज्झाण अणुबद्धधम्मज्झाणा पंचमहव्वय चरित्तजुत्ता समिया समिइसु, समियपावा छव्विह जगवच्छला णिच्चमप्प- मत्ता, एएहिं अण्णेहिं य जा सा अणुपालिया भगवई । महाजनो येन गतः स पन्थाः इमं च पुढवि- दग-अगणि-मारुय-तरुगण-तस थावर- सव्वभूयसंजमदय- इयाए सुद्धं उंछं गवेसियव्वं अकयमकारियमणाहूयमणुद्दिट्ठ अकीयकडं णवहि य कोडीहिं सुपरिसुद्धं, दसहि य दोसेहिं विप्पमुक्कं, उग्गम-उप्पायणेसणासुद्धं ववगयचुय चावियचत्तदेहं च फासुयं च । ण णिसज्ज कहापओयणक्खासुओवणीयं ति ण तिगिच्छा - मंत-मूल-भेसज्जकज्जहेउं, ण लक्खणुप्पाय सुमिण जोइस णिमित्त कहकुहकप्पउत्तं । ण वि डंभणाए ण वि रक्खणाए, ण वि सासणाए, ण वि डंभण रक्खण सासणाए भिक्खं गवेसियव्वं । ण वि वंदणाए, ण वि माणणार, वि पूयणाए, ण वि वंदण- माणण- पूयणाए भिक्खं गवेसियव्वं । ण वि हीलणाए, ण वि जिंदणाए, ण वि गरहणाए, ण वि हीलण जिंदण गरहणाए भिक्खं गवेसियव्वं । ण वि भेसणाए, ण वि तज्जणाए ण वि तालणा, ण वि भेसण तज्जण तालणाए भिक्खं गवेसियव्वं । ण वि गारवेणं, ण वि कुहणयाए, ण वि वणीमयाए, ण वि गारव - कुहणवणीमयाए भिक्खं गवेसियव्वं । ण वि मित्तयाए, ण वि पत्थणाए, ण वि सेवणाए, वि मित्त-पत्थण-सेवणाए भिक्खं गवेसियव्वं । अण्णाए अगढिए अदुट्ठे अदीणे अविमणे अकलुणे अविसाई अपरितंतजोगी जयणघडणकरणचरियविणयगुणजोग संपत्ते भिक्खू भिक्खेसणाए णिरए । ७ इमं च णं सव्वजगजीव-रक्खण-दयट्ठयाए पावयणं भगवया सुकहियं, अत्तहियं पेच्चाभावियं आगमेसिभद्दं सुद्धं णेयाउयं अकुडिलं अणुत्तरं सव्वदुक्खपावाण विउसमणं । 25 Page #31 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्रश्नव्याकरण सुत्तं 2 तस्स इमा पंच भावणाओ पढमस्स वयस्स होंति पाणाइवायवेरमण परिरक्खणट्ठयाए । पढमं- ठाण-गमण-गुणजोग जुंजणजुगंतर णिवाइयाए दिट्ठीए ईरियव्वं, कीड- पयंग-तस-थावरदयावरेण णिच्चं पुप्फ-फल-तय-पवाल- कंद-मूल- दग-मट्टिय- बीय-हरिय-परिवज्जिएण सम्मं । एवं खलु सव्वपाणा ण हीलियव्वा ण निंदियव्वा ण गरहियव्वा, ण हिंसियव्वा, ण छिंदियव्वा, ण भिंदियव्वा, ण वहेयव्वा, ण भयं दुक्खं च किंचि लब्भा पावेउं, एवं ईरियासमिइजोगेण भाविओ भवइ अंतरप्पा असबलमसंकिलिट्ठ - णिव्वण चरित्त भावणाए अहिंसए संजए सुसाहू । बिइयं च- मणेण पावएणं पावगं अहम्मियं दारुणं णिस्संसं वह बंध परिकिलेस बहुलं भयमरण-परिकिलेससंकिलिट्ठ ण कयावि मणेण पावएणं पावगं किंचि वि झायव्वं । एवं मणसमिइजोगेण भाविओ भवइ अंतरप्पा असबलमसंकिलिट्ठ णिव्वणचरित्तभावणाए अहिंस संजय साहू । १० तइयं च वईए पावियाए पावगं ण किंचि वि भासियव्वं । एवं वइ समिइ - जोगेण भाविओ भवइ अंतरप्पा असबलमसंकिलिट्ठ- णिव्वण-चरित्तभावणाए अहिंसए संजए सुसाहू । चउत्थं- आहारएसणाए सुद्धं उंछं गवेसियव्वं अण्णाए अगढिए अदुट्ठे अदीणे-अकलुणेअविसाई अपरितंतजोगी जयण-घडण करण-चरिय-विणय-गुण जोग संपओगजुत्ते भिक्खू भिक्खेसणाए जुत्ते समुदाणेऊण भिक्खचरियं उंछं घेत्तूण आगओ गुरुजणस्स पासं गमणागमणाइयारे पडिक्कमणपडिक्कंते आलोयणदायणं य दाऊण गुरुजणस्स गुरुसंदिट्ठस्स वा जहोवएसं णिरइयारं च अप्पमत्तो पुणरवि अणेसणाए पयओ पडिक्कमित्ता पसंते आसीणसुहणिसण्णे मुहुत्तमित्तं च झाणसुहजोग णाणसज्झायगोवियमणे धम्ममणे अविमणे सुहमणे अविग्गहमणे समाहियमणे सद्धासंवेगणिज्जरमणे पवयणवच्छलभावियमणे उट्ठिऊण य पहट्ठतुट्ठे जहारायणियं णिमंतइत्ता य साहवे भावओ य विइण्णे य गुरुजणेणं उपविट्ठे । संपमज्जिऊण ससीसं कायं तहा करयलं, अमुच्छिए अगिद्धे अगढिए अगरहिए अणज्झोववणे अणाइले अलुद्धे अणत्तट्ठिए असुरसुरं अचवचवं अदुयमविलंबियं अपरिसाडियं आलोयभायणे जयं पयत्तेण ववगय-संजोग - मणिंगालं च वधू अक्खोवंजणाणुलेवणभूयं संजमजायामायाणिमित्तं संजमभारवहणट्ठयाए भुंजेज्जा पाणधारणट्ठयाए संजएण समियं । एवं आहारसमिइजोगेणं भाविओ भवइ अंतरप्पा असबलमसंकिलिट्ठणिव्वणचरित्तभावणाए अहिंस संज साहू । पंचमं- आयाणणिक्खेवणसमिई- पीढ फलग - सिज्जा - संथारग वत्थ- पत्त कंबल - दंडग रयहरणचोलपट्टग-मुहपोत्तिय-पायपुंछणाई, एयं पि संजमस्स उवबूहणट्टयाए वायातव दंसमसग सीयपरिरक्खणट्ठायाए उवगरणं रागदोसरहियं परिहरियव्वं संजमेण णिच्चं पडिलेहण-पप्फोडणपमज्जणयाए अहो य राओ य अप्पमत्तेण होइ सययं णिक्खियव्वं च गिण्हियव्वं च भायणभंडोवहिउवगरणं । एवं आयाणभंडणिक्खेवणासमिइजोगेण भाविओ संकिलिट्ठणिव्वणचरित्तभावणाए अहिंसए संजए सुसाहू | १२ 26 भवइ अंतरप्पा असबलम Page #32 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्रश्नव्याकरण सुत्तं १३ एवमिणं संवरस्स दारं सम्मं संवरियं होइ सुप्पणिहियं इमेहिं पंचहिं पि कारणेहिं मण-वयण कायपरिरक्खिएहिं णिच्चं आमरणंतं च एस जोगो णेयव्वो धिइमया मइमया अणासवो अकिलेसो अच्छिद्दो असंकिलिट्ठो सुद्धो सव्वजिण मणुण्णाओ । एवं पढमं संवरदारं फासियं पालियं सोहियं तीरियं किट्टियं आराहियं आणाए अणुपालियं भवइ । एवं णायमुणिणा भगवया पण्णवियं परुवियं सिद्धं पसिद्धं सिद्धवरसासणमिणं आघवियं सुदेसियं पसत्थं । त्ति बेमि ॥ ॥ पढमं अज्झयणं समत्तं ॥ ॥ पढमं संवरदारं समत्तं ॥ बीअं अज्झयणं - बीअं संवरदारं सच्चवयणं १ जंबू ! बिइयं य सच्चवयणं सुद्धं सुइयं सिवं सुजायं सुभासियं सुव्वयं सुकहियं सुदिट्टं सुपइट्ठियं सुसंजमिय-वयण-बुइयं सुपइट्ठियजसं सुरवर-णरवसभ-पवरबलवग-सुविहियजणबहुमयं, परमसाहुधम्मचरणं, तव - णियमपरिग्गहियं सुगइपहदेसगं य लोगुत्तमं वयमिणं । विज्जाहर गगण गमणविज्जाण साहकं सग्गमग्गं सिद्धिपहदेसगं अवितहं, तं सच्चं उज्जुयं अकुडिलं भूयत्थं अत्थओ विसुद्धं उज्जोयकरं पभासगं भवइ सव्वभावाण जीवलोए, अविसंवाइ जहत्थमहुरं। पच्चक्खं दयिवयं व जं तं अच्छेरकारगं अवत्थंतरेसु बहुएस मणुसाणं। सच्चेण महासमुद्दमज्झे वि मूढाणिया वि पोया । सच्चेण य उदगसंभमम्मि वि ण वुज्झइ, ण य मरंति, थाहं ते लहंति । सच्चेण य अगणिसंभमम्मि वि ण डज्झंति उज्जुगा मणुस्सा सच्चेण य तत्ततेल्लतउलोहसीसगाइं छिवंति, धरेंति, ण य डज्झति मणुस्सा । पव्वयकडकाहिं मुच्चंते ण य मरंति सच्चेण य परिग्गहिया, असिपंजरगया समराओ णिइंति अणा य सच्चवाई | वहबंधभियोगवेर-घोरेहिं पमुच्चंति य अमित्तमज्झ हिं णिइंति अणहा य सच्चवाई । सादेव्वाणि य देवयाओ करेंति सच्चवयणे रयाणं । ३ तं सच्चं भगवं तित्थयरसुभासियं दसविहं, चोद्दसपुव्वीहिं पाहुडत्थविइयं, महरिसीण य समयप्पइण्णं, देविंद णरिंदभासियत्थं, वेमाणियसाहियं, महत्थं, मंतोसहिविज्जासाहणत्थं, चारणगणसमणसिद्धविज्जं, मणुयगणाणं वंदणिज्जं अमरगणाणं अच्चणिज्जं, असुरगणाण य पूयणिज्जं, अणेग पासंडिपरिग्गहियं, जं तं लोगम्मि सारभूयं, गंभीरयरं महासमुद्दाओ, थिरयरगं मेरुपव्वयाओ, सोमयरं चंदमंडलाओ, दित्तयरं सूरमंडलाओ, विमलयरं सरयणहतलाओ, सुरभियरं गंधमादणाओ, जे वि य लोगम्मि अपरिसेसा मंतजोगा जवा य विज्जा य जंभगा यथाि य सत्थाणि य सिक्खाओ य आगमा य सव्वाइं पि ताइं सच्चे पइट्ठियाई । 27 Page #33 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्रश्नव्याकरण सुत्तं ६ सच्चं वि य संजमस्स उवरोहकारगं किंचि ण वत्तव्वं, हिंसासावज्जसंपउत्तं भेयविकहकारगं अणत्थवायकलहकारगं अणज्जं अववाय-विवायसंपउत्तं वेलंब ओजधेज्जबहुलं णिल्लज्जं लोयगरहणिज्ज; दुद्दिढ़ दुस्सुयं अमुणियं अप्पणो थवणा परेसु जिंदा- ण तंसि मेहावी, ण तंसि धण्णो, ण तंसि पियधम्मो, ण तंसि कुलीणो, ण तंसि दाणवई, ण तंसि सूरो, ण तंसि पडिरूवो, ण तंसि लट्ठो, ण पंडिओ, ण तंसि बहुस्सुओ, ण वि य तंसि तवस्सी, ण यावि परलोयणिच्छयमई असि, सव्वकालं जाइ-कुल- रूव-वाहि-रोगेण वावि जं होइ वज्जणिज्जं दुहओ उवयारमइक्कंतं, एवं विहं सच्चं वि ण वत्तव्वं । अह केरिसगं पुणाई सच्चं तु भासियव्वं ? जं तं दव्वेहिं पज्जवेहि य गुणेहिं कम्मेहिं बहुविहेहिं सिप्पेहिं आगमेहि य णामक्खायणिवाय-उवसग्ग-तद्धिय- समास-संधि-पद-हेउ-जोगिय-उणाइ किरिया-विहाणधाउ-सर-विभत्ति-वण्णजयं तिकल्लं दसविहं पि सच्चं जह भणियं तह य कम्मुणा होइ । दुवालसविहा होइ भासा, वयणं वि य होइ सोलसविहं । एवं अरहंतमणण्णायं, संजएण कालम्मि य वत्तव्वं ॥ जणवय सम्मय ठवणा, नामे रूवे पडुच्चसच्चे य । ववहार भाव जोगे, दसमे ओवम्म सच्चे य || इमं च अलिय-पिसुण-फरुस-कड्य-चवलवयण-परिरक्खणट्ठयाए पावयणं भगवया सुकहियं अत्तहियं पेच्चाभावियं आगमेसिभदं सुद्धं णेयायउं अकुडिलं अणुत्तरं सव्वदुक्खपावाणं विउसमणं। तस्स इमा पंच भावणाओ बिइयस्स वयस्स अलियवयणस्स वेरमण परिरक्ख - णट्ठयाए | पढम-सोऊण संवरहूं परमटुं सुट्ट जाणिऊणं ण वेगियं ण तुरियं ण चवलं ण कडुयं ण फरुसं ण साहसं ण य परस्स पीडाकरं सावज्जं, सच्चं च हियं च मियं च गाहगं च सुद्धं संगयमकाहलं च समिक्खियं संजएण कालम्मि य वत्तव्वं । एवं अणुवीइसमिइजोगेण भाविओ भवइ अंतरप्पा संजय-कर-चरण-णयण-वयणो सूरो सच्चज्जवसंपण्णो । बिइयं-कोहो ण सेवियव्वो, कुद्धो चंडिक्किओ मणूसो अलियं भणेज्ज, पिसुणं भणेज्ज फरुसं भणेज्ज, अलियं पिसुणं फरुसं भणेज्ज, कलहं करिज्जा, वेरं करिज्जा, विकहं करिज्जा, कलहं वेरं विकहं करिज्जा, सच्चं हणेज्ज, सीलं हणेज्ज, विणयं हणेज्ज, सच्चं सीलं विणयं हणेज्ज, वेसो हवेज्ज, वत्) हवेज्ज, गम्मो हवेज्ज, वेसो वत्थं गम्मो हवेज्ज, एयं अण्णं च एवमाइयं भणेज्ज कोहग्गिसंपलित्तो तम्हा कोहो ण सेवियव्वो | एवं खंतीइ भाविओ भवइ अंतरप्पा संजयकर-चरण-णयण-वयणो सूरो सच्चज्जवसंपण्णो । तइयं-लोभो ण सेवियव्वो, लुद्धो लोलो भणेज्ज अलियं खेत्तस्स व वत्थुस्स व कएण | लुद्धो लोलो भणेज्ज अलियं, कित्तीए लोभस्स व कएण | लुद्धो लोलो भणेज्ज अलियं, इड्ढीए व सोक्खस्स व कएण | लुखो लोलो भणेज्ज अलियं भत्तस्स व पाणस्स व कएण | लुतो लोलो भणेज्ज अलियं, पीढस्स व फलगस्स व कएण । लुद्धो लोलो भणेज्ज अलियं सेज्जाए व संथारगस्स व कएण । लुतो लोलो भणेज्ज अलियं, वत्थस्स व पत्तस्स व कएण । लुतो लोलो Page #34 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्रश्नव्याकरण सुत्तं भणेज्ज अलियं, कंबलस्स व पायपुंछणस्स व करण । लुद्धो लोलो भणेज्ज अलियं, सीसस्स व सिस्सिणीए व कएण । अण्णेसु य एवमाइसु बहुसु कारणसएस लुद्धो लोलो भणेज्ज अलियं, तम्हा लोभो ण सेवियव्वो । एवं मुत्तीए भाविओ भवइ अंतरप्पा संजय कर-चरण-णयण वयणो सूरो सच्चज्जवसंपण्णो । १० चउत्थं-ण भीइयव्वं, भीयं खु भया अइंति लहुयं भीओ अबिइज्जओ मणूसो, भीओ भूहिं घेप्पेज्जा, भीओ अण्णं वि हु भेसेज्जा, भीओ तवसजमं वि हु मुएज्जा, भीओ य भरं ण णित्थरेज्जा, सप्पुरिसणिसेवियं च मग्गं भीओ ण समत्थो अणुचरिउ, तम्हा ण भाइयव्वं । भयस्स वा वाहिस्स वा रोगस्स वा जराए वा मच्चुस्स वा अण्णस्स वा एवमाइयस्स । एवं धेज्जेण भाविओ भवइ अंतरप्पा संजय कर-चरण-णयण - वयणो सूरो सच्चज्जवसंपण्णो । पंचमगं-हासं ण सेवियव्वं, अलियाई असंतगाई जंपंति हासइत्ता । परपरिभवकारणं च हासं, परपरिवायप्पियं च हासं, परपीलाकारगं च हासं, भेयविमुत्तिकारगं च हासं, अण्णोण्णजणियं च होज्ज हासं, अण्णोण्णगमणं च होज्ज मम्मं, अण्णोण्णगमणं च होज्ज कम्मं, कंदप्पाभियोगगमणं च होज्ज हासं, आसुरियं किव्विसत्तणं च जणेज्ज हासं, तम्हा हासं ण सेवियव्वं । ११ एवं मोणेण भाविओ भवइ अंतरप्पा संजयकर-चरण-णयण-वयणो सूरो सच्चज्जवसंपण्णो । एवमिणं संवरस्स दारं सम्मं संवरियं होइ सुप्पणिहियं, इमेहिं पंचहिं वि कारणेहिं मण-वयणकाय-परिरक्खिएहिं णिच्चं आमरणंतं च एस जोगो णेयव्वो धिमया मइमया अणासवो अकलुसो अच्छिद्दो अपरिस्सावी असंकिलिट्ठो सव्वजिणमणुण्णाओ । एवं बिइयं संवरदारं फासियं पालियं सोहियं तीरियं किट्टियं अणुपालियं आणाए आराहियं भवइ । एवं णायमुणिणा भगवया पण्णवियं परूवियं पसिद्धं सिद्धं सिद्धवरसासणमिणं आघवियं सुदेसियं पसत्थं । त्ति बेमि ॥ ॥ बिइयं अज्झयणं समत्तं ॥ ॥ बिइयं संवरदारं समत्तं ॥ तइअं अज्झयणं - तइअं संवरदारं दत्तमणुण्णाय 8 जंबू ! दत्तमणुण्णाय संवरो णाम होइ तइयं सुव्वयं ! महव्वयं गुणव्वयं परदव्व हरणपडिविरइकरणजुत्तं अपरिमियमणंत-तण्हाणुगय-महिच्छ मणवयण कलुस-आयाणसुणिग्गहियं सुसंजमिय-मण-हत्थ- पायणिहुयं णिग्गंथं णिट्ठियं णिरुत्तं णिरासवं णिब्भयं विमुत्तं उत्तमणर-वसभ-पवरबलवग- सुविहिय- जणसम्मतं परमसाहु-धम्मचरणं । ३ जत्थ य गामागर-णगर-निगम-खेड-कब्बड-मडंब-दोणमुह-संबाह-पट्टणा-समगयं च किंचि दव्वं मणि-मुत्त-सिलप्पवाल-कंस-दूस-यय- वरकणग-रयणमाइं पडियं पम्हुट्ठ विपणट्टं, ण कप्पइ 29 Page #35 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्रश्रव्याकरण सुत्तं |ब्द कस्सइ कहेउं वा गिण्हिउँ वा अहिरण्णसुवण्णियेण समलेढुकंचणेणं अपरिग्गहसंवुडेणं लोगम्मि विहरियव्वं । जं वि य हुज्जाहि दव्वजायं खलगयं खेत्तगयं रण्णमंतरगयं वा किंचि पुप्फ-फल-तयप्पवालकंद-मूल-तण-कट्ठ-सक्कराइ अप्पं च बहुं च अणुं च थूलगं वा ण कप्पइ उग्गहम्मि अदिण्णम्मि गिहिउं जे, हणि हणि उग्गहं अणुण्णविय गिण्हियव्वं, वज्जेयव्वो सव्वकालं अचियत्त घरप्पवेसो अचियत्तभत्तपाणं अचियत्तपीढफलग-सिज्जा-संथारग-वत्थ-पत्त-कंबल-दंडग-रयहरणणिसिज्ज-चोलपट्टग-मुहपोत्तिय -पायपुंछणाइ भायण-भंडोवहि-उवगरणं परपरिवाओ परस्स दोसो परववएसेणं जं च गिण्हइ परस्स णासेइ जं च सुकयं, दाणस्स य अंतराइयं दाणविप्पणासो पेसुण्णं चेव मच्छरियं च | जे वि य पीढ-फलग-सिज्जा-संथारग-वत्थ-पाय-कंबल-महपोत्तिय-पाय-पंछणाइ भायणभंडोवहिउवगरणं असंविभागी, असंगहरुई, तवतेणे य वइतेणे य रूवतेणे य आयारे चेव भावतेणे य, सद्दकरे झंझकरे कलहकरे वेरकरे विकहकरे असमाहिकरे सया अप्पमाणभोई सययं य णिच्चरोसी से तारिसए णाराहए वयमिणं । अह केरिसए पुणाई आराहए वयमिणं ? जे से उवहि-भत्त-पाण-संगहण-दाण-कुसले अच्चंतबालदुब्बल-गिलाण-वुड्ढ-खवग-पवत्ति-आयरिय- उवज्झाए सेहे साहम्मिए तवस्सी कुल-गण-संघचेइयढे य णिज्जरट्ठी वेयावच्चं अणिस्सियं दसविहं बहुविहं करेइ । ण य अचियत्तस्स गिहं पविसइ, ण य अचियत्तस्स गिण्हइ भत्तपाणं, ण य अचियत्तस्स सेवइ पीढ फलग-सिज्जा-संथारग-वत्थ-पाय-कंबल-दंडग-रयहरण-णिसिज्ज-चोलपट्टय-महपोत्तियं पायपुं छणाइ-भायण-भंडोवहिउवगरणं ण य परिवायं परस्स जंपइ, ण यावि दोसे परस्स गिण्हइ, परववएसेण वि ण किंचि गिण्हइ, ण य विपरिणामेइ किंचि जणं, ण यावि णासेइ दिण्णसुकयं, दाऊणं य ण होइ पच्छाताविए, संभागसीले संग्गहोवग्गहकसले से तारिसए आराहए वयमिणं । वेयावच्चं वावडभावो इह धम्मसाहणनिमित्तं । अन्नाइयाण विहिणा, संपायणमेस भावत्थो ॥ आयरिय-उवज्झाए थेर-तपस्वी-गिलाण-सेहाणं । साहम्मिय-कुल-गण-संघ-संगयं तमिह कायव्वं ॥ इमं च परदव्वहरणवेरमण-परिरक्खणट्ठयाए पावयणं भगवया सुकहियं अत्तहियं पेच्चाभावियं आगमेसिभदं सुद्धं णेयाउयं अकुडिलं अणुत्तरं सव्वदुक्खपावाणं विउवसमणं । तस्स इमा पंच भावणाओ होंति परदव्व-हरण-वेरमण-परिरक्खणट्ठयाए । पढम-देवकुलसभाप्पवावसह-रुक्खमूल-आराम-कंदरागर-गिरि-गुहा-कम्मंत उज्जाण जाणसाला-कुवियसालामंडव-सुण्णघर-ससाण-लेण- आवणे अण्णम्मि य एवमाइयम्मि दग-मट्टिय-बीय-हरिय-तसपाणअसंसत्ते अहाकडे फासुए विवित्ते पसत्थे उवस्सए होइ विहरियव्वं । आहाकम्मबहुले य जे से आसित्त-सम्मज्जिय-उवलित्त-सोहिय-छायण-दूमण-लिंपण अणुलिंपणजलण-भंडचालणं अंतो बहिं च असंजमो जत्थ वड्ढइ संजयाण अट्ठा वज्जियव्वो हु उवस्सओ से तारिसए सुत्तपडिकुढे । ५ Page #36 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्रश्नव्याकरण सुत्तं एवं विवित्तवासवसहिसमिइजोगेण भाविओ भवइ अंतरप्पा णिच्चं- अहिगरणकरणकारावण पावकम्मविरओ दत्तमण्ण्णाय उग्गहरुई । बिइयं-आराम-उज्जाण-काणण-वणप्पदेसभागे जं किंचि इक्कडं च कढिणगं च जंतुगं च परामेरकुच्च-कुस-डब्भ-पलाल-मूयग-वल्लय(वच्चय) पुप्फ- फल-तयप्पवाल-कंद-मूल-तण कट्ठसक्कराइ गिण्हइ सेज्जोवहिस्स अट्ठा, ण कप्पए उग्गहे अदिण्णम्मि गिहिउँ जे हणि हणि उग्गहं अणुण्णवियं गिण्हियव्वं। एवं उग्गहसमिइजोगेण भाविओ भवड अंतरप्पा णिच्चं अहिगरण-करण- कारावण-पावकम्मविरए दत्तमणुण्णाय उग्गहरुई । तइयं-पीढफलगसिज्जासंथारगट्ठयाए रुक्खा ण छिंदियव्वा, ण छेयणेण भेयणेण सेज्जाकारियव्वा, जस्सेव उवस्सए वसेज्ज सेज्जं तत्थेव गवेसिज्जा, ण य विसमं समं करेज्जा, ण णिवाय पवायउस्सुगत्तं, ण डंसमसगेसु खुभियव्वं, अग्गी धूमो ण कायव्वो, एवं संजमबहुले संवरबहले संवुडबहुले समाहिबहुले धीरे काएण फासयंतो सययं अज्झप्पज्झाणजुत्ते समिए एगे चरिज्ज धम्मं । एवं सेज्जासमिइजोगेण भाविओ भवइ अंतरप्पा णिच्चं अहिगरण-करण कारावण-पावकम्म-विरए दत्तमणुण्णाय उग्गहरुई । चउत्थं- साहारण पिंडपायलाभे सति भोत्तव्वं संजएणं समियं ण । सायसूपाहियं, ण खलं, ण वेगियं, ण तुरियं, ण चवलं, ण साहसं, ण य परस्स पीलाकरसावज्जं तह भोत्तव्वं जह से तइयवयं ण सीयइ । साहारणपिंडपायलाभे सुहुमं अदिण्णादाणवयणियमविरमणं । एवं साहारणपिंडपायलाभे समिइजोगेण भाविओ भवइ अंतरप्पा णिच्चं अहिगरण-करण-कारावणपावकम्मविरए दत्तमण्ण्णाय उग्गहरुई । पंचमगं- साहम्मिए विणओ पउंजियव्वो, उवगरणपारणासु विणओ पउंजियव्वो, वायणपरियट्टणासु विणओ पउंजियव्वो, दाणगहणपुच्छणासु विणओ पउंजियव्वो, णिक्खमणपवेसणासु विणओ पउंजियव्वो, अण्णेसु य एवमाइसु बहुसु कारण सएसु विणओ पउंजियव्वो । विणओ वि तवो, तवो वि धम्मो, तम्हा विणओ पउंजियव्वो गुरुसु साहुसु तवस्सीसु य । एवं विणएण भाविओ भवइ अंतरप्पा णिच्चं अहिगरण करणकारावण- पावकम्मविरए दत्तमणुण्णाय उग्गहरुई । एवमिणं संवरस्स दारं सम्म संवरियं होइ, सुप्पणिहियं, एवं जाव पंचहिं वि कारणेहिं मणवयण-काय-परिरक्खिएहिं णिच्चं आमरणंतं च एस जोगो णेयव्वो धिइमया मइमया अणासवो अकलुसो अछिद्दो अपरिस्सावी असंकिलिट्ठो सुद्धो सव्वजिणमणण्णाओ । एवं तइयं संवरदारं फासियं पालियं सोहियं तीरियं किट्टियं आराहियं आणाए अणुपालियं भवइ । एवं णायमुणिणा भगवया पण्णवियं परूवियं पसिद्धं सिद्धं सिद्धवर-सासणमिणं आघवियं सुदेसियं पसत्थं । त्ति बेमि || ॥ तइअं अज्झयाणं समत्तं ॥ ॥ तइअं संवरदारं समत्तं ॥ Page #37 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्रश्नव्याकरण सुत्तं चउत्थं अज्झयणं - चउत्थं संवरदारं बंभचेरं १ जंबू ! इत्तो य बंभचेरं उत्तम-तव-णियम-णाण-दंसण-चरित्त-सम्मत्त-विणयमूलं, यम-नियम गुणप्पहाणजुत्तं, हिमवंतमहंततेयमंतं, पसत्थगंभीर-थिमियमज्झं, अज्जवसाहुजणा चरियं, मोक्खमग्गं, विसुद्धसिद्धिगइणिलयं, सासयमव्वाबाहमपुणब्भवं, पसत्थं, सोम, सुभं, सिवमयलमक्खयकरं जइवर सारक्खियं, सुचरियं, सुभासियं, णवरि मुणिवरेहि महापुरिसधीरसूरधम्मिय-धिइमंताण य सया विसुद्धं, सव्वं भव्वजणाणुचिण्णं, णिस्संकिय णिब्भयं णित्तुसं, णिरायासं णिरुवलेवं णिव्वुइधरं णियमणिप्पकंपं तवसंजममूलदलियणेम्म पंच महव्वयसुरक्खियं समिइगुत्तिगुत्तं । झाणवरकवाडसुकयं अज्झप्प-दिण्णफलिहं सण्णरोच्छइयदुग्गइपहं सुगइ पहदेसगं च लोगुत्तमं च । २ वयमिणं पउमसर-तलागपालिभूयं महासगडअरगतुंबभूयं, महाविडिमरुक्ख-खंधभूयं महाणगरपागारकवाडफलिहभूयं रज्जुपिणिद्धो व इंदकेऊ विसुद्धणेगगुणसं-पिणद्धं, जम्मि य भग्गम्मि होइ सहसा सव्वं संभग्गमथियचुण्णिय-कुसल्लियं पल्लट्ट-पडिय-खंडिय-परिसडियविणासियं विणयसीलतवणियमग्णसमूहं । तं बंभं भगवंतं । तं बंभं भगवंतं-गहगणणक्खत्ततारगाणं वा जहा उडुवई । मणिमुत्तसिलप्पवालरत्तरयणागराणं च जहा समद्दो | वेरुलिओ चेव जहा मणीणं । जहा मउडो चेव भूसणाणं । वत्थाणं चेव खोमजुयलं । अरविंद चेव पुप्फजेटुं | गोसीसं चेव चंदणाणं । हिमवंतो चेव ओसहीणं । सीतोदा चेव णिण्णगाणं । उदहीसु जहा सयंभूरमणो । रुगयवरे चेव मंडलियपव्वयाणं पवरे । एरावण इव कुंजराणं । सीहोव्व जहा मियाणं पवरे । सवण्णगाणं चेव वेणदेवे | धरणो जहा णागिंदराया | कप्पाणं चेव बंभलोए | सभास य जहा भवे सुहम्मा । ठिइसु लवसत्तमव्व पवरा । दाणाणं चेव अभयदाणं । किमिराउ चेव कंबलाणं। संघयणे चेव वज्जरिसहे । संठाणे चेव समचउरंसे । झाणेसु य परम सुक्कज्झाणं। णाणेसु य परमकेवलं तु पसिद्धं । लेसासु य परमसुक्कलेस्सा | तित्थयरे चेव जहा मुणीणं । वासेसु जहा महाविदेहे । गिरिराया चेव मंदरवरे । वणेसु जहा णंदणवणं पवरं । दुमेसु जहा जंबू सुदंसणा विस्सुयजसा जीए णामेण य अयं दीवो | तुरगवई गयवई रहवई णरवई जह वीसुए चेव राया । रहिए चेव जहा महारहगए । एवमणेगा गुणा अहीणा भवंति एग्गम्मि बंभचेरे । जम्मि य आराहियम्मि आराहियं वयमिणं सव्वं सीलं तवो य विणओ य संजमो य खंती गुत्ती मत्ती तहेव इहलोइय-परलोइयजसे य कित्ती य पच्चओ य, तम्हा णिहुएण बंभचेरं चरियव्वं सव्वओ विसुद्धं जावज्जीवाए जाव सेयद्विसंजओ त्ति । एवं भणियं वयं भगवया । तं च इम पंच महव्वयसुव्वयमूलं, समणमणाइलसाहुसुचिण्णं । Page #38 -------------------------------------------------------------------------- ________________ w प्रश्नव्याकरण सुत्तं वेरविरामणपज्जवसाणं, सव्वसमुद्दमहोदहितित्थं ॥१॥ तित्थयरेहि सुदेसियमग्गं, णरयतिरिच्छविवज्जियमग्गं । सव्वपवित्तिसुणिम्मियसारं, सिद्धिविमाणअवंगुयदारं ॥२॥ देव-णरिंद-णमंसियपूयं, सव्वजगुत्तममंगलमग्गं । दुद्धरिसं गुणणायगमेक्कं, मोक्खपहस्स वडिंसगभूयं ॥३॥ जेण सुद्धचरिएण भवइ सुबंभणो सुसमणो सुसाहू । स इसी, स मुणी, स संजए, स एव भिक्खु, जो सुद्धं चरइ बंभचेरं । इमं च रइ-राग-दोस - मोह-पवड्ढणकरं, किं मज्झ-पमायदोसपासत्थसील करणं अब्भंगणाणि य तेल्लमज्जणाणि य अभिक्खणंकक्ख-सीस-कर-चरण वयण-धोवणसंबाहण-गायकम्म-परि मद्दणा णुलेवण- चुण्णवास-धुवण सरीर-परिमंडण - बाउसिय-हसिय-भणियणट्ट-गीय-वाइय-णडणट्टग जल्ल मल्ल पेच्छण - वेलंबगं जाणि य सिंगारागाराणि य अण्णाणि य एवमाइयाणि तव-संजम - बंभचेर - घाओवघाइयाइं अणुचरमाणेणं बंभचेरं वज्जियव्वाइं सव्वकालं । भावियव्वो भवइ य अंतरप्पा इमेहिं तव णियम सील जोगेहिं णिच्चकालं । किंत ? अण्हाणगअदंतधावण-सेय-मल-जल्लधारणं मूणवय-केसलोय - खम-दम-अचेलग-खुप्पिवासलाघव-सीउसिणकट्ठसिज्जा-भूमिणिसिज्जा-परघरपवेस-लद्धावलद्ध-माणावमाण- णिंदण- दंसमसग फास-णियम-तवगुण-विणय-माइएहिं जहा से थिरतरगं होइ बंभचेरं । इमं च अबंभचेर-विरमण - परिरक्खणट्टयाए पावयणं भगवया सुकहियं अत्तहियं पेच्चाभावियं आगमेसिभद्दं सुद्धं णेयाउयं अकुडिलं अणुत्तरं सव्वदुक्ख- पावाणं विउसमणं । तस्स इमा पंच भावणाओ चउत्थवयस्स होंति अबंभचेरविरमण - परिरक्ख णट्टयाए । पढमं-सयणासण-घर-दुवार - अंगण आगास- गवक्ख-साल-अभिलोयणपच्छवत्थुग-पसाहणगण्हाणिगावगासा, अवगासा जे य वेसियाणं, अच्छंति य जत्थ इत्थियाओ अभिक्खणं मोहदोसरइराग- वड्ढणीओ, कहिंति य कहाओ बहुविहाओ, ते वि हु वज्जणिज्जा । इत्थि-संसत्त संकिलिट्ठा, अण्णे वि य एवमाई अवगासा ते हु वज्जणिज्जा | जत्थ मणोविब्भमो वा भंगो वा भंसणा [भसंगो] वा अहं रुद्दं च हुज्ज झाणं तं तं वज्जेज्जऽवज्जभीरू अणाययणं अंतपंतवासी । एवमसंसत्तवासवसही समिइ - जोगेण भाविओ भवइ अंतरप्पा, आरयमण - विरयगामधम्मे जिइंदि बंभचेरगुत्ते । बिइयं - णारीजणस्स मज्झे ण कहियव्वा कहा - विचित्ता विब्बोय - विलास- संपउत्ता हाससिंगारलोइयकहव्व मोहजणणी, ण आवाह - विवाह-वर कहा, इत्थीणं वा सुभग-दुब्भगकहा, चउसट्ठि च महिलागुणा, ण वण्ण- देस जाइ - कुल-रूव णाम - णेवत्थ- परिजण - कहा इत्थियाणं, अण्णा वि य एवमाइयाओ कहाओ सिंगार - कलुणाओ, तवसंजमबंभचेरघाओवघाइयाओ अणुचरमाणेणं बंभचेरं ण कहियव्वा, ण सुणियव्वा, ण चिंतियव्वा । एवं इत्थीकहाविरइसमिइजोगेणं भाविओ भवइ अंतरप्पा आरयमण-विरयगामधम्मे जिइंदि बंभचेरगुत्ते । 1 तइयं-णारीणं हसिय-भणिय-चेट्ठिय-विप्पेक्खिय-गइ-विलास-कीलियं, विब्बोइय-णट्ट-गीय-वाइयसरीर-संठाण-वण्ण-कर-चरण-णयण लावण्ण-रूव-जोव्वण- पयोहराधर वत्थालंकार-भूसणाणि य, 33 Page #39 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्रश्नव्याकरण सुत्तं गुज्झोगासियाई, अण्णाणि य एवमाइयाइं तव-संजम-बंभचेर-घाओवघाइयाइं अणुचरमाणेणं बंभचेरं ण चक्खुसा, ण मणसा, ण वयसा पत्थेयव्वाइं पावकम्माइं । एवं इत्थीरूवविरइ-समिइजोगेण भाविओ भवइ अंतरप्पा आरयमण-विरयगामधम्मे जिइंदिए बंभचेरगुत्ते । चउत्थं-पुव्वरय-पुव्वकीलिय-पुव्वसंगंथगंथ-संथुया जे ते- आवाह-विवाह-चोल्लगेसु य तिहिसु जण्णेसु उस्सवेसु य सिंगारागारचारुवेसाहिं हावभाव पललिय-विक्खेव-विलास-सालिणीहिं अणुकूल-पेम्मिगाहिं सद्धिं अणुभूया सयणसंपओगा, उउसुहवरकुसुम-सुरभि चंदण-सुगंधिवर-वामधूव-सुहफरिस-वत्थ-भूसण-गुणोववेया, रमणिज्जाओज्जगेय-पउर-णड-गट्टग-जल्ल-मल्ल-मुट्ठिगवेलंबग-कहग-पवग-लासग-आइक्खग-लंख-मंख-तूणइल्ल तुंबवीणिय तालायर-पकरणाणि य बहूणि महरसरगीय-सुस्सराइं, अण्णाणि य एवमाइयाणि तव-संजम-बंभचेर-घाओवघाइयाइं अणुचरमाणेणं बंभचेरं ण ताई समणेण लब्भा दहूं, ण कहेउं, ण वि सुमरिउं जे। एवं पुव्वरय-पुव्वकीलिय-विरइ-समिइ-जोगेण भाविओ भवइ अंतरप्पा आरयमण -विरयगामधम्मे जिइंदिए बंभचेरगुत्ते । पंचमगं-आहार-पणीय-णिद्ध-भोयण-विवज्जए संजए सुसाहू | ववगय- खीर -दहि-सप्पि-णवणीय ल-गल-खंड-मच्छंडिग-मह-खज्जग-विगड-परिचत्तकयाहारे ण दप्पणं ण बहसो ण णिडगं ण सायसूपाहियं ण खर्च, तहा भोत्तव्वं जहा से जाया-माया य भवइ, ण य भवइ विब्भमो ण भंसणा य धम्मस्स । एवं पणीयाहार-विरइ-समिइ-जोगेण भाविओ भवइ अंतरप्पा आरयमण- विरयगामधम्मे जिइंदिए बंभचेरगुत्ते । एवमिणं संवरस्स दारं सम्मं संवरियं होइ सुप्पणिहियं इमेहिं पंचहि वि कारणेहिं मण-वयणकाय-परिरक्खिएहिं । णिच्चं आमरणंतं च एसो जोगो णेयव्वो धिइमया मइमया अणासवो अकलुसो अच्छिद्दो अपरिस्सावी असंकिलिट्ठी सव्वजिणमण्ण्णाओ । एवं चउत्थ संवरदारं फासियं पालियं सोहियं तीरियं किट्टियं आराहियं आणाए अणुपालियं भवइ। एवं णायमुणिणा भगवया पण्णवियं परूवियं पसिद्धं सिद्धं सिद्धवरसासणमिणं आघवियं सुदेसियं पसत्थं । त्ति बेमि || || चउत्थं अज्झयणं समत्तं ॥ || चउत्थं संवरदारं समत्तं || पंचमं अज्झयणं - पंचमं संवरदार अपरिग्गहं १/ जंबू ! अपरिग्गहसंवुडे य समणे आरंभ परिग्गहाओ विरए, विरए कोह माणमायालोहा । एगे असंजमे । दो चेव रागदोसा । तिण्णि य दंडा, गारवा य, गुत्तीओ तिण्णि, तिण्णि य Page #40 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्रश्नव्याकरण सुत्तं विराहणाओ । चत्तारि कसाया झाण-सण्णा-विकहा तहा य हंति चउरो | पंच य किरियाओ समिइ-इंदिय-महव्वयाइं च । छज्जीवणि- काया, छच्च लेसाओ । सत्त भया । अट्ठ य मया । णव चेव य बंभचेरवयगत्ती। दसप्पगारे य समणधम्मे | एग्गारस य उवासगाणं पडिमा । बारस य भिक्खुपडिमा तेरस किरियाठाणा य । चउद्दस भूयगामा | पण्णरस परमाहम्मिया । गाहा सोल-सया । सत्तरस असंजमे | अट्ठारस अबंभे सइ णायज्झयणा | वीसं असमाहिट्ठाणा । एगवीसा य सबला य | बावीसं परिसहा य । तेवीसए सूयगडज्झयणा । चउवीसविहा देवा। पण्णवीसाए भावणा | छव्वीसा दसाकप्पववहाराणं उद्देसण- काला | सत्तावीसा अणगारगुणा | अट्ठावीसा आयारपकप्पा | एगुणतीसा पाव-सुया | तीसं मोहणीयट्ठाणा | एगतीसाए सिद्धाइगुणा। बत्तीसा य जोगसंग्गहे । तित्तीसा आसायणा । एक्काइयं करित्ता एगुत्तरियाए वुड्ढीए तीसाओ जाव उ भवे तिगाहिया विरइपणिहीसु य एवमाइसु बहुसु ठाणेसु जिणपसत्थेसु अवितहेसु सासयभावेसु अवविएसु संकं कंखं णिराकरित्ता सद्दहए सासणं भगवओ अणियाणे अगारवे अलुद्धे अमूढमणवयणकायगुत्ते । जो सो वीरवर-वयण-विरइ पवित्थरबहुविहिप्पयारो सम्मत्त- विसुद्धमूलो धिइकंदो विणयवेइओ णिग्गय-तेल्लोक्क-विउलजस-णिविड-पीण-पवर सु जायखंधो पंचमहव्वय-विसालसालो भावणतयंतज्झाण-सुहजोग-णाणपल्लव वरंकुरधरो बहुगुणकुसुमसमिद्धो सील-सुगंधो अणण्हवफलो पुणो य मोक्खवर बीजसारो मंदरगिरि-सिहर-चूलिआ इव इमस्स मोक्खवरमुत्तिमग्गस सिहरभूओ संवरवर-पायवो चरिमं संवरदारं । जत्थ ण कप्पड़ गामागर-णगर-खेड-कब्बड-मडंब-दोणमुह-पट्टणा- समगयं च किंचि अप्पं वा बहू वा अणुं वा थूलं वा तसथावरकायदव्वजायं मणसा वि परिघेत्तुं, ण हिरण्णसुवण्णखेत्तवत्थं, ण दासी-दास-भयग-पेस- हय- गय-गवेलगं च, ण जाण-जुग्ग-सयणासणाइ, ण छत्तगं, ण कुंडिया, ण उवाणहा, ण पेहुण-वीयण -तालियंटगा, ण यावि अय-तउय-तंब-सीसग-कंस-रयय-जायरूवमणिमुत्ताहारपुडग-संख-दंत-मणि-सिंग-सेल-काय-वरचेल-चम्मपत्ताइं महरिहाइं परस्स अज्झोववाय-लोहजणणाइं परियड्ढेउं गुणवओ, ण यावि पुप्फ-फल-कंद-मूलाइयाइं सणसत्तरसाइं सव्वधण्णाइं तिहिं वि जोगेहिं परिघेत्तुं ओसह-भेसज्जभोयणट्ठयाए संजएणं । किं कारणं ? अपरिमिय णाणदंसणधरेहिं सीलगुणविणयतवसंजमणायगेहितित्थयरेहिं सव्वजगज्जीववच्छलेहिं तिलोयमहिएहिं जिणवरिंदेहिं एस जोणी जंगमाणं दिट्ठा । ण कप्पइ जोणिसमुच्छेओ त्ति तेण वज्जंति समणसीहा । जं पि य ओयणकुम्मास-गंज-तप्पण-मंथु-भुज्जिय-पलल-सूव-सक्कुलि-वेढिम-वरसरकचण्णकोसग-पिंड-सिहरिणि-व-मोयग-खीर-दहि-सप्पि-णवणीय-तेल्ल-गड-खंड-मच्छंडिय-मह खज्जग-विहिमाइयं पणीयं उवस्सए परघरे व रण्णे ण कप्पइ तं वि सण्णिहिं काउं सुविहियाणं। जं पि य उद्दिट्ठ-ठविय-रइयग-पज्जवजायं पकिण्णं पाउकरण-पामिच्चं मीसगजायं कीयगडं पाहुडं च दाणट्ठपुण्णपगडं समणवणीमगट्ठयाए वा कयं पच्छाकम्मं पुरेकम्म, णिइकम्मं मक्खियं अइरित्तं मोहरं चेव सयंगाहमाहडं मट्टिओवलितं, अच्छेज्जं चेव अणीसहूं जं तं तिहिसु जण्णेसु Page #41 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्रश्नव्याकरण सुत्तं | उस्सवेसु य अंतो वा बहिं वा होज्ज समणट्ठयाए ठवियं हिंसासावज्जसंपउत्तं ण कप्पइ तं पि य परिघेत्तुं । अह केरिसयं पुणाइ कप्पड़ ? जं तं एक्कारस-पिंडवायसुद्धं किणण- हणण-पयण-कयकारियाणुमोयण-णवकोडीहिं सुपरिसुद्धं, दसहि य दोसेहिं विप्पमुक्कं उगम-उप्पायणेसणाए सुद्ध, ववगय-चुयचावियचत्त-देहं च फासुयं ववगय- संजोग -मणिंगालं विगयधूमं छट्ठाण णिमित्तं छक्कायपरिरक्खणट्ठा हणिं हणिं फासुएण भिक्खेणं वट्टियव्वं ।। जं पि य समणस्स सुविहियस्स उ रोगायंके बहुप्पकारंमि समुप्पण्णे वायाहिग- पित्तसिंभ(घ)अइरित्तकुविय-तहसण्णिवायजाए व उदयपत्ते उज्जल-बल-विउल कक्खडपगाढदुक्खेअसुभकडुयफरुसे चंडफलविवागे महब्भये जीवियंतकरणे सव्वसरीरपरितावणकरे ण कप्पइ तारिसे वि अप्पणो [तह] परस्स वा ओसहभेसज्जं भत्तपाणं च तं पि सण्णिहिकयं | जं पि य समणस्स सुविहियस्स उ पडिग्गहधारिस्स भवइ भायण- भंडोवहि- उवगरणं पडिग्गहो पायबंधणं पायकेसरिया पायठवणं च पडलाइं तिण्णेव, रयत्ताणं च गोच्छओ, तिण्णेव य पच्छागा, रयहरण- चोलपट्टग- मुहणंतगमाईयं । एयं पि य संजमस्स उववूहणट्ठयाए वायायवदंस- मसग- सीय-परिरक्खणद्वयाए उवगरणं रागदोसरहियं परिहरियव्वं, संजएण णिच्चं पडिलेहण पप्फोडण- पमज्जणाए अहो य राओ य अप्पमत्तेण होइ सययं णिक्खिवियव्वं च गिव्हियव्वं च भायण भंडोवहि -उवगरणं । जंपि वत्थं व पायं वा, कंबलं पायपुंछणं । तंपि संजम-लज्जट्ठा, धारंति परिहरंति य । ण सो परिग्गहो वुत्तो, णायपुत्तेण ताइणा | मुच्छा परिग्गहो वुत्तो, इअ वुत्तं महेसिणा || ९ एवं से संजए विमुत्ते णिस्संगे णिप्परिग्गहरुई णिम्ममे णिण्णेहबंधणे सव्व- पावविरए वासीचंदणसमाणकप्पे सम-तिण-मणिमुत्तालेढुकंचणे समे य माणावमाणणाए समियरए समिय रागदोसे समिए समिइस सम्मदिट्ठी समे य जे सव्वपाणभूएस से हु समणे, सुयधारए उज्जुए संजए सुसाहू, सरणं सव्वभूयाणं सव्वजगवच्छले सच्चभासए य संसारतहिए य संसारसमुच्छिण्णे सययं मरणाणुपारएपारगे य सव्वेसिं संसयाणं, पवयणमायाहिं अट्ठहिं अट्ठकम्म- गंठी-विमोयगे, अट्ठमय-महणे ससमयकुसले य भवइ, सुहदुहणिव्विसेसे, अन्भितरबाहिरम्मि सया तवोवहाणम्मि सुट्ठज्जुए, खते दंते य हियणिरये, ईरियासमिए, भासासमिए, एसणासमिए, आयाण-भंड-मत्त णिक्खेवणा- समिए, उच्चार-पासवण-खेल- सिंघाणजल्ल-परिट्ठावणिया समिए, मणगुत्ते वयगुत्ते कायगुत्ते गुत्तिंदिए गुत्तबंभयारी, चाई लज्जू धण्णे तवस्सी खंतिखमे जिइंदिए सोहिए अणियाणे अबहिल्लेस्से अममे अकिंचणे छिण्णगंथे णिरुवलेवे । सुविमलवरकंसभायणं व मुक्कतोए । संखे विव णिरंजणे, विगयरागदोस मोहे | कुम्मो विव इंदिएसु गुत्ते । जच्चकंचणगं व जायरूवे | पोक्खरपत्तं व णिरुवलेवे | चंदो विव सोमभावयाए सूरोव्व दित्ततेए । अचले जह मंदरे गिरिवरे अक्खोभे सागरो व्व थिमिए | पुढवी व्व सव्वफाससहे । तवसा च्चिय भास-रासिछण्णिव्व जायतेए | जलिय-यासणे विव तेयसा जलंते। Page #42 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १२ १३ प्रश्नव्याकरण सुत्तं गोसीसचंदणं विव सीयले सुगंधे य । हरयो विव समियभावे । उग्घसियसुणिम्मलं व आयंसमंडलतलं पागडभावेण सुद्धभावे । सोंडीरे कुंजरोव्व । वसभेव्व जायथामे । सीहेव्व जहा मियाहिवे होइ दुप्पधरिसे । सारयसलिलं व सुद्धहियए । भारंडे चेव अप्पमत्ते । खग्गिविसाणं व एगजाए । खाणुं चेव उड्ढकाए । सुण्णागारेव्व अपडिकम्मे । सुण्णागारावणस्संतो णिवायसरणप्पदीवज्झाणमिव णिप्पकंपे । जहा खुरो चेव एगधारे । जहा अही चेव एगदिट्ठी । आगासं चेव णिरालंबे । विहगे विव सव्वओ विप्पमुक्के । कयपरणिलए जहा चेव उरए । अप्पडिबद्धे अणिलोव्व । जीवोव्व अपडिहयगई । गामे गामे एगरायं णयरे णयरे य पंचरायं इज्जते य जिइंदिए जियपरीसहे णिब्भओ विऊ सच्चित्ताचित्तमीसगेहिं दव्वेहिं विरायं गए, संचयाओ विरए, मुत्ते, लहुए, णिरवकंखे जीवियमरणासविप्पमुक्के णिस्संधि णिव्वणं चरित्तं धीरे काएण फासयंते सययं अज्झप्पज्झा जुत्ते, णिहुए, एगे चरेज्ज धम्मं । इमं च परिग्गहवेरमण परिरक्खणट्टयाए पावयणं भगवया सुकहियं अत्तहियं पेच्चाभावियं आगमेसिभद्दं सुद्धं णेयाउयं अकुडिलं अणुत्तरं सव्वदुक्खपावाणं विउवसमणं । तस्स इमा पंच भावणाओ चरिमस्स वयस्स होंति परिग्गहवेरमण परिरक्ख णट्टयाए । पढमंसोइंदिएणं सोच्चा सद्दाई मणुण्णभद्दगाई । किं ते ? वरमुरय-मुइंग- पणव-दद्दुर-कच्छभि-वीणाविपंची-वल्लयि-वद्धीसग-सुघोस - णंदि-सूसरपरिवाइणी वंस तूणग-पव्वग तंती तल ताल तुडिय णिग्घोस गीय वाइयाई | णड-णट्टग-जल्लमल्लमुट्ठिगवेलंबग-कहगपवगलासग-आइक्खगलंखमंख-तूणइल्ल-तुंबवीणिय-तालायर-पकरणाणि य, बहूणि महुर-सरगीयसुस्सराई, कंचीमेहलाकलाव-पत्तरग-पहेरग-पायजालगघंटिय-खिंखिणि-रयणोरुजालिय-छुद्दिय-णेउर-चलण-मालियकणगणियलजालग भूसण सद्दाणि, लील चंकम्ममाणा - णुदीरियाई तरुणीजणहसिय-भणियकलरिभिय-मंजुलाइं गुण वयणाणि व बहूणि महुरजणभासियाइं अण्णेसु य एवमाइएसु सद्देसु मणुण्ण भद्दएसु ण तेसु समणेण सज्जियव्वं, ण रज्जियव्वं, ण गिज्झियव्वं, ण मुज्झियव्वं, ण विणिग्घायं आवज्जियव्वं, ण लुभियव्वं, ण तुसियव्वं, ण हसियव्वं, ण सई च मइं च तत्थ कुज्जा । पुणरवि सोइंदिएण सोच्चा सद्दाई अमणुण्णपावगाई । किं ते ? अक्कोस-फरुस-खिंसणअवमाणण-तज्जण-णिब्भंछण - दित्तवयण- तासण- उक्कूजिय- रण्ण-रडिय-कंदिय-णिग्घुट्ठरसियकलुण-विलवियाइं अण्णेसु य एवमाइएस सद्देसु अमणुण्ण-पावएसु ण तेसु समणेण रूसियव्वं, ण हीलियव्वं, ण निंदियव्वं, ण खिंसियव्वं, ण छिंदियव्वं, ण भिंदियव्वं, ण वहेयव्वं, ण दुगंछावत्तियाए लब्भा उप्पाएउं, एवं सोइंदिय भावणा भाविओ भवइ अंतरप्पा मणुण्णाऽमणुण्णसुब्भिदुब्भि-राग-दोसप्पणिहियप्पा साहू मणवयणकायगुत्ते संवुडे पणिहितिंदिए चरेज्ज धम्मं । बिइयं- चक्खुइंदिएण पासिय रुवाणि मणुण्णाई भद्दगाई, सचित्ताचित्तमीसगाई कट्ठे पोत्थे य चित्तकम्मे लेपकम्मे सेले य दंतकम्मे य पंचहिं वण्णेहिं अणेग संठाण संठियाइं गठिमवेढिमपूरिम-संघाइमाणि य मल्लाइं बहुविहाणि य अहियं णयणमणसुहयराई, वणसंडे पव्वए य गामागरणयराणि य खुद्दिय-पुक्खरिणि-वावी - दीहिय गुंजालिय- सरसरपंतिय-सायर-बिलपंतियखाइय-णई- सर-तलाग - वप्पिणी - फुल्लुप्पल-पठमपरिमंडियाभिरामे अणेगसउणगण-मिहुण 37 Page #43 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्रश्नव्याकरण सुत्तं वियरिए वरमंडव-विविह-भवण- तोरण- चेइय- देवकुल- सभाप्पवावसह सुकयसयणासण-सीय-रहसगड-जाण-जुग्ग-संदण - णरणारिगणे य सोमपडिरूव-दरिसणिज्जे, अलंकिय-विभूसिए पुव्वकयतवप्पभाव-सोहग्गसंपत्ते णडणट्टग-जल्लमल्ल-मुट्ठियवेलंबग - कहगपवगलासगआइक्खगलंखमंखतूणइल्लतुंब-वीणिय-तालायर - पकरणाणि य बहुणि सुकरणाणि अण्णेसु य एवमाइएस रूवेसु मणुण्णभद्दसु ण तेसु समणेण सज्जियव्वं, ण रजियव्वं जाव ण सइं च मइं च तत्थ पुणरवि चक्खिंदिएण पासिय रुवाइं अमणुण्णपावगाई । किं ते ? गंडि-कोढिक-कुणि-उयरिकच्छुल्ल-पइल्ल-कुज्ज-पंगुल - वामण अधिल्लग - एगचक्खु विणिहयसप्पिसल्लग-वाहिरोगपीलियं विगयाणि, मयगकलेवराणि सकिमिणकुहियं च दव्वरासिं अण्णेसु य एवमाइएस अमणुण्णपावगेसु ण तेसु समणेणं रूसियव्वं जाव ण दुगुंछा वत्तिया वि लब्भा उप्पाएउं, एवं चंखिदियभावणा भाविओ भवइ अंतरप्पा जाव चरेज्ज धम्मं । १४ तइयं - घाणिंदियएण अग्घाइय गंधाई मणुण्णभद्दगाइं- किं ते ? जलय-थलय - सरस- पुप्फ-फलपाणभोयण-कुट्ठ-तगर-पत्त-चोय-दमणग-मरुय- एलारस पिक्कमंसि-गोसीस-सरस-चंदण- कप्पूरलवंग-अगर-कुंकुम-कक्कोल-उसीर-सेयचंदण-सुगंधसारंग जुत्तिवरधूववासे उउय-पिंडिमणिहारिमगंधिएसु अण्णेसु य एवमाइएस गंधेसु मण्णुण्णभद्दएसु ण तेसु समणेण सज्जियव्वं जाव ण स च मइंच तत्थ कुज्जा । पुणरवि घाणिदिएण अग्घाइय गंधाई अमणुण्णपावगाई । किं ते ? अहिमड- अस्समड-हत्थिमडगोमड-विग-सुणग-सियाल मणुय-मज्जार-सीह-दीविय-मयकुहिय-विणट्ठकिमिण-बहुदुरभिगंधे अण्णेसु य एवमाइएसु गंधेसु अमणुण्ण- पावगेसु ण तेसु समणेण रूसियव्वं जाव पणिहितिंदिए चरेज्ज धम्मं । १५ चउत्थं- जिभिंदिएण साइय रसाणि मणुण्णभद्दगाई । किं ते ? उग्गाहिम विविहपाण-भोयणगुलकय-खंडकय-तेल्ल-घयकय-भक्खेसु-बहुविहेसु लवणरस संजुत्तेसु, णिट्ठाणग- दालियंब-सेहंबदुद्ध-दहि सायट्ठारस बहुप्पगारेसु भोयणेसु य मणुण्ण वण्णगंधरसफास बहुदव्वसंभिएसु अण्णेसु य एवमाइएसु रसेसु मणुण्ण- भद्दसु ण तेसु समणेण सज्जियव्वं जाव ण स च मइं च तत्थ कुज्जा | पुणरवि जिब्भिंदिएण साइय रसाई अमुण्णपावगाई किं ते ? अरस- विरस-सीय-लुक्ख-णिज्जप्पपाण-भोयणाइं दोसीण-वावण्ण- कुहिय-पूइय -अमणुण्ण - विणदृप्पसूय- बहुदुब्भिगंधियाइं तित्तकडुय-कसाय-अंबिल-रस-लिंडणीरसाई, अण्णेसु य एवमाइएस रसेसु अमणुण्ण-पावगेसु ण तेसु समणेण रूसियव्वं जाव चरेज्ज धम्मं । पंचमगं- फासिंदिएण फासिय फासाइं मणुण्णभद्दगाई । किं ते ? दग- मंडव-हार - सेयचंदणसीयल-विमल-जल-विविहकुसुम - सत्थर-ओसीर - मुत्तिय मुणाल दोसिणा - पेहुणउक्खेवग-तालियंटवीयणग जणियसुहसीयले य पवणे गिम्हकाले सुहफासाणि य बहूणि सयणाणि आसणाणि य पाउरणगुणे य सिसिरकाले अंगारपयावणा य आयवणिद्धमउयसीय उसिण-लहुआ य उउसुहफासा अंगसुह-णिव्वुइगराए अण्णेसु य एवमाइएस फासेस मणुण्णभद्दगेसु ण तेसु समणेण 38 Page #44 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्रश्नव्याकरण सुत्तं सज्जियव्वं, ण रज्जियव्वं, ण गिज्झियव्वं, ण मुज्झियव्वं, ण विणिग्घायं आवज्जियव्वं, ण लुब्भियव्वं, ण अज्झोववजियव्वं, ण तुसियव्वं, ण हसियव्वं, ण सइं च मइं च तत्थ कुज्जा । पुणरवि फासिदिएण फासिय फासाइं अमणण्णपावगाइं । किं ते ? अणेगवह-बंध-तालणंकणअइभारारोवणए, अंगभंजण-सूई-णखप्पवेस- गायपच्छणण लक्खारस-खार-तेल्ल-कलकलंत-तउयसीसग-काल लोहसिंचण-हडिबंधण-रज्जुणिगल-संकल-हत्थंडुय-कुंभिपागदहण-सीहपुच्छण-उब्बंधणसूलभेय गयचलणमलण-करचरण-कण्ण-णासोट्ठ-सीसच्छेयण जिब्भच्छेयण-वसण णयण- हियय -दंतभंजण-जोत्तलय-कसप्पहार-पाय-पण्हि-जाण-पत्थर-णिवाय-पीलण- कविकच्छु-अगणिविच्छुयडक्क-वायातव-दंसमसग-णिवाए दुट्टणिसज्ज-दुण्णि सीहिय-दुब्भि-कक्खड-गुरु-सीय-उसिण लुक्खेसु बहुविहेसु अण्णेसु य एवमाइएसु फासेसु अमणुण्णपावगेसु ण तेसु समणेण रूसियव्वं, ण हीलियव्वं, ण णिंदियव्वं, ण गरहियव्वं, ण खिंसियव्वं, ण छिंदियव्वं, ण भिंदियव्वं, ण वहेयव्वं, ण दुगंछा वत्तियव्वं च लब्भा उप्पाएउं । एवं फासिंदियभावणाभाविओ भवइ अंतरप्पा, मणुण्णामणुण्ण-सुब्भि- दुन्भिरागदोसपणिहियप्पा साहू मणवयणकायगुत्ते संवुडेणं पणिहितिदिए चरिज्ज धम्म । न सक्का ण सोउं सद्दा, सोयविसयमागया । राग-दोसा उ जे तत्थ, ते भिक्खू परिवज्जए || जे सद्द रुव-रस-गंध मागए, फासे य संपण्ण मणण्ण पावए । गेही पओसं ण करेज्ज पंडिए, स होइ दंते विरए अकिंचणे ॥ १७ एवमिणं संवरस्स दारं सम्म संवरियं होइ सुप्पणिहियं इमेहिं पि कारणेहिं मणवयकाय परिरक्खएहिं । णिच्चं आमरणंतं च एस जोगो णेयव्वो धिइमया मइमया, अणासवो अकलुसो अच्छिद्दो अपरिस्सावी असंकिलिट्ठो सुद्धो सव्वजिण- मणण्णाओ । एवं पंचमं संवरदारं फासियं पालियं सोहियं तीरियं किट्टियं अण्पालियं आणाए आराहियं भवइ । एवं णायमुणिणा भगवया पण्णवियं परूवियं पसिद्धं सिद्धं सिद्धवरसासणमिणं आघवियं सुदेसियं पसत्थं | त्ति बेमि || एयाइं वयाइं पंच वि सुव्वय-महव्वयाइं हेउसय-विबित्त-पुक्कलाई कहियाइं अरिहंत सासणे पंच समासेण संवरा, वित्थरेण उ पणवीसतिं । समियसहिय-संवुडे सया जयण-घडण-सुविसुद्धदंसणे एए अणुचरिय संजए चरमसरीरधरे भविस्सइ । पण्हावागरणे णं एगो सुयक्खंधो, दस अज्झयणा एक्कसरगा दससु चेव दिवसेसु उद्दिसिज्जंति एगंतरेसु आयंबिलेसु णिरुद्धेसु आउत्त-भत्तपाणएणं । ॥ पंचमं अज्झयणं समत्तं ॥ ॥ पंचमं संवरदारं समत्तं || ॥ संवरदारं समत्तं ॥ ॥ बीओ सुयखंधो समत्तो ॥ ॥ पण्हावागरणाई सुत्तं समत्तं ॥ 29 Page #45 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Published By: GLOBAL JAIN AAGAM MISSION Pawandham, Mahavir Nagar, Kandivali (W), Mumbai - 400 067