Book Title: Yukti Prabodh
Author(s): Rushabhdev Keshrimal Jain Shwetambar Sanstha Ratlam
Publisher: Rushabhdev Keshrimal Jain Shwetambar Sanstha Ratlam

View full book text
Previous | Next

Page 12
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatrth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir युक्तिप्रबोधेट्र २०७ स्थानांग ॥१०॥ २०७ आवश्यकवृत्तिः |२१३ आदिपुराणं २१४ श्रावकातिचारः | २१४ श्रावकाचारः २०७ चारित्रसारः द्याचायोमाभिधानसमुच्चयोत्रैवं RECECACCALCHURSCRECREATER २ श्रीशांतिरिः २ वादिदेवमूरिः ३ हेमाचार्यः ९ अमृतचंद्रः ११ आर्द्रकुमारः ११ नंदिपेणः ११ बाहुबलिः ११ कंडरीकः ११ मरुदेवी ११ भरतः | २०७ ओघनियुक्तिः | २१० आदिपुराणं २१२ २०८ प्रवचनसारनाटकं २१३ द्रव्यसंग्रहवृत्तिः | २०८ आदिपुराणं २१३ स्थानांगवृत्तिः प्रसंगतो ग्रन्थकृदाद्याचार्याभिधानसमुच्चयोऽत्रैवं २११ कूरगडकः १५ हेमचंद्रः १२ अमृतचन्द्रः १८ अमृतचन्द्रः १२ कुन्दकुन्द: १९ मरुदेवी १३ रूपचन्द्रः २२ नेमिचन्द्रः १३ चतुर्भुजः २८ समंतभद्रः १३ भगवतीदासः २८गुणभद्रः १३ कुमारपाल: ३० अमृतचन्द्रः ३१ १३ धर्मदासः ३१ समाधितंत्र १५ कुन्दकुन्दः ३१ ज्ञानार्णवः १५ अमृतचन्द्रः ३१ मूलाचारः ३५ कुंयरपाल: ३०रूपचन्द्र: ३८ अमृतचन्द्रः ४१ कुन्दकुन्द: ४८ आशाधर ४९ वसंतकीर्तिः ४९ श्रुतसागरः ४९ भावसंग्रहकारः ५० ५१ अश्वसेनः ५१ प्राभृतकारः For Private and Persons Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 ... 234