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आशीर्वचन
योगक्षेम वर्ष तेरापंथ धर्मसंघ के इतिहास का अनूठा पृष्ठ है। उस वर्ष अनेक व्यक्तियों को जीवन की नई दिशा मिली। कुमारी निरंजना भी उनमें से एक है। उसके मन में नया संकल्प जागा। उसने एक वर्ष के लिए एकान्तरित मौन और उस दिन निराहार रहने की प्रतिज्ञा की। पूरे उत्साह एवं निष्ठा के साथ उसने इस संकल्प को निभाया और आनन्द का अनुभव किया। उसके आनन्द को बढ़ाने वाला एक उपक्रम था-निरंतर प्रवचनश्रवण। उसने आचार्य श्री, युवाचार्य श्री के प्रवचन सुने और 'योगक्षेम सूत्र' नाम से सार-संक्षेप रूप में एक संकलन कर लिया। यह संकलन उसके अपने लिए उपयोगी होगा ही, अन्य लोग भी उसके स्वाध्याय से विशेष प्राप्त करते रहें, यही मंगल भावना
महाश्रमणी कनकप्रभा
३-११-६० पाली (मारवाड़)
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