________________
आशीर्वचन
साधना के अनेक मार्ग हैं। साधक अपनी रुचि और क्षमता के अनुसार जिस मार्ग पर चलता है, उसी में उसे आनन्द की अनुभूति होती है। कुमारी निरंजना ने योगक्षेम वर्ष में एक वर्ष की विशेष साधना का संकल्प स्वीकार किया था। उसके साथ-साथ उस वर्ष हुए प्रवचनों के कुछ अंश सार-सूत्र रूप में संकलित कर अपने लिए स्वाध्याय की अच्छी सामग्री संगहीत कर ली। स्वाध्याय, ध्यान, जप, मौन आदि साधना के विविध प्रकार हैं। अपनी रुचि और क्षमता के अनुसार वह साधना के क्षेत्र में विकास करती रहे, यही अपेक्षा है।
२ नवम्बर, १९९०
पाली
आचार्य तुलसी
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org