Book Title: Yogakshema Sutra Author(s): Niranjana Jain Publisher: Jain Vishva Bharati View full book textPage 7
________________ मंगल-आशीष मेरे तीन पुत्र एवं तीन पुत्रियां हैं। अपने परिवार में सद्संस्कारों का पल्लवन देख मैं सुखद अनुभूति करता हूं। मेरी मझली लडकी कूमारी निरंजना (निर्मला)विशेष रूप से अध्यात्म की दिशा में गतिशील है। उसने 'योगक्षेम वर्ष' में साधना के विभिन्न प्रयोग कर ७५ संकल्प आचार्य श्री के ७५ वीं वर्षगांठ पर अर्पित किए। उसी की निष्पत्ति रूप में उसने एक वर्ष का दीर्घ संकल्प एकांतर मौन एवं अन्नाहार-प्रत्याख्यान स्वीकार किया। परम श्रद्धेय आचार्य श्री की कृपा से उसने अपने संकल्प को निष्ठा एवं स्थिरता से पूरा किया है-ऐसा करके उसने आत्मा, कूल एवं गण की प्रभावना की है। स्वाध्याय में उसे तीव्र अभिरुचि है, उसी का प्रतिफल 'योगक्षेम-सूत्र' पुस्तक है। मैं सपरिवार उसके आध्यात्मिक-जीवन की प्रगति की शुभकामना करता हूं। लाडनूं, ५-१२-६० बुधमल चोरड़िया रतनी देवी Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
1 ... 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 ... 214