Book Title: Vyutpattivada Jayakhyavyakhyaya Author(s): Gadadhar Bhattacharya Publisher: Prayag Vishwa Vidyalaya View full book textPage 8
________________ ( ६ ) क्लेशं विनैव पठनपाठनादिकार्य्यं कुर्वाणा एव यथा सर्वत्र जीवने प्रौढा श्रासंस्तथैवामरणन्निरवाहयन् । ज्वराक्रान्तदिनपर्य्यन्त व्युत्पत्तिवादटीकारचनायां लग्ना आसन् । अत एवोक्तम्— जयः कुले जयोऽभ्यासे जयः पण्डितमण्डले । जयो मृत्यौ जयो मोक्षे 'जयदेवः' सदा जयः ॥ इति 'जयनिवास' प्रयाग आश्विन कृष्णसप्तम्यां चन्द्रे १६६७ वैक्रमाब्दे विदुषामनुचरः श्रीमदुमेशमिश्रःPage Navigation
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