Book Title: Veer Vihar Mimansa Author(s): Vijayendrasuri Publisher: Kashiram Saraf ShivpuriPage 22
________________ (११) कल्पनाश्रित हैं। यह आश्चर्य है कि भगवान ने जहां इतना विहार किया वहीं क्यों नहीं राजा नन्दिवर्धन ने प्रतिमायें बनवाई, इस दूर देश में क्यों बनवाई। मुण्डस्थल में महावीरस्वामी के पधारने का एक कारण तो जीवितस्वामी की प्रतिमा का होना बताया जाता है, जिसका प्रतिवाद हम कर चुके हैं। दूसरा कारण उस का महातीर्थ होना बताया जाता है। विविधतीर्थकल्प में ८४ महातीर्थ गिनाये गये हैं। उनमें से कुछ महातीर्थ निम्न है। - मोढेरे वायडे खेडे नाणके पल्ल्यां मतुण्डके मुण्डस्थले श्रीमालपत्तने उपकेशपुरे कुण्डग्रामे सत्यपुरे टङ्कायां गङ्गाह्रदे सरस्थाने वीतभये चम्पायां अपापायां पुडपते नन्दिवर्धन कोटिभूमौ वीरः । विविधतीर्थकल्प (सिंघी ग्रन्थमाला ) पृष्ठ ८६. इनमें मुण्डस्थल भी है उपकेशपुर भी है । यदि यही मान लिया जाय कि महातीर्थ वही है जहां वीरप्रभु पधारे थे तो उपकेशपुर तो बाद में बसा है पर वह भी महातीर्थों में गिना गया है। इस से यह स्पष्ट है कि महातीर्थ मानने के अन्य कारण तो हो सकते हैं पर वीरप्रभु के पधारने का कारण नहीं । मुण्डस्थल (आधुनिक नाम मूगथला, आबूरोड से पश्चिम में लगभग चार मील दूर) के जिन मन्दिर के गभारे के ऊपर उत्तरांग में एक लेख खुदा है, वह इस प्रकार है (१) पूर्व छद्मस्थकालेऽदभुवि यभिनः कुर्वतः सद्विहार (२) सप्तत्रिंशे च वर्षे वहति भगवतो जन्मतः कारितार्हच्च (३) श्रीदेवार्यस्य यस्योल्लसदुपलमयी पुण्यराजेन राज्ञा श्रीके (४) शी सुप्रतिष्ठः स जयति हि जिनस्तीर्थमुण्डस्थलस्थः ।। सं. १४२६ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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