Book Title: Veer Vihar Mimansa Author(s): Vijayendrasuri Publisher: Kashiram Saraf ShivpuriPage 34
________________ ( २३ ) नातिका नाम से भी स्मरण किया जाता है। कुछ लोगो ने लिन्छुश्रार को ही क्षत्रियकुण्डपुर माना है तथा लिन्छुाड़ को प्राचीन लिच्छवियों की राजधानी बताया है, ये दोनो स्थापनाएं युक्तियुक्त हैं। विस्तार 'के लिये हमारा 'वैशाली' ग्रन्थ देखो । कर्मारग्राम - यह स्थान वासुकुण्ड के समीप है । आजकल कुमनछपरागाछी नाम से प्रसिद्ध है। यह लोहारों का गांव था । कोल्लागसन्निवेश - यह स्थान बसाद से उत्तरपश्चिम में दो मील की दूरी पर है। श्राधुनिक नाम कोल्हुवा है । यहीं अशोक का स्तम्भ, स्तूप तथा मर्कटहृद ( श्राधुनिक नाम रामकुण्ड ) हैं । अस्थिकग्राम - यह वज्जी (विदेह) देश के अन्तर्गत एक ग्राम था और बौद्ध साहित्य में इसे हत्थीगाम नाम से स्मरण किया गया है । यह राजगृह से कुशीनारा वाले मार्ग के बीच में था और वैशाली से दूसरा पड़ाव था । श्राधुनिक नाम हाथागांव है जो कि मुजफ्फरपुर जिले में है, मुजफ्फरपुर से २० मील पूर्व हाथागांव के पास बागमती नदी बहती है जो कि प्राचीन वेगवतीनदी प्रतीत होती है । यह गांव बसाढ से लगभग ३५ मील है । सेयंबिया (श्वेतम्बिका ) - जैनों की दृष्टि से यह केकयार्द्ध की राजधानी थी, बौद्धों की दृष्टि से यह कोशल देश का एक नगर था । सावत्थी से राजगृह की ओर जाने वाले मार्ग पर यह अगला ही पड़ाव था। रायपसेणीसूत्र में इसे सावत्थी के निकट बताया है, फाहियान और बौद्ध ग्रन्थों में भी इसे सावत्थी के निकट बताया है । : यह कहा जाता है कि श्राधुनिक सीतामढ़ी ही प्राचीन श्वेतम्बिका है, और श्वेतम्बका का अपभ्रंश सीतामढ़ी है । परन्तु जैन और बौद्धग्रन्थों के अनुकूल यह स्थापना नहीं है क्योंकि सीतामढी सावत्थी से लगभग Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
1 ... 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44