Book Title: Veer Vihar Mimansa
Author(s): Vijayendrasuri
Publisher: Kashiram Saraf Shivpuri

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Page 35
________________ ( २४ ) २०० मील की दूरी पर है । अपभ्रंश भी श्वेतम्बिका से सीतामढ़ी नहीं बनता। मि• वॉस्ट ने बसेदिला को ही प्राचीन श्वेतम्बिका माना है जो कि साहेतमाहेत से १७ मील और बलरामपुर से ६ मील है। केकय और केकया नामों के कारण कुछ लोग दो केकय देश मानने लगे हैं । परन्तु इसका किसी ग्रन्थ अथवा शास्त्र में उल्लेख नहीं है, न ही किसी अन्वेषक ने इस सम्बन्ध में कुछ प्रकाश डाला है। ऐसा प्रतीत होता है कि श्वेताम्बी वाला प्रदेश-जिसे बौद्धों ने कोशल में माना है-केकय का उपनिवेश था, इसीलिए यह केकयाद्ध नाम से प्रसिद्ध हुआ और श्वेताम्बी इस की राजधानी बनी । केकयदेश व्यास और सतलज नदी के बीच का प्रदेश था। थूणाकसन्निवेश- यह मल्लदेश में और पटना के उत्तरपश्चिम में तथा गण्डकी के दक्षिणी किनारे पर था। राजगृह-प्राकृत में इसे रायगिह कहते हैं, मगध की राजधानी थी। आजकल का राजगिर नामक स्थान प्राचीन राजगृह है । यह रेलवे स्टेशन है तथा बिहारशरीफ से १५ मोल है। प्राचीनकाल में यह स्थान अत्यन्त महत्त्व का था, विभिन्न व्यापारिक मार्ग यहीं से होकर जाते थे। तक्षशिला से राजगृह तक का मार्ग १६२ योजन था, यह मार्ग · सावत्थी में से होकर जाता था, सावत्थी राजगृह से ४५ योजन थी । कपिलवस्तु से राजगृह ६० योजन था और कुशीनारा से २५ योजन था । राजगृह से गंगा ५ योजन थी। राजगृह से नालन्दा १ योजन था। नालन्दा-यह अाजकल बडगांव नाम से प्रसिद्ध है। राजगिर से मील है। बिहारशरीफ से राजगिर की ओर जाते हुए बीच में Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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