Book Title: Veer Vihar Mimansa
Author(s): Vijayendrasuri
Publisher: Kashiram Saraf Shivpuri

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Page 40
________________ ( २६ ) है, परन्तु यह ठीक नहीं है। अपितु मध्यमदेश में होने के कारण, मध्यमपावा कहलाती थी और मध्यमपावा उपयुक्त दो पावात्रों के बीच में न होकर एक त्रिभुजरूप में स्थित थी। ऋजुवालुका-पावा मध्यमा से १२ योजन दूर थी, जंभियगाँव के निकट थी जहां भगवान को केवलशान हुआ था। इसके विषय में स्व० गुरुदेव विजयधर्मसूरिजी ने जो कल्पना ऐतिहासिक तीर्थमाला संग्रह भाग १ की प्रस्तावना में की है हमें वह ठीक ही जंचती है, अन्य कोई दृढ़ प्रमाण प्राप्त होने पर उस कल्पना पर विचार किया जा सकता है। ठाणांगसूत्र में गंगा की जो पांच सहायक नदियों के नाम का उल्लेख है उसमें श्राजी नहीं अपितु 'श्रादी' है। जिस नदी को आजकल पुनपुन कहते हैं जो कि पटना के पास फतुत्रा में गंगा. नदी में मिल गई है इसी का नाम श्रादी गंगा है। गयाधाम के प्रत्येक यात्री का यह कर्तव्य होता है कि वह गया जाते समय इस के तट पर सिर मुंडाये और इसके जल में स्नान करे ( देखो गंगा अंक भूगोल पृष्ठ २१)। - - - - Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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