Book Title: Veer Vihar Mimansa Author(s): Vijayendrasuri Publisher: Kashiram Saraf ShivpuriPage 36
________________ नालन्दा नामक स्टेशन है । किसी समय यहां बौद्धों का बहुत बड़ा विश्वविद्यालय था। कोल्लागसन्निवेश-वैशाली के निकटस्थ कोल्लागसन्निवेश से यह भिन्न स्थान है। भगवतीसूत्र के ६६२ पृष्ठ में इस के सम्बन्ध में बताया है कि "तीसे णं नालंदाए बाहिरियाए अदूरसामंते एत्थ णं कोल्लाए नामं सन्निवेसे होत्था" । अर्थात् नालन्दा के निकट में कोल्लागसन्निवेश था। चम्पा-प्राचीनकाल में यह अङ्गदेश की राजधानी थी। अाजकल पूर्वदेश में भागलपुर के निकट पूर्वदिशा में जो चम्पानगर है वही प्राचीन चम्पानगरी हैं । इसके पास चम्पा नाम की नदी बहती है। कयंगला-मध्यदेश की पूर्वी सीमा पर था । रामपालचरित में इसका उल्लेख है । यह स्थान राजमहल जिले में है । श्रावस्तो के पास भी एक कयंगला है यह उससे भिन्न है। . श्रावस्ती-आजकल राप्ती के किनारे का साहेत माहेत ही प्राचीन श्रावस्ती है । प्राचीनकाल में कोशल की राजधानी थी । यह साकेत से ६ योजन, राजगृह से उत्तर-पश्चिम में ४५ योजन, संकस्स से ३० योजन, तक्षशिला से १४७ योजन, सुप्पारक से १२० योजन थी। राप्ती का प्राचीन नाम अचिरवती या अजिरवती है, जैनसूत्रोंमें इसे इरावदी कहा है। हलिङ्ग-बौद्धग्रन्थों में इस का हलिहवसन नाम से उल्लेख है। यह कोलियदेश में था, कोलियदेश की राजधानी रामगाम थी। यह प्रदेश शाक्यदेश के पूर्व में था और दोनों देशों के बीच रोहिणीनदी बहती थी। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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