Book Title: Vaishali Institute Research Bulletin 7 Author(s): Nand Kishor Prasad Publisher: Research Institute of Prakrit Jainology & Ahimsa Mujjaffarpur View full book textPage 6
________________ प्रधान सम्पादकीय 'वैशाली इन्स्टीच्यूट रिसर्च बुलेटिन' का शुभारम्भ सर्वप्रथम संस्थान के तत्कालीन विद्वान् निदेशक डा० नथमल टाटिया द्वारा सन् १९७१ ई० में किया गया था । इसका प्रथम अंक अपने आप में कई दृष्टियों से अत्यन्त महत्वपूर्ण है । तदुपरान्त अबतक इस बुलेटिन के कुल छ अंक प्रकाशित हो चुके हैं । षष्ठ अंक 'सि० पं० कैलाशचन्द्र शास्त्री स्मृति विशेषांक के नाम से प्रकाशित हुआ है । प्रस्तुत ग्रन्थ बुलेटिन का सप्तम अंक है । संस्थान में प्राध्यापकों के अति सीमित संख्या में होने के अतिरिक्त अन्य अनेक कठिनाइयों के रहते हुए भी लगभग २० वर्षों की अवधि में बुलेटिन के सात अंकों का प्रकाशन कम नहीं कहा जायेगा । प्रस्तुत अंक में छोटे-बड़े कुल ३१ लेख हैं, जिनमें २५ हिन्दी में तथा ६ अंग्रेजी में हैं । इसमें प्रकाशित लेखों के लेखकों में प्रो० (डा०) रामजी सिंह, भागलपुर विश्वविद्यालय भागलपुर, प्रो० (डा०) सागरमल जैन, निदेशक, पार्श्वनाथ विद्याश्रम, वाराणसी; प्रो० (डा०) के० डी० बाजपेयी, पूर्व अध्यक्ष, प्राचीन इतिहास एवं पुरातत्व विभाग, सागर विश्वविद्यालय, सागर; प्रो० (डा०) जे० सी० झा, निदेशक, काशी प्रसाद जायसवाल शोध संस्थान, पटना; प्रो० (डा०) राय अश्विनी कुमार, मगध विश्वविद्यालय. बोधगया; प्रो० उदयचन्द्र जैन, पूर्व प्राध्यापक, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय वाराणसी आदि के नाम उल्लेखनीय हैं । हमारी समझ में बुलेटिन के पूर्व के छ अंक लेख एवं मुद्रण दोनों दृष्टियों से सन्तोष जनक रहा है | त्रुटियों के लिए क्षमा-याचना के साथ बुलेटिन का सप्तम अंक विज्ञ पाठकों के समक्ष प्रस्तुत है । इस अंक में उनकी अभिरुचि बुलेटिन के आगे के अंकों लिए प्रेरणा-स्रोत का कार्य करेगी । विद्वान् लेखकों ने अपने पाण्डित्यपूर्ण लेख भेजकर इस अंक के प्रकाशन में जो सहयोग किया है, उसके लिए हम उनके हृदय से आभारी हैं । आशा है कि भविष्य में भी उनका यह सहयोग एवं सद्भावना बनी रहेगी । इस अंक के लेखों के संकलन, सम्पादन एवं मुद्रण में संस्थान के व्याख्याता एवं सम्पादक- मण्डल के सदस्य डा० लालचन्द जैन का उल्लेखनीय सहयोग रहा है । अतः उन्हें मेरा हार्दिक धन्यवाद है । फिर इस अंक के सम्पादन सक्रियता के लिए संस्थान के व्याख्याता एवं सम्पादक मण्डल के सदस्य डा० युगलकिशोर मिश्र भी धन्यवादाहं हैं । श्री प्रमोद कुमार चौधरी, प्रकाशन-शास्त्री एवं श्री आनन्द कुमार श्रीवास्तव, प्रकाशन - सहायक ने इस अंक के प्रकाशन में जो दिलचस्पी दिखलाई है, उसके लिए उन्हें भी हमारा हार्दिक धन्यवाद है । इसमें सक्रिय सहयोग करने के लिए संस्थान Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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