Book Title: Uvavai Suttam
Author(s): Munichandrasuri
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay
View full book text
________________ सूत्र -171-175 ] केवलिसमुद्धातस्वरूपादिः 197 सन्मिश्रं यदादारिकेण तदाहारकमिश्रं तच्च तच्छरीरं चेति, शेषं तथैव, अयं चाहास्कौदारिकयोर्युगपद्व्यापाररूपः, स च कृताहारकस्य तत्त्यागेनौदारिकं गृह्णतो भवतीति, 'कम्मगसरीरकायजोगं'ति प्राग्वत् अयं चापान्तरालगतौ केवलिसमुद्घाते वा स्यादिति, 'पढमट्ठमेसु समएसु' इत्यादेरयमभिप्रायः-जीवप्रदेशानां दण्डतया प्रक्षेपे संहारे च प्रथमाष्टमसमययोरौदारिककायव्यापारादौदारिककाययोग एव, द्वितीय-षष्ठ-सप्तमसमयेषु पुनः प्रदेशानां प्रक्षेप-संहारयोरौदारिके तस्माच्च बहि: कार्मणे वीर्यपरिस्पन्दादौदारिककार्मणमिश्रः तृतीय-चतुर्थपञ्चमेषु तु बहिरौदारिकात्कार्मणकायव्यापारादसहायः कार्मणयोग एव, तन्मात्रचेष्टनाद्, इह च यद्यपि मन्थकरणे कपाटन्यायेनौदारिकस्यापि व्यापारः सम्भाव्यते तथाऽपीत एव वचनादसौ कथञ्चिन्नास्तीति मन्तव्यमिति // 176 // . 177 - से णं भंते ! तहा समुग्घायगते सिज्झइ बुज्झइ मुच्चइ परिणेव्वाइ सव्वदुक्खाणमंतं करेइ ? णो इणढे समढे / से णं तओ पडिनियत्तति, तओ पडिनियत्तिता इहमागच्छति इहमागच्छित्ता तओ पच्छा मणजोगं पि जुंजइ वयजोगं पि जुंजइ, कायजोगं पि जुंजइ // 177 // 178 - मणजोगं जुंजमाणे किं सच्चमणजोगं जुंजइ ? मोसमणजोगं जुंजइ? सच्चामोसमणजोगं जुंजइ? असच्चामोसमणजोगं जुंजइ ? गोयमा ! सच्चमणजोगं जुंजइ णो मोसमणजोगं जुंजइ नो सच्चामोसमणजोगं जुंजइ, असच्चामोसमणजोगं पि जुंजइ // 178 // .. [178] 'सच्चमणजोगं जुंजइ, असच्चामोसमणजोगं पि जुंजइ'त्ति मन:पर्यायज्ञानिना अनुत्तरसुरेण वा मनसा पृष्टो मनसैव 'अस्ति जीव' ‘एवं कुवि'त्यादिकमुत्तरं यच्छन् / / 178 / / 179 - वयजोगं जुंजमाणे किं सच्चवइजोगं जुंजइ ? मोसवइजोगं जुंजइ ? सच्चामोसवइजोगं जुंजइ? असच्चामोसवइजोगं जुंजइ ? गोयमा ! सच्चवइजोगं जुंजइ, णो मोसवइजोगं झुंजइ, णो सच्चामोसवइजोगं जुंजइ, असच्चामोसवइजोगं पि जुंजइ // 179 // ___ [179] 'सच्चवइजोगं'ति जीवादिपदार्थान् प्ररूपयन् 'असच्चामोसवइजोगं'ति आमन्त्रणादिष्विति, समुद्घातान्निवृत्तश्चान्तर्मुहूर्तेन योगनिरोधं करोति 22 // 179 / / 1. JB खं. / शेषस्तथैव-मु. / / 2. B मु. / ०काय० - J खं. नास्ति // 3-4 खं. / 0 मोसा०मु. //

Page Navigation
1 ... 269 270 271 272 273 274 275 276 277 278 279 280 281 282 283 284 285 286 287 288 289 290 291 292 293 294 295 296 297 298 299 300 301 302 303 304 305 306 307 308 309 310 311 312 313 314 315 316 317 318 319 320 321 322 323 324 325 326 327 328 329 330 331 332 333 334 335 336 337 338 339 340 341 342 343 344 345 346 347 348 349 350 351 352 353 354 355 356 357 358 359 360 361 362