Book Title: Uttaradhyayan Sutra Mul Tabarth Author(s): Sudharmaswami, Khetsi Jivraj Shah Publisher: Khetsi Jivraj Shah View full book textPage 8
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir त ते मारे वि०विनयने सी नबोभाव पपामे जे विनय कीधा बु. याचा पुल पुत्रसरखोचलंभ नतेची मिन अ. ए गये तथा आचार पीते केचो होई नो. होइनि० मोझनोऽर्थ शिष्यवेन एगो॥६॥तम्हा विषयमेसिया सीखं पनि भेजन बुडं पुत्तनियागठी ननिकसिय लौनकाटेनकरीइवेगलोककोइक नि:निरंतर संसांत सांतहोइ बु अाचारजने अंसमीपे सदाए अ. सूत्रसिद्धानना श्रुतपदास्थयकी । जर अमुपरी रहितथिका अर्थ जजे कन्झई ॥ ७॥नि संतेसिया ऽ मुहरी बुद्धाणं अंतिए सया अवजुत्ताणि अर्थ कहीवा मेलवा नि निरथक शास्त्र व वर्जे असिषामयादेतां न कोप नकरे स्वं कमाने सेन्सेवे आदरे नी जुक्ति सिषे नं बसि थका पं पंमित्त विनीत सिरकेद्या निरवापिन वद्यए॥५॥अणुसासिन नक्क पेद्या ॥ खंति सेविय पंमिए । रघु इव्ये बाल सं ते संघाने हा कोई संघाते माल रघे सपुच्चयचं चंते क्रोधा बघए। आटांमार तथा बासनाव संसंसर्ग परिचय हासने कीमाने च वसीबर्जे दिकने बसे अन्जुगे बोलवोकरे पूर्णे. केहि ॥ सहसंस गं ॥ हासंकीमंचवद्यए ॥५॥ मायंचंालियं उकासी बझयमाय For Private and Personal Use OnlyPage Navigation
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