Book Title: Uttaradhyayan Sutra Mul Tabarth
Author(s): Sudharmaswami, Khetsi Jivraj Shah
Publisher: Khetsi Jivraj Shah

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Page 11
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मार नुत्तः सं संजमे तपेकरी उपासासजम तपकरी दादमतो बं बंधनेकरी व वधेकरी पप्रत्यनीक चाप | करि बली पन्ने थको यसी १६ बैरीपणं संजमेण तवेणय ॥ माहंपरेहि दम्मतो बंधणेहि बहेहिय॥१६॥पमिणियं चबुद्धाणं वा० बचने अन्अयवा कायाए करी आ. फट वा अयवा यद्यपि समुच्चये एक निश्चे कुनकरेकिबारे ७ करी करतव्ये करी प्रगट गनो वाया अमूवकम्मुगा ॥ आया वाजवारहस्से ॥ नेवं कुद्याकयाईवि॥१७॥ ना नबेसे गुरुने नेकन वेसेगुरुने एनबेसेगुरुने पुति अविनयपऐनव जुनकरे संघटगुरुनी करी संयाराने विषे बेगेथको ___ बरोबर सामोनिश्चै । सधि सेना पोतानी साथसे नपररकने नपूरन नेव किच्चाए पिहने नजुधे जरणाचरं ॥ सयणे मो. गुरुने प्रत्यत्तरकहे एनिने पर वस्वनीपसागचासीगुरुने पद बांहनी पलानीबालीने सं.संजती पार पगने समीप नबेसे. नसे साफ सांबाकरीने नसे नोपकिरुणे॥१८॥नेएवं पव्हजियंकुचा ॥ परकपिमंच ॥ संजए । पाएपसा For Private and Personal Use Only

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