Book Title: Uttaradhyayan Sutra Mul Tabarth
Author(s): Sudharmaswami, Khetsi Jivraj Shah
Publisher: Khetsi Jivraj Shah
View full book text
________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
उत्त.
যে
www.kobatirth.org
नो
म० राजपंथ
एक
सी० अ.१
मोटापंथ विषे एकलो साधु एकसी स्त्रीसंघातें
सीमा दिए
कीमत
यं महापए एगो एमबिएसद्धि || नेवचित्रे नसंसवे॥ २६ ॥ जमे बुद्धा पु सायंति ॥ सी
वचने करि फ० कंवावचने करि म माहरा
पतिले सावधान के
अ० गुरुनी
या अथवा लान्सामनेऽर्थे एहबीबुद्धेकरी
सीष
फ सांभले २७ एएा फरुसेवा ॥ ममसालोइति पेहाए ॥ पयत्तं परिसुो ॥ २७ ॥ ऋणु सास साकर्तव्यनी दु० पापकरतव्यनो चोटाला हि० तेसिषामा हितकारी प-प्रज्ञा के द्वेषहोई सा उपाय जे. बसी हार करीमाने धने २०
पंत
एामो जुवायं
डुक्कमस्सयं चोयां ॥ हियंतंमन्नई पन्नो ॥ वेस होई असा
त तेसिषामा होई सू० मूठमविनीतने तहोई मूढाए ॥
न० नबोले २६ ॐ० जे मुनेगुरु
हि० शिष ने हितकारी माने वि० बिसेषेग्योने क० करएापो प्र० गुरुनी सीषामा के द्वेष भय जेही तत्त्वनो जांए शिष्य
एगो २८ हियंविगय नयाबुद्धा ॥ फरुसंपि
कारणी
एफ सासणं ॥ वेसं
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
For Private and Personal Use Only

Page Navigation
1 ... 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 ... 447