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उत्त.
যে
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नो
म० राजपंथ
एक
सी० अ.१
मोटापंथ विषे एकलो साधु एकसी स्त्रीसंघातें
सीमा दिए
कीमत
यं महापए एगो एमबिएसद्धि || नेवचित्रे नसंसवे॥ २६ ॥ जमे बुद्धा पु सायंति ॥ सी
वचने करि फ० कंवावचने करि म माहरा
पतिले सावधान के
अ० गुरुनी
या अथवा लान्सामनेऽर्थे एहबीबुद्धेकरी
सीष
फ सांभले २७ एएा फरुसेवा ॥ ममसालोइति पेहाए ॥ पयत्तं परिसुो ॥ २७ ॥ ऋणु सास साकर्तव्यनी दु० पापकरतव्यनो चोटाला हि० तेसिषामा हितकारी प-प्रज्ञा के द्वेषहोई सा उपाय जे. बसी हार करीमाने धने २०
पंत
एामो जुवायं
डुक्कमस्सयं चोयां ॥ हियंतंमन्नई पन्नो ॥ वेस होई असा
त तेसिषामा होई सू० मूठमविनीतने तहोई मूढाए ॥
न० नबोले २६ ॐ० जे मुनेगुरु
हि० शिष ने हितकारी माने वि० बिसेषेग्योने क० करएापो प्र० गुरुनी सीषामा के द्वेष भय जेही तत्त्वनो जांए शिष्य
एगो २८ हियंविगय नयाबुद्धा ॥ फरुसंपि
कारणी
एफ सासणं ॥ वेसं
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