Book Title: Tulsi Shabda Kosh Part 02
Author(s): Bacchulal Avasthi
Publisher: Books and Books

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Page 15
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 560 तुलसी शब्द-कोश पटुली : सं०स्त्री० (सं० पट्ट, पट्टी>प्रा० पटटुल्ली)। बैठकी, आसन-विशेष । गी० ७.१८.२ पटो : सं०पू०कए० (सं० पट्ट:>प्रा० पट्टो) । राजपट्ट, पट्टा, (मस्तक पर बांधा जाने वाला पट्ट) । 'घन धावन बगांति पटो सिर ।' कृ. ३२ (२) सम्पत्ति के दायाधिकार का पट्टा । 'बिधि के कर को जो पटो लिखि पायो।' कवि० ७.४५ पटोर : सं०० (सं० पटोल, पट्टोल) । रेशमी उत्तम वस्त्र । पटोरन्हि : पटोर+संब०। पटोरों (से) । 'हाट पटोरन्हि छाइ सकल तरु लाइन्हि।' पा०म० ८७ पटोरे : पटोर का रूपान्तर। (१) विविध रेशमी वस्त्र । 'कंबल बसन बिचित्र पटोरे ।' मा० १.३२६.३ (२) रेशम, रेशमी धागा। 'सिअनि सुहावनि टाट पटोरे।' मा० १.१४.११ पठंति : आ०प्रब० (सं० पठन्ति) । पढ़ते हैं । मा० ३.४ छं० पठइ : पू० (सं० प्रस्थाप्य>प्रा० पट्टविअ>अ० पट्टवि) । भेज कर । 'जहँ तह धावन पठइ पुनि मंगल दब्य मगाइ ।' मा० ७.१० ख । पठइअ : आ०कवा०प्रए० (सं० प्रस्थ्याप्यते>प्रा० प्रट्ठवीअइ)। भेजा जाता है, भेजा जाय । 'पठइअ काज नाथ असि नीती।' मा० २.६.६ पठइन्हि : आ०-भूक स्त्री०+प्रब० । उन्होंने भेजी । 'सुरसा पठइन्हि ।' मा० ५.२.२ पठइब : भूक०० (सं० प्रस्थापयितव्य>प्रा० पट्टविअन्व)। भेजना (होगा), (भेजा जायगा) । 'अवसि दूतु मैं पठइब प्राता ।' मा० २.३१.७ पठइहि : आ०भ०प्रए । भेजेगा । 'तासु खोज पठइहि प्रभु दूता।' मा० ४.२८.८ पठई : भूक स्त्री०ब० । भेजीं। 'पठई जनक अनेक सुसारा ।' मा० १.३३३.५ पठई : भूकृ०स्त्री० । भेजी। 'सो कही जो मोहन कहि पठई।' कृ. ३६ (२) (सहायक क्रिया के रूप में) । 'सीय तब पठई जनक बोलाइ ।' मा० १.२४६ (३) पठइअ । भेजा जाय । 'लंका रहइ सो पठइअ लेना।' मा० ६.५५.७ पठउ : आo-आज्ञा, प्रार्थना-मए । तू भेज । 'प्रथम बसीठ पठउ सुन नीती।' मा० ६.६.१० पठए : भूक०० ब० । भेजे । “पठए बालि होहिं मन मैला।' मा० ४.१.५ पठए सि : आ०भूकृ.पुं०+प्रए । उसने भेजा । 'पठएसि मेघनाद बलवाना ।' मा० ५.१६.१ पठएहु : आ०भ०+आज्ञा-मब० । तुम भेज देना। 'गिरिहि प्रेरि पठए हु भवन ।' मा० १७७ For Private and Personal Use Only

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