Book Title: Tulsi Prajna 2000 04
Author(s): Shanta Jain, Jagatram Bhattacharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 70
________________ मांग तथा व्यक्तियों या समूहों द्वारा राज्य सत्ता से कुछ निश्चित आवश्यकताओं की पूर्ति की गारण्टी की मांग सम्मिलित है। यद्यपि स्वतंत्रता का अधिकार राज्य शक्ति के क्रियाकलापों को सीमित करता है जबकि मांगें राज्य की सक्रियता चाहती हैं, जो मांगों की पूर्ति हेतु राज्य व्यवस्था को आवश्यक और पर्याप्त रूप से विकसित करे। राज्य के कर्तव्यों का स्वरूप ___व्यक्तियों और समूहों के लिए मानव अधिकार की स्वीकृति तत्सम्बन्धी कर्तव्यों की भी अपेक्षा रखती है। अन्तर्राष्ट्रीय मानवाधिकार व्यवस्था में इस रूप में बाध्य होने वाले मूलभूत रूप से राज्य ही हैं। राज्य के कर्त्तव्यों को मूलत: तीन श्रेणियों में बांटा जा सकता है : सम्मान का कर्तव्य (Duty to Respect) सुरक्षा का कर्तव्य (Duty to Protect) मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति का कर्त्तव्य (Duty to fulfill) सम्मान के कर्तव्य निर्वहन के लिए राज्य तथा उसके अंगों व प्रतिनिधियों के लिए यह आवश्यक है कि ऐसे कार्यों से बचें जो व्यक्ति की स्वतंत्रता व अखण्डता को बाधित करते हों। सुरक्षा के कर्त्तव्य निर्वहन के लिए राज्य के लिए यह आवश्यक है कि अखण्डता, कार्य की स्वतंत्रता या व्यक्ति के अन्य अधिकारों के हनन की रोकथाम के लिए आवश्यक व कारगर उपाय सुनिश्चित करे। आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु राज्य के लिए यह आवश्यक है कि वह प्रत्येक व्यक्ति के लिए उन आवश्यकताओं की पूर्ति की संभावनाओं को सुनिश्चित करे जो मानवाधिकार व्यवस्था में निर्दिष्ट की गई हैं। जैसे कार्य का अधिकार, पर्याप्त जीवनस्तर का अधिकार, स्वास्थ्य-सेवा व शिक्षा का अधिकार आदि।। मानवाधिकार कानून के अन्तर्गत राज्य की दोहरी भूमिका है। राज्य को अपने कार्यों के लिए कुछ सीमाएं स्वीकार करनी चाहिए। साथ ही मानव अधिकारों की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए सक्रिय कदम उठाये जाने के लिए वह बाध्य है। राज्य की इस दोहरी भूमिका को लेकर यद्यपि कुछ मतभेद हैं जिसके लिए निम्नांकित विमर्श का औचित्य है मानव अधिकार व्यवस्था में व्यक्तियों या समूहों के अधिकारों के साथ कुछ कर्त्तव्य भी हैं । इण्टरनेशनल डिक्लेरेशन की धारा 29 के अनुसार प्रत्येक व्यक्ति का अपने समुदाय के प्रति दायित्व है जिसमें उसके व्यक्तित्व का स्वतंत्र व सम्पूर्ण विकास संभव है। यद्यपि धारा 29 एक व्यक्ति के कर्तव्यों की दृष्टि से अनिश्चित सी है। भेदभाव की रोकथाम एवं अल्पसंख्यकों के संरक्षण के लिए संयुक्त राष्ट्र के एक उप आयोग ने अपनी विशेष रिपोर्ट 64 AIIIIIIIII INITITIV तुलसी प्रज्ञा अंक 109 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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