Book Title: Tulsi Prajna 2000 04
Author(s): Shanta Jain, Jagatram Bhattacharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

View full book text
Previous | Next

Page 71
________________ में व्यापक अध्ययन के पश्चात् निम्नांकित कर्त्तव्यों को सूचीबद्ध किया है-शांति और सुरक्षा के सम्मान का कर्त्तव्य, युद्ध के प्रचार से बचने का कर्तव्य, राष्ट्रीय, जातीय और धार्मिक घृणा फैलाने से बचने का कर्तव्य, अन्तर्राष्ट्रीय मानवतावादी कानून को स्वीकार करने का कर्त्तव्य तथा मानवाधिकार और मूलभूत स्वतंत्रताओं को उन्नत करने एवं तदनुरूप आचरण करने का कर्त्तव्य। घरेलू कानून के अन्तर्गत एक राज्य नागरिकों के लिए कर्त्तव्यों को लागू करने के अधिकार रखता है। लेकिन प्रभावी किये जाने वाले कर्तव्यों की एक सीमा है जैसा कि धारा 29 के पैरा 2 में कहा गया है-अपने अधिकारों एवं स्वतंत्रताओं का उपयोग करते समय प्रत्येक व्यक्ति के लिए कुछ ऐसी सीमाएं होंगी जो दूसरों के अधिकारों व स्वतंत्रताओं की सुरक्षा एवं प्रजातांत्रिक समाज में नैतिकता, व्यवस्था और सामान्य कल्याण की आवश्यकता पूर्ति हेतु कानून द्वारा निर्धारित की जाएगी। संघर्षों के दौरान मानवाधिकारों का प्रयोग एक राज्य खुले संघर्षों के दौरान मानवाधिकारों के सम्मान,संरक्षण एवं आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए बाध्य है। उपद्रव, अपगमन के लिए युद्ध (A war of secession) या क्रांति के समय भी राज्य मानवाधिकारों की बहाली के लिए बाध्य है। सरकारें प्रायः यह तर्क प्रस्तुत करती हैं कि प्रतिपक्षी आतंकवादी गतिविधियों में लिप्त हैं, इसलिए सरकार द्वारा किये जाने वाले वे कार्य भी उचित हैं जो अन्य स्थितियों में गैर कानूनी होते हैं। मानवाधिकार इतने व्यापक अपवाद नहीं मानता। यद्यपि आपातकाल के समय जब राष्ट्र के अस्तित्व को ख़तरा हो तो कुछ अधिकार अस्थाई रूप से सीमित किये जा सकते हैं ।* किन्तु कुछ अधिकार किसी भी परिस्थिति में सीमित नहीं किये जा सकते। जैसे जीने का अधिकार, यातना व दुर्व्यवहारों से मुक्ति का अधिकार, गुलामी से मुक्ति का अधिकार, कानून के समक्ष प्रत्येक व्यक्ति को एक व्यक्ति के रूप में पहचान का अधिकार, विचार, संज्ञान और धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार, कानून के अनुसार कार्य करने के सिद्धान्त का अधिकार आदि । राज्य को सदैव इन अधिकारों का सम्मान करना चाहिए तथा दूसरे जो इन अधिकारों का हनन करते हैं उनको रोकने का कार्य भी राज्य को करना चाहिए। ___पूछताछ के समय फांसी, नजरबंदी और दुर्व्यवहार किसी भी तरह की सभी, परिस्थितियों में वर्जित है। यद्यपि वहां साक्ष्य की समस्या है। सरकारें प्रायः इस बात से इंकार कर देती है कि ये कार्य जिनके द्वारा किये गये हैं वे उनके प्रतिनिधि हैं। अगर वे सरकार के * See Article 4 of the International Convenant on Civil & Political Rights. तुलसी प्रज्ञा अप्रेल-सितम्बर, 2000 NILI V 65 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152