Book Title: Tiloypannatti Part 2
Author(s): Vrushabhacharya, Chetanprakash Patni
Publisher: Bharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha

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Page 8
________________ २४ २५. २६ २७ २८ २६ ३० ३१ ३२ १३ ३४ 事輥 * ३७ ३८ ३९ Yo ४१ ४२ ४३ ** ४५ ० बिष्य बेवी, पीठ, परिचिय एवं मेखला का विस्तारादि दूसरे एवं तीसरे पीठों का तथा बन्धकुटी का विस्तार आदि तीर्थंकरों का केवलकाल, गणबरों की संख्या एवं नाम ६४ ऋदियां सात गणों का पृथक-पृथक एवं एकत्र ऋषियों का प्रमाण धार्मिकानों आदि की संख्या एवं तीरों के निर्वाण प्राप्ति निर्देश योग नितिका, बासन एवं अनुबद्ध केवल नादिको का " २४ समदों का परिचय नारायणों का परिचय मान चौबीसी के प्रसिद्ध पुरुष पृष्ठ का परिचय भावी हलाकी पुरुष पर्वत एवं क्षेत्रों के विस्तार, बारा गौवा धनुम आणि का प्रमाण बार के फूट जम्बूद्वीप को नदियाँ भातकी सड की परिधि एवं उसमें स्थित कुलालों और क्षेत्रों का विस्तार पं० २६९ २७६ REY ३२६-३२७ ३४५ ३५८-५६. ३५५ प्रमाण ऋषभादि तीर्थकरों के स्वर्ग धौर मोक्ष प्राप्त सिंध्योंकी संख्या ३६८ ११०३-१२४८ मुक्तास्तर एवं तीयं प्रवर्तकाल ३७८ १२५०-१२६६ पतियों की नर्मानभियों का परिचय YaY ११६६-१३२७ कतियों के चौदह रत्नों का परिचय दर्शक आचार्यश्री दुर्विधानातर वतियों के वैभव का सामान्य पश्चिम ४०६ चवतियों का परिश्रम ४१० TE ४२० ४२४-२५ ४३० ४६०-६१ १०५ गावा सं० ६२४ ६४२ A ८७-६८० ८४-६०० ६५२-६६६ २७७-११०२ ११०१-११७६ ११७७-१२१६ १९२०-१९४२ १३-१-१४०१ १२९२-१४२२ १४२३ १४२४ १२१८-१३०२ १४२६-१४४४ १४५६-१४८० १५६१-१९१३ १६४६-१५०२ २३३८ २४१०-२४१५ २५६७-२६१२ आभार तिलोयपणती प्रन्थ की प्रकाशन योजना में हमें अनेक महानुभावों का पुष्कल सहयोग बोर प्रोत्साहन संप्राप्त है। मैं उन सभी का हृदय से बाभारी हूँ । ० पू० भाव १०८ श्री धर्मसागरजी महाराज एवं आचार्य भी ससागरजी महाराज के वचन इस ग्रन्य के प्रकाशन अनुष्ठान में हमारे प्रेरक रहे हैं। मैं आपके चरणों में सविनय सादर नमन करता हुआ आपके दीपं नीरोग जीवन की कामना करता हूँ ।

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