Book Title: Tile Wale Baba Author(s): Mishrilal Jain Publisher: Acharya Dharmshrut Granthmala View full book textPage 8
________________ सहसा धौरी गाय टीले परशान्त खड़ी हो जाती है और उसका दूध | टीले पर झरने लगता है। टीले में कोई पवित्र वस्तु है। भूत प्रेत दूध नहीं मांगते। मेरे कानों में कोई मधुर ध्वनि) (ध्यानपूर्वक सुनाई पड़ रही है ! सुनो। दसरे दिन सुबह चतुरा और लक्ष्मी टीले को फिर खोदने लगे...... कोई कह रहा है... "सावधानी से खोदो।) इसमें सुन्दर और पवित्र वस्तु है" लगताहै सुख के दिन आने वाले हैं।Page Navigation
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