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त्रिशला पुत्र वर्दमान सत्यकह रहा है। हमें मोह छोड़ कर संसारकी भलाई के लिए उसे घर छोड़ने की अनुमति बेहिचक
दे देना चाहिए।
प्रिय वन्दमान । तुम इकलौते पुत्रहो, यह राज्य कौन सम्हालेगा अपने माता-पिता को छोड़कर न माँ! संसार दुरखी है। जाओ। हमारे सम्पूर्णभारतवर्ष में दुख-सुख के हिंसा,मांसाहार, साथीबनो। पशुबलि होरही है।
माँ,संसार की भलाई के लिए मुनिबनने की अनुमति प्रदान
करो।
पुत्र वदमान! हमारा आशीर्वाद तुम्हारे साथ है। जाओ और संसारको कल्याण का मार्ग दिखाओ
वर्द्रमान महावीर चन्द्र पालकी में बैठ कर झालखण्ड नामक जंगल की ओर रवाना होगये.....