Book Title: Tile Wale Baba
Author(s): Mishrilal Jain
Publisher: Acharya Dharmshrut Granthmala
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Page #1 --------------------------------------------------------------------------  Page #2 -------------------------------------------------------------------------- ________________ टीले वाले बाबा सम्पादकीय टीले वाले बाबा का मन्दिर चांदनपुर गांव के अति निकट है। भगवान महावीर की जिस मूर्ति के अतिशय की ख्याति परे विश्व में है। भगर्भ से उसकी प्राप्ति के सम्बंध में अदभत किंवदन्ती प्रचलित है। कहा जाता है कि एक ग्वाला रोज गया चराने जाता था, गाय जंगल से चर कर जब घर लौटती तो उसके स्तन से दूध खाली मिलते। एक दिन ग्वाले ने गाय का पीछा किया और देख कर विस्मय हुआ कि गाय एक टीले पर खड़ी है उसके स्तनों से दूध स्वत: झर रहा है। दूसरे दिन मन में अनेक प्रकार के तानों बानों से ग्वाले ने टीले को खोदना प्रारम्भ किया कि आवाज सुनाई दी जरा! सावधानी से खोद। आवाज सुन कर वह सावधान हो गया। और मिट्टी हटाते ही मूर्ति प्रगट हो गई। भूगर्भ से भगवान प्रगट हुए हैं, इस प्रकार की चर्चा चारों ओर फैल गई। दूर-दूर से दर्शनार्थी खिंचकर आने लगे। मेला जुड़ने लगा। अतिशयों से आकर्षित हो कर अनेक व्यक्ति मनोकामनाएं ले कर आने लगे उन व्यक्तियों की मनोकामना पूर्ण होने के समाचार चारों दिशाओं में फैल गया। अमर चंद जी दीवन ने मन्दिर निर्माण कराया तथा रथ में बैठाकर ले जाने लगे तो रथ अचल हो गया। जब ग्वाले ने रथ को हाथ लगाया तब रथ आगे बढ़ा तथा समारोह पूर्वक श्री जी मन्दिर में ला कर विराजमान किए। महावीर जी की यात्रा के लिए जाने वाले नर नारियों के मन में एक अद्भुत स्फुरणा, उमंग और पुण्य भावना उत्पन्न होती है। यहाँ हर वर्ग के भक्त जिनेन्द्र भगवान के दर्शन करने और अपने श्रद्धासुमन चढ़ाने आते हैं। अतिशय क्षेत्र में अनेक दर्शनीय स्थल भी हैं। मन्दिर जी के उत्तरीय भाग में कृष्णा बाई जी का आश्रम है जहां पर विशाल मन्दिर भी है। इस पावन तीर्थ के दर्शन के साथ कांच का ऐतिहासिक पार्श्वनाथ मन्दिर एवं ब्र. कमला बाई जी द्वारा स्थापित आदर्श महिला विद्यालय भी अद्वितीय है। गम्भीर नदी के पूर्वी किनारे पर शान्तिवीर नगर है। जहाँ २८ फुट ऊंची शान्तिनाथ स्वामी की विशाल मूर्ति के अतिरिक्त २४ तीर्थंकरों तथा उनके शाषन देवताओं की मूर्तियाँ विराजमान हैं। जिसकी यश: पताका चारों ओर फैल रही है। हम सब इस कृति से वहां के दर्शन करें। पाठकों से अनुरोध है कि वे जैन चित्र कथा के सदस्य बन कर सम्यक ज्ञान का अनुभव करें। धर्मचंद शास्त्री प्रकाशक :- आचार्य धर्मभ्रत ग्रन्थमाला गोधा सदन अलसीसर हाऊस संसार चंद रोड जयपुर सम्पादक :- धर्मचंद शास्त्री लेखक:- श्री मिश्रीलाल जी एडवोकेट गुना चित्रकार :- बनेसिंह जयपुर प्रकाशन वर्ष १९८८ मई वर्ष २ अंक ७ मूल्य : १० रुपये स्वत्वाधिकारी'मुद्रक, प्रकाशक तथा सम्पादक धर्मचंद शास्त्री द्वारा जुबली प्रेस से छप कर धर्मचंद शास्त्री ने गोधा सदन अलसीसर हाऊस संसार चंद रोड जयपुर से प्रकाशित की। Page #3 -------------------------------------------------------------------------- ________________ टीले वाले बाबा 1/IIIIIIIIरेखांकनःबनेसिंह ALI PAHARHA PsDIST चांदनपुर गांव में चतुरा नाम का ग्वाला रहता था। उसकी पत्नी कानाम लक्ष्मी था। उसके पास एक गाय थी,जिसे वह धौरी कहकर पुकारता था..... Page #4 -------------------------------------------------------------------------- ________________ क्या आज गाय का दूधलगाना भूलगये गाय के थनों में दूध हो तो निकालू गायके थनोंसे एक बूंद भी दध नहीं निकलता...चतुरा हैरान है...' कैसी बातें करते हो? अपने गांव में दचकी मैं कल सुबह गाय की छिपकर रखवाली करंगा। मैं देखूगा दूधकीचोरी कौन करता चोरी कौन करेगा है। Page #5 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आजका दिन भी बेकार गया.... छिपकर चतरा जंगल में लटूलिए गाय की रखवाली करता रवा दिन भर गाय चरती रही संध्या के समय एक टीळेपर भा कर खड़ी हो गई और C | अरे । आश्च र्य उसका सारा बिना लगाये ही दूघटीले गाय का दूधटीले पर झर पर गिर रहाहै। गया। चलराघरलौटकर पत्नीसे कहता है भाग्यवान ।। पलालगा लिया कि गाय कादूध कहां जाता है। केवल पलालगा कर ही लौट आये,इतना बड़ालद्र किसलिए ले गये थे? कौन है दूध चार Page #6 -------------------------------------------------------------------------- ________________ व्यर्थ बोलने लगी हो, मेरी भी तो सुन। अच्छा सुनाओ। एक टीले पर गाय का दूध अपने आप भर जाता ऐसी अनहोनी घटना तो मैंने जीवन में कभी नहीं सुनी। क्यों झूठ बोलते हो? मैं सच कहता हूं GA मैंकल जाकर टीले की खुदाई करंगा मैं तुम्हें वहां नहीं जाने दंगी। मुझे तो भूत-प्रेत का चक्कर समझ में आता है। OG full Page #7 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भय का भूत होता है। ) ( अकेले तो नहीं जाने दूंगी । मैं भूत प्रेतों से नहीं डरता । तुम भी चलना । दोनो ਸਿਲ ਦ ਟੀਚੇ को खोदेंगे। दूसरे दिन सुबह लक्ष्मी और चतुरा "टीले को खोदने लगे.... संध्या हुई.. अब लौट चलो, आज इतना ही काफी है। Page #8 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सहसा धौरी गाय टीले परशान्त खड़ी हो जाती है और उसका दूध | टीले पर झरने लगता है। टीले में कोई पवित्र वस्तु है। भूत प्रेत दूध नहीं मांगते। मेरे कानों में कोई मधुर ध्वनि) (ध्यानपूर्वक सुनाई पड़ रही है ! सुनो। दसरे दिन सुबह चतुरा और लक्ष्मी टीले को फिर खोदने लगे...... कोई कह रहा है... "सावधानी से खोदो।) इसमें सुन्दर और पवित्र वस्तु है" लगताहै सुख के दिन आने वाले हैं। Page #9 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 1000 चतुरा और लक्ष्मी धीरे धीरे अरे । मूर्ति मिट्टी हटाते हैं । मूर्ति का सिर दिखाई दे रही दिखाई देने लगता है.... (टीले वाले बाबा की जय टीले वाले बाबा की जय चतरा और लक्ष्मी की जयकार चतुरा। तूने कैसे जाना की आवाज सुनकर आस इस टीले में मूर्ति है? पास के ग्वाले इकनेहोगये मेरीचौरीगायटीले पर रोज दूध चढाती थी। चांदनपुर गांव के सभी लोग मूर्ति निकलने की खबर मूर्ति किसने निकाली? पाकर झुन्ड के झुन्ड में टीले पर पहुंचने लगे..... अरे! तुम्हें नहीं पता ? अपने चतुरा ग्वाला ने निकाली। 1982 Page #10 -------------------------------------------------------------------------- ________________ देवता को भी ग्वाले के हाथों निकलना था भगवान की दृष्टि में सब मनुष्य समान है। अच्छा आदमी वह है जो अच्छे काम कर। अपन' ग्वाला कितना चरित्रवान है नमांस खाता है औरन शराब पीता, मर्ति के पास मेळासा लगा हुआ है। सभी जय जयकार कर रहे है.. 11 टीले वाळे बाबा की जय (टीले वाले बाबा की जय टीले वाले बाबा कीजय Page #11 -------------------------------------------------------------------------- ________________ मूर्ति के चमत्कारों अर! अरे! यह तो अतिम तीर्थकर वर्द्धमान महावीर की प्रतिमा है।) की प्रसिद्धि सुन कर सेठ अमरचन्द बसवा निवासी चादन गांव प्रतिमा के दर्शन करने आये श्रीमान ! आपने कैसे पहिचाना का मैं नहीं पहिचान तो कौन पहिचानेगा बचपन से ही भगवान की पूजा करता आरहा चाचाजी। क्या महावीर भगवान की जीवनी आपको पता है? हां बेटी। ........ . .........300 R । 985 भगवान महावीर की जीवनी बताईये। बहुत लोग दर्शन करने आते हैं। सबको सुनाया करूंगी। Page #12 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अच्छा सुनो। "वैशाली में राजा सिद्धार्थ राज्यकरते थे। उनकी रानी लानाम प्रियकारणी त्रिशला था। सिंहासन मान HTTA धरनेन्द्र मछली Milal HIMAL सरोवर S/ DAI सागर रत्न माला tosd10 KORISHVAP 6 केसरी 60/ अग्नि रावत हा भर SUICISITMIDALTRATARRAMITIVITIES एक रात्रि में रानी त्रिशला ने अनुपम सोलह सपने देखे। 10 Page #13 -------------------------------------------------------------------------- ________________ राजा-रानी चर्चा करते हुए...... स्वामी | मैंने रात्रि के अन्तिम प्रहर में सुखद सोलह सपने . देखे। सपनों का फल बताईये। देवी त्रिशला। तुम महान पुत्र की मां बनने वाली हो। हमारा पुत्र संसार का कल्याण करेगा। बहुत प्रसन्न हूं यह हमारे लिए बड़े सौभाग्य की बात है। चैत्रसुदी १३ के दिन वर्द्धमान (महावीर) का जन्म हुआ। मनुष्य,देवी, देवता सब खुशियां मनाने लगे। Sen पुत्रजन्म परवर्द्धमान का जन्म संसार के लिए,सुख, शान्ति वस्त्राभूषण दाज का संदेश लेकर आया है। दिये,खुशियां मनाई....... 11 Page #14 -------------------------------------------------------------------------- ________________ एक दिन राजकुमार वर्द्धमान बगीचे में अपने साथियों के साथ सपने देवता का रूप धारण कियाऔरकहा खेल रहे थे।एक भयंकर सर्प निकला,सारे बच्चे भाग गये...पर. मैं संगम नामक मैं निर्भय हंकायरता धर्म नहीं है। देवता हूं तुम्हारी परीक्षा लेने आया थावईमान तुम वास्तवमें महावीर हो। MA 900 महान कार्य करने के कारण वर्दमानको बद्रमान महावीर पुत्र! तुम्हारी विवाहयोग्य आयु हो गई महावीर,वीर,सन्मति,अतिवीर आदि अनेक मांत्रिशला तथा राजा है।हम यशोदानामक सुन्दर राजकुमारी नामों सेजाना जाता है। सिद्धार्थसे बात करते है सेतुम्हारा विवाह करना चाहते हैं। 129200 0942 KAAG मपिताजी! मेरेलिए विवाह बंधन केसमान है।मैं संसार के प्राणियों की भलाई केलिए, आत्मकल्याण के लिए सन्यासीजनना चाहताहूं। Page #15 -------------------------------------------------------------------------- ________________ त्रिशला पुत्र वर्दमान सत्यकह रहा है। हमें मोह छोड़ कर संसारकी भलाई के लिए उसे घर छोड़ने की अनुमति बेहिचक दे देना चाहिए। प्रिय वन्दमान । तुम इकलौते पुत्रहो, यह राज्य कौन सम्हालेगा अपने माता-पिता को छोड़कर न माँ! संसार दुरखी है। जाओ। हमारे सम्पूर्णभारतवर्ष में दुख-सुख के हिंसा,मांसाहार, साथीबनो। पशुबलि होरही है। माँ,संसार की भलाई के लिए मुनिबनने की अनुमति प्रदान करो। पुत्र वदमान! हमारा आशीर्वाद तुम्हारे साथ है। जाओ और संसारको कल्याण का मार्ग दिखाओ वर्द्रमान महावीर चन्द्र पालकी में बैठ कर झालखण्ड नामक जंगल की ओर रवाना होगये..... Page #16 -------------------------------------------------------------------------- ________________ झालखण्ड वन में वस्त्राभूषण उतार कर शिलावण्ड पर बैठ गये। वर्दमान महावीर ने बारह वर्ष तक कठिन तपस्या की। मैं देह नहीं आत्मा हूं। शरीर नाशवान है। 000 वर्दमान महावीर ने अनेक गांवों,नगरों और जंगली प्रदेशों की पदयात्राकी। महावीर प्रभुकी महानता न-समझकर लोगोने उन पर मिट्टी फेंकी पत्थर मारे। पर प्रभुने कोई विरोधनहीं किया। VARANew श्रमण महावीर ने सम्पूर्ण भारतवर्ष की पदयात्रा की। GONDA ARE Page #17 -------------------------------------------------------------------------- ________________ उज्जयिनी के मरघट में गड़मुक्तक नामक राक्षस ने श्रमण महावीर को डराने की कोशिश की पर वह निडर रहे। run UWAR ऋजकुला नदी के महान बनने के लिए आदमी को कठिन तपस्या करनी पड़ती है। बहुत कठिन। किनार महावीरने MECOURNA का भगवान ने केवलज्ञान प्राप्त किया केवलज्ञान प्राप्त उनके मस्तक केचारों, ओर फैलाप्रकाश / हा किया. उसके आगे इसका प्रमाण है की कथा सुनाईये। बेटी। कम -कवलज्ञान प्राप्त करने के बाद ३० वर्ष तक भगवान महावीर ने संसारकी भलाई के लिए उपदेश दिया। Page #18 -------------------------------------------------------------------------- ________________ बताईये भगवान महावीर के कुछ उपदेश भी हमें पदयात्रा करते हुए प्राणी मात्र पर दया करना तीर्थकर गरीबों की सहायता करना महावीर इस प्रकार हिंसा भूठ,चोरी पावा कुंशील और परिग्रह का पहुंचे और त्याग करना ही महावीर के एकबंगीचे प्रमुख उपदेशहैं। में तालाब के समीपजा कर ध्यान मग्न हो गये। भगवान महावीरकी देह से एकज्योति निकली और ऊपर जाकर आकाश में विलीन होगई,देह भी विलीन हो गई। और निर्वाण को प्राप्त हुए।वह जन्म मृत्यु के बंधन से मुक्त हो गये DIO सारी घटनाएं मेरे मष्तिक में चित्र की भांति दिख रही है। मैं बहुत गरीब आदमी हूं बाबाकी सेवासेसमय ही नहीं मिलता। यह बहुल महान देवता है, चतुरा। तूं इनका अंदिर बनवा दे। COC30000 मंदिर बन वाना तो जरूरी है,तू नहीं बनवा सकता तो मैं मंदिर बनवा देता हूं। Page #19 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्री मान की जैसी इच्छा मैं मंदिर, नहीं बनवाने दूंगी, देवता पराये हो जायेंगे । लक्ष्मी। सेठ जी सत्य कहते बाबा बरसात गर्मी सर्दी में ऐसे कब तक रहेंगे ? सेठ अमर चन्द ने महावीर जी का सुन्दर मन्दिर बनवा दिया। 4001 17 देवता कब तक बिना मंदिर के रहेंगे ? D भगवान जाने । Depos 22222 00000 मुझे तुम्हारी बात सुन कर बहुत सुख मिला । मैं जल्दी ही बड़ा सुन्दर मन्दिर बनवाऊंगा। Page #20 -------------------------------------------------------------------------- ________________ टीले के सामने बैलों सेजुता रथ तैयार खड़ा है,लाखों मीना गुजरों की भीड़ लगी है। सभी लोग भगवान महावीर की जय जयकार कर रहे हैं। टीले वाले बाबा की जय भगवान महावीए) की जय 25 ny it AR SUI 114EMAIL अरे! आज चतुरा नहीं दिख रहा मूर्ति को रथ में विराजमान किया... समीप ही सेठ अमरचन्द व अन्य गणमान्य व्यक्ति खडे है सभी आश्चर्यचकित है..... अरे ये क्या?रथ अचल हो गया। चलता ही नहीं। चतुरा वर्षों से बड़े बाबा की सेवा कर रहा है। उसकी इच्छा के बिना मुर्ति मन्दिर में कैसे जायेगी? Page #21 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सेठजीचतुरा के घर जाते है चतुरा! ओ चतुरा! KISTHAN Evecityimasetu सेठजी घरके भीतर प्रवेश करते हैं और कहते हैं चतुरा,खुशी केसमय क्यों दुखी हो रहा हैं ? क्या बड़े 7 बाबा को मंदिर में मडैया से बाबा के जाते ही मैं अनाथ हो नहीं बैठायेगा? जाऊगा 0000 FWARUJALAN Page #22 -------------------------------------------------------------------------- ________________ मैं सबके सामने घोषणा करूंगा कि मंन्दिर में मीना गूजरों को जाने से कोई नहीं रोकेगा। श्रीमान मेरी समझ में नहीं आता कि मैं क्या करूं? ) मन्दिर आपने बनवाया है | कलसे हम मीना गूजरों को मन्दिर में कौन जाने देगा ? मैंने तोपहिले ही कहा था देवता परोये हो जायेंगे महावीर सबका देवता है केवल जैनियों का नही। 405 श्रीमान। अब हमें कोई दुरुनहीं है act JAN . / Page #23 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्वाले का हाथ लगते ही रथ आगे बढ़ने लगा। वर्द्धमान महावीर की प्रतिमा रथ में विराजमान है... रथ चलने लगा । Cook 21 अरे ! रथ फूल की तरह हल्का हो गया ! स्त्रियां गाती है सुख, सुहाग, सिन्दूर हमारा । महावीर उसका रखवारा Page #24 -------------------------------------------------------------------------- ________________ जैनी एवं लाखों मीना,गूजर, नर-नारी रथ के जुलूस के साथ चल रहे हैं। पुरुष गाते हैं... जग-जन का महावीरा है। हरता सबकी पीरा है।। 0299 ിമാം Page #25 -------------------------------------------------------------------------- ________________ महावीर कारथ एवं जुलूस मंदिर के पास पहुंचा......हषोल्लासपूर्ण जयघोष से आकाश गूंज उठा भगवान महावीर कीजय टीले वाले बाबा की जय भगवान महावीर की जय! टीलेवाले बाबा की जय!! 909ी DUD00 SITIAppea mSKIRTALLAD m COLODE न AIMUVIMIRMANURATULATION 29GRAPERCE Page #26 -------------------------------------------------------------------------- ________________ देवालय की वेदिका पर भगवान महावीर की प्रतिमा विराजमान है। सेठ अमर चन्द अभिषेक कर रहे हैं। FIBER BEN TODAY tur चतुरा ग्वाला और लक्ष्मी प्रसन्नता पूर्वक हाथ जोड़ कर प्रार्थना कर रहे हैं। हे महावीर ! हे टीले वाले बाबा ! हमारी रक्षा करना । निर्मल जल सा कर दो हे प्रभु ! मेरा जीवन निर्मल, पावन तेरे पावनतम चरणों में प्रभुवर है शत-शत अभिनन्दन यह है श्री महावीर (राजस्थान) के दिगम्बर जैन मन्दिर में स्थित भगवान महावीर की पावन प्रतिमा । शताब्दियों से प्रतिवर्ष लाखों यात्री दर्शन करने आते हैं। यह प्रतिमा चमत्कारी है। भक्तों को मनोवांछित फल प्रदान करती है। सर्व दर्शनीय है । 24 Page #27 -------------------------------------------------------------------------- ________________ जैन चित्र कथा के माध्यम से बाल पीढ़ी का समग्र विकास भगवान महावीर के सिद्धान्तों एवं उपदेशों का अधिकाधिक प्रचार-प्रसार कर जन साधारण के हृदय में नैतिक सदाचार व मानवीय मूल्यों की पुन: स्थापना करने; देव, गुरु, शास्त्र के प्रति कर्तव्य का बोध करा कर धर्म प्रभावना व संस्कृति संरक्षण के लिए नयी पीढ़ी को अच्छी शिक्षा देने हेतु आधुनिक शैली में कथा साहित्य का प्रकाशन किया जा रहा है। जैन पुराणों में असंख्य कथाएँ हैं-उनमें से अधिकांश उपयोगी व सुबोध कथाओं को चित्र कथा के माध्यम से प्रकाशित किया जा रहा है-जिसे अत्याधिक सरस व लालित्यपूर्ण भाषा में प्रस्तुत किया है। ये कथाएँ बच्चों के मनोरंजन के साथ-साथ उनके हृदय को उदार व विशुद्ध बनाती हैं तो कहीं बुद्धि में स्फूर्ति का संचार करती हैं। सबसे महत्त्वपूर्ण बात यह है कि धर्म के अंकुर, बच्चों के सरल हृदय में सदैव के लिए जड़ जमा लेते हैं । निश्चय ही ये बच्चे धर्म का पालन करते हुए मोक्ष मार्ग पर अग्रसर होंगे। माता-पिता व अभिभावक गण एक बार जैन चित्र कथा को अपने बालकों के हाथ में रख कर देखें-बालकों को आनन्द से पढ़ते देखकर वे अवश्य धन्यता का अनुभव करेंगे। प्रकाशन सहयोगी श्री विजय जैन दरियागज दिल्ली श्री जय गोपाल राजीव जैन चावड़ी बाजार दिल्ली. Page #28 -------------------------------------------------------------------------- ________________ जैनाचार्यों द्वारा लिखित सत्य कथाओं पर आधारित जैन चित्र कथा आठ वर्ष से 80 वर्ष तक के बालकों के लिए ज्ञान वर्धक, धर्म, संस्कृति एवं इतिहास की जानकारी देने वाली स्वस्थ, सुन्दर, सुरुचिवर्धक, मनोरंजन से परिपूर्ण आगम कथाओं पर आधारित जैन साहित्य प्रकाशन में एक नये युग का प्रारम्भ करने बाली एक मात्र पत्रिका जैन चित्र कथा ज्ञान का विकाश करने वाली ज्ञानवर्धक, शिक्षाप्रद और चरित्र निर्माणकारी सरल एवं लोकप्रिय सचित्र कथा जो बालक वृद्ध आदि सभी के लिए उपयोगी अनमोल रत्नों का खजाना, जैन चित्र कथा को आप स्वयं पढे तथा दूसरों को भी पढ़ावे। विशेष जानकारी के लिए सम्पर्क करें। आचार्य धर्मश्रुत ग्रन्थ माला संचालक एवं सम्पादक-धर्मचंद शास्त्री श्री दिगम्बर जैन मंदिर, गुलाब वाटिका लोनी रोड, जि० गाजियाबाद फोन 05762-66074