Book Title: Tattvarthadhigam Sutra Abhinav Tika Adhyaya 10
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Shrutnidhi Ahmedabad

View full book text
Previous | Next

Page 39
________________ | अ. सू. शब्द अनुग्रहार्थ अनुत्सेक अनुप्रेक्षा अनुप्रेक्षा अनुप्रेक्षा (स्वाध्याय) अनुभाव अनुभाव अनुमत अनुश्रेणि अमृत अनृत अनृत अन्तर अन्तर अन्तराय अन्तराय अन्तराय अन्तराय अन्तराय अन्तराय E m * * * * * * * * * * * * * I waarvuw noga ora w w uro orm voo oo suo sorg * * * * * * * * * * * * * * તત્ત્વાર્થાધિગમ સૂત્ર અભિનવટીકા शब्द अपाय विचय अप(कायिक) अप्रतिघात अप्रतिपात अप्रत्यवेक्षित अप्रत्याख्यांनी अप्रमार्जित अप्रविचार अब्रह्म अब्रह्म अभव्यत्व अभिधान अभिमान अभिषवाहार अभीक्ष्णं ज्ञानोपयोग अभीक्ष्णं संवेग अभ्यन्तरोपधि अमनस्क अमनोज्ञ अमुत्र अयोग अरति अरति परीषह अरति परीषह अरिष्ट अरुण अरूप कor orr x 9 9 9 9 9 - 9 ww rror 9 o MMMM24222 MMMMMM2212MM 120MM or or • worroris अन्तर्मुहूर्त । अन्तर्मुहूर्त अन्नपाननिरोध अन्यत्वानुप्रेक्षा अन्यद्दष्टिप्रशंसा अन्यद्दष्टिसंस्तव अपरत्व अपरा अपराजित अपरिगृहीतागमन अपान अपाय अपाय (दर्शन) अर्थ अर्थ अर्थ अर्थ अर्पित अर्हत् (भक्ति ) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82