Book Title: Tattvartha Vrutti
Author(s): Bhaskarnandi, Jinmati Mata
Publisher: Panchulal Jain

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Page 9
________________ ( ४ ) ऐसा यह तत्त्वार्थसूत्र जैनागम में संस्कृत का ग्राद्यग्रंथ माना जाता है, क्योंकि इसके पहले रचित सभी ग्रंथ मागधी अथवा शौरसेनी प्राकृत में लिखे गये हैं । इस (तत्त्वार्थसूत्र) का प्राचीन नाम तत्त्वार्थ अथवा तत्त्वार्थशास्त्र है । परन्तु सूत्रात्मक होने के कारण बाद में यह तत्त्वार्थसूत्र के नाम से प्रसिद्ध हो गया । मोक्षमार्ग का प्रतिपादक होने के कारण इसे 'मोक्षशास्त्र' भी कहते हैं । इसके उत्पत्ति निमित्त आदि के कथन तीर्थंकर महावीर और उनकी प्राचार्य परम्परा (डॉ० नेमिचन्द्र शास्त्री ज्योतिषाचार्य ) भाग २ पृ० १५३ आदि से जानना चाहिए । प्रस्तुत टोका ( सुखबोधा ) : तत्त्वार्थ सूत्र की प्रस्तुत महत्त्वपूर्ण टीका का नाम सुखबोधावृत्ति है । यह संस्कृत में लिखित है । यह टीका ग्रंथगत सभी विषयों को सरल और सुबोध भाषा में प्रस्फुटित करती है । इससे इसका 'सुखबोधावृत्ति' यह सार्थक नाम समझना चाहिए। इस वृत्ति के आधार सर्वार्थसिद्धि तत्त्वार्थवार्तिक और श्लोकवार्तिक ग्रन्थ रहे हैं । डॉ० नेमिचन्द्रजी शास्त्री ज्योतिषाचार्य के अनुसार इस ग्रंथ की निम्न मुख्य विशेषतायें हैं१. विषय स्पष्टीकरण के साथ नवीन सिद्धांतों की स्थापना । २. पूर्वाचार्यों द्वारा प्रतिपादित सिद्धांतों को आत्मसात् कर उनका अपने रूप में प्रस्तुतिकरण । ३. ग्रंथान्तरों के उद्धरणों का प्रस्तुतीकरण । ४. मूल मान्यताओं का विस्तार । ५. पूज्यपाद की शैली का अनुसरण करने पर भी मौलिकता का समावेश' शेष परिचय माताजी द्वारा लिखित विषय परिचय से एवं प्रस्तुत मूल सानुवाद ग्रन्थ से स्पष्ट है ही । टीकाकार भास्करनन्दि : तत्त्वार्थसूत्र के टीकाकारों में भास्करनन्दि का अपना स्थान है । भास्करनन्दि का जन्म स्थान, माता-पिता, पद आदि जानने की कोई साधन सामग्री उपलब्ध नहीं है । इस ग्रंथ तथा ध्यानस्तव के अन्त में दो श्लोकों में उनकी संक्षिप्त प्रशस्ति उपलब्ध है । इससे ज्ञात होता है कि ये सर्व साधु के प्रशिष्य तथा जिनचन्द्र के शिष्य थे । सर्वसाधु यह नाम न होकर सम्भवतः उनकी एक प्रशंसापरक उपाधि रही है । प्रशस्ति इस प्रकार है नो निष्ठीवेन्न शेते वदति च न परं एहि याहीति जातु । नो कण्डूयेत गात्रं व्रजति न निशि नोद्घाटयेद् द्वार्न दत्ते ॥ १. तीर्थंकर महावीर धोर उनकी प्राचार्य परम्परा ३।३०९

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