Book Title: Tattvartha Sutra
Author(s): Umaswati, Umaswami, Vijay K Jain
Publisher: Vikalp

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Page 64
________________ अध्याय - ४ अथ चतुर्थोऽध्यायः The Celestial Beings देवाश्चतुर्णिकायाः ॥१॥ देव चार समूह वाले हैं, अर्थात् देवों के चार भेद हैं - 1. भवनवासी, 2. व्यन्तर, 3. ज्योतिषी, 4 वैमानिक। The celestial beings are of four orders (classes). आदितस्त्रिषु पीतान्तलेश्याः ॥२॥ पहिले के तीन निकायों में पीत तक, अर्थात् कृष्ण, नील, कापोत और पीत - ये चार लेश्याएँ होती हैं। The colouration of thought of the first three classes is up to yellow. दशाष्टपञ्चद्वादशविकल्पाः कल्पोपपन्नपर्यन्ताः ॥३॥ कल्पोपपन्न (सोलहवें स्वर्ग तक के देव) पर्यन्त इन चार प्रकार के देवों के क्रम से दश, आठ, पाँच और बारह भेद हैं। They are of ten, eight, five and twelve classes up to the Heavenly beings (kalpavāsis). . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . 51

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