Book Title: Tattvartha Sutra
Author(s): Umaswati, Umaswami, Vijay K Jain
Publisher: Vikalp
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अध्याय - ८ The subdivisions are five, nine, two, twenty-eight, four, forty-two, two, and five kinds respectively.
मतिश्रुतावधिमनःपर्ययकेवलानाम् ॥६॥
[मतिश्रुतावधिमनःपर्ययकेवलानाम् ] मतिज्ञानावरण, श्रुतज्ञानावरण, अवधिज्ञानावरण, मन:पर्ययज्ञानावरण और केवलज्ञानावरण, ये ज्ञानावरण कर्म के पाँच भेद हैं।
Karmas which obscure sensory knowledge, scriptural knowledge, clairvoyance, telepathy, and omniscience, are the five kinds of knowledgeobscuring karmas.
चक्षुरचक्षुरवधिकेवलानां निद्रानिद्रानिद्राप्रचला
प्रचलाप्रचलास्त्यानगृद्धयश्च ॥७॥
[चक्षुरचक्षुरवधिकेवलानां] चक्षुदर्शनावरण, अचक्षुदर्शनावरण, अवधिदर्शनावरण, केवलदर्शनावरण [निद्रानिद्रानिद्राप्रचलाप्रचलाप्रचलास्त्यानगृद्धयश्च] निद्रा, निद्रानिद्रा, प्रचला, प्रचलाप्रचला और स्त्यानगृद्धि - ये नव भेद दर्शनावरण कर्म के हैं।
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