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दीक्षा ग्रहण की और वि०सं० १४२० में सूरि पद प्राप्त किया। इनके उपदेश से बड़ी संख्या में प्राचीन ग्रन्थों की प्रतिलिपियाँ करायी गयीं, जिनमें से अनेक आज भी उपलब्ध हैं। इनके द्वारा प्रातिष्ठापित कुछ जिनप्रतिमायें भी प्राप्त हुई हैं, जो वि० सं० १४४७ से १४६८ तक की हैं। इनका विवरण इस प्रकार है :
क्रमांक वि० सं० तिथि
2.
२.
३.
४.
५.
६.
७.
८.
१०.
१४४७ फाल्गुन सुदि ८ सोमवार
१४५८ फाल्गुन सुदि २ बुधवार
१४६१ श्रावण सुदि ११ गुरुवार
१४६५ ज्येष्ठ वदि ११
१४६६ श्रावण सुदि १०
१४६६ तिथिविहीन
१४६७ वैशाख सुदि ७
१४६८ तिथिविहीन
१४६९ फाल्गुन सुदि ३
१४६९ तिथिविहीन
११. १४६. ? तिथिविहीन
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प्राप्तिस्थान
दादा पार्श्वनाथ देरासर
नरसिंहजीकी पोल,
बड़ोदरा अनुपूर्ति लेख,
आबू
बड़ा मंदिर, नागौर
आदिनाथ जिनालय,
मालपुरा
आदिनाथ जिनालय,
खेरालु
चिन्तामणि जी का मंदिर, बीकानेर
चिन्तामणिपार्श्वनाथ जिनालय, बीकानेर
वही
و
जगवल्लभ पार्श्वनाथ देरासर, नीशापोल,
अहमदाबाद
दादापार्श्वनाथ देरासर, नरसिंह जी की पोल,
बड़ोदरा
माधवलालबाबू का देरासर, पालीताना
संदर्भग्रन्थ
आचार्य बुद्धिसागर, संपा०, जैनधातुप्रतिमालेखसंग्रह, भाग २, लेखांक १४६.
मुनि जयन्तविजय, संपाल,
अर्बुदप्राचीन जैनलेखसंदोह, लेखांक ६०७. विनयसागर, संपा०,
प्रतिष्ठालेखसंग्रह, लेखांक १८४
वही, लेखांक १९१.
आचार्य बुद्धिसागरसूरि, पूर्वोक्त, लेखांक ७६१.
भाग १,
अगरचंद भँवरलाल
नाहटा,
संपा० बीकानेरजैनलेखसंग्रह, लेखांक ६३२.
वही, लेखांक ६३४.
वही, लेखांक ६३५.
आचार्य बुद्धिसागर, पूर्वोक्त, भाग १, लेखांक १२०१ .
वही, भाग २, लेखांक १२०.
विजयधर्मसूरि, संपा०, प्राचीन लेखसंग्रह, लेखांक १०८.
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