Book Title: Sutrakritanga Churni Author(s): Publisher: View full book textPage 1
________________ सूत्रकृलांगचूर्णि: | शमणाउसो से उप्पाले खुइए।एवं च श्वानुमए अण्णाहुटुसमणाऽसी ! से एवमेयं युक्तं // 8 // ------ - 643 लोगं च स्खलु मए अपगाह मए लोगो अविही [आव० नि. 7 0 1057 पत्र 1942] यथाटामा पटात्मा एवं लोकात्मानं हृदि आवृत्य मया सा पुष्करिणी इला,अथवा आत्मना झाल्या मया पुष्करिणीटिटन्ली बुइती नान्यत श्रुत्वेत्यर्थः।कर्म उदगं। कामभीगा सैओ, कर्मी दयाद्धि कामसडीभवति, कामसडाच्च पुनः कर्म,ततो अन् / पौंडीयाणि पोर-जणवता / वड़पाउरीयं राया अण्णासुस्थिया लै पुरिसर धामी शिकस्सू धमकाता सट्टो गैडळाणं उप्पाली अवमात संस्मनुत्तीर्य को मागै स्थानम् एवं च अखलु भएणिचाणाटी बुइतं ॥८लावं संवेण पोक्रयारिणीदिद्रुती समो लारिलो। इटाणि विस्थारिजा उक्तं हि-"पुत्वभणितं हि" कल्पमध्ये गा०] ------- 644 ईह स्खलु पाइण वा पडी वाउदीण वा दाहिण-वो सलिंग रष २॥-संलिए गतिया सणुस्मा भवति अणुपुठलेणं नोटोतं उdawun! तं जहा-आश्यिा वैगे अगारिया वेगे, उच्चागी वैरीणीभागीआ बेटी, कायमंता वैगे हुस्समता वैगे, सुनण्णा वैगे दुवमार वैगे, सुरूना वैग-३पा मणुयाणा एो र्ख २पु१ पुर। 4 महाहिम० श्यै द रटा 2 पु१ पु-२॥-लुरूना बैगे। Hएकमेयंच खाल खं२ पुरवृ०दी। एवमेवं चरखनु वं पु॥२ वा संग० यं // 3 लोग उपमहाा पूर पुश लोग उपउतारखं 2 | आयरिया वो अणायरिया वेरी रखे 2 पुर॥५.० गोला वैगे गीता गोला गो रखें।। 6 माया यो 2 पु पुसा माहिम खेर 11 125 8 हस्तचिन्हान्सालिराजवर्णक स्त्रपाठस्थाने रख 2 पु 5 पुर - प्रतिषु जाय इत्येव पाली पर्तते / एष एव पाठी वृषि-दीपिकाकडयं / सारख्या तो 'ऽस्ति।चूर्णिकला तु समय राजवर्णक सूनायो व्याख्यातोऽस्ति। उपलभ्यतेऽसौ चर्णिकदाहतो राजवर्णक सत्रमन्ट खोप्रल ॥३दी डाय' औप 7 // 10 0 पिया जगवद्पाले अजय पुरी औ५०॥.Page Navigation
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