Book Title: Sukti Triveni Part 01 02 03 Author(s): Amarmuni Publisher: Sanmati Gyan Pith Agra View full book textPage 8
________________ को वढावा मिलेगा, इस दिशा मे आपका कार्य सराहनीय है, आप मेरी ओर से बधाई स्वीकार कीजिए । - दौलतसिंह कोठारी अध्यक्ष -- विश्वविद्यालय अनुदान आयोग, नई दिल्ली वह कवि श्री जी महाराज ने सतत परिश्रम एव विशाल अध्ययन के आधार पर 'सूक्ति त्रिवेणी' का जो सुन्दर तथा महत्त्वपूर्ण सकलन प्रस्तुत किया है, वर्तमान समय का अद्वितीय ग्रन्थ कहा जा सकता है । इससे लेखक, प्रवक्ता, सगोधक, जिज्ञासु स्वाध्याय प्रेमी आदि सभी को लाभ प्राप्त होगा । इस ग्रन्थरत्न का हार्दिक अभिनन्दन ! - श्राचार्य श्री आनद ऋषि जी महाराज उपाध्याय कवि अमर मुनि के वहिरंग से ही नहीं, अन्तरंग से भी मैं परिचित हूँ । उनकी दृष्टि उदार है और वे समन्वय के समर्थक हैं । 'सूक्ति त्रिवेणी' उनके उदार और समन्वयात्मक दृष्टिकोण का मूर्तरूप है | इसमे भारतीय धर्मदर्शन की त्रिवेणी का तटस्थ प्रवाह है । यह देखकर मुझे प्रसन्नता हुई कि इसमे हर युग को चिंतन धारा का अविरल समावेश है । यह सत्प्रयत्न मूरि-भूरि अनुमोदनीय है । तेरापथी भवन, - प्राचार्य तुलसी मद्रास सत्य असीम है । जो असीम होता है, वह किसी भी सीमा मे आवद्ध नही होता । सत्य न तो भाषा की सीमा मे आवद्ध है और न सम्प्रदाय की सीमा मे । वह देश, काल की सीमा मे भी आवद्ध नही है । इस अनावद्धता को अभि यक्ति देना अनुमन्धित्सु का काम है । उपाध्याय कवि अमर मुनि सत्य के अनुसन्धित्सु हैं । उन्होने भाषा और मम्प्रदाय की सीमा से परे भी सत्य को देखा है । उनकी दिक्षा इस 'सूक्ति त्रिवेणी' में प्रतिविम्वित हुई है । 1Page Navigation
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