Book Title: Subodh Sanskrit Mandirant Praveshika Part 01
Author(s): Ramkrishna Gopal Bhandarkar
Publisher: Divya Darshan Trust
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गोहेयो - द्रुह् ।. ४ ५२स्मै. हुः५ हे - तुद् 1. ६ मय., पीड् ६ - दण्ड पुं.
२. १० दृj - दण्ड् ॥. १०
६:५नो हरियो - दुःखोदधि पुं. (दुःख या - कारुण्य न.
- न.: + उदधि - पुं. रियो) याणु - कारुणिक न.
हु:षी - दुःखित विशे. शन - दर्शन न.
हुपी . - अव + सद् [ सीद् ] 1. ६२५॥२ - राजद्वार न.
१ ५२स्मै. हरिद्र - दरिद्र विशे.
हु14 - दुर्भिक्ष न. हरियो - उदधि पुं., समुद्र पुं. हुनिया - लोक पुं., संसार पुं. हतार - दातृ विशे.
हुर्छन - दुर्जन पुं. ६८३ - मदिरा स्त्री.
६ष्ट - दुष्ट (दुष् २. ४ ५२स्मै . नुं हासी - दासी स्त्री.
भू. .) हिय२ - देवृ पु.
हुष्ट भ - दुष्कृत न. हिसा२ - दुःखित विशे., विषण्ण (वि हुश्मना - वैर न., विग्रह पुं. + सद् ॥. १ ५२स्मै. नुं मृ..) दूत - दूत पुं. हिवस - दिन न.
दूर - दूर विशे. हिवसे - दिवा (अव्यय)
दूर - दूरम् (अव्यय) हिव्य - भगवत् विशे.
२ ४२j- अप + नी . १ मय. हि॥ - दिश् स्त्री.
हेपा3j - आविस् + क (आविष्क), हीरो - पुत्र पुं., सूनु पुं., आत्मज पुं. निर् + दिश् . ६ उभय. हा:२८ तरी: , हत्त दीधेj - | हेपाय मेj - दृश्य विशे. पुत्रीकृत विशे.
हेपा - उद्गम पुं. हीरान४न्म - पुत्रीजन्मसम विशे. पावई - वरतन विशे. हीरी - आत्मजा स्त्री., पुत्री स्त्री., १९६८२ डोj - धृ॥. १० दुहित स्त्री., कन्या स्त्री.
१२९४५ - यातृ स्त्री. होटेj - दृष्ट (दृश् मुंभू. .) ११ - दिवौकस् पुं, देव पुं., देवता टीवो - दीप पुं.
स्त्री., मरुत् पुं. हु: - क्लेश पुं., दुःख न., पीडा ११६८२ - देवदारु पुं. स्त्री., व्यसन न., अनिष्ट न., विपद् हेपाहा२ - अधमर्ण पुं. स्त्री.
विष - देवकुल न., देवालय पुं., હહ સુબોધ સંસ્કૃતમાર્ગોપદેશિકા દશ ૧૯૫ 9 ગુજરાતી સંસ્કૃત શબ્દકોશ,

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