Book Title: Stotra Ratnakar Satik Part 02
Author(s): Jinvallabhsuri
Publisher: Yashovijay Jain Sanskrit Pathshala
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॥ श्रीजिनवल्लभसूरिविरचितम् ॥
॥ प्रश्नशतम् ॥
SABASSAGAR
॥सावरिकम् ॥ स्वस्तिश्रीपार्श्वमानम्य, धनकान्तिविराजितम् । पङ्कमातङ्गपश्चास्य, नमामि पुण्यभास्करम् ॥१॥ क्रमनखदशकोटीदीप्रदीप्तिप्रतान-दशविधतनुभाजामुज्वलं मोक्षमार्गम् ।
पृथगिव विदिशन्तं पार्श्वमानम्य सम्यक्, कतिचिदबुधबुये वच्यहं प्रश्नभेदान् ॥१॥ __ अवचूरिः-अहं श्रीजिनवल्लभसूरिः, कतिचित्प्रश्नभेदान्, वच्मि कथयिष्यामि । वर्तमानायां भविष्यतीरूपं । किं कृत्वा ? पाच पार्श्वनाथमानम्य सम्यक् नत्वा । कथं ! सम्यक् चारु यथा स्यात्तथा। किं कुर्वन्तं पाई ? दशविध
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