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ShriMahiyeJain ArachanaKendra
संग्रहः
जातिचक्र ॥१०॥
तृतीय हारावली श्लोक १३
बजबन्ध विचित्र जानिः
चतुर्थ हारावली श्लोक १३ बन्धुक स्वस्तिकचित्र स्थापना.
च्या जि ना मे अभवं
रास्थियेन स्थिभदाशदेपत्तो
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रेसुय: शिल्प )
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(पाव्य से जब
दार/ना दिधर्मा न्वित धी
न भाभि
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