Book Title: Sthanang Sutram Part 02
Author(s): Vijaychandrasguptasuri
Publisher: Shripalnagar Jain Shwetambar Murtipujak Derasar Trust

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Page 14
________________ श्रीस्थानाङ्ग श्रीअभय० वृत्तियुतम् भाग-२ श्रीस्थानाङ्गसूत्रस्य विषया नक्रमः // 5 // क्रमः विषयः सूत्रम् पृष्ठः / क्रमः विषयः सूत्रम् पृष्ठः कुलार्याः, लोकस्थितिः। 496-498 634 दक्षिणस्यां प्रथमप्राच्यादिदिशाषट्केन जीव चतुर्थीनारकापक्रान्तनिरयाः। 513-515 648 तिर्यमनुष्याणां गत्यागत्यादीनि 14, ब्रह्मलोकविमानप्रस्तटा:, आहारानाहारकारणानि। 499-500 635-636 पूर्वभागादि नक्षत्राणि (पूर्वाभाद्रअर्हदवर्णादीन्युन्मादकारणानि, पदादेर्मुहूर्ताः 30, शतभिषगादेः मद्यनिद्रा-विषय- कषाय- द्यूत 15, रोहण्यादेः 45) / 516-517651 प्रत्युपेक्षणाः प्रमादाः। 501-502 638-639 6.13 अभिचन्द्रोच्चत्वम्, भरतप्रमादाप्रमादप्रतिलेखनाः, महाराजत्वम्, पार्श्ववादिनः, तियर्मरलेश्याः, शक्रसोमेशानयम वासुपूज्य- प्रव्रज्यापरिवारः, योरग्रमहिष्यः ईशानेन्द्रमध्यपर्षद्देव चन्द्रप्रभच्छाद्यस्थ्यमासाः, स्थितिः, दिग्विद्युत्कुमारीमहत्तरिकाः त्रीन्द्रियानारम्भारम्भसंयमा१२, धरण- भूतानन्दादीनामग्रमहिष्यः, ऽसंयमाः। 518-521 653 धरण- भूतानन्दादीनां सामानिकाः जम्बूद्वीपाकर्मभूमि- वर्षधर- मन्दर(प्रतिलेखनास्वरूपम् ) / 503-509 640-641 दक्षिणोत्तरकूट- महाह्रद- देवी-नदीअवग्रहेहापायधारणाभेदाः पूर्व-पश्चिमान्तनद्यः, धातक्या(बह्वाधाः)। 510 643 दावपि च 55, ऋतवः, बाह्याभ्यन्तरतपसी, विवादाः। 511-512 645 अवमरात्रातिरात्राः। 522-524 654-655 6.11 क्षुद्रप्राणाः, गोचरचर्या, मन्दरस्य 6.15 अर्थावग्रहाः, अवधिज्ञानानि // 5

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