Book Title: Sthanang Sutram Part 02
Author(s): Vijaychandrasguptasuri
Publisher: Shripalnagar Jain Shwetambar Murtipujak Derasar Trust

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Page 16
________________ श्रीस्थानाङ्ग श्रीअभय० वृत्तियुतम् भाग-२ // 7 // श्रीस्थानाङ्गसूत्रस्य विषयानुक्रमः क्रमः विषयः सूत्रम् पृष्ठः / क्रमः विषयः सूत्रम् पृष्ठः धातकी- पुष्करपूर्वापरार्द्धवर्ष-वर्ष ईशानाभ्यन्तरपर्षद्देव- शक्राग्रमहिषीधरपूर्वपश्चिमाभिमुखनद्यः, सौधर्मपरिगृहीतदेबीनां स्थितिः, अतीतोत्सर्पिण्यादिकुलकराः, सारस्वता-दित्य- गर्दतोयहकारादिदण्डनीतयः, चक्र्येकेन्द्रिय तुषितदेवाः, सनत्कुमार- माहेन्द्रपञ्चेन्द्रिय- रत्नानि, दुष्यमा ब्रह्मलोकस्थितिः, ब्रह्मलोकसुषमाचिह्नानि। 554-559 703-705 लान्तक- विमानोच्चत्वम्, 7.10 संसारजीवाः, अध्यवसाना भवनपत्यादितनूचत्वम्, नन्दीश्वरधुपक्रमाः, सर्वजीवाः। 560-562 707-708 द्वीपान्तीप- समुद्राः, ऋज्वायताद्याः ब्रह्मदत्ततनुमानायुर्गतयः, मल्लिदीक्षा श्रेणयः, असुरेन्द्राधनीकानि, परिवारनृपाः (मल्लिकथानकम्)। 563-564 709 चमरादिपदात्यनीकाधिपकक्षासम्यग्दर्शनादीनि दर्शनानि, अमोह तद्देवसंख्याः / 572-583 718-720 प्रकृतयः, छद्मस्थसर्वभावाज्ञेयाः 7.14 वचनविकल्पाः , विनय- प्रशस्ताकेवलिज्ञेयाः पदार्थाः, वीरोच्चत्वम्, प्रशस्तमनोवाकायलोकोपचारविकथाः, आचार्यातिशेषाः, संयमा विनयभेदाः। 584-585 संयमाऽऽरम्भाऽनारम्भाद्याः। 565-571 714-7157.15 समुद्धाताः। 586725 अतसीकुसुम्भादियोनिकाल:, 7.16 निव- तद्धर्माचार्योत्पत्तिनगराणि अप्काय- तृतीय- चतुर्थनरकस्थितिः, (निह्नववादः)। 587726-727 शक्र- वरुणे- शान- सोम- यमाग्रमहिष्यः, 7.17 सातासातवेदनीयानुभावाः, // 7 //

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