Book Title: Sthanang Sutram Part 02
Author(s): Vijaychandrasguptasuri
Publisher: Shripalnagar Jain Shwetambar Murtipujak Derasar Trust
View full book text ________________ श्रीस्थानाङ्गं श्रीअभय० वृत्तियुतम् भाग-२ // 11 // श्रीस्थानाड़सूत्रस्य विषयानुक्रमः असंवराः। 727 क्रमः विषयः सूत्रम् पृष्ठः क्रमः विषयः सूत्रम् पृष्ठः 10.1 जीवप्रत्यागमनादिका लोकस्थितिः / 704 834 धातकीपुष्करमन्दरावगाहः, वृत्तवैताढ्यो१०.२ शब्दभेदाः निहारिमाद्याः, चत्वोद्वेधविष्कम्भाः, क्षेत्रदशकम्, अतीतप्रत्युत्पन्नानागतेन्द्रियार्थाः / 705-706 836 मानुषोत्तर- मूलविष्कम्भः, अञ्जन- दधिमुख०.३ पुगलचलनकारणानि, क्रोधोत्पत्ति रतिकरविष्कम्भादि, रुचक- कुण्डलकारणानि, संयमाऽसंयम- संवरा विष्कम्भादि। 716-726 846-848, 707-709 837 10.7 द्रव्याद्यनुयोगा:।। 10.4 मानकारणानि, समाध्यसमाधयः, 10.8 देवोत्पातपर्वतप्रमाणम् 728 855-856 प्रव्रज्याभेदाः, श्रमणधर्माः, 10.9 वनस्पति- जलचर-स्थलचरवैयावृत्यानि, शरीरावगाहः, संभवाभिनन्दनान्तरम्, जीवाजीवपरिणामाः। 710-713 838-839 अनन्तदशकम्, उत्पादपूर्ववस्त्वस्तिनास्तिअन्तरीक्षौदारिकास्वाध्यायाः, पूर्वचूलवस्तूनि, प्रतिसेवाभेदाः, पञ्चेन्द्रियावधवध- संयमासंयमाः 714-715 843 अनालोचनादोषाः, आलोचनाहप्राणादीनि भङ्गान्तानि सूक्ष्माणि, गुणाः, प्रायश्चित्तानि / 729-733 858 गङ्गादिसमागतनद्यः, भरतराजधान्यः 10.10 मिथ्यात्वभेदाः, चन्द्रप्रभ-धर्म- नमितत्प्रव्रजिता नृपाश्च, मेरुधरण्यवगाहादि, पुरुषसिंह- नेमि- कृष्णसर्वायुः, भवनदिग्दशकम्, गोतीर्थरहितलवणमानोद पतिभेदचैत्यवृक्षाः, आरोग्यादिसौख्यानि, कमाल- पातालकलशोद्वेध-मूलादि उद्गमाधुपघात- विशुद्धयः / 734-738 863-864 विष्कम्भ- कुड्यमान- क्षुद्रपातालोद्वेधादि, |10.11 उपध्यादिसंक्लेशासक्लेशाः, श्रोत्रे // 11 //
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