Book Title: Sthanang Sutram Part 02
Author(s): Vijaychandrasguptasuri
Publisher: Shripalnagar Jain Shwetambar Murtipujak Derasar Trust
View full book text ________________ श्रीस्थानाङ्गं श्रीअभय वृत्तियुतम् भाग-२ // 12 // विषया नक्रमः 911-912 877 | क्रमः विषयः सूत्रम् पृष्ठः / क्रमः विषयः सूत्रम् पृष्ठः न्द्रियादीनि वीर्यान्तानि बलानि / 739-740 867 नरकावास- रत्नप्रभा- पङ्कप्रभा- धूमप्रभा१०.१२ सत्य- मृषा- सत्यामृषाभाषा भेदाः / 741 868 नारका- ऽसुरादि- बादरवनस्पति१०.१३ दृष्टिवादनामानि / 742 871 व्यन्तर- ब्रह्म- लान्तकस्थितयः। 0-911 10.14 अग्न्यादिशस्त्र- तज्जातादिदोष 10.23 आगमिष्यद्भद्रताकारणानि / 758 वस्त्वादिविशेषाः। 743 872 10.24 आशंसाप्रयोगाः / 759 10.15 शुद्धवागनुयोगाः। 744 10:25 ग्रामादिधर्माः। 760 914 10.16 दानानि, गतयः, मुण्डभेदाः, 10.26 ग्रामादिस्थविराः, आत्मसंख्याभेदाः। 745-747 8 जादिपुत्राः / / 761-762 914-915 10.17 प्रत्याख्यानदशकम् / 748 10.27 केवल्यनुत्तराणि, कुरुमहाद्रुम१०.१८ इच्छादिसामाचार्यः, वीरस्वप्नाः / 749-750 885 तदधिपाः, अवगाढदुष्षमा१०.१९ निसर्गादिसम्यग्दर्शनभेदाः। 751 सुषमाचिह्नानि, सुषम- सुषमाः, 10.20 सज्ञादशकम्, नारकवेदनाः। 752-753 89 कल्पवृक्षभेदाः। 763-766 10.21 छद्मस्थाज्ञेयाः केवलिज्ञेयाः | 10.28 अतीतभाव्युत्सर्पिणीकुलकराः, पदार्थाः, दशाभेदाः, कर्मविपाकादि पूर्वपश्चिमवक्षस्काराः, कल्पतदिन्द्रदशादशकाध्ययनानि, उत्सर्पिण्यादि तत्परियानिकविमानानि / 767-769 918 कालमानम् 10.29 दशदशमिकाभिक्षाः, (तत्तदध्ययनकथानकानि)। 754-756 896-897 संसारसमापन्न- सर्वजीवभेदाः। 770-771 10.22 अनन्तरोत्पन्नादिनारकभेद-पङ्कप्रभा 10.30 बालादिदशादशकम् / 920 // 12 //
Loading... Page Navigation 1 ... 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152 153 154 155 156 157 158 159 160 161 162 163 164 165 166 167 168 169 170 171 172 173 174 175 176 177 178 179 180 181 182 183 184 185 186 187 188 189 190 191 192 193 194 195 196 197 198 199 200 201 202 203 204 205 206 207 208 209 210 211 212 ... 444