Book Title: Sthanang Sutram Part 02
Author(s): Vijaychandrasguptasuri
Publisher: Shripalnagar Jain Shwetambar Murtipujak Derasar Trust

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Page 17
________________ क्रमः श्रीस्थानाङ्ग श्रीअभय० वृत्तियुतम् भाग-२ श्रीस्थानाङ्गसूत्रस्य विषयानुक्रमः // 8 // विषयः सूत्रम् पृष्ठः / क्रमः विषयः सूत्रम् अभिजिदादिकानि पूर्वादिद्वाराणि एकात्मवाद्याद्या अक्रियावादिनः। 607 753 नक्षत्राणि, सौमनस-गन्धमादनकूटाः, 88.7 भौमादिनिमित्तानि, वचनविभक्तयः, द्वीन्द्रियकुलकोटयः, पुद्गलचयनादि छद्मस्थाज्ञेयाः केवलिज्ञेयाः पदार्थाः, स्थानानि, सप्तप्रदेशिकाद्याः / कुमारभृत्याद्यायुर्वेदाः। 608-611 756-757 पुद्गलाः / 588-593734 8.8 शक्रेशान- शक्रसोमेशानवैश्रमणा॥ अष्टममध्ययनम् अष्टस्थानम् / / 594-660 737-7860 ग्रमहिष्य:, महाग्रहाः, तृणवनस्पतयः, एकाकिविहारप्रतिमागुणाः, . चतुरिन्द्रियानारम्भारम्भ- संयमासंयमाः, योनिसंग्रहः, अण्डजादिगत्यागती: प्राणादिसूक्ष्माणि, भरतवंशसिद्धाः, कर्मप्रकृतयः। 594-596 पार्श्वगणधराः। 612-617 760-761 अपराधानालोचना- ऽऽलोचन सम्यग्दर्शनादीनि, उपमिताद्धाः, कारणानि, तत्प्रत्याजाति नेमियुगान्तकृद्भुमिः, वर्णनानि च। 597 739-741 वीरप्रताजितनृपाः। 618-621 संवरासंवरौ, स्पर्शाः, 8.10 आहाराः, कृष्णराजीतत्संस्थानलोकस्थितिः। 598-600 748 नामतत्स्थविमान- तद्देवस्थितयः, गणिसम्पदः, महानिध्युच्चत्वम्, धर्मास्तिकायादिमध्यप्रदेशाः। 622-624 765-766 समितयः। 601-603 749 8.11 महापद्मप्रव्राज्यनृपाः, सिद्धाः आलोचनाप्रतीच्छकदायकगुणाः; कृष्णाग्रमहिष्यः, वीर्यप्रवादवस्तुप्रायश्चित्तानि, मदस्थानानि। 604-606 750-751 चूलवस्तूनि। 625-627 768

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