Book Title: Sthanang Sutram Part 02
Author(s): Vijaychandrasguptasuri
Publisher: Shripalnagar Jain Shwetambar Murtipujak Derasar Trust

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Page 15
________________ क्रमः श्रीस्थानाङ्ग श्रीअभय० वृत्तियुतम् भाग-२ विषयः सूत्रम् पृष्ठः / क्रमः श्रीस्थानाडविषयः सूत्रम् पृष्ठः सूत्रस्य अवचनानि / 525-527 655-656 7.2 एकदिग्लोकाभिगमादीनि विषया६.१६ कल्पप्रस्ताराः संयमपरिमन्थूनि, विभङ्गज्ञानानि। 542 677-6793 नुक्रमः कल्पस्थितयः, वीरदीक्षा- मोक्षतपः, अण्डजादियोनिसंग्रह- तद्गत्यागतयः, सनत्कुमार- माहेन्दविमान गणसंग्रहाऽसंग्रहस्थानानि, पिण्डशरीरमानम्। 528-532 657-658 पानैषणाऽवग्रहप्रतिमा- सप्तसप्तक६.१७ भोजन- विषयोः परिणामाः, महाध्ययन- सप्तसप्तमिकासंशयादिप्रश्नाः, चमरचञ्चेन्द्रस्थान भिक्षामानं च। 543-545 682-683 माघवती- सिद्धिविरहाः। 533-535 664-665 7.4 पृथ्वीघनोदध्यादि- तन्नाम६.१८ जातीनां निधत्ताधायूंषि, गोत्राणि। 546688 औदयिकादिभावाः (संक्षेप्या बादरवाताः, दीर्घादिसंस्थानानि, संक्षेप्यायुर्बन्धः, भयस्थानानि, छद्मस्थभावषट्कस्वरूपभेदाः)। __536-537 667 केवलिनोश्चिह्नानि। 547-550 689 उच्चारादिप्रतिक्रमणादीनि, सप्रभेदमूलगोत्रभेदाः काश्यपाद्याः 551 690 691 कृत्तिकाऽऽश्लेषातारकाः नैगमाद्या नया:, (नयस्वरूपम्। 552 पुद्गलचयनादि, षट्प्रदेशिकादि। 538-540 672 7.8 स्वरभेदाः, जीवाजीवनिश्रितत्वलक्षण॥ सप्तममध्ययनं सप्तस्थानम् // 541-593 675-736 ग्राम- मूर्च्छना- योनि-गेयादिगणापक्रमणकारणानि स्वरमण्डलम्। 553 696-698 सर्वधर्मरोचनादीनि। 5416757.9 स्थानातिगादिकायक्लेशाः, जम्बू /

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