Book Title: Sramana 2014 07 10
Author(s): Ashokkumar Singh, Rahulkumar Singh, Omprakash Singh
Publisher: Parshvanath Vidhyashram Varanasi
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52 : श्रमण, वर्ष 65, अंक 3-4/जुलाई-दिसम्बर 2014 सन्दर्भ :
उत्तराध्ययन, 23/87 स्थानांग, 10/212, टीका भाग 5, पृ0 365-66 स्थानांग, 3/157 उत्तराध्ययन, 22वां अध्याय वही, 14वां अध्याय उत्तराध्ययन नियुक्ति, पृ0 136-40 आवश्यक नियुक्ति, 1283 एवं वृहत्कल्पभाष्य, पंचम भाग, 5099 उत्तराध्ययन नियुक्ति, पृ0 181 आवश्यक चूर्णि, प्रथम भाग, पृ0 526-27 ज्ञाताधर्मकथा, 1/14 वही, 1/16 स्थानांग, 10/24 उत्तराध्ययन सूत्र, 14/53, अन्तःकृद्दशांगसूत्रम्, 5/118 वही ज्ञाताधर्मकथा, 2/1/3 तम्हा उ वज्जए हत्थी, विसलित्तं व कंटगं णच्चा।
ओए कुलाणि वसवत्ती, आघाए ण से वि णिग्गंथे। सूत्रकृतांग, सं मधुकर मुनि,सूत्रांक 257 (1.1.4.11) निशीथचूर्णि भाग-1, पृ0 129 वही, भाग-2, पृ0 59-60 एवं भाग-4 आवश्यकचूर्णि, भाग-1, पृ0 318 ज्ञाताधर्मकथा-14/8 तथा 16/11 एवं उत्तराध्ययन-13 आवश्यकचूर्णि, भाग-1, पृ0 554-55 जैन शिलालेख संग्रह, भाग-2, अभिलेख क्रमांक-8

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