Book Title: Sramana 2010 01
Author(s): Shreeprakash Pandey
Publisher: Parshvanath Vidhyashram Varanasi

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Page 245
________________ राग नहीं उतरता था, साथ ही साध्वी का भी मुनि पर से राग न उतरता था। गाहा : एवं वच्चइ कालो संजम-तव-विणय-करण-निरयाणं । गुरु-आणा-संपाडण-पराण अह ताण दोहंपि ।। १८६।। संस्कृत छाया : एवं व्रजति कालः संयमतपो-विनय-करण-निरतयोः । गुर्वाज्ञासंपादन-परयोरथ तयो द्वयो-रपि ।। १८६।। गुजराती अनुवाद : आ प्रमाणे संयम-तप तथा विनयमां तत्पर अने गुर्वाज्ञा पालनमां सावधान स्वा ते बोनो पण समय पसार थाय छ। हिन्दी अनुवाद : इस प्रकार संयम-तप तथा विनय में तत्पर और गुर्वाज्ञा पालन में सावधान उन दोनों का समय व्यतीत हो रहा था। (अनङ्गवती-वसुमतीनुं बहिर्गमन) गाहा: अह अन्नया कयाइवि भगिणीए वसुमईए संजुत्ता । चलियाऽणंगवई सा वियार-भूमीए बहियाओ ।।१८७।। संस्कृत छाया : अथान्यदा कदाचिदपि भगिन्या वसुमत्या संयुक्ता । चलिताऽनङ्गवती सा विचारभूमौ बहिस्तात् ।। १८७।। गुजराती अनुवाद : हवे कोई दिवसे वसुमति नामनी पोतानी चेन साथे अनंगवती साध्वी स्थंडिलभूमि माटे बहार गई। हिन्दी अनुवाद :___फिर किसी दिन वसुमति नामक अपनी बहन के साथ अनंगवती साध्वी स्थंडिलभूमि के लिए बाहर गई। 586

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